वहीं एनएसई में हालात इसके ठीक उलट हैं। वर्ष 1994 में जब से यहां कारोबार की शुरुआत हुई है तब से ही यह साल दर साल और मजबूत होता गया है। कारोबार शुरू होने के एक साल के भीतर ही 1995 में यह देश का सबसे बड़ा शेयर बाजार बन गया था। बीते शुक्रवार के आंकड़ों के अनुसार एनएसई का कैपिटल मार्केट टर्नओवर 12,533 करोड़ रुपये था जो बीएसई के 5,432 करोड़ रुपये की तुलना में दोगुना है।

बीएसई में बदलाव की जरूरत

लेकिन पिछले तीन महीनों के दौरान स्टॉक एक्सचेंज के कई अधिकारियों के इस्तीफोंसे यह गाड़ी एक बार फिर से पटरी से उतर गई है। दो महीने पहले ही बीएसई के गैर कार्यकारी अध्यक्ष शेखर दत्ता और शेयरधारक निदेशक जमशेद गोदरेज ने बोर्ड से इस्तीफा दिया था।

अब पिछले हफ्ते इस 133 साल पुराने एक्सचेंज के सीईओ और प्रबंध निदेशक रजनीकांत पटेल ने भी अपने इस्तीफे के कागजात सौंप दिए हैं। भले ही इस्तीफे के पीछे पटेल व्यक्तिगत वजहों का हवाला दे रहे हों पर बाजार में यह चर्चा जोरों पर है कि बीएसई के प्रबंधन में दलालों का हस्तक्षेप बढ़ने से दुखी होकर उन्होंने अपना इस्तीफा सौंपा है।

एशिया का यह सबसे पुराना शेयर बाजार जितने समय तक दलालों की गिरफ्त में रहा है, शायद ही किसी दूसरे देश का शेयर बाजार रहा होगा। यहां यह भी ध्यान रखना चाहिए कि चाहे वह 1990 के दशक के दौरान कारोबार का कंप्यूटरीकरण किया जाना हो या डिम्युचुअलाइजेशन या फिर हाल के दिनों में इसका निगमीकरण, सब कुछ नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के साथ प्रतिस्पर्धा के कारण किया गया है।

एमपी स्टॉक एक्सचेंज की 226 कंपनियां गायब!

एमपी स्टॉक एक्सचेंज की 226 कंपनियां गायब!

अपनी पहचान पहले ही खो चुके मध्यप्रदेश स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड (एमपीएसई) में सूचीबद्ध 226 कंपनियां लगभग छूमंतर हो गई हैं। इन कंपनियों को खुद एमपीएसई भी संदिग्ध मान रही है, वहीं एक्सचेंज में लिस्टेड कुल कंपनियों में से 95 फीसद में ट्रेडिंग नहीं हो रही है। ट्रेडिंग नहीं होने से इन कंपनियों में निवेशकों के करोड़ों रुपए फंसे हुए हैं। एमपीएसई के निदेशकों का कहना है कि कोलकाता स्टॉक एक्सचेंज (सीएसई) के साथ विलय के बाद ये सभी कंपनियां सीएसई के तहत आ जाएंगी और संदिग्ध कंपनियों में लगे निवेशकों के पैसों का मामला सीएसई के पास चला जाएगा। हालांकि एमपीएसई के साथ ही देश के अन्य क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध कंपनियों के लिए भी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज द्वारा स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है डिस्क्रिमनेशन बोर्ड का गठन किया गया है। बोर्ड द्वारा इन कंपनियों के लिए एक विशेष विंडो शुरू करने की योजना है, जिसके माध्यम से ये कंपनियां बीएसई में ट्रेड कर सकेंगी। हालांकि इसके लिए इन कंपनियों को बीएसई के मानकों को पूरा करना आवश्यक होगा। शेयर विश्लेषकों का कहना है कि एमपीएसई में लिस्टेड कंपनियों में फिर से ट्रेडिंग प्रारंभ होना संभव नजर नहीं आ रहा है, क्योंकि अधिकांश कंपनियां काफी छोटी हैं। वे स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है बीएसई के मानकों को पूरा नहीं कर सकेंगी।

. तो क्या अब बदलने वाला है शेयर बाजार के खुलने और बंद होने का समय, SEBI ने दी मंजूरी

