विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी, गोल्ड रिजर्व और एसडीआर भी घटा
3 सितंबर 2021 को भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार 642.453 अरब डॉलर के हाई पर था
13 मई 2022 को समाप्त हफ्ते में भारत की विदेशी मुद्रा संपत्ति 1.302 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 529.554 अरब डॉलर पर रही थी
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी है। आरबीआई द्वारा जारी ताजे आंकड़ों के मुताबिक देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार दसवीं साप्ताहिक गिरावट दर्ज की गई है और यह 593.279 अरब डॉलर पर रहा है। 13 मई 2022 को समाप्त हफ्ते में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में साप्ताहिक आधार पर 2.676 अरब डॉलर की गिरावट देखने को मिली थी और यह 593.279 अरब डॉलर पर रहा था।
13 मई 2022 को समाप्त हफ्ते में भारत की विदेशी मुद्रा संपत्ति 1.302 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 529.554 अरब डॉलर पर रही थी जबकि इसी अवधि में देश का गोल्ड रिजर्व 1.169 अरब डॉलर घटकर 40.570 अरब डॉलर पर रहा था। इसके अलावा समीक्षाधीन हफ्ते में SDR भी 16.5 करोड़ डॉलर की गिरावट के साथ 18.204 अरब डॉलर पर रहा था।
इसके साथ ही IMF के साथ देश की रिजर्व पोजिशन 3.9 अरब डॉलर घटकर 18.204 अरब डॉलर पहुंच गई है। बता दें कि 3 सितंबर 2021 को भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार 642.453 अरब डॉलर के हाई पर था।
पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने घटते विदेशी मुद्रा भंडार पर पीएम शरीफ को एसओएस भेजा
इस्लामाबाद. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था जर्जर बनी हुई है. देश के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार को अपने घटते विदेशी मुद्रा भंडार और उसके आयात करने की देश की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव का एसओएस (सेव योर सोल यानि गंभीर स्थिति का संदेष) भेजा.
एशियन लाइट ने बताया कि बैंक ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर घटते विदेशी मुद्रा भंडार से नहीं निपटा गया, तो देश के लिए अन्य देशों से आयात को बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा. यह एसओएस कॉल बैंक के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट के बीच आया है. एसबीपी का विदेशी मुद्रा भंडार 17 जून को गिरकर 8.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया. देश पर कर्ज के दबाव के कारण घटते भंडार की यह प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है.
घटते विदेशी मुद्रा के संरक्षण की सुविधा के लिए, एसबीपी ने सभी गैर-आवश्यक वस्तुओं के आयात पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने की वकालत की है. बैंक ने स्पष्ट रूप से देश की ऊर्जा सुरक्षा को देखते हुए ईंधन के आयात में वृद्धि के जोखिम पर जोर दिया है.
वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान पाकिस्तान में कुल पेट्रोलियम आयात 9.7 बिलियन अमरीकी डॉलर था. हालांकि, वैश्विक मुद्रास्फीति ने चालू वित्त वर्ष की जुलाई-अप्रैल की अवधि में पाकिस्तान के आयात बिल को 14.46 अरब डॉलर से अधिक तक पहुंचा दिया है. आयात में वृद्धि के साथ, देश की विदेशी मुद्रा की स्थिति मजबूत हुई.
पाकिस्तान ने भी अपने ऊर्जा आयात में वृद्धि की है. विदेशी मुद्रा भंडार देश की ईंधन आयात करने की क्षमता से बिगड़ गया है.
पाकिस्तानी सरकार पहले ही ईंधन पर कई सब्सिडी वापस ले चुकी है, जिसके परिणामस्वरूप घरेलू ऊर्जा की कीमतों में तेज वृद्धि हुई है. एसबीपी के अनुसार, ऊर्जा और पेट्रोलियम मंत्रालय को मीडिया पोर्टल के अनुसार ऊर्जा उत्पादों की मांग को नियंत्रित करने के लिए कड़े नीतिगत उपाय तैयार करने और लागू करने के लिए कहा जाना चाहिए.
आर्थिक गंभीरता के कारण पाकिस्तानी रुपया (पीकेआर) के मूल्यह्रास की समस्या को और बढ़ा रहा है. इसका स्थिर मूल्यह्रास 6 जून को पीकेआर 199 / डॉलर से 6 जुलाई, 2022 को पीकेआर 207 / डॉलर तक पहुंच गया.
