वित्तीय विवरण विश्लेषण (Financial Statement Analysis)

प्रस्तुत वित्तीय विवरण विश्लेषण Financial Statement Analysis पुस्तक दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय बी. काॅम. तृतीय वर्ष हेतु का नवीन, संशोधित एवं परिमार्जित संस्करण पूर्णतः नवीन कलेवर में प्रस्तुत करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है। वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र

पुस्तक की विशिष्टताएं:

  • विषय-सामग्री को पूर्णतः इस विषय के निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार ही व्यवस्थित एवं विन्यासित किया गया है तथा प्रबन्धकीय लेखाविधि के क्षेत्र में समाविष्ट हो रहे विविध नवीन विषयों का समावेश किया गया है, इनमें ‘क्रिया आधारित लागत अंकन’, ‘लक्ष्य एवं उत्पाद जीवन चक्र लागत अंकन’, ‘मूल्य शृंखला विश्लेषण एवं गुणवत्ता लागत लेखाविधि’ तथा ‘स्थानान्तरण कीमत’ उल्लेखनीय हैं।
  • पुस्तक के संशोदित संस्करण में अध्याय अनुपात विश्लेषण एवं कोष प्रवाह विवरण को पूर्णत: नए सिरे से तैयार किया गया है तथा नवीन सामग्री का समावेश परिमार्जित किया है। साथ ही अध्याय रोकड़ प्रवाह विवरण को पूर्णत: लेखांकन मानक-3 तथा लेखांकन मानक-4 (संशोदित), के आधार पर संशोधित एवं परमार्जित किया गया है।
  • वित्त (नं -2) अधिनियम, 2019 द्वारा कंपनियों पर लागू आय कर की नयी दर @25% के आधार पर संशोदित किया गया है।
  • पुस्तक के इस संशोधित संस्करण की उल्लेखनीय विशेषता यह है कि कम्पनी अधिनियम, 2013 की अनुसूची III के अनुरूप चिट्ठा एवं लाभ-हानि विवरण के संशोधित प्रारूप के अनुरूप सभी सम्बन्धित अध्यायों को पुनः तैयार किया गया है। इसमें केवल नवीन प्रारूप ही प्रयुक्त नहीं किए गए हैं, वरन् उनमें प्रयुक्त शब्दावली भी कम्पनी अधिनियम के प्रावधानों एवं व्यवस्थाओं के अनुसार है।
  • ‘प्रबन्ध लेखांकन में उभरती अद्यतन विचारधाराएं’ पर एक विशिष्ट अध्याय जोड़ा गया है, जिसमें ‘कुल गुणवत्ता प्रबन्धन, सामग्री आवश्यकता नियोजन, उत्पादन/निर्माणी संसाधन नियोजन, प्रतिपुष्टि नियन्त्रण पद्धति, संस्था संसाधन नियोजन या उपक्रम संसाधन नियोजन, सहक्रिया बैन्चमार्किंग, व्यावसायिक प्रक्रिया आउटसोर्सिंग’ जैसी पूर्णतः नवीनतम अवधारणाओं की विस्तृत विवेचना की गई है।
  • पुस्तक की भाषा-शैली को अत्यन्त सरल रखा गया है तथा शीर्षकों एवं उप-शीर्षकों के अंग्रेजी पर्याय भी दिए गए हैं।
  • संख्यात्मक प्रश्नों को सरलता से कठिनता की ओर क्रमबद्ध रूप में अनुविन्यासित करने का प्रयत्न किया गया है। उदाहरणों एवं प्रश्नों को समान क्रम में रखा गया है, जिससे विद्यार्थी उदाहरणों के आधार पर प्रश्न हल करता रहे।
  • सभी उदाहरणों एवं प्रश्नों को हिन्दी तथा अंग्रेजी दोनों भाषाओं में दिया गया है, जिससे उन्हें अधिकाधिक स्पष्टता से समझा जा सके। प्रश्नों के चयन में बी. काॅम. के स्तर को विशेष रूप से ध्यान में रखा गया है।
  • विभिन्न अध्यायों में प्रयुक्त सूत्रों को सरल, लेकिन मानक रूप में रखा गया है तथा प्रत्येक अध्याय के अन्त में उस अध्याय में प्रयुक्त सभी सूत्रों को एक स्थान पर दिया गया है।
  • विभिन्न विश्वविद्यालयों के नवीनतम प्रश्न-पत्रों के प्रश्नों का यथास्थान समावेश किया गया है।

वित्तीय विवरण विश्लेषण Financial Statement Analysis Syllabus For B.Com. III Year of Pt. Deendayal Upadhyay Gorakhpur University

Unit – I Management Accounting: Definition, Functions, and Role of Accounting as a tool of Decision-making. Limitations of Management Accounting. Basic Postulates of Accounting and Accounting Policy.

