Investment Tips: शेयर मार्केट से करोड़पति कैसे बनें? आपका भी है यही सवाल? ये 7 जवाब
पैसा कमाना हर किसी को अच्छा लगता है. कहा जाता है कि शेयर बाजार में बहुत पैसा है. कुछ लोगों को उदाहरण दिया जाता है कि इन्होंने महज 5000 रुपये से निवेश की शुरुआत की थी, और आज शेयर बाजार से करोड़ों रुपये बना रहे हैं. आखिर उनकी सफलता का राज क्या है, आज हम आपको बताएंगे? (Photo: Getty Images)
दरअसल, आप भी कुछ आसान टिप्स को फॉलो कर शेयर बाजार से पैसे बना सकते हैं. शेयर बाजार में कुछ बातों का ध्यान रखकर आप लखपति से करोड़पति बन सकते हैं. लेकिन अक्सर लोग पैसे बनाने की होड़ में नियम और रिस्क को भूल जाते हैं, या फिर कहें जानबूझकर नजरअंदाज कर देते हैं. और फिर उनकी उनकी शिकायत होती है कि शेयर बाजार से बड़ा नुकसान हो गया. (Photo: Getty Images)
यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि शेयर बाजार से 90 फीसदी से ज्यादा रिटेलर पैसा नहीं बना पाते हैं, हर रिटेल निवेशक को शेयर बाजार में कदम रखने से पहले इसे आंकड़े को ध्यान में रखना चाहिए. लेकिन एक इसमें एक अच्छी बात यह है कि 10 फीसदी रिटेल निवेशक पैसे बनाने में सफल रहते हैं. क्योंकि वे नियमों को फॉलो करते हैं. (Photo: Getty Images)
अब आइए आपको बताते हैं कि शेयर बाजार के आप कैसे करोड़पति बन सकते हैं.
1. शुरुआत कैसे करें: शेयर बाजार में निवेश से पहले ये जानने की कोशिश करें कि शेयर बाजार क्या है? शेयर बाजार कैसे काम करता है? लोगों को शेयर बाजार से कैसे कमाई होती है? क्योंकि शेयर बाजार कोई पैसे बनाने की मशीन नहीं है. डिजिटल के इस दौर में आप घर बैठे ऑनलाइन इस बारे में जानकारी जुटा सकते हैं. इसके अलावा आप इस मामले में वित्तीय सलाहकार की मदद ले सकते हैं. जो आपको शुरुआत में सही दिशा बताएंगे.
2. छोटी रकम से करें निवेश की शुरुआत: ये जरूरी नहीं है कि शेयर बाजार में निवेश के लिए बड़ी रकम होनी चाहिए. अधिकतर लोग यही गलती करते हैं. अपनी पूरी जमापूंजी शेयर बाजार में लगा देते हैं. फिर बाजार में उतार-चढ़ाव को झेल नहीं पाते हैं. आप छोटी रकम यानी महज 5 रुपये से भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. (Photo: Getty Images)
3. टॉप कंपनियों को चुनें: शुरुआत में बहुत ज्यादा रिटर्न पर फोकस करने से बचें. क्योंकि आपको इन्वेस्टमेंट कैसे करना चाहिए बहुत ज्यादा रिटर्न के चक्कर में लोग उन कंपनियों स्टॉक्स में पैसे लगा देते हैं, जो फंडामेंटली मजबूत नहीं होते हैं, और फिर फंस जाते हैं. इसलिए निवेश की शुरुआत अक्सर लार्ज कैप कंपनियों से करें. जो फंडामेंटली मजबूत हो. जब आपको कुछ साल का अनुभव हो जाएगा तो फिर थोड़ा रिस्क ले सकते हैं.
