अब शाम 5 बजे तक कमोडिटी ट्रेडिंग
भारत की कमोडिटी मार्केट में इन्वेस्टमेंट करने से पहले यहां पढ़ें जरुरी जानकारी
अगर आप अपनी गाढ़ी कमाई को भारत की कमोडिटी मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहते हैं, तो अपनी धन राशि इन्वेस्ट करने से पहले भारत की कमोडिटी मार्केट के सभी विवरणों के बारे में जानने के लिए इस आर्टिकल को ध्यान से जरुर पढ़ें.
हमारे देश में कमोडिटी स्टॉक एक्सचेंजों पर कमोडिटी कारोबार में इन्वेस्टमेंट की जा सकती है. कमोडिटी एक्सचेंज के नाम से ही यह पता चलता है कि, यह माल/ कमोडिटी के व्यापार को संदर्भित करता है. वित्तीय बाजार के संदर्भ में इसका सीधा-सा मतलब यह है कि, कमोडिटी एक्सचेंज पर होने वाली अनेक किस्म की वस्तुओं का औपचारिक आदान-प्रदान अर्थात कारोबार करना. इन्वेस्टर्स अपना पैसा कमोडिटी मार्केट में कई अलग-अलग तरीकों से इन्वेस्ट कर कमोडिटी ट्रेडिंग क्या है? सकते हैं. कमोडिटी कंपनियों, म्यूचुअल फंड, या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) द्वारा जारी किए गए शेयर हैं जिन्हें इन्वेस्टर्स द्वारा भविष्य में खुद को मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) के जोखिम से बचाने के लिए खरीदा जा सकता है. अगर आप भी ऐसे ही कुछ इन्वेस्टर्स में से एक हैं जो भारत की कमोडिटी मार्केट में अपना धन इन्वेस्ट करने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं तो, कमोडिटी मार्केट के बारे में हम आपको इस आर्टिकल में सारी महत्त्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं.
कमोडिटी क्या है?
आसान शब्दों में अगर हम बात करें तो, मूल रूप से कोई भी 'वस्तु' रोजमर्रा की प्रासंगिकता/ जरुरत के सभी सामान जैसेकि भोजन, ऊर्जा, फर्नीचर या धातु का एक समूह या संपत्ति है. हालांकि, इसे प्रकृति से विनिमेय अर्थात (लेने-देने में सुलभ) होना चाहिए ताकि इसका व्यापार किया जा सके. कार्रवाई योग्य दावों और कमोडिटी ट्रेडिंग क्या है? धन को छोड़कर, किसी भी वस्तु अर्थात कमोडिटी को सभी किस्म की चल वस्तुओं के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है. आपके कपड़े, जूते, फर्नीचर, खाने-पीने का सारा सामान और दवाइयां, साबुन, तेल आदि सभी ऐसी कमोडिटीज़ हैं जिनका देश-दुनिया में निरंतर लेन-देन या कारोबार होता रहता है.
भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग एक्सचेंजों पर सभी किस्म की कमोडिटीज़ का कारोबार होता है. यहां कुछ लोकप्रिय कमोडिटी ट्रेड एक्सचेंजों की सूची आपकी सुविधा के लिए दी गई है: -
भारत की कमोडिटी मार्केट में इन्वेस्टमेंट के लाभ
हमारे देश की कमोडिटी मार्केट में इन्वेस्टमेंट करने पर आपको कई फायदे मिलते हैं जैसेकि:
- मुद्रास्फीति के खिलाफ संरक्षण - कमोडिटी एक्सचेंज में कारोबार की जाने वाली कमोडिटीज़ इन्वेस्टर्स को मुद्रास्फीति/ इन्फ्लेशन के कुप्रभावों से बचाती हैं.
- मूल्य में उतार-चढ़ाव के खिलाफ बचाव-व्यवस्था - आयात और निर्यात के साथ-साथ उत्पाद मूल्य में उतार-चढ़ाव कमोडिटी बाजार को प्रभावित कर सकता है. कमोडिटी फ्यूचर्स में इन्वेस्ट करने से इन्वेस्टर्स को वास्तविक लेनदेन से महीनों पहले तय की गई कमोडिटी ट्रेडिंग क्या है? कीमत पर कमोडिटी खरीदने या बेचने में मदद मिलती है. इस तकनीक को कमोडिटी बाजार में हेजिंग अर्थात बचाव-व्यवस्था के रूप में जाना जाता है.
- विविधीकरण - वस्तुओं में इन्वेस्ट करने से इन्वेस्टर्स वित्तीय प्रतिभूतियों (फाइनेंशिल सिक्यूरिटीज़) के संबंध में अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में विविधता ला सकता है.
कमोडिटी कैसे खरीदें अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- कमोडिटी बाजार में कारोबार करने के लिए, एक इन्वेस्टर को सबसे पहले अपना एक DMAT खाता खोलना होगा.
- कमोडिटीज का कारोबार वैसे ही होता है जैसे भारत के स्टॉक एक्सचेंजों में विभिन्न शेयरों का कारोबार होता है.