यह एक दुष्चक्र है, जिसमें पाकिस्तान फंस गया है. गौरतलब है कि मुद्रा के मूल्यह्रास से ईंधन आयात बिलों में वृद्धि होती है, जिससे राजकोषीय स्थिति और भी कमजोर हो जाती है. एसबीपी ने मुद्रा पर हाल ही में विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है बाजार में कुछ बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप करने का प्रयास किया है. हालांकि, विनिमय दर को नियंत्रित करने की इसकी सीमित क्षमता ने केवल मामूली प्रतिफल दिया है.
Заметка! Прежде чем инвестировать, проверьте, какого брокера выбрать!
Вас интересуют разные формы и виды инвестирования денег? Вы заинтересованы в торговле или инвестировании в производные инструменты, например, в CFD, опционы, золото, валюты, нефть? Если это так, помните, что во время инвестирования или торговли, например, CFD , бинарных опционов , криптовалют или форекс , важная вещь – это хороший выбор брокера, с которым вы будете устанавливать счет для торговли. Ниже вы найдете важную информацию о том, как правильно выбрать брокера и информацию о том, на что обратить внимание. Мы считаем, что нам удалось выбрать некоторых из самых популярных брокеров в 2020 году (вы найдете рейтинг ниже этой статьи).
Прежде чем начать свое приключение с инвестирования или обучения на инвестиционной платформе, стоит узнать несколько фактов.
Вот список важной информации
- Вы можете начать изучение и тестирование конкретной платформы на своем демо-счете с виртуальной суммой для инвестирования.
- Выбор правильного брокера – очень важный вопрос, потому что мы переводим деньги на данную платформу. Мы хотим быть уверены, что это безопасно и что мы сможем получить его, когда получим прибыль от инвестиций и осуществим перевод на наш собственный счет.
- Сложный интерес, стоит знать, насколько он силен и как, вкладывая 1 доллар, вы можете приумножить свой капитал за определенный период времени.
- Риск, каждый инвестор должен знать, что каждая инвестиция рискованна, поэтому не вкладывайте деньги, которые вы не можете позволить себе потерять.
- Урегулирование прибылей и убытков, как и любой доход или убыток, должно осуществляться в данной налоговой стране.
Инвестирование и торговля в 2020р.
Если вы заинтересованы в инвестировании в различные типы активов, валют, форекс или криптовалют, например, в биткойны, эфириум или в покупку контрактов CFD на золото, серебро, платину или иностранные компании, такие как Amazon, Microsoft, Google или другие крупные компании, у нас есть некоторая важная информация для вас.
А именно, выбор правильного брокера является очень важным шагом при инвестировании. Это человек, которому мы переводим наши деньги, которыми будем управлять. Вот почему доверие к брокеру очень важно, потому что, если мы хотим снять определенную сумму, мы хотим быть уверены, что получим ее. Некоторые люди говорят, что многие брокеры или страницы, к сожалению, не очень надежны. Поэтому мы решили проверить, какие брокеры популярны в 2020 году, и подготовить специальный рейтинг для брокеров, который विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है будет представлен ниже этой статьи.
Прежде чем начать инвестировать, вы можете создать демо-счет, который позволит вам протестировать выбранного брокера, познакомиться с платформой и научиться торговать на ней. Вы можете сделать свои первые инвестиции и торговать на актив, который вы выбрали. Вы проверите возможности платформы и узнаете, как покупать и продавать активы, вы можете отслеживать курсы доллара, евро, нефти, золота, серебра или криптовалюты, такие как биткойны или эфириум.
Инвестируя с брокером без соответствующих лицензий, вы можете, например: потерять весь свой капитал. Также следует помнить, что каждая инвестиция всегда сопряжена с риском потери капитала. Вот почему стоит выбирать сертифицированных брокеров и тех, кто имеет соответствующие разрешения для ведения этого вида бизнеса.
Доверие брокера !!
Достоверность брокеров может быть проверена путем анализа их лицензий, разрешений, сертификатов и того, подлежат ли они соответствующему финансовому надзору в стране, в которой вы проживаете.
Демо-счет!
Вы можете попробовать так называемый демо-счет, чтобы узнать, проверить платформу и свои навыки. Вам не нужно проверять свои данные, чтобы начать свое приключение с инвестирования (например, в Plus500 вам нужен только адрес электронной почты).