4. निवेशित रहने की जरूरत: जब आप छोटी रकम से निवेश की शुरुआत करेंगे, तो फिर हर महीने निवेश को बढ़ाते रहें. अपने पोर्टफोलियो को संतुलित बनाकर रखें. जब आप लगातार कुछ साल तक बाजार में निवेशित रहेंगे तो फिर आप लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं. अक्सर बाजार में लंबे समय के निवेशित रहने वालों का फायदा होता है. (Photo: Getty Images)
5. पैनी स्टॉक्स से रहें दूर: रिटेल निवेशक अक्सर सस्ते स्टॉक्स पर फोकस करते हैं. 10-15 रुपये वाले स्टॉक्स को अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर लेते हैं और फिर गिरावट में घबरा जाते हैं. उन्हें लगता है कि सस्ते शेयर में कम निवेश कर ज्यादा कमाया जा सकता है. लेकिन ये सोच गलत है. स्टॉक्स का चयन हमेशा कंपनी की ग्रोथ को देखकर करें. उसी कंपनी में निवेश करें, जिसका बिजनेस अच्छा हो और उस बिजनेस को चलाने वाला मैनेजमेंट अच्छा हो.
6. गिरावट में घबराएं नहीं: शेयर बाजार में जब भी गिरावट आए, तो अपने निवेश को बढ़ाने बढ़ाएं. अक्सर रिटेल निवेशक को जब तक कमाई होती है, तब तक वो निवेश में बने रहते हैं. लेकिन जैसे से बाजार में गिरावट का दौर चलता है, रिटेल निवेशक घबराने लगते हैं, और फिर बड़े नुकसान के डर से शेयर सस्ते में बेच देते हैं. जबकि बड़े निवेशकर खरीदारी के लिए गिरावट का इंतजार करते हैं. (Photo: Getty Images)
7. कमाई का कुछ हिस्सा करें सुरक्षित निवेश: शेयर बाजार से होने वाली कमाई के कुछ हिस्से को सुरक्षित निवेश के तौर पर दूसरे जगह पर भी लगाएं. इसके अलावा अपने मुनाफे को बीच-बीच में कैश करते हैं. सबसे अहम और हर रिटेल निवेशक के जरूरी बात यह है कि वे बिना जानकारी शेयर बाजार से दूर रहें, और निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें. देश के बड़े निवेशकों को फॉलो करें, उनकी बातों को गंभीरता से लें. (Photo: Getty Images)
Mutual Funds: म्यूचुअल फंड में निवेश से होगी जबरदस्त कमाई, बस इन 5 टिप्स का रखें ध्यान
म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय सही निर्णय लेने में आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. आपकी मदद के लिए यहां हमने कुछ अहम सुझाव दिए आपको इन्वेस्टमेंट कैसे करना चाहिए हैं.
म्यूचुअल फंड हमेशा निवेशकों के लिए पसंदीदा विकल्प रहे हैं.
Mutual Funds: म्यूचुअल फंड हमेशा निवेशकों के लिए पसंदीदा विकल्प रहे हैं. कई निवेशक अपने फाइनेंशियल गोल्स को हासिल करने के लिए म्यूचुअल फंड स्कीम्स में निवेश करते हैं. अक्सर पहली बार निवेश करने वाले निवेशक यह नहीं समझ पाते कि उन्हें कहां निवेश करना चाहिए और आपको इन्वेस्टमेंट कैसे करना चाहिए आपको इन्वेस्टमेंट कैसे करना चाहिए गलती कर बैठते हैं. ऐसे फर्स्ट टाइम इन्वेस्टर्स के लिए म्यूचुअल फंड एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. इसके तहत, सही स्कीम चुनना जरूरी है ताकि आपको अधिकतम रिटर्न मिल सके. म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय सही निर्णय लेने में आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. आपकी मदद करने के लिए यहां हमने कुछ अहम सुझाव दिए हैं.