शेयर बाजार सुबह 9 बजे खुलता है. पहले 15 मिनट प्री मार्केट ट्रेड होता है. इसमें सौदे सेटल होते है. इसके बाद सुबह 9:15 मिनट पर बाजार में कारोबार शुरू हो जाता है. शाम 3:30 बजे मार्केट बंद होता है. निवेशक लगातार शेयर बाजार के समय को बढ़ाने की मांग करते आ रहे है. इस पर आरबीआई पहले ही अपनी मुहर लगा चुका है. 7 दिसंबर की पॉलिसी समीक्षा के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपनी स्पीच में कहा था कि मनी मार्केट सुबह 9 बजे से शाम को 5 बजे तक खुल सकते है. लेकिन इसके लिए सेबी को फैसला लेना होगा.

शेयर बाजार खुलने स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है और बंद होने के समय को लेकर सेबी चेयरमैन माधबी पुरी बुच ने बोर्ड बैठक के बाद उन्होंने कहा कि स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई और एनएसई चाहें तो ट्रेडिंग आवर्स बढ़ा सकती है. शेयर बाजार में कारोबार के समय को बढ़ाने के लिए कोई पाबंदी नहीं है.

History of Stock Exchange: कभी बरगद के पेड़ के नीचे हुई थी भारतीय शेयर बाज़ार की शुरुआत

History of Stock Exchange: कभी बरगद के पेड़ के नीचे हुई थी भारतीय शेयर बाज़ार की शुरुआत

आमतौर पर निवेशकों के लिए शेयर बाज़ार आम बोलचाल में इस्तेमाल होने वाला एक शब्द बन चुका है. लेकिन Stock Exchange को लेकर अब भी कई स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है लोगों के मन में कई सवाल हैं, जैसे कि इसके काम करने का तरीका क्या है? इसकी शुरुआत कैसे हुई? आदि. आज हम यहां, बाज़ार से जुड़े इस शब्द, Stock Exchange का पूरा विशलेषण करेंगे. जिससे निवेशकों को उनके हर सवाल का सटीक उत्तर मिल पाए.

ऐसे शुरू हुआ भारत में Stock Exchange

भारत को आज़ादी मिलने से 107 वर्ष पहले ही देश में शेयर बाज़ार की नींव पड़ चुकी थी. मुंबई स्थित टाउनहॉल के पास एक बरगद के पेड़ के नीचे शेयरों का सौदा किया जाता था. इस स्थान पर लगभग 22-25 लोग इकट्ठा होकर शेयरों की खरीद और बिक्री में जुटते थे. साल दर साल निवेशकों की संख्या में आई वृद्धि के बाद, वर्ष 1875 में Stock Exchange के ऑफिस का निर्माण हुआ, जो आज दलाल स्ट्रीट के नाम से मशहूर है. वहीं सरकार द्वारा 1980 में Security and Exchange Board of India (SEBI) की स्थापना से इस सिस्टम में पारदर्शिता लाई गई.

Stock Exchange को आसान शब्दों में समझें, तो यह वो जगह है जहां स्टाॅक्स, बाॅन्ड्स, कमोडिटी की खरीद और बिक्री की जाती है. Stock Exchange एक ज़रिया है, जो निवेशकों और कंपनी के बीच काम करता है. जैसे किसी कंपनी को अगर फंड जुटाना हो, तो वह Stock Exchange में खुद को सूचीबद्ध करवाती है. इस प्रक्रिया पर आखिरी फैसला SEBI लेती है, जिसके बाद निवेशकों के कंपनी में निवेश के द्वार खुल जाते हैं. आपको बता दें, कि शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध होने की इस प्रक्रिया को Initial Public Offering (IPO) कहते हैं.

भारत में कितने हैं Stock Exchange?

वैसे तो ज़्यादातर लोग सिर्फ National Stock Exchange (NSE) और Bombay Stock Exchange (BSE) ही जानते होंगे. मगर भारत में इन दोनों के अलावा भी 21 अन्य Stock Exchange भी थे, जो राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सीमा पर काम करते थे. वहीं 8 Stock Exchange और भी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहे हैं. इनमें से 20 क्षेत्रीय एक्सचेंज, अब SEBI के नए नियमों के आने के बाद बंद हो गए. बंद हुए एक्सचेंज की सूची में Ahmedabad Stock Exchange, Chennai Stock Exchange, Pune Stock Exchange, U.P Stock Exchange आदि का नाम शामिल हैं.