Unit – II Financial Statements: Meaning, Types of Financial statements, Limitations of financial statements, Financial Analysis – Types and methods of financial analysis, Tools of financial analysis, Trend percentages common size statements.

Unit – III Financial Statement Analysis: Ratio analysis, funds flow analysis, Cash flow analysis.

Unit -IV Marginal Cost Concept: Cost classification, Theory of contribution, Profit Volume relationship, Break-even analysis.

Unit – V Standard Costing: Definition, Nature, Setting Standards, Establishment of standard costing system, Variance analysis (only Material Variance).

Unit -VI Budgets : Nature, Types of budgets, Preparation of Budget (Sales and Cash Budget only). Zero Base Budgeting – Concepts and Applications.

वित्तीय विवरण विश्लेषण Financial Statement Analysis Book विषय-सूची

वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र

वित्तीय विवरणों का विश्लेषण वित्तीय विवरणों में दी गई विस्तृत लेखांकन जानकारी में गंभीर रूप से जांच करने की प्रक्रिया है। वित्तीय विश्लेषण (Financial analysis) का अर्थ क्या हैं? वित्तीय विश्लेषण का अर्थ - वित्तीय विश्लेषण क्या है? मतलब, उद्देश्य, और प्रकार। विश्लेषण के उद्देश्य के लिए, व्यक्तिगत वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है, अन्य संबंधित आंकड़ों के साथ उनके अंतर-संबंध स्थापित किए जाते हैं, इस उद्देश्य के लिए विभिन्न तकनीकों या उपकरणों की सहायता से जानकारी की बेहतर समझ रखने के लिए डेटा को कभी-कभी पुन: व्यवस्थित किया जाता है।

वित्तीय विवरणों का विश्लेषण करना फर्म की स्थिति और प्रदर्शन की बेहतर समझ प्राप्त करने के लिए वित्तीय विवरणों के घटक भागों के बीच वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र संबंधों का मूल्यांकन करने की प्रक्रिया है। वित्तीय विवरणों का विश्लेषण इस प्रकार वित्तीय विवरणों में निहित जानकारी के उपचार को संदर्भित करता है ताकि संबंधित फर्म की लाभप्रदता और वित्तीय स्थिति का पूर्ण निदान किया जा सके।

इस उद्देश्य के लिए वित्तीय विवरणों को विधिवत, विश्लेषण और पिछले वर्षों या अन्य समान फर्मों के आंकड़ों की तुलना में वर्गीकृत किया जाता है। "विश्लेषण" और "व्याख्या" शब्द निकटता से संबंधित हैं, लेकिन दोनों के बीच भेद किया जा सकता है। विश्लेषण का मतलब है कि फर्म के प्रदर्शन को बेहतर तरीके से समझने के लिए वित्तीय विवरणों के घटकों के बीच संबंधों का मूल्यांकन करना।

वित्तीय विवरणों में विभिन्न खाता शेष दिखाई देते हैं। ये खाता वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र शेष एक समान डेटा का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें समझना और कुछ निष्कर्ष निकालना मुश्किल है। वित्तीय विवरणों में दिखाए गए आंकड़ों को कुछ समानता लाने के लिए वित्तीय विवरणों में डेटा के विश्लेषण की आवश्यकता है। व्याख्या इस प्रकार अनुमान लगाने और बताती है कि वित्तीय विवरणों में आंकड़े वास्तव में क्या मतलब है। व्याख्या स्वयं दुभाषिया पर निर्भर है। दुभाषिया के पास विश्लेषण डेटा से सही निष्कर्ष निकालने के लिए अनुभव, समझ और बुद्धि होना चाहिए।

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वित्तीय विश्लेषण का महत्त्व ( Important of Financial Analysis ) क्या है ?

वित्तीय विश्लेषण का प्रबन्धकीय निर्णयों में बहुत अधिक महत्त्व है । वित्तीय विश्लेषण की पद्धतियाँ प्रबन्धकों को उसके नियोजन तथा नियन्त्रण दोनों ही कर्यों में सहायक होती हैं । वित्तीय नियोजन के समय प्रबन्धक यह देख सकता है कि उसके द्वारा लिये जाने वाले निर्णयों का संस्था की आर्थिक स्थिति तथा लाभदायकता पर क्या प्रभाव पड़ेगा । वित्तीय नियन्त्रण के क्षेत्र में, इन पद्धतियों के माध्यम से प्रबन्धक अपने भूतकालीन निर्णयों की विवेकशीलता तथा उनमें रही कमियों का पता लगा सकता है जो भावी निर्णयों में उसका मार्गदर्शन करते हैं । अतः वित्तीय विश्लेषण की पद्धतियाँ प्रबन्धकों के निर्णयों को विवेकपूर्ण बनाकर उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि करती है । संक्षेप में वित्तीय विश्लेषण से निम्न लाभ प्राप्त होते हैं, जो इसके महत्त्व को स्पष्ट करते हैं -