Преимущества демо-счета
- Вы получаете виртуальную валюту и сумму для изучения
- Вы можете выбирать и тестировать различные варианты покупки и продажи определенного актива, например, золота, серебра, криптовалюты, нефти и т. Д.
- Вы сами решаете, сколько вы покупаете и сколько продаете, что покупаете и что продаете.
- Вы сами решаете, когда перейти на реальный счет и начать вкладывать свои реальные деньги.
- Вы можете отписаться от платформы в любое время.
Вы можете создать демо-счет , например, у брокера Plus500 № 1 в нашем списке самых популярных брокеров в 2020 году (все, что вам нужно, это адрес электронной почты для регистрации)
Ниже представлены 4 самых популярных брокера в 2020 году. Вы можете создать демо-счет и протестировать платформу или, например, проверить, как торговать, например, золотом, валютами, нефтью, акциями или криптовалютами.
फ्लैट को परिभाषित करना
एक सपाट बाजार वह है जिसमें शेयर बाजार ने समय की अवधि में बहुत कम या कोई हलचल नहीं की है। यह कहना नहीं है कि सभी सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध हैंइक्विटीज बाजार में एक ही दिशा में बढ़ रहे हैं। इसके बजाय, कुछ क्षेत्र या उद्योग इक्विटी की कीमत में वृद्धि अन्य क्षेत्रों से प्रतिभूतियों की कीमत में गिरावट से प्रतिसंतुलित हो सकती है। इस प्रकार, निवेशक और व्यापारी एक फ्लैट बाजार में बाजार सूचकांकों के बजाय व्यक्तिगत शेयरों को ऊपर की ओर गति के साथ व्यापार करने के लिए बेहतर अनुकूल होंगे।
फ्लैट बांड क्या हैं?
यदि किसी बांड का खरीदार पिछले भुगतान के बाद अर्जित ब्याज का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार नहीं है, तो बांड फ्लैट कारोबार कर रहा है (उपार्जित ब्याज आमतौर पर बांड खरीद मूल्य का हिस्सा होता है)। एक फ्लैट बॉन्ड, वास्तव में, एक ऐसा बॉन्ड है जो बिना संचित ब्याज के ट्रेड करता है। फ्लैट मूल्य, जिसे स्वच्छ मूल्य के रूप में भी जाना जाता है, एक फ्लैट बांड की कीमत है। फ्लैट मूल्य निर्धारण आमतौर पर गंदी कीमत (बॉन्ड मूल्य और अर्जित ब्याज) में दैनिक वृद्धि को गलत तरीके से प्रस्तुत करने से बचने के लिए उपयोग किया जाता है, क्योंकि अर्जित ब्याज परिपक्वता के लिए बांड की उपज को प्रभावित नहीं करता है (ytm)
यदि किसी बांड का ब्याज भुगतान देय है लेकिन जारीकर्ता अंदर हैचूक जाना, बांड फ्लैट व्यापार करेगा।बांड डिफॉल्ट करने वालों को फ्लैट कारोबार किया जाना है, बिना किसी संचित ब्याज की गणना और कूपन विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है की डिलीवरी जो जारीकर्ताओं ने भुगतान नहीं किया है। एक बांड को फ्लैट व्यापार करने के लिए माना जाता है यदि यह उसी तारीख को तय हो जाता है जिस दिन ब्याज का भुगतान किया जाता है, और इसलिए पहले से भुगतान की गई राशि से आगे कोई ब्याज अर्जित नहीं हुआ है।
विदेशी मुद्रा व्यापार में सपाट स्थिति
सपाट होना विदेशी मुद्रा व्यापारियों द्वारा लिया गया एक आसन है जब वे उस दिशा के बारे में अनिश्चित होते हैं जिसमें बाजार की मुद्राएं व्यापार कर रही होती हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप यूएस डॉलर में कोई पोजीशन नहीं रखते हैं या आपकी लंबी और छोटी पोजीशन एक दूसरे को रद्द कर देते हैं, तो आप फ्लैट होंगे या आपके पास एक फ्लैट बुक होगी। फ्लैट स्थिति को एक अनुकूल स्थिति माना जाता है, क्योंकि व्यापारी कोई लाभ नहीं कमा रहा है, वे किनारे पर बैठकर पैसे नहीं खो रहे हैं।
एक फ्लैट व्यापार वह है जिसमें मुद्रा जोड़ी महत्वपूर्ण रूप से ऊपर या नीचे नहीं चली है और इसके परिणामस्वरूप, विदेशी मुद्रा व्यापार की स्थिति में कोई महत्वपूर्ण लाभ या हानि नहीं होती है। हालांकि, एक क्षैतिज या बग़ल में प्रवृत्ति व्यापार की स्थिति को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है क्योंकि एक फ्लैट मूल्य उसी के भीतर रहता हैश्रेणी और शायद ही कभी उतार-चढ़ाव होता है।
व्यापार घाटा कहीं देश की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ न दे!
सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें
अगर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन की मानें तो अर्थव्यवस्था में सब अच्छा ही अछा है। हमारी अर्थव्यवस्था के दुनिया में पांचवें स्थान पर होने के उत्साह में वे काफी कुछ दावे करने से नहीं चूकतीं। प्रत्यक्ष करों की वसूली में तीस फीसदी का उछाल और जीएसटी की वसूली के नित बढ़ते आँकड़े अर्थव्यवस्था का हाल ठीक होने के दावे को मजबूत करते हैं।
अब इसमें करखनिया सामानों का उत्पादन गिरने, महंगाई के चलते बिक्री कम होने तथा महंगाई और बेरोजगारी का हिसाब निश्चित रूप से शामिल नहीं है। छोटे और सूक्ष्म उद्योग धंधों की हालत और खराब हुई है जिसने रोजगार के परिदृश्य को ज्यादा खराब किया है। और इसमें अगर विदेश व्यापार की ताजा स्थिति और बढ़ते घाटे को जोड़ लिया जाए तो साफ लगेगा कि वित्त मंत्री सिर्फ अर्थव्यवस्था का उतना हिस्सा ही देखना और दिखाना चाहती हैं जो गुलाबी है।
बाजार में निवेश का आना कम होने और डालर की महंगाई को भी जोड़ लें तो हालत चिंता जनक लगने लगती है। यह सही है कि अभी वैश्विक मंडी की आहट भी सुनाई दे रही है और अधिकांश बड़े देशों की हालत भी खराब है लेकिन यह कहने से बेरोजगार लोगों या महंगाई से त्रस्त गृहणियों के जख्मों पर मरहम नहीं लगेगा।
वित्त मंत्री और सरकार के लोग चाहे जो दावे करें विदेश व्यापार का बढ़ता आकार और उससे भी ज्यादा तेजी से बढ़ता घाटा अर्थशास्त्र के सारे जानकारों को चिंतित किए हुए है। लगातार हर महीने आने वाले आँकड़े इन दोनों प्रवृत्तियों में वृद्धि ही दिखा रहे हैं जबकि अगस्त के आँकड़े बताते हैं कि घाटा दस साल का रिकार्ड तोड़ चुका है।
अगस्त में यह 29 अरब डालर को छू चुका है और घाटे की प्रवृत्ति में बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं दिखती। दुनिया भर में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत में आई नरमी बदलाव ला सकती थी लेकिन डालर के अस्सी रुपए तक पहुँचने विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है से यह लाभ भी समाप्त सा हों रहा है।
इलेक्ट्रानिक सामानों के निर्यात में कुछ वृद्धि दिख रही है तो जेवरात और रत्नों का आयात उस पर भी पानी फेर रहा है। यह भी माना जाता है कि अचानक बिजलीघरों में कोयले के अकाल ने सरकार के हाथ पाँव फुला दिए थे। इस चक्कर में विदेश से काफी कोयला मंगा लिया गया जबकि अपने यहां सबसे बड़ा कोयला भंडार है। व्यापार संतुलन बिगाड़ने में इसका भी हाथ है। हाल के दिनों में करोना से उबरी दुनिया में रिफाइनिंग का काम बढ़ा था जिसका लाभ हमें भी मिला था। अब खबर आ रही है कि इस काम में भी गिरावट है और यह दस फीसदी तक है।
जाहिर है हमारा विदेश व्यापार का असंतुलन बढ़ ही सकता है, उसके सुधार के लक्षण नहीं हैं। यह अंदेशा अभी भी जारी यूक्रेन युद्ध और ताइवान पर तनातनी से बढ़ा ही है। पर निश्चित रूप से सबसे बड़ा प्रभाव कोरोना का ही रहा। जिसके चलते दुनिया भर में मांग कम हुई है। यूरोप और अमेरिका इस बार जिस तरह की परेशानी में हैं, और अमेरिकी फेडरल रिजर्व जिस तेजी से अपने रेट बढ़ा रहा है उसमें दुनिया भर के पूंजी बाजारों से पैसा गायब होने लगा है।
