गर्दन और कंधे में होता है रोजाना दर्द तो हो सकती है ये खतरनाक बीमारी

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। भाग दौड़ भरी जिंदगी में जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता जा रहा है उसी प्रकार लोग अपने शरीर पर काम का भार ज्यादा डालने लगे हैं। इन सब चीजों में लोग अपने आप को काम में इस तरह व्यस्त कर लेते हैं कि उन्हें अपने स्वास्थ्य की भी चिंता नहीं रहती। लेकिन कई बार ज्यादा काम करना और सेहत पर ध्यान ना देने से स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

वैसे तो इंसान के गर्दन और कंधे में दर्द होना बहुत आम बात है, लेकिन यही साधारण दर्द अगर बार-बार दिक्कत देने लगे तो फिर ये किसी समस्या का कारण हो सकता है। रिढ़ की हड्डी कई बार आपके शरीर का भार ज्यादा झेल नहीं पाती है जिसकी वजह से सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस जैसी परेशानी उत्पन्न हो जाती है। इस समस्या में शरीर के कुछ अंग जैसे, कंधा, गर्दन, पीठ, बांह, छाती और सिर के पिछले हिस्से में दिक्कत बनी रहती है।

कैसे उत्पन्न होती है ये समस्या

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या में जब इंसान अपनी क्षमता से ज्यादा काम करने लगता है तो उसके गर्दन और कंधे में दर्द होना शुरू हो जाता है। समस्या की शुरूआत में पहले तो इससे गर्दन और कंधे के ऊपर प्रभाव पड़ता है। लेकिन जैसे-जैसे इसकी समस्या बढ़ती सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है जाती है ये रिढ़ की हड्डी को भी प्रभावित करने लगता है और फिर चक्कर आना, सिर में दर्द, कंधे, पीठ और गर्दन में दर्द बना रहता है। इसलिए इस परेशानी से बचने के लिए जरूरी है की सही समय पर डॉक्टरों से इसका इलाज कराया जाए और इस बीमारी के लक्ष्ण को तुरंत भांप लिया जाए।

क्या है इसके लक्ष्ण

  • चक्कर आना।
  • गर्दन और कंधे में अधिकतर समय दर्द रहना।
  • सिर में दर्द होना।
  • हाथ, बांह और उंगलियों में कमजोरी और सुन्न पड़ जाना।
  • गर्दन हिलाते वक्त हड्डियों में से चटकने की ध्वनि आना।
  • चलते वक्त हाथ और पैरो में कमजोरी होने से ज्यादा थकावट महसूस होना।

कैसे इस समस्या से बचें

  • इस समस्या से बचने के लिए जरूरी है कि ज्यादा काम ना करें और अगर करें तो बीच में कम से कम एक 1 घंटे का आराम जरूर लें। इससे शरारिरीक और मानसिक दोनों को आराम मिलता है।
  • सोने के लिए मख्मल के गद्दे और तकीये के प्रयोग से बचें। इसके लिए सख्त और मजबूत गद्दे पर सोएं और गद्दा एक दम सीधा हो जिससे रिढ़ की हड्डी को स्थिर होने में मदद मिले।
  • काम के दौरान जरूरी है की बीच-बीच में व्यायाम जरूर करें। साथ ही गर्दन से जुड़े व्यायाम भी करना चाहिए इससे सर्वाइकल में आराम मिलता है। इससे शरीर की बनावट बनी रहती है और हड्डी का अलाइनमेंट बिगड़ने से बचा रहता है।

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गर्दन और कंधे में रोजाना दर्द हो सकता है इस भयानक बिमारी का लक्षण

Neck and Shoulder pain

रायपुर. Neck and Shoulder pain : आज-कल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने शरीर पर काम का बोझ ज्यादा डालने लगे हैं। लोग काम करने में इस कदर मशगूल हैं कि लोग अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना ही भूल गए हैं। लोग अपने आप को काम में इस तरह व्यस्त कर लेते हैं कि उन्हें अपने स्वास्थ्य की भी चिंता नहीं रहती। लेकिन कई बार ज्यादा काम करना और सेहत पर ध्यान ना देने से स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