रिस्क लेने की क्षमता का आकलन जरूरी
म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश रिटर्न की उम्मीद का आकलन करना चाहिए. उसके बाद आप सही म्यूचुअल फंड स्कीम का चयन करें जिसके ज़रिए आपको आपको बेहतर रिटर्न मिल सके. उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आप अगले दस सालों में एक निश्चित अमाउंट बनाना चाहते हैं और आपकी जोखिम उठाने की क्षमता अधिक है. आप एक ऐसी म्यूचुअल फंड स्कीम चुन सकते हैं जो आपको आपकी जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार हाई रिटर्न दे सके और 10 सालों के बाद आपके वित्तीय लक्ष्य को हासिल करने में मदद कर सके. आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर यह समझना होगा कि किसी फाइनेंशियल गोल को हासिल करने के लिए म्यूचुअल फंड स्कीम में कितना निवेश करने की जरूरत है.
निवेश का डायवर्सिफिकेशन जरूरी
एक या दो म्यूचुअल फंड स्कीम्स में पूरे फंड का निवेश करने से आपको अधिक जोखिम उठाना पड़ सकता है. आपको अपने निवेश पोर्टफोलियो को अलग-अलग म्यूचुअल फंड स्कीम्स और अलग-अलग म्यूचुअल फंड कंपनियों में डायवर्सिफाई करना चाहिए. एक निवेशक के तौर पर आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि अपने पोर्टफोलियो में एसेट एलोकेशन कैसे किया जाए. निवेशक को अपनी पर्सनल इन्वेस्टमेंट गोल्स और जोखिम लेने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए एसेट एलोकेट करना चाहिए. एसेट एलोकेशन निवेश की रणनीति बनाने में मदद करता है. एसेट एलोकेशन का एक फायदा यह है कि अगर किसी एक एसेट क्लास में उतार-चढ़ाव होता है तो जरूरी नहीं है कि दूसरे में भी हो.
स्कीम चुनने में बरतें सावधानी
यहां कई म्यूचुअल फंड कंपनियां हैं. इनके द्वारा कई तरह की स्कीम पेश की जाती हैं. आपको इनमें से अपनी जरूरत के अनुसार सही स्कीम का चुनाव करना होगा. अब सवाल यह है कि निवेश के लिए सबसे अच्छी स्कीम का चुनाव कैसे करें? किसी भी म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश से पहले आपको उनके पिछले प्रदर्शन, मैनेजमेंट एफिशिएंसी और एक्सपेंस रेश्यो की जांच करनी चाहिए. इसके साथ ही, अलग-अलग स्कीम की तुलना ऑनलाइन माध्यम से करनी चाहिए. रेगुलर प्लान्स की तुलना में डायरेक्ट प्लान्स को प्राथमिकता दें क्योंकि इनका एक्सपेंस रेश्यो कम होता है.
एकमुश्त निवेश या SIP इन्वेस्टमेंट
यदि आप एकमुश्त राशि निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो आप अधिक जोखिम नहीं लेना चाहेंगे. इसलिए, डेट फंड एक अच्छा विकल्प हो सकता है. अगर आप बेहतर रिटर्न के लिए मध्यम जोखिम लेने को तैयार हैं, तो आप बैलेंस्ड फंड में निवेश कर सकते हैं. ज्यादा रिटर्न के लिए आपको ज्यादा जोखिम उठाने होंगे. इसलिए, आप लार्ज-कैप इक्विटी फंड में निवेश के लिए जा सकते हैं. अलग-अलग स्कीम और म्यूचुअल फंड कंपनियों में अपने फंड को डायवर्सिफाई करें. अगर आप जोखिम को और कम करना चाहते हैं, तो आप एकमुश्त फंड को लिक्विड फंड में रख सकते हैं और एसटीपी विकल्प का उपयोग करके एक उपयुक्त म्यूचुअल फंड योजना में निवेश कर सकते हैं.
अगर आप लंबी अवधि में किस्तों में निवेश करते हुए फंड तैयार करना चाहते हैं, तो आप इक्विटी फंड में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के माध्यम से निवेश कर सकते हैं. एसआईपी आपको आकर्षक रिटर्न पाने में मदद कर सकता है, खासकर जब आप उतार-चढ़ाव भरे बाजार के बीच लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं.
