iPhone पर Numbers में आकृति जोड़ें और संपादित करें

आकृतियाँ लाइब्रेरी में विभिन्न श्रेणियों में कई आकृतियाँ शामिल हैं। शीट में आकृति जोड़ने के लिए आप कई तरीक़ों से आकृति कस्टमाइज़ कर सकते हैं। उदाहरण के लिए आप मानक पाँच बिंदुओं के स्टार को बीस बिंदुओं के स्टारबर्स्ट से बदल सकते हैं और वर्ग के कोनों की गोलाई ऐडजस्ट कर सकते हैं। आप आकृति के भीतर टेक्स्ट जोड़ें और रंग या इमेज से आकृति भरें भी कर सकते हैं।

आकृति जोड़ें

आप जहाँ आकृति डालना चाहते हैं, वहाँ टैप करें, पर टैप करें, फिर पर टैप करें।

आकृति लाइब्रेरी के शीर्ष पर श्रेणी चुनें, फिर किसी आकृति को अपनी शीट में जोड़ने के लिए उस पर टैप करें।

आकृति खोजने के लिए, आकृति लाइब्रेरी के शीर्ष पर स्थित पर टैप करें, फिर आकृति का नाम दर्ज करें।

शीट पर आकृति का स्थान बदलने के लिए उसे ड्रैग करें।

आकृति के फ़ीचर को ऐडजस्ट करें

आप किसी भी बुनियादी आकृति के फ़ीचर (आकृतियाँ लाइब्रेरी में मूल श्रेणी से) बदल सकते हैं जिसमें चयनित किए जाने पर हरे रंग का डॉट होता है। उदाहरण के लिए, आप पाँच बिंदुओं के स्टार में और भुजाएँ जोड़ सकते हैं।

आकृति चुनने के लिए उस पर टैप करें।

निम्नलिखित मुद्रा जोड़े की विभिन्न श्रेणियां हैं में से कोई भी कार्य करें :

गोलाकार आयत के कोनों की आकृति बदलें : कोने को नुकीला बनाने के लिए हरे रंग के डॉट को कोने की ओर ड्रैग करें या उसे अधिक गोलाकार करने के लिए डॉट को कोने से दूर ड्रैग करें।

स्टार पर बिंदुओं की संख्या बदलें : बिंदु जोड़ने के लिए बाहरी हरे डॉट को घड़ी की दिशा में ड्रैग करें या उन्हें हटाने के लिए घड़ी की उल्टी दिशा में ड्रैग करें। स्टार तीन और बीस बिंदुओं के बीच हो सकता है।

स्टार पर बिंदुओं की आकृति बदलें : बिंदुओं को लंबा और संकरा बनाने के लिए आंतरिक हरे रंग के डॉट को स्टार के केंद्र की ओर ड्रैग करें या बिंदुओं को छोटा और चौड़ा बनाने के लिए डॉट को केंद्र से दूर ड्रैग करें।

कॉलआउट या स्पीच बबल की आकृति बदलें : बबल की आकृति को बदलने के लिए हरे रंग के डॉट मुद्रा जोड़े की विभिन्न श्रेणियां हैं को बबल के मुख्य भाग पर ड्रैग करें। बिंदु की लंबाई और उसकी स्थिति को बदलने के लिए हरे रंग के डॉट को बिंदु के शीर्ष पर ड्रैग करें। बिंदु की चौड़ाई बदलने के लिए हर रंग के डॉट को बिंदु के आधार पर ड्रैग करें।

बहुभुज में भुजाओं की मुद्रा जोड़े की विभिन्न श्रेणियां हैं संख्याओं को बदलें : भुजाओं की संख्या को ऐडजस्ट करने के लिए हरे रंग के डॉट को घड़ी की दिशा में या घड़ी की मुद्रा जोड़े की विभिन्न श्रेणियां हैं विपरीत दिशा में ड्रैग करें।