कंधे में दर्द - Shoulder Pain in Hindi

कंधे के हिलने-ढुलने व घूमने की सीमा रोटेटर कफ (कंधों को घुमानेवाली पेशी) द्वारा निर्धारित की जाती है। रोटेटर कफ चार टेंडन्स से मिलकर बना होता है। टेंडन वे रेशेदार ऊतक होते हैं, जो हड्डियों को मांसपेशियों से जोड़ते हैं। अगर रोटेटर कफ के आस-पास के टेंडन्स क्षतिग्रस्त या उनमें सूजन आई हुई है, तो बाजुओं को सिर को ऊपर की तरफ उठाने में दर्द या कठिनाई अनुभव हो सकती है।

कंधे किसी भी प्रकार के शारीरिक श्रम से क्षति ग्रस्त हो सकते हैं, जैसे खेल-कूद, काफी देर तक या बार-बार एक ही मूवमेंट करना। कुछ ऐसे रोग भी हैं, जिनसे कंधों में दर्द होने लगता है। इनमें गर्दन की सरवाइकल हड्डियां, साथ ही लिवर, हृदय या पित्ताश्य संबंधी रोग शामिल हैं।

उम्र बढ़ने के साथ-साथ कंधों में दर्द होने की संभावना भी बढ़ जाती है। विशेष रूप से 60 साल से ज़्यादा उम्र में यह समस्या आम हो जाती है, क्योंकि उम्र के साथ-साथ कंधे के आस-पास के ऊतक नष्ट या खराब होने लगते हैं।

कंधों में दर्द के ज्यादातर मामलों का इलाज घरेलू नुस्खों से किया जा सकता है, हालांकि, "फिजिकल थेरेपी" (physical therapy), दवाएं या सर्जरी भी आवश्यक हो सकती है।

कंधों के लिए योगासन - योगासन द्वारा अपने कन्धों को लचीला बनाएं | Yoga for frozen shoulders

आज के आधुनिक युग में शरीर बहुत से तनाव झेलता है। रोजमर्रा की व्यस्त शहरी जीवन शैली के कारण सबसे अधिक तनाव झेलने वाले अंग आपके कंधे हैं। मनुष्य सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है का भौतिक शरीर एक चलते-फिरते उपकरण की तरह है जो कि दिनभर सक्रिय रहता है, इधर-उधर घूमता रहता है, भोजन एकत्र करता है। सारे शारीरिक अंग कुछ ना कुछ कार्य करते रहते हैं। फिर भी संघर्ष यहाँ ख़त्म नहीं होता, हम काम पर जाने के लिए गाड़ी में बैठते हैं या ड्राइव करते हैं, सारा दिन कंप्यूटर के सामने बैठे रहते हैं, अपना दोपहर का भोजन भी अपने डेस्क पर ही बैठे-बैठे खाते हैं, फिर घर पर आकर भी टीवी के सामने बैठ जाते हैं,इसके फलस्वरुप हमारे कंधे अकड़ जाते हैं, और धीरे-धीरे सख़्त हो जाते हैं। साधारणतः दायाँ कंधा अधिक रूप से पीड़ित होता है।

कंधो के दर्द को कम करने के लिए योग | Yoga to reduce shoulder pain

आधुनिक गतिहीन जीवन शैली में सारा दिन एक कुर्सी पर बैठे रहना होता है जिससे कंधे जकड़ जाते हैं और कंधों में तनाव हो जाता है। इसके फलस्वरूप चिंता और नकारात्मक भावनाएं यहां पर एकत्र हो जाते हैं। तो किस प्रकार के क्रियाकलाप इन अकड़े कंधों को डिफ्रॉस्ट करने में सहायता करते हैं? क्या योग कंधों के दर्द में मदद करता है?

बिलकुल! इसमें कोई संदेह नहीं है की योगासन इन कंधों की मांसपेशियों को विश्राम देने तथा तनाव दूर करने में सहायक होती है। योगासन ना केवल कंधों बल्कि गर्दन और पीठ के ऊपरी भाग को भी विश्राम देता है। बेहतर यह होगा कि कंधों के दर्द के लिए योग का निरंतर अभ्यास किया जाए और किसी योग गुरु के निर्देशन में इसको ठीक तरह से सीखा जाए। इससे जिस भी भाग में दर्द होगा योग गुरू विशेष तौर पर उसी भाग के लिए विशेष मुद्रा का सुझाव करेंगे।

कंधों के लिए योगासन | Yoga asanas for shoulders

फ्रोजेन शोल्डर के लिए उत्तम आसन कौन से हैं?