पोर्टफोलियो की समीक्षा और री-बैलेंस जरूरी
म्यूचुअल फंड स्कीम्स में निवेश के दौरान समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करना जरूरी है. हमेशा यह चेक करते रहें कि आपका निवेश कैसा प्रदर्शन कर रहा है. हो सकता है कि कभी-कभी यह आपके उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन न करे. वहीं, कभी-कभी यह आपकी उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है. अगर यह आपकी उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन न करे तो खराब प्रदर्शन वाले निवेश को बेहतर फंड में बदलना पड़ सकता है.
दूसरी ओर, अगर आपके पोर्टफोलियो ने आपकी उम्मीद से काफी बेहतर प्रदर्शन किया है, तो आप हाई रिस्क वाली स्कीम से कम रिस्क वाली म्यूचुअल फंड स्कीम में स्विच कर सकते हैं और अर्जित रिटर्न को सुरक्षित करते हुए अपने पोर्टफोलियो को रि-बैलेंस कर सकते हैं. म्युचुअल फंड में कम उम्र से ही निवेश करना शुरू कर दें. लंबी अवधि के लिए निवेशित रहकर आपको निवेश पर लाभ को अधिकतम करने में मदद मिलेगी.
Investment Tips: छोटी-छोटी बचत बना देगी आपको अमीर, सिर्फ 1000 रुपये से इन योजनाओं में करें निवेश
Best Investment Options: पहली बार निवेश करने वालों के लिए पीपीएफ एक अच्छा विकल्प है। यह एक सुरक्षित निवेश विकल्प है। साथ ही इस निवेश विकल्प में कोई टैक्स (Tax) देनदारी नहीं है। यहां निवेशक को चक्रवद्धि ब्याज दर (Interest Rate) का फायदा मिलता है। यहां आप हर महीने 1,000 रुपये निवेश करें तो एक साल में आप 12,000 रुपये निवेश करेंगे। यहां आप 15 साल तक नियमित निवेश करेंगे तो कुल 1,80,000 रुपये निवेश होंगे
यहां अपनी छोटी बचत निवेश कर बना सकते हैं अच्छा फंड
म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) इस समय काफी लोकप्रिय निवेश विकल्प है। अगर आप अपने निवेश पोर्टफोलियों में इक्विटी को शामिल कर अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो म्यूचुअल फंड एक अच्छा विकल्प है। हालांकि, यह पीपीएफ और आरडी की तरह सुरक्षित निवेश विकल्प नहीं है। म्यूचुअल फंड में रिटर्न अच्छा मिलता है, लेकिन इसमें थोड़ा जोखिम भी होता है। एसआईपी (SIP) के जरिए हर महीने एक तय राशि म्यूचुअल फंड में निवेश की जाती है। अगर आप एक हजार रुपये की एसआईपी बनाते हैं, तो पांच साल में आप म्यूचुअल फंड में कुल 60,000 रुपये निवेश कर पाएंगे। इस राशि पर 10 फीसद के औसत रिटर्न के हिसाब से आपका 78,082 रुपये का फंड बनेगा। अगर आप निवेश की अवधि को 15 साल के लिए ले जाते हैं तो 1,80,000 रुपये जमा कर पाएंगे ओर 4,17,924 रुपये का फंड बनेगा।
Investment Tips: महिलाओं के लिए बेस्ट हैं ये दो स्कीम, कम निवेश में होगा लाखों का फायदा
सभी अपने फ्यूचर के लिए इन्वेस्ट करते ही हैं। मेल इन्वेस्टर्स रियल एस्टेट, स्टॉक मार्केट और म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करना पसंद करते हैं। वैसे ही फीमेल इन्वेस्टर्स गोल्ड और फिक्स्ड डिपॉजिट में ज्यादा इन्वेस्ट करना पसंद करती हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कौन सा इन्वेस्ट महिलाओं के लिए है बेस्ट।