तीरों के अनुपात को ऐडजस्ट करें : तीर के शीर्ष को कम गहरा बनाने के लिए हरे रंग के डॉट को तीर की नोक की ओर ड्रैग करें या तीरों के आगे के हिस्सों को मोटा बनाने के लिए डॉट को तीर के बग़ल के बिंदुओं की ओर ड्रैग करें।

आप आकृति के विशिष्ट मानों को बदलकर भी उसके फ़ीचर को संपादित कर सकते हैं, जैसे कि स्टार पर बिंदुओं की संख्या, गोलाकार आयत पर कोने की त्रिज्या, स्पीच बबल की दुम की चौड़ाई, आदि। पर टैप करें, “व्यवस्थित करें” पर टैप करें, फिर आप जिन फ़ीचर को बदलना चाहते हैं, उनके लिए नियंत्रणों का उपयोग करें या मानों पर टैप करें।

अनेक आकृतियों के साथ एक साथ काम करने के लिए किसी एक आकृति को टच और होल्ड करें, फिर दूसरी उँगली से अन्य आकृतियों पर टैप करें।

डिजिटल मुद्रा जल्द पेश करने पर विचार कर रहा रिजर्व बैंक: डिप्टी गवर्नर

नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि आरबीआई अपनी खुद की डिजिटल मुद्रा चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित करने की रणनीति पर काम कर रहा है और इसे पायलट आधार पर थोक तथा खुदरा क्षेत्रों में पेश करने की प्रक्रिया में है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) को लेकर सोच- विचार काफी आगे बढ़ चुका है और दुनिया के कई केंद्रीय बैंक इस संदर्भ में काम कर रहे हैं।

शंकर ने कहा कि सीबीडीसी के तहत उपभोक्ताओं को उन कुछ डिजिटल मुद्रा जोड़े की विभिन्न श्रेणियां हैं मुद्राओं में देखी गई ‘अस्थिरता के भयावह स्तर' से बचाने की आवश्यकता है, जिन्हें कोई सरकारी गारंटी प्राप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक सीबीडीसी की संभावना तलाशने में लगे हैं और कुछ देश इस प्रकार की धारणा पेश की है। उन्होंने ‘विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी' के ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि संभवत: सीबीडीसी को लेकर विचार क्रियान्वयन के करीब है।

उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्रालय द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति ने नीति और कानूनी ढांचे का परीक्षण किया है और देश में सीबीडीसी को डिजिटल मुद्रा के रूप में पेश करने की सिफारिश की है।

डिप्टी गवर्नर ने कहा, ‘‘अन्य केंद्रीय बैंकों की तरह आरबीआई भी काफी समय से सीबीडीसी की विभिन्न पहलुओं पर गौर कर रहा है।'' सामान्य तौर पर कुछ देशों ने विशिष्ट उद्देश्य के लिये सीबीडीसी को लागू किया है। उन्होंने कहा कि आरबीआई अपनी खुद की डिजिटल मुद्रा चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित करने की रणनीति पर काम कर रहा है और इसे इस रूप से लागू किया जा सकता है जिससे बैंक व्यवस्था और मौद्रिक नीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़े।

शंकर ने कहा, ‘‘. थोक और खुदरा क्षेत्रों में पायलट आधार पर इसे निकट भविष्य में लागू किया जा सकता है. ।'' डिप्टी गवर्नर ने कहा कि इसके लिये कानूनी बदलाव की जरूरत होगी क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत मौजूदा प्रावधान मुद्रा को भौतिक रूप से ध्यान में रखते हुए बनाये गये है। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप सिक्का अधिनियम, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में भी संशोधन की आवश्यकता होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘ये कुछ चीजें हैं जिन्हें हम आंतरिक रूप से देख रहे हैं।'' शंकर ने डिजिटल मुद्राओं से जुड़े कुछ जोखिम का भी जिक्र किया। जैसे दबाव की स्थिति में बैंक से पैसे को अचानक से निकाल लेना। उन्होंने कहा, ‘‘जोखिम जुड़े हैं लेकिन संभावित लाभों को देखते हुए उनका सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।''