(i) सहज ज्ञान एवं बिना विश्लेषण के लिए गये भ्रामक एवं हानिकारक हो सकते हैं । वित्तीय विश्लेषण से प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर लिए गये निर्णय तर्कपूर्ण एवं वैज्ञानिक होते हैं और उनमें त्रुटि होने की सम्भावना कर रहती है ।

(ii) प्रबन्धकों के व्यक्तिगत अनुभव का क्षेत्र सीमित होता है । ऊपरी अनुभव एवं निरीक्षण मात्र से आधुनिक व्यावसायिक क्रियाओं की जटिलता, सूक्ष्मता तथा बहुपक्षीय पारस्परिक सम्बन्ध भली-भाँति नहीं समझे जा सकते । अतः वित्तीय विवरणों का व्यापक विश्लेषण अपरिहार्य है ।

(iii) वित्तीय विश्लेषण से प्राप्त परिणामों के आधार पर सहज बोध द्वारा लिये गये निर्णयों की पुष्टि की जा सकती है ।

(iv) सहज बोध के आधार पर लिये गये निर्णयों का औचित्य निर्णयकर्ता के अतिरिक्त अन्य पक्षकारों के समझ में आना कठिन होता है । वित्तीय विश्लेषण पर आधारित वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र निर्णयों का स्वरूप एवं औचित्य अन्य व्यक्तियों के सरलता से समझ में आ सकता है । अतः ये निर्णय विश्वसनीय एवं मूल्यवान समझे जाते हैं ।

वित्तीय विश्लेषण का महत्त्व व्यवसाय के आन्तरिक प्रबन्ध तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रयोग अन्य पक्षों या विनियोजकों, ऋणदाताओं तथा श्रमिकों द्वारा भी किया जाता है । विभिन्न पक्षों के स्वार्थ में भिन्नता होने से उनके द्वारा किये जाने वाले वित्तीय विश्लेषण में भी पर्याप्त भिन्नता होती है ।

वित्तीय विश्लेषण मुख्यतः निम्न पक्षों के लिए महत्त्व रखता है :-

[ 1 ] ऋणदाताओं के लिए महत्त्व ( Importance for Debentu reholders ) :- ऋणदाताओं को दो प्रमुख वर्गों - अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन में विभक्त किया जा सकता है । अल्पकालीन ऋणदाताओं का प्रमुख स्वार्थ व्यवसाय की तरलता में निहित होता हैं, अतः ये संस्था के कोष प्रवाह के माध्यम से वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र यह जानना चाहते हैं कि उनका कर्ज चुकाने के लिए संस्था के पास समय पर नकद कोष होंगे या नहीं । दीर्घकालीन ऋणदाताओं का स्वार्थ दीर्घकालीन होता है, अतः ये संस्था की दीर्घकालीन लाभ-अर्जन क्षमता के विश्लेषण से यह देखना चाहते हैं कि दीर्घकालीन में वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र क्या संस्था की अर्जन-क्षमता, पूँजी संरचना तथा भावी कोष प्रवाह का विश्लेषण करते हैं ।

[ 2 ] विनियोजकों के लिए महत्त्व ( Importance for Investors ) :- विनियोजकों का मुख्य स्वार्थ विनियोजन की सुरक्षा तथा कम्पनी की लाभ-अर्जन-क्षमता में होता है । विनियोजक कम्पनी में विनियोग की सुदृढ़ता के सम्बन्ध में स्वयं अपनी धारणा बनाते हैं । विनियोजक इस आशय के लिए प्रति अंश लाभांश की गणना कर सकते हैं तथा इस लाभांश को अंश के बाजार मूल्य से तुलना कर प्रति अंश मूल्य-लाभांश ( Price-earning ) अनुपात ज्ञात कर सकते हैं । अतः विनियोजकों का ध्यान प्रमुखतः कम्पनी की लाभार्जन शक्ति पर केन्द्रित रहता है । कम्पनी की आर्थिक स्थिति से उनका सम्बन्ध केवल उस सीमा तक होता है, जहाँ तक वह लाभार्जन शक्ति को प्रभावित करती है । विनियोजक उपर्युक्त के अतिरिक्त कम्पनी की पिछले वर्षों में रही बिक्री की प्रवृत्ति, कम्पनी का उद्योग में स्थान तथा दीर्घकालीन वित्तीय सुदृढ़ता से सम्बन्धित अनुपातों का अध्ययन कर सकते हैं ।