महिलाएं कहां इन्वेस्ट करना पसंद करती हैं
रिपोर्ट्स की मानें तो अधिकतर महिलाएं गोल्ड और फिक्स्ड डिपॉजिट में इन्वेस्ट करना काफी ज्यादा पसंद करती हैं। इसके अलावा आज कल महिलाएं रियल एस्टेट, स्टॉक मार्केट और म्यूचुअल फंड में भी इन्वेस्ट करती हैं।
म्यूचुअल फंड में होता है फायदा
जिन भी महिलाओं को म्यूचुअल फंड के बारे मे अच्छे से पता है वह आसानी से म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट कर काफी पैसे कमा सकती हैं। म्यूचुअल फंड में भी कई प्रकार होते हैं।
इक्विटी म्यूचुअल फंड
इक्विटी फंड म्यूचुअल फंड की वो स्कीम है, जो खासकर शेयर्स/कंपनी के स्टॉक में निवेश करती है। इन्हें ग्रोथ फंड भी कहा जाता है। इसमें आप आसानी से पैसे निवेश कर सकते हैं।
डेट म्यूचुअल फंड
अगर आप अधिकतम तीन साल तक के लिए निवेश करना चाहते हैं और रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं तो फिर आपके सामने पहला विकल्प 'फिक्स्ड डिपॉजिट' का है। लेकिन अगर फिक्स्ड डिपॉजिट से थोड़ा ज्यादा रिटर्न चाहते हैं तो फिर डेट फंड में निवेश कर सकते हैं।
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड
हाइब्रिड फंड भी एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है जो एक ही फंड के अंदर कई एसेट क्लास में निवेश करता है। इसमें इन्वेस्ट करना काफी फायदे का सौदा हो सकता है।
महिलाएं सोने में इन्वेस्ट कर सकती हैं
सर्वे के अनुसार यह देखा गया है कि महिलाएं सोने में काफी ज्यादा इन्वेस्टर्स करती हैं। युवा पीढ़ी की महिलाएं भी गोल्ड में इन्वेस्ट करना पसंद करती हैं।
वहीं आज कल की युवा महिलाओं की बात करें तो वह अपनी बचत सुरक्षित और कम जोखिम वाले निवेश विकल्पों में चुनना चाहती हैं।
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Investment Tips: विविधीकरण या डाइवर्सिफिकेशन का मतलब ये है कि आपका निवेश अलग-अलग इंस्ट्रुमेंट में हो. जोखिम कम करने के लिए यह अहम होता है.
उदाहरण के लिए 10-10 आपको इन्वेस्टमेंट कैसे करना चाहिए अलग कंपनियों के शेयर खरीदने से आपको किसी खास कंपनी के स्टॉक से जुड़े रिस्क को कम करने में मदद मिलेगी. लेकिन अगर ये सभी 10 शेयर एक ही आपको इन्वेस्टमेंट कैसे करना चाहिए सेक्टर से हुए तो आपके पोर्टफोलियो का एक्सपोजर सेक्टर से जुड़े जोखिम से होगा. ठीक इसी वजह से इसे ऑप्टिमल डाइवर्सिफिकेशन नहीं कहा जा सकता है. हम मानते हैं कि अलग नाम या अलग कैटेगरी की स्कीम्स की रणनीति अलग-अलग होती है लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है.
अब आप एक्सिस ब्ल्यूचिप फंड और एक्सिस फ्लेक्सी कैप फंड का उदाहरण ले लीजिए. ये दोनों फंड अलग-अलग कैटेगरी के है लेकिन इनमें 92% तक ओवरलैपिंग है. अगर आप इनकी पोर्टफोलियो होल्डिंग्स की तुलना करेंगे तो पाएंगे कि इनमें 28 आपको इन्वेस्टमेंट कैसे करना चाहिए कॉमन स्टॉक्स हैं. इसका मतलब ये है कि दोनों स्कीम को पोर्टफोलियो में शामिल करने से आप जोखिम को डाइवर्सिफाई नहीं कर पाएंगे.