राष्ट्रीय आय की परिभाषा दीजिए। राष्ट्रीय आय की गणना : की विधियाँ समझाइए।

Solution : राष्ट्रीय आय की परिभाषा (Definition of National Income)-विभिन्न अर्थशास्त्रियों के द्वारा राष्ट्रीय आय की दो परिभाषाओं में अंतर है। जैसे मार्शल (Marshal) के अनुसार, "किसी देश का श्रम तथा पूँजी, उसके । प्राकृतिक साधनों पर काम करते हुए, प्रत्येक वर्ष, भौतिक एवं अभौतिक तथा = समस्त प्रकार की सेवाओं का एक निश्चित विशुद्ध योग का उत्पादन करते । हैं। यह देश की वास्तविक विशद्ध वार्षिक आय अथवा राजस्व अथवा राष्ट्रीय लाभांश है।"
मार्शल की यह परिभाषा रुष्ट करती है कि राष्ट्रीय आय की गणना प्रत्येक 3 वर्ष की जाती है, देश में कुल उत्पादन अर्थात् वस्तुओं एवं सेवाओं में से पूँजीगत = मशीनों की टूट फूट, घिसाई व मरम्मत इत्यादि का व्यय घटाकर तथा विदेशी विनियोगों से प्राप्त विशुद्ध आय का योग विशुद्ध राष्ट्रीय आय कहलाती है। इसी = विशुद्ध राष्ट्रीय आय में उत्पादन के साधनों को हिस्सा मिलता है। स्पष्ट है राष्ट्रीय आय जितनी अधिक होगी उत्पादन के साधनों की पुरस्कार की राशि उतनी ही अधिक होगी।
पीगू (Pigou) के अनुसार, "समाज की वस्तुगत आय के उस भाग को जिसमें = निःसंदेह विदेशों से प्राप्त की गई आय भी सम्मिलित होती है, जिसे मुद्रा से - मापा जा सकता है।" सष्ट है कि राष्ट्रीय आय में पीगू के अनुसार, उन वस्तुओं अथवा सेवाओं को सम्मिलित किया जा सकता है जिन्हें मुद्रा में मापा जाता है, . अर्थात् जिन्हें मुद्रा में मापा नहीं जा सकता है, उन सेवाओं अथवा वस्तुओं के . उत्पादन को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है।
फीशर (Fisher) के शब्दों में, “वार्षिक विशुद्ध उत्पादन का वह भाग है जिसे । अर्थ के अंतर्गत उपभोग कर लिया जाता है, वास्तविक राष्ट्रीय आय कहलाती प्र है।" इस प्रकार फिशर को परिभाषा उपभोग पर आधारित है। फिशर ने उत्पादन , पर अपना ध्यान केन्द्रित नहीं किया है बल्कि अपना ध्यान उपभोग पर केन्द्रित किया है।
ऊपर दिये गये मार्शल, पीगू तथा फिशर की परिभाषाओं से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि सभी परिभाषाओं में कुछ-न-कुछ गुण के साथ दोष ये भी है। फिर भी तीनों परिभाषाओं में सबसे अधिक सबल तथा व्यावहारिक मार्शल की ही परिभाषा है। मार्शल कुल राष्ट्रीय आय की अपेक्षा शुद्ध राष्ट्रीय आय को आर्थिक विकास का सही मापदण्ड मानते हैं। दूसरी ओर पौगू भौतिक कल्याण की वृद्धि को आर्थिक प्रगति की माप मानते हैं। वाइनर (Viner), लेविस एडम स्मिथ (Adam Smith) आदि मुद्रा जोड़े की विभिन्न श्रेणियां हैं अर्थशास्त्रियों ने प्रति व्यक्ति आय को ही आर्थिक विकास का मापदण्ड माना है।
1. वस्तु सेवा रीति (Commodity-Service Method)-इस रीति के अंतर्गत एक वर्ष में सभी वस्तुओं एवं सेवाओं का शुद्ध मूल्य (Net Price) ज्ञात किया जाता है और उनका योग करके राष्ट्रीय आय प्राप्त की जाती है। प्रो. शूप के शब्दों में, योग को .अंतिम उत्पादन योग. (Final Products Total) भी कहा जाता है।