भारत में BSE और NSE दो काफी महत्वपूर्ण शेयर बाज़ार हैं. इनमें लिस्टेड कंपनियों के शेयर, निवेशक या ब्रोकर सीधे तौर पर खरीदते और बेचते हैं. बात BSE की करें, तो यह वर्ष 1875 से मुंबई स्थित दलाल स्ट्रीट में है और विश्व के 10वें सबसे बड़े Stock Exchange का सूचकांक है, Sensex. इसकी स्थापना करने वाले Premchand Raichand को 'बिग बुल' के नाम से जाना जाता स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है है. वहीं दूसरी ओर NSE की बात करें, तो यह भारत का पहला पूर्णतः कंप्यूटराइज्ड Stock Exchange है. वर्ष 1992 में स्थापित NSE की खासियत ये है कि, इसके सूचकांक को देखकर भारतीय अर्थव्यवस्था की एक झलक देखी जा सकती है. आपको बता दें, कि NSE का सूचकांक Nifty 50 है.

कैसे करें स्टाॅक्स में निवेश?

आम भाषा में समझें, तो शेयर मतलब हिस्सा और बाज़ार वो जगह जहां ग्राहक खरीददारी करता है. अब शेयर बाज़ार में निवेश को ऐसे समझें, कि कोई निवेशक NSE में सूचीबद्ध कंपनी के शेयर खरीदता है, जो कंपनी ने जारी किए हैं, तो उस निवेशक का कंपनी के खरीदे हुए शेयर के आधार पर उतना मालिकाना हक हुआ. शेयर की खरीद और बिक्री निवेशक की बुद्धि पर निर्भर करती है. हालांकि कई बार निवेशक ब्रोकर की भी मदद लेते हैं. शेयर बाज़ार में मौज़ूद स्टाॅक्स में निवेश के लिए, निवेशकों को सबसे पहले स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है एक डीमैट खाता खुलवाना होता है. जो आपके बैंक खाते से लिंक होकर, चाहे ब्रोकर के माध्यम से या खुद स्टाॅक्स की खरीद और बिक्री के माध्यम से मदद करेगा. वहीं वित्तीय समझ की बात करें, तो आज भी Stock Exchange से प्रभावित निवेशकों की सुबह, बाज़ार के उतार-चढा़व देखकर ही होती है.

ऐसा देखा गया है, कि कई बार शेयर बाज़ार में मौज़ूद कंपनियों के स्टाॅक्स या शेयर में ज़बरदस्त उछाल या गिरावट दिखती है. तो आपको बता दें, कि इस अचानक से आए हुए बदलाव की वजह कंपनी, अर्थव्यवस्था या वैश्विक स्तर की हलचल होती है. जैसे किसी कंपनी को अचानक मिला या छिना कोई आर्डर, कंपनी का मूल्यांकन, बाज़ार से जुड़ी शर्तों की अवहेलना, आदि. वहीं स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है शेयर बाज़ार के पास, कंपनियों के दुर्व्यवहार करने पर गैर सूचीबद्ध करने का भी अधिकार होता है.

20000 अंक के पार जाएगा Nifty, ब्रोकरेज को 14% उछाल की उम्मीद, शेयर स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है बाजार का ये है हाल

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महंगाई और तमाम वैश्विक संकटों के बावजूद भारत के शेयर बाजार के प्रति निवेशकों का आकर्षण 2023 में कायम रहने की उम्मीद है। ब्रोकरेज कोटक सिक्योरिटीज ने कहा कि घरेलू शेयर बाजार मंगलवार के बंद स्तर की तुलना में अगले साल करीब 14 प्रतिशत चढ़ेंगे।

कोटक सिक्योरिटीज ने कहा कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 2023 के अंत तक मंगलवार के बंद स्तर 18,385.30 अंक से करीब 14 प्रतिशत ऊपर यानी 20,922 अंक पर होगा। 2021 के अंत में निफ्टी 17,400 अंक पर था।

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