2014 के संशोधन ने अनिवार्य रूप से "आवश्यक नारकोटिक्स ड्रग्स" के रूप में वर्गीकृत दवाओं के परिवहन, लाइसेंसिंग में राज्य-बाधाओं को हटा दिया और इसे केंद्रीकृत कर दिया.

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Right to Information Higher Education - admin - 2019

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क्या भारत में नशीले पदार्थों की अवैध तस्करी अब अपराध नहीं रही?

त्रिपुरा हाईकोर्ट ने नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act), 1985 की धारा 27A में संशोधन के लिए उचित कदम उठाने के लिए कहा है. ऐसा क्यों कहा गया है, नारकोटिक्स क्या है, इत्यादि के बारे में विस्तार से इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

NDPS Act inoperable

हाल ही में, त्रिपुरा हाईकोर्ट ने पाया है कि नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS), 1985 में 2014 के संशोधनों का ड्राफ्ट तैयार करने में अनजाने में अधिनियम के एक प्रमुख प्रावधान (धारा 27A) क्या भारत में Quotex वैध है को निष्क्रिय कर दिया था.

त्रिपुरा हाईकोर्ट ने देखा कि NDPS एक्ट की धारा 27A के तहत धारा 2(viiiib)(i-v) को प्रतिस्थापित करने के लिए किसी प्रकार का कोई संशोधन नहीं किया गया क्या भारत में Quotex वैध है है.

वसीयत के नियम और कानून

वसीयत चाहे पंजीकृत हो या अपंजीकृत हो, वह वैध होती है। वसीयत किसी भी समय प्रभावी हो सकती है; उसकी कोई सीमा नहीं है। वसीयतकर्ता के उत्तीर्ण होने के बाद वसीयत में 12 साल तक के लिए चुनाव लड़ा जा सकता है। इसका यह मतलब है की मृत्यु के बाद वसीयत की वैधता 12 साल होती है। किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति के हस्तांतरण के बारे में एक दस्तावेज पर कानूनी घोषणा को वसीयत के रूप में जाना जाता है। यह एकतरफा दस्तावेज है जो किसी व्यक्ति के गुजरने पर लागू होता है और आपको निश्चित रूप से यह तय करने का अवसर देता है कि आपके निधन के बाद आपकी संपत्ति, संपत्ति और संपत्ति का आवंटन कैसे किया जाएगा।

वसीयत के लिए निम्नलिखित कानून तथा नियम महत्वपूर्ण हैं:

  • वसीयतकर्ता की इच्छा उसके पारित होने के बाद भी प्रभावी बने रहने की होनी चाहिए।
  • वसीयत एक कानूनी दस्तावेज है जो ऐसी इच्छा व्यक्त करता है।
  • घोषणा में निर्दिष्ट होना चाहिए कि संपत्ति का निपटान कैसे किया जाएगा।
  • वसीयतकर्ता का जीवनकाल वसीयत के निरसन या संशोधन की अनुमति देता है।

भारत में वसीयत कैसे बनाएं और वसीयत पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले

चरण 1: पहला कदम एक वसीयत के लिए सभी आवश्यकताओं का पालन करना है जिसे सूचीबद्ध किया गया है।

चरण 2: वसीयत तैयार करने से पहले, परिवार के वकील से बात करना ज़रूरी है। एक वसीयतकर्ता की वसीयत उसके द्वारा या उसके वकील द्वारा तैयार की जा सकती है।

चरण 3: वसीयत के निष्पादन के लिए दो गवाहों की उपस्थिति में वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है, साथ ही उनके दोनों हस्ताक्षर भी।

चरण 4: वसीयत का पंजीकरण और उचित स्टांपिंग फायदेमंद है क्योंकि वे सही निष्पादन सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।

वसीयत का निष्पादन:

भारत में, वसीयत की निष्पादन प्रक्रिया शुरू करने के लिए अदालत से एक प्रोबेट का अनुरोध किया जाना चाहिए। वसीयत का प्रोबेट वसीयत की वैधता की कानूनी घोषणा के रूप में कार्य करता है। आप इसे संपत्ति की एक अनुसूची और वसीयत की एक एनोटेट प्रति के साथ अदालत में एक याचिका जमा करके प्राप्त कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि वसीयतकर्ता की इच्छाओं को पूरा किया जाता है, विशेष रूप से अदालत से प्रोबेट देने के लिए कहा जाना चाहिए।

ये था भारत का कानून

साल 1971 से पहले भारत में भी किसी तरह का गर्भपात भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 के सेक्शन 312 के अनुसार आपराधिक गतिविधि माना जाता था। उस समय भी अगर महिला की जान बचाने के लिए गर्भपात किया गया है तो उसकी इजाजत थी। एबॉर्शन एक दंडनीय अपराध था और गर्भपात कराने में मदद करने वाले व्यक्ति के लिए तीन साल की सजा और दंड का प्रावधान था, जबकि एबॉर्शन कराने वाली महिला को सात साल तक की सजा और जुर्माना भी भरना पड़ता था।

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गैर कानूनी तरीके से होते हैं लाखों गर्भपात

एक रिपोर्ट के अनुसार सन् 2015 में भारत में 1.56 करोड़ गर्भपात हुए। भारत सरकार ने इस समस्या के निदान के लिए साल 1964 में शांतिलाल शाह की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया कमेटी ने भारत में गर्भपात कानून का ड्राफ्ट तैयार किया और 1970 में संसद ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी बिल को पेश किया गया। संसद ने 1971 में इसे मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के रूप में पास कर दिया। भारत में गैर कानूनी और अवैध तरीके से 8 लाख से ज्यादा सालाना गर्भपात होते हैं, जिनकी वजह से महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा को भारी खतरा है।

क्या है भारत की स्थिति ?

इस सब के बीच सवाल यह है कि क्या भारत में बच्चा पैदा करने से जुड़े फ़ैसले का हक महिलाओं के हाथ में है? इसका जवाब शायद ना होगा, क्योंकि कानून की वैधता के बावजूद भी हमारे देश में गर्भपात या अबॉर्शन के मुद्दे को स्वास्थ्य से न जोड़कर इसके रुढ़िवादी सामाजिक पहलू को ज्यादा तरहीज दी जाती है। गर्भपात को ‘हत्या और पाप’ बताकर संस्कृति और पंरपरा के खिलाफ बताया जाता है। यानि की भारत में महिलाओं को गर्भपात का अधिकार जरूर है, लेकिन ये कहना सही नहीं होगा कि अमेरिकी महिलाओं के मुक़ाबले यहां स्थिति बेहतर है

गटमैचर इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक युवा महिलाओं के 78 फीसद अनचाहे गर्भ क्या भारत में Quotex वैध है के लिए असुरक्षित गर्भपात का इस्तेमाल किया जाता है। यदि भारत में सुरक्षित गर्भपात किया जाए, उसके बाद सही देखभाल की जाए तो इससे संबधित मृत्यु में 97 फीसद की गिरावट देखी जा सकती है। लैंसेट की साल 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2015 के दौरान 15.6 मिलियन गर्भपात हुए, जिनमें से 78 प्रतिशत स्वास्थ्य सुविधाओं के बाहर किए गए।

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