अगर आपके पोर्टफोलियो में कई म्यूचुअल फंड स्कीम्स हैं और आप ओवरलैपिंग से बचने के लिए इसे ऑप्टिमाइज करना चाहते हैं तो आप इस तरह ऐसा कर सकते हैंः
1.एक ही कैटेगरी की कई स्कीम्स खरीदने से बचिएः एक ही कैटेगरी और खास खासकर लार्ज कैप फंड्स की कई स्कीम्स को खरीदने का कोई मतलब नहीं है. सेबी के नियमों के मुताबिक किसी भी लार्ज कैप फंड को कम-से-कम अपने 80 फीसदी एसेट्स को लार्ज-कैप कंपनियों में लगाना होता है. मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से भारत के स्टॉक एक्सचेंज की एक से 100 कंपनियों को इस कैटेगरी में रखा जाता है. दूसरी ओर, अगर आप निफ्टी50 और बीएसई100 जैसे सूचकांकों को देखते हैं तो कम्पोजिशन लगभग एक जैसा होता है. ऐसे में लार्ज कैप स्कीम के लिए इंडेक्स को पीछे छोड़ना मुश्किल हो जाता है. दूसरी ओर, लार्ज कैप स्कीम के मामले में इंवेस्ट किए जाने लायक शेयरों की संख्या एक हद तक काफी सीमित होती है. ऐसे में फंड मैनेजर के पास किसी अन्य रणनीति को अपनाने की गुंजाइश काफी कम रह जाती है.
2.सेक्टरवार अलोकेशन को करिए चेकः अपनी म्यूचुअल फंड स्कीम की तुलना कीजिए और अलग-अलग सेक्टर में उनके एक्सपोजर पर गौर कीजिए. अगर आप यह पाते हैं कि आपको पोर्टफोलियो में दो या अधिक फंड्स का सेक्टोरल अलोकेशन एक जैसा है या नेट अलोकेशन एक सेक्टर की तरफ काफी ज्यादा है तो आपको नए सिरे से अपने निवेश के वेटेज पर गौर करना चाहिए.
एक ही फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किए जाने वाले कई फंड्स से बचिए: यह अनिवार्य होने के साथ आदर्श भी है कि आप फंड मैनेजर के साथ-साथ एएमसी लेवल पर भी अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई कीजिए. इसकी वजह ये है कि किसी भी फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किए जाने वाले सभी फंड्स में एक ही तरह की रणनीति रह सकती है क्योंकि विभिन्न सेक्टर्स और स्टॉक को लेकर उसके विचार अलग-अलग हो सकते हैं और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि वह आपको इन्वेस्टमेंट कैसे करना चाहिए आपको इन्वेस्टमेंट कैसे करना चाहिए किस तरह के फंड्स को मैनेज करता है. इसी तरह आप एएमसी लेवल पर कुछ एक जैसी चीजें देखते हैं. इसकी वजह ये है कि उनकी रिसर्च टीम कॉमन होती है. ऐसे में आदर्श स्थिति ये है कि आपको किसी भी फंड मैनेजर या एएमसी में अपने एक्सपोजर को 30-40 फीसदी पर सीमित कर देना चाहिए.
यह बात सही है कि डाइवर्सिफिकेशन से जोखिम कम करने में मदद मिलती है लेकिन केवल एक हद तक ही ऐसा हो सकता है. अगर कोई व्यक्ति कई स्कीम में निवेश करता है तो इस बात की बहुत अधिक गुंजाइश है कि वह एक ही तरह या एक ही स्टॉक में पैसे लगा रहा हो. वहीं, अगर होल्डिंग थोड़ा अलग भी है तो हो सकता है कि आपके पोर्टफोलियो में पूरा मार्केट शामिल हो. इससे भी बढ़िया रिटर्न पाने में दिक्कत पेश आती है. डाइवर्सिफिकेशन को लेकर सही रुख ये है कि आप अलग-अलग इंवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी वाले 3-4 फंड्स में सही अनुपात में निवेश करें.
(लेखक फिनोलॉजी वेंचर्स के सीईओ हैं. ये लेखक के निजी विचार हैं.)
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