सुबह सोकर उठने के बाद सबसे पहले वार्म अप व्यायाम करें, जैसे हल्की जोगिंग, शेकिंग या जंपिंग। यह बेहतर होगा सुबह का आरंभ सूर्य नमस्कार से करें। जब शरीर गर्म और तैयार हो जाएगा तब अपना ध्यान कंधों के व्यायाम पर लेकर जाएं। जैसे कंधों को घुमाना- पीछे, नीचे, अंदर की ओर गर्दन को घुमाना और फिर शरीर को घुमाना या मोड़ने की मुद्राएं। फिर धीरे-धीरे कुछ उन्नत मुद्राएं जैसे बैक बैंडिंग और हार्ट ओपनिंग। बेहतर यही होगा कि इन सब योग मुद्राओं का अभ्यास किसी प्रशिक्षित योग टीचर के निर्देशन में ही करें जो आपका कुशलता से मार्गदर्शन करेंगे।

अधिक लोग योग का अभ्यास आरंभ में बहुत अकड़न के साथ करते हैं परंतु धीरे-धीरे नियमित अभ्यास से शरीर खुलने लगता है, रुकावटें दूर होने लगती हैं और सख्ती कम होने लगती है, कंधे अधिक नर्म व लचीले होने लगते हैं। तो कंधों के लिए इन सरल योग मुद्राओं को आरंभ करें

सिर दर्द क्या है, क्यों होता है, इसके लक्षण, कारण और इलाज के बारे में यहां जानें

सिरदर्द एक बहुत ही आम समस्या है. ज्यादातर लोग सिरदर्द से कभी न कभी पीड़ित जरूर होते हैं. सिरदर्द क्यों होता है, इसका कारण और लक्षण, हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकता है. इलाज भी समस्या की गंभीरता के अनुसार होता है. इस लेख में जानिए सिरदर्द कितने प्रकार का होता है, सिरदर्द के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में.

Updated: June 2, 2022 5:14 PM IST

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सिर के किसी भी हिस्से में अचानक होने वाले दर्द को सिरदर्द कहते हैं. यह सिर के किसी एक या दोनों तरफ हो सकता है. किसी एक खास प्वाइंट से शुरू होकर सिरदर्द पूरे सिर में फैल सकता है या किसी विशेष स्थान पर हो सकता है. सिर में सनसनी पैदा करने वाला, तेज या हल्का दर्द हो सकता है. यह धीरे-धीरे बढ़ सकता है या अचानक तेज सिरदर्द शुरू हो सकता है. कई बार यह एक-दो घंटे तक रह सकता है और कई दिनों तक भी सिरदर्द रह सकता है.

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तनाव के कारण अक्सर सिरदर्द होने लगता सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है है. तनाव से जुड़ा सिरदर्द, कंधों, गर्दन, जबड़े, मांसपेशियों और खोपड़ी में तनाव के चलते होता है. बहुत ज्यादा काम करने, पर्याप्त नींद न लेने, समय पर खाना न खाने और शराब का सेवन करने की वजह से ऐसा सिरदर्द होता है. जीवनशैली में बदलाव करने, पर्याप्त मात्रा में आराम करने या दर्द निवारक दवा लेने से इस दर्द में राहत मिलती है. इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि सिरदर्द कितने प्रकार का होता है, सिरदर्द के लक्षण, कारण और इलाज.

सिर दर्द के प्रकार

अंतरराष्ट्रीय हेडएक सोसाइटी के अनुसार सिर दर्द प्राथमिक और माध्यमिक, दो प्रकार का होता है. प्राथमिक सिरदर्द में टेंशन से होने वाला सिर दर्द, क्लस्टर सिरदर्द और माइग्रेन के कारण होने वाला सिरदर्द शामिल होते हैं. जबकि माध्यमिक सिर दर्द में रीबाउंड और थंडरक्लैप सिर दर्द, कैफीन के लिए सिरदर्द और स्ट्रेस सिरदर्द शामिल होते हैं.

प्राथमिक सिरदर्द सिर के अंदर दर्द-संवेदी संरचनाओं की अतिक्रियाशीलता या उनमें होने वाली समस्याओं के कारण होते हैं. इनमें रक्त वाहिकाएं, मांसपेशियां, सिरदर्द और गर्दन की नसें शामिल हैं. प्राथमिक सिरदर्द दिमाग की रासायनिक गतिविधियों में होने वाले सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है बदलावों का परिणाम भी हो सकता है. माइग्रेन प्राथमिक सिरदर्द का दूसरा सबसे आम रूप है. क्लस्टर सिरदर्द 15 मिनट से 2-3 घंटे तक भी रह सकता है. यह दिन में कई बार शुरू हो सकता है. टेंशन के सिरदर्द का सबसे प्रमुख कारण है. यह धीरे-धीरे शुरू होता है. इस प्रकार का सिरदर्द भी घंटों तक बने रह सकता है.