- कमोडिटीज में इन्वेस्टमेंट करने के लिए, कमोडिटी फ्यूचर्स और ऑप्शंस, कमोडिटी ETF जैसे कई तरीके हैं, जो सीधे भौतिक वस्तुओं (फिजिकल कमोडिटीज़) में इन्वेस्टमेंट करते हैं.
- सभी इन्वेस्टर्स के लिए इस पॉइंट पर पहले ही ध्यान देना बहुत जरुरी है कि, इन्वेस्टमेंट का कौन-सा तरीका उनकी जेब के लिए सबसे उपयुक्त रहेगा और यह तरीका उनकी कारोबारी जरूरतों से मेल खाता है.
- कमोडिटी ETFs ट्रेडिंग को काफी आसानी बनाते हैं क्योंकि उन्हें स्टॉक की तरह खरीदा जाता है. हालांकि, स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर की कीमतों की तरह ही विभिन्न कमोडिटीज़ की भविष्य की कीमतों में भी अक्सर उतार-चढ़ाव होता रहता है.
अब देर रात तक नहीं होगी कमोडिटी ट्रेडिंग, कोरोना की वजह से 5 बजे END
- नई दिल्ली,
- 26 मार्च 2020,
- (अपडेटेड 26 मार्च 2020, 6:14 PM IST)
- 30 मार्च से 14 अप्रैल तक सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक कमोडिटी ट्रेडिंग
- सेबी के साथ बातचीत के बाद कमोडिटी एक्सचेंजों के टाइमिंग में बदलाव
कोरोना वायरस की वजह से कमोडिटी एक्सचेंजों का कामकाज भी प्रभावित हुआ है. अब चीन की राह पर चलते हुए भारत ने भी कमोडिटी कारोबार रात में बंद रखने का फैसला लिया है. दरअसल, MCX और NCDEX जैसे कमोडिटी एक्सचेंजों ने ट्रेडिंग ऑवर में कटौती का फैसला किया है.
उच्च लीवरेज का फायदा
फ्यूचर्स और ऑप्शंस जैसे कमोडिटी डेरिवेटिव एक असाधारण उच्च स्तर का लीवरेज प्रदान करते हैं. इसके जरिए आप कान्ट्रेक्ट वैल्यू का केवल 5% से 10% अपफ्रंट मार्जिन चुका कर एक बड़ी पोजिशन ले सकते हैं.
वस्तुओं की कीमतों में किसी कमोडिटी ट्रेडिंग क्या है? भी तरह का असाधारण मूवमेंट होने से बहुत लाभ हो सकता है. इसलिए, कमोडिटी ट्रेडिंग आपको लीवरेज का उपयोग करके अच्छा रिटर्न कमाने का मौका देता है.
कमोडिटी ट्रेडिंग के नुकसान
लीवरेज से जितना फायदा होता है उतना ही नुकसान होता है. लीवरेज से आप छोटी पूंजी चुका कर बड़ी पोजिशन ले सकते हैं, लेकिन, कान्ट्रैक्ट की कीमत में थोड़ा सा भी बदलाव आपको भारी नुकसान करा सकता है.
क्योंकि लॉट साइज 100 है और आप 1,000 कान्ट्रैक्ट खरीदे जा रहे हैं. कम मार्जिन की वजह से जोखिम बढ़ जाता हैं, जो आपके पूरे निवेश को जोखिम में डाल सकता हैं.
वोलेटिलिटी का जोखिम
वस्तुओं की कीमतें कमोडिटी ट्रेडिंग क्या है? काफी वोलेटाइल हैं और सप्लाई-डिमांड पर निर्भर करती है. पेट्रोल या डीजल से चलने वाले वाहनों को घटाकर इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर जाना आसान नहीं है.
कोयले से चलने वाली बिजली जैसे ऊर्जा स्रोतों से सौर ऊर्जा जैसे स्रोतों की ओर मुड़ने में काफी समय लगता है.
इसलिए संचयी बेलोचदार मांग और बेलोचदार आपूर्ति ऐसी स्थिति की ओर ले जाती है जहां बाजार की बुनियादी बातों में मामूली बदलाव कीमतों में बड़े उतार-चढ़ाव पैदा कर सकता है.
विविधीकरण के अनुकूल नही
जब स्टॉक की कीमतें गिर रही होती हैं, तो कमोडिटी की कीमतें आसमान की ओर बढ़ती हैं. वर्ष 2008 के वित्तीय संकट में, वस्तुओं की कुल मांग में गिरावट आई.
जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर बेरोजगारी हुई, जिसने उत्पादन को और रोक दिया. इसका मतलब है कि कमोडिटी ट्रेडिंग क्या है? कैश ने कम अस्थिरता वाली वस्तुओं की तुलना में बेहतर रिटर्न प्रदान किया है.
इसलिए, कमोडिटीज प्रमुख रूप से इक्विटी वाले पोर्टफोलियो के विविधीकरण के लिए आदर्श उम्मीदवार नहीं हो सकते हैं.
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