डिमैट अकाउंट का इस्तेमाल
ब्रोकर से बात करने के बाद आपको डिमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट के लिए रजिस्टर्ड कराना होगा। डिमैट आपके नाम से शेयर्स को रखेगा। ये शेयर्स आपके पोर्टफोलियो में दिखेंगे। आपको नियमित डिमैट स्टेटमेंट मिलेगी, जिसमें आपके खरीदे और बेचे शेयर्स की डिटेल होगी। फिजिकल शेयर्स सर्टिफिकेट अब पुरानी बात हो चुकी है, इसलिए अब आपके सारे शेयर्स ऑनलाइट अकाउंट में ही रिफलेक्ट होंगे। यदि आप एक ब्रोकर को हायर करते हैं तो वही आपके लिए डिमैट अकाउंट के साथ ट्रेडिंग अकाउंट खोलेगा। ट्रेडिंग अकाउंट के जरिए आप आसानी से शेयर्स की खरीद और बिक्री कर सकते हैं। डिमैट अकाउंट खुद फंक्शन नहीं करता। दोनों अकाउंट्स के बिना शेयर्स में इन्वेस्ट नहीं किया जा सकता।

डिपॉजिटरी अकाउंट

यदि आप ब्रोकर अपने ब्रोकर को जानें के जरिए शेयर्स की खरीद और बिक्री करते हैं तो फिर वह आपके हिस्से का काम करता है। हालांकि एक इन्वेस्टर के तौर पर आपको यह जानना चाहिए कि डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट क्या होता है। भारत में दो डिपॉजिटर्स में हैं- नैशनल सिक्यॉरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड। जब आप इनमें से किसी डिपॉजिटर के साथ साइन-अप करते हैं तो फिर आपको शेयर्स को स्टोर करने के लिए अकाउंट मिलेगा।

जुलाई से पहले अपने ब्रोकर को जानें ब्रोकर आपको दोबारा सिप रजिस्ट्रेशन के लिए कह सकता है, जानिए क्यों

अगर आपके सिप में आपके इनवेस्टमेंट का पैसा पहले ब्रोकर के बैंक अकाउंट में जाता है तो आपका ब्रोकर आपको फिर से सिप रजिस्ट्रेशन के लिए कह सकता है।

क्या आप स्टॉक ब्रोकर या ऑनलाइन डिस्ट्रिब्यूटर के जरिए म्यूचुअल फंड्स की स्कीम में इनवेस्ट करते हैं। अगर हां तो आपका ब्रोकर या डिस्ट्रिब्यूटर जल्द आपसे संपर्क कर सकते हैं। वे आपको दोबारा रजिस्ट्रेशन के लिए कह सकते हैं। इसकी वजह सेबी का एक रूल है। सेबी ने अक्टूबर 2021 में अपने एक नियम में बदलाव किया था।

सेबी का मानना है कि कोई म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, स्टॉक ब्रोकर या इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स इनवेस्टर्स का पैसा फंड हाउस को ट्रांसफर करने से पहले अपने बैंक अकाउंट में नहीं रख सकता। इसका मकसद पैसे के दुरुपयोग की संभावना खत्म करना है। सेबी ने म्यूचुअल फंड कंपनियों को पहले 1 अपने ब्रोकर को जानें अप्रैल, 2022 से इस नियम का पालन करने को कहा था। अब यह डेडलाइन बढ़ाकर 1 जुलाई कर दी गई है।

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सेबी के इस नियम के पालन के लिए म्यूचुअल फंडों को अपने कामकाज में थोड़ा बदलाव करना होगा। अपने ब्रोकर को जानें इस नियम की डेडलाइन से पहले इनवेस्टर्स सहित सभी पक्षों को थोड़ी दिक्कत हो सकती है। दरअसल, अधिकांश सिप निवेशकों को वन-टाइम मैनडेट पर हस्ताक्षर करने होते हैं। हालांकि, मौजूदा कई मैनडेट डिस्ट्रिब्यूटर्स के नाम में है, लेकिन फंड हाउसेज ने पेमेंट एग्रीगेटर्स से एक समझौता किया है। इसके तहत फंड हाउसेज पेमेंट एग्रीगेटर्स और डिस्ट्रिब्यूटर्स को यह कहते हैं कि इनवेस्टर्स से लिया गया पैसा सीधे फंड हाउस के बैंक अकाउंट में क्रेडिट किया जाए।

शेयर ब्रोकर चुनने में इन पांच बातों का रखें ध्यान

शेयर ब्रोकर चुनने में इन पांच बातों का रखें ध्यान

1. डिस्काउंट ब्रोकर पर दांव!
डिस्काउंट ब्रोकर आपके आदेशानुसार सिर्फ शेयरों की खरीद फरोख्त करते हैं. फुल सर्विस ब्रोकर आपको निवेश आइडिया भी देते हैं. इसलिए अपने ब्रोकर को जानें यदि आप बाजार की उथल-पुथल और हलचल को समझते हैं, जो आप डिस्काउंट ब्रोकर का चुनाव कर सकते हैं. अन्यथा फुल सर्विस ब्रोकर ही बेहतर है.

2. फोन या ऑनलाइन कारोबार की सेवा
आप कारोबार के लिए फोन और इंटरनेट दोनों का ही इस्तेमाल कर सकते हैं. ब्रोकर का चयन करने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि वह दोनों में से कौनसी सुविधा मुहैया करवाता है. हालांकि, हाइब्रिड ब्रोकर्स दोनों ही सुविधाएं देते हैं.