हमारा केन्द्रीय बैंक भी रेट बढ़ा रहा है। लेकिन सरकार एक सीमा से ज्यादा रेट बढ़ाने के पक्ष में नहीं है क्योंकि इससे महंगाई बढ़ने लगती है। पर असली दिक्कत हमारे माल की मांग काम होने से आई है और दुनिया के बाजारों के जल्दी सुधारने की उम्मीद नहीं की जा रही है। सामान महंगा होने और बेकारी बढ़ने के असर अपने बाजार पर भी है और जाहिर तौर से ये कारण करखनिया उत्पादन के गिरने के हैं।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसी रायटर्स के एक सर्वेक्षण विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है में यह बात सामने आई कि लगातार तीन तिहाई के आंकड़ों की दिशा, खाद्यान्न की कीमतों में वैश्विक उछाल और गिरते रुपए के चलते भारतीय व्यापार घाटा न सिर्फ एक दशक में सबसे ऊपर जाने वाला है बल्कि यह अर्थव्यवस्था के लिए संकट भी बनेगा। ये चीजें निवेशकों का भरोसा गिरा रही हैं। बाजार से पूंजी गायब दिखने की यह एक बड़ी वजह है।
दुनिया के 18 बड़े अर्थशास्त्रियों से पूछे सवाल पर आधारित यह सर्वेक्षण बताता है कि चालू खाते का घाटा आने वाले महीनों में सकल घरेलू उत्पादन, जीडीपी के पाँच फीसदी तक पहुँच सकता है। पिछली तिमाही अर्थात अप्रैल-जून में यह जीडीपी के 3.6 फीसदी तक चला गया था। जैसा पहले बताया जा चुका है अकेले अगस्त महीने का घाटा 29 अरब डालर का था। उससे पहले जुलाई का घाटा तीस अरब डालर को छू गया था। अगर यह रफ्तार रही तो इन अर्थशास्त्रियों का अनुमान भी कम पड जाएगा। अगर हम जनवरी-मार्च के मात्र 13.4 अरब डालर पर नजर डालें तो अगस्त तक का रिकार्ड डरावना लगने लगेगा।
इस घाटे की भरपाई करनी ही होती है। इस काम में रिजर्व बैंक की सांस फूल रही है। डालर के मुकाबले गिरते रुपए को संभालने में भी उसे काफी सारा पैसा उतारना पड़ता है। इन दोनों कामों में कीमती विदेशी मुद्रा खर्च हों रही है और विदेशी मुद्रा का भंडार तेजी से नीचे आ रहा है। ये चीजें भी रुपए पर दबाव बढ़ा रही हैं और कमाई की गुंजाइश काम हुई है। सामान्य स्थिति में मुद्रा की कीमत गिरने का एक लाभ यह होता है कि आपके विदेश व्यापार में वृद्धि होती है। आपका सामान सस्ता होता है तो मांग बढ़ती है।
अभी दुनिया में, खासकर हमारा सामान (तैयार पोशाक, जेम-ज्वेलरी और इंजीनियरिंग का सामान) मांग न होने के चलते बिक ही नहीं रहा है। इलेक्ट्रानिक सामान बिक भी रहे हैं तो इंजीनियरिंग के सामान की बिक्री में अगस्त में ही पिछले साल की तुलना में 78 फीसदी की गिरावट आ गई है। उधर हमारा तेल का आयात बढ़ता ही जा रहा यही। पिछले साल की तुलना में बीते अगस्त में हमने 37 फीसदी ज्यादा पेट्रोलियम पदार्थों का आयात किया। आयात निर्यात बढ़ाने घटाने के और आँकड़े भी इसी दिशा को बताते हैं लेकिन सबसे बड़ा सच तो व्यापार घाटे के बेहिसाब बढ़ाने से दिखता है। सरकार सोई नहीं होगी लेकिन सारी दुनिया के आर्थिक हालात पर उसका वश चलता हों ऐसा भी नहीं है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 500