चूँकि, इस रीति में कुल उत्पादन का शुद्ध मूल्य ज्ञात किया जाता है इसलिए इनको .कुल उत्पादन रीति. (Total Product Method) भी कहते हैं दुसरे शब्द में इसे एक वर्ष में, .वस्तुओं और सेवाओं के प्रवाह की रीति. (Flow of goods and sservice method) भी कहते हैं।
इस रीति द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना के लिए देश की सभी प्रकार की उत्पत्ति तथा व्यापार से संबंधित आँकड़ों की सहायता ली जाती है।
2. आय-प्राप्ति रीति (Income-Retained Method)-इस रीति के अंतर्गत एक वर्ष में व्यक्तियों तथा व्यवसायिक उपक्रमों (Enterprises) द्वारा प्राप्त विशुद्ध आयों को ज्ञात किया जाता है और उनका योग प्राप्त करके राष्ट्रीय आय प्राप्त की जाती है। दूसरे शब्दों में, देश के सभी व्यक्तियों द्वारा प्राप्त मजदूरी, वेतन, लाभ, व्याज, लगान इत्यादि का योग करके राष्ट्रीय आय प्राप्त की जाती है। प्रो. शूप इस योग को .साधन-भुगतान योग. (Factor Payment Total) कहते हैं।
चूँकि, इसमें सभी साधनों की आय को जोड़ा जाता है इसलिए इस रीति को .भुगतान प्राप्त रीति. (Payment receipt method) कहते हैं। दूसरे शब्दों में, इसमें एक वर्ष में साधनों की आयों के प्रवाह (Flow of eaming factors) का प्रयोग किया जाता है, इसलिए इस रीति को .आय प्रवाह रीति. (Earning flow method) भी कहा जाता है। इस रीति को आय-संगणना रीति (Census of income method) के नाम से भी पुकारते हैं। उच्च आय प्राप्त करने वाले व्यक्तियों की आय के आँकड़े तो आयकर विभाग से प्राप्त कर लिए जाते हैं। शेष व्यक्तियों की आय के आंकड़ों को जनसंख्या रिपोर्ट (Census reports) तथा अन्य विशिष्ट प्रकार की रिमोटों तथा अन्य स्रोतों से प्राप्त किया जाता है।
3. उपभोग बचत रीति (Consumption Saving Method)-अपनी आय का एक भाग लोग व्यय करते है तथा शेष बचत के रूप में रखते हैं। अत: किसी देश के समस्त व्यक्तियों का कुल व्यय तथा उनकी कुल बचत दोनों मिलाकर देश की कुल आय के बराबर होंगी। इसी तथ्य पर राष्ट्रीय आय मापने को यह रीति आधारित है। अत: इस रीति के अंतर्गत एक वर्ष में कुल उपभोग व्यय तथा कुल बचत को ज्ञात किया जाता है और उनका योग करके राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है।
कुल बचत कुल विनियोग के बराबर होती है। इसलिए इस रीति को .उपभोग-विनियोग रीति. (Consumption inexestiment method) या केवल .व्यय रीति. (Expenditure Method) भी कहते हैं।
इस रीति की मुख्य कठिनाई यह है कि न केवल अविकसित देशों बल्कि विकसित देशों में भी उपभोक्ताओं के व्ययों तथा बचतों के विश्वसनीय आँकड़े प्राप्त नहीं है और इस प्रकार इस रीति का व्यावहारिक महत्त्व बहुत कम हो जाता है।
निष्कर्ष-व्यवहार में .उपभोग बचत रीति. का प्रयोग नहीं हो पाता है, क्योंकि उपभोग व्ययों और बचतों के आँकड़े प्राप्त नहीं होते हैं। अन्य दोनों रीतियों का राष्ट्रीय आय गणना में प्रयोग किया जाता है, क्योंकि इसके लिए आँकड़ें सभी देशों में सुगमता से प्रापत रहते हैं।

बिजनेस::अक्टूबर में ईएसआईसी योजना से 11.82 लाख नए सदस्य जुड़े

नई दिल्ली, एजेंसी। कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) की तरफ से संचालित सामाजिक.