[ 3 ] सरकार के लिए महत्त्व ( Importance for Government ) :- सरकार की वित्तीय नीतियों के संचालन में वित्तीय विश्लेषण एक कम्पनी से दूसरी कम्पनी तथा उद्योग से तुलना में सहायक होते हैं । लाभार्जन अनुपात तथा आवर्त ( Turnover ) अनुपात सरकार के लिए विशेष महत्त्व के होते हैं ।

[ 4 ] कर्मचारियों के लिए महत्त्व ( Importance for Employees ) :- कर्मचारी वर्ग संस्था की लाभ-अर्जन-क्षमता व वित्तीय सुदृढ़ता में विशेष रुचि रखते हैं । कम्पनी की आय कम से कम इतनी अवश्य होनी चाहिए जिससे उनको भुगतान में कठिनाई न आये । कर्मचारी वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र अथवा श्रमिक वर्ग अपनी मजदूरी में वृद्धि की माँग विश्लेषण के परिणामों को ध्यान में रखकर ही कर सकते हैं । नये वेतनमानों के निर्धारण में उद्योग की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखा जाता है ।

[ 5 ] प्रबन्ध के लिए महत्त्व ( Importance for Management ) :- प्रभावशाली नियोजन व नियन्त्रण के लिए संस्था के प्रबन्ध को रुचि प्रत्येक वित्तीय पहलू में होती है । प्रबन्ध को विभिन्न पूँजीदाताओं को सन्तुष्ट करना होता है तथा बाह्य पूँजी की प्राप्ति में अपनी मोल-भाव करने की शक्ति में वृद्धि करनी होती है, अतः वे अपने वित्तीय विश्लेषण में पूँजी की संरचना, तरलता स्थिति, आवर्त अनुपात, लाभार्जन शक्ति आदि सभी बातों का समावेश करते हैं । वित्तीय विश्लेषण के माध्यम से "प्रबन्धक अपनी नीतियों व निर्णयों की प्रभावशीलता माप सकते हैं, नई नीतियों व पद्धतियों के धारण के औचित्य का निर्धारण कर सकते हैं तथा स्वामियों को अपने प्रबन्धकीय प्रयत्नों का प्रमाण दे सकते हैं ।"

डेटा विश्लेषण

भारतीय रिजर्व बैंक की ऋण नीति – व्यणस्तव कार्य समय – अल्प/ कार्य समय और चयनात्मक ऋण नियंत्रण, वित्तीय क्षेत्र मूल्यांकन तथा क्षेत्रीय ऋण विश्लेषण; बैंक जमा तथा अग्रिमों के संबंध में बैंकिंग आंकड़े; बैंक जमाओं तथा अग्रिमों पर ब्याज दरें; आरबीआई, आईबीए, बैंकिंग सुधारों पर अध्ययनों से संबंधित प्रतिफल तथा महत्वपूर्ण सूचना को प्रदर्शित करना; भारत में बैंकिंग क्षेत्र से संबद्ध अन्य अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टों का विश्लेषण; वित्तीय क्षेत्र सुधार संबंधी समिति की रिपोर्टों का विश्लेषण आदि। प्रबंध सूचना प्रणाली – बैंकिंग उद्योग के संबंध में आंकड़ों का संग्रहण तथा मिलान। रिजल्ट फ्रेमवर्क दस्तावेज (आरएफडी), विभिन्न अवसरों पर वित्त मंत्री/वित्त राज्य मंत्री का भाषण और लेखापरीक्षा पैरा की निगरानी।

वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र

बुक्स ऑफ ओरिजिनल एंट्री का क्या अर्थ है?

बुक्स ऑफ ओरिजिनल एंट्री का क्या अर्थ है?

बिज़नेस में इन्वेंट्री नियंत्रण या स्टॉक कंट्रोल के क्‍या मायने हैं?

अर्जित व्यय या Accrued Expenses के बारे में विस्‍तार से जानें

लेखांकन देयताएं या अकाउंटिंग लायबिलिटीज़ क्या हैं?

कैश अकाउंटिंग: परिभाषा, शर्त, स्टेटमेंट और उदाहरण

क्रेडिट मेमो के बारे में सारी जानकारी

अकाउंटिंग में कुल राजस्व का कैलकुलेशन कैसे करें?

आस्थगित कर परिसंपत्ति और आस्थगित कर देयता

अनर्जित राजस्व किस प्रकार का खाता है?

इन्वेंट्री कॉस्ट और उनके प्रकार क्या हैं?

बुक्स ऑफ ओरिजिनल एंट्री का क्या अर्थ है?

बिज़नेस में इन्वेंट्री नियंत्रण या स्टॉक कंट्रोल के क्‍या मायने है…

अर्जित व्यय या Accrued Expenses के बारे में विस्‍तार से जानें

लेखांकन देयताएं या अकाउंटिंग लायबिलिटीज़ क्या हैं?

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