जब सिर की संवेदनशील नसों को कोई अन्य कारण उत्तेजित करता है तो तो माध्यमिक सिरदर्द होता है. यानी जब सिरदर्द के लिए कोई अन्य कारक जिम्मेदार हों तो उसे माध्यमिक सिरदर्द कहा जाता है. अगर आप सिरदर्द की दवाओं का अधिक सेवन करते हैं तो इनके कारण भी माध्यमिक सिरदर्द हो सकता है. साइनस में सूजन या इंफेक्शन के कारण आंखों के पीछे, चेहरे और माथे पर दबाव और सूजन महसूस होती होती है. अगर आप चाय-कॉफी के शौकीन हैं तो बहुत समय तक इनका सेवन नहीं करने से भी माध्यमिक सिरदर्द होने लगता है.

सिरदर्द के लक्षण

जैसा कि हमने ऊपर बताया आमतौर पर सिरदर्द के लक्षणों के लिए किसी डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता नहीं होती है. इसके लक्षणों में हल्का सिरदर्द शामिल है, जिसमें आंखों और भौहों के ऊपर सिर के दोनों तरफ दर्द, दबाव या खिंचाव महसूस होता है. सिर के किसी एक हिस्से में भी दर्द, दबाव या खिंचाव महसूस हो सकता है. कई बार यह दर्द गर्दन और सिर के पिछले हिस्से के साथ ही पूरे सिर में फैलने लगता है. ऐसे ही दर्द के बारे सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है में अक्सर लोग ‘सिर दर्द से फट रहा है’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं.

अगर सिरदर्द तनाव का है तो यह गर्दन और सिर के पिछले हिस्से पर भी असर दिखाता है, जबकि माइग्रेन का सिरदर्द बहुत तेज होता है और इसमें उल्टी व मतली के साथ आवाज और तेज रोशनी में चिड़चिड़ाहत होती है. क्लस्टर सिरदर्द में आंखें लाल होने, आंखों से पानी आने, नाक बहने और पलकों के सूख जाने या सूजन जैसी समस्याएं होती हैं. रिबाउंड सिरदर्द में बेचैनी, गर्दन में दर्द, नाक बंद होना और नींद न आने जैसे लक्षण दिखते हैं. यही नहीं इसका दर्द हर दिन अलग हो सकता है.

सिरदर्द क्यों होता है?

सिर में मौजूद दर्द-संवेदी संरचनाओं में किसी तरह की चोट लगने या जलन के कारण सिरदर्द होता है. दर्द को महसूस करने वाली संरचनाओं में माथा, खोपड़ी, सिर का ऊपरी भाग, गर्दन, सिर की मांसपेशियां, सिर के चारों ओर मौजूद उत्तक, साइनस, सिर की प्रमुख धमनियां और नसें शामिल हैं. इन संरचनाओं में किसी तरह के दबाव, ऐंठन, जलन, सूजन, या तनाव के चलते सिरदर्द हो सकता है.

डॉक्टर को कब दिखाएं

आमतौर पर सिरदर्द की समस्या के लिए डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता नहीं होती. हालांकि, कभी-कभी सिरदर्द किसी अन्य गंभीर बीमारी का लक्षण होता है. लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि सिरदर्द में कब डॉक्टर को दिखाएं. अगर झटके के बाद सिरदर्द हो या सिरदर्द के साथ गर्दन में अकड़न, बुखार, बेहोशी, भ्रम, आंख और कान में भी दर्द हो तो तुरंत इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाएं.

सिरदर्द का इलाज

आमतौर पर सिरदर्द थोड़े से आराम और बाम लगाकर ठीक हो जाता है. इसके बावजूद जब सिरदर्द से छुटकारा न मिल रहा हो तो सिरदर्द के लिए दवाएं ओवर द काउंटर आसानी से मिल जाती हैं. यदि इन उपायों से आराम नहीं मिल रहा है तो डॉक्टर सिरदर्द के कारण जानने के लिए टेस्ट लिख सकते हैं. डॉक्टर की सलाह पर दर्दनिवारक दवा का सेवन करें और भरपूर आराम करें.

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