Exclusive: निवेशकों के लिए अच्छी खबर! जल्द मोबाइल ऑपरेटर की तरह बदल सकेंगे ब्रोकर्स, जानें कब से लागू हो सकता है नियम

Demat Account Change Rules: निवेशक जब चाहें ब्रोकर्स बदल सकते हैं. ब्रोकर्स इंटरोऑपरेबिलिटी पर SEBI विचार कर रहा है. SEBI और एक्सचेंज के बीच चर्चा जारी है. दिसंबर के अंत तक सेबी इस संबंध में नियम जारी कर सकता है.

इंटरऑपरेबिलिटी स्कीम (Interoperability Scheme) के तहत निवेशक जल्द ही अपने ब्रोकर को बदल सकेंगे.

Demat Account Change Rules: स्टॉक मार्केट में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए अच्छी खबर है, अब वे मोबाइल फोन ऑपरेटर्स की तरह अपने ब्रोकर्स को बदल सकेंगे. जी हां, इंटरऑपरेबिलिटी स्कीम (Interoperability Scheme) के तहत, निवेशक जल्द ही अपने ब्रोकरों को बदल सकेंगे अगर वे उनकी सेवा से संतुष्ट नहीं हैं. कैपिटल मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (Sebi) और स्टॉक एक्सचेंज इस बात पर विचार कर रहे हैं कि इस योजना को कैसे क्रियान्वित किया जा सकता है.

दिसंबर तक जारी हो सकता है नियम

उम्मीद है कि दिसंबर के अंत तक सेबी इस संबंध में नियम जारी कर सकता है. निवेशक जब चाहें ब्रोकर्स बदल सकते हैं. ब्रोकर्स इंटरोऑपरेबिलिटी पर SEBI विचार कर रहा है. SEBI और एक्सचेंज के बीच चर्चा जारी है.

वर्तमान में, अगर निवेशक ब्रोकर्स को बदलना चाहते हैं, तो उन्हें अपने मौजूदा ब्रोकर से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) लेना होगा और अपने फंड को नए ब्रोकर को ट्रांसफर करने से पहले अपनी स्थिति शून्य बनानी होगी. कहा जा रहा है कि मार्केट रेगुलेटर नियमों में इस तरह की कवायद को खत्म कर देगा. नियम लागू होने के बाद अब निवेशक मार्जिन के साथ फंड ट्रांसफर कर सकता है.

🔸निवेशक जब चाहे अपना ब्रोकर बदल सकेंगे

🔸ब्रोकर्स इंटरोऑपरेबिलिटी पर SEBI कर रहा है विचार

🔸SEBI और एक्सचेंज के बीच चर्चा जारी

विचाराधीन इंटरऑपरेबिलिटी स्कीम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मार्केट एक्सपर्ट और सेठी फिनमार्ट प्राइवेट के एमडी विकास सेठी ने कहा कि यह एक स्वागत योग्य कदम है और उन निवेशकों के लिए अच्छी खबर है जो एक ब्रोकर के कारण परेशान हैं और किसी अन्य समान फर्म को फंड ट्रांसफर नहीं कर सकते.

क्या आपको पता है शेयरों में एसआईपी के जरिये भी किया जा सकता है निवेश? जानें कैसे कर सकते हैं शुरू

क्या आपको पता है शेयरों में एसआईपी के जरिये भी किया जा सकता है निवेश? जानें कैसे कर सकते हैं शुरू

क्या आपको मालूम है कि एसआईपी के जरिये सीधे शेयर मार्केट में निवेश कर सकते हैं। आमतौर पर छोटे निवेश सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। लेकिन आप एसआईपी के जरिये सीधे शेयरों में भी निवेश कर सकते हैं। यह सुविधा आपको शेयर ब्रोकर उपलब्ध कराते हैं। हालांकि, शेयरों में एसआईपी के जरिये निवेश करने के लिए आपके पास सबसे पहले डीमैट खाता होना जरूरी है। डीमैट खाता खोलने की सुविधा ब्रोकर उपलब्‍ध कराते हैं। डीमैट खाता खुलने के बाद आप अपने मोबाइल एप के जरिये ब्रोकर के प्‍लेटफॉर्म का इस्‍तेमाल करते हुए शेयर बाजार से शेयरों की खरीद सकते हैं। इसके लिए आपका बैंक खाता डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट से जुड़ा होना चाहिए। इसके बाद आप महीने में एक तय राशि एसआईपी के जरिये सीधे शेयर खरीदने में लगा सकते हैं।

जानें, कैसे आप खरीद सकते हैं स्टॉक्स

जानें, कैसे आप खरीद सकते हैं स्टॉक्स

जानें, कैसे आप खरीद सकते हैं स्टॉक्स

- ब्रोकर के जरिए निवेश करना।
- ऐसे फाइनैंशल संस्थानों की सेवाओं लेना, जहां बैंकिंग और डिमैट अकाउंट्स को इंटीग्रेट किया जा सके। अधिकतर निजी और सरकारी बैंक यह सेवा मुहैया करा रहे हैं।

ब्रोकरेज/ऑनलाइन एजेंसी के जरिए स्टॉक्स लेना
पूरी रिसर्च के बाद ही किसी ब्रोकर पर स्टॉक्स की खरीद के लिए दांव लगाएं। यह ध्यान रखें कि जिस ब्रोकर को आपने चुना है, वह सेबी या फिर अन्य किसी बड़े स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर्ड होना चाहिए। ब्रोकर आपके लिए शेयर्स को खरीदने और बेचने का काम करेगा। इसके लिए आपको कुछ चार्ज देने होंगे।

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