बिजनेस::अक्टूबर में ईएसआईसी योजना से 11.82 लाख नए सदस्य जुड़े

कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) की तरफ से संचालित सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत अक्टूबर 2022 में लगभग 11.82 लाख नए सदस्य जोड़े गए। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक ईएसआईसी में कुल नए नामांकन वित्त वर्ष 2021-22 में 1.49 करोड़ हो गए जबकि वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा 1.15 करोड़ था। वहीं 2019-20 में यह संख्या 1.51 करोड़ और 2018-19 में 1.49 करोड़ थी।

एनएसओ की यह रिपोर्ट ईएसआईसी, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) और पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा संचालित विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के नए अंशधारकों के पेरोल डेटा के आधार पर तैयार की गई है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2022 में ईपीएफओ के साथ 12.94 लाख शुद्ध नए नामांकन हुए।

MQ-9 ड्रोन खरीद सकता है भारत, अल-कायदा चीफ अयमान अल-जवाहिरी को किया था ढेर

Defence News: खबर है कि भारत MQ-9 रीपर ड्रोन्स हासिल करने के लिए अमेरिका के साथ बिलियन डॉलर डील कर सकता है। ये ड्रोन्स हंटर किलर अनमैन्ड एरियल व्हीकल्स यानी UAV की श्रेणी में आते हैं।

MQ-9 ड्रोन खरीद सकता है भारत, अल-कायदा चीफ अयमान अल-जवाहिरी को किया था ढेर

MQ-9 रीपर, कहा जाता है कि अमेरिका के इसी घातक ड्रोन ने आतंकवादी संगठन अल-कायदा प्रमुख अयमान अल जवाहिरी को ढेर किया था। अब खबर है कि भारत भी तीनों सैन्य सेवाओं के लिए ये ड्रोन्स हासिल करने की तैयारी कर रहा है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसे लेकर कुछ नहीं कहा गया है। साल 2017 में भारतीय नौसेना इन ड्रोन्स को दो साल के लिए लीज पर ले चुकी है।

खबर है कि भारत MQ-9 रीपर ड्रोन्स हासिल करने के लिए अमेरिका के साथ बिलियन डॉलर डील कर सकता है। ये ड्रोन्स हंटर किलर अनमैन्ड एरियल व्हीकल्स यानी UAV की श्रेणी में आते हैं। लेजर गाइडेड हेलफायर मिसाइल का इस्तेमाल करने वाले इन ड्रोन्स को सबसे घातक माना जाता है। जवाहिरी को अगस्त में मार गिराया गया था।

एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि गुरुवार को होने वाली डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) की बैठक में चर्चा के लिए ड्रोन की खरीदी से जुड़े मुद्रा जोड़े की विभिन्न श्रेणियां हैं प्रस्ताव को भी शामिल किया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस परिषद के प्रमुख हैं। साथ ही इसमें रक्षा मंत्रालय के जूनियर मंत्री, तीनों सेनाओं के प्रमुख, रक्षा सचिव और कई शीर्ष अधिकारी भी इसके सदस्य हैं।

इस ड्रोन का इस्तेमाल निगरानी करने, खुफिया जानकारी जुटाने और सटीक हमलों के लिए किया जाता है। इसे ग्राउंड स्टेशन और तैरते जहाज से भी नियंत्रित किया जा सकता है। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि सरकार हर एक सेवा के लिए 10-10 यानी कुल 30 MQ-9 रीपर ड्रोन्स हासिल करने की योजना है।

ड्रोन के बारे में समझते हैं
MQ-9 रीपर ड्रोन्स का निर्माण जनरल एटॉमिक्स ने किया है। भारत अमेरिका से ये ड्रोन्स सैन्य खरीदी के जरिए करेगा। इस व्यवस्था का इस्तेमाल अमेरिका सरकारों के बीच सौदे के लिए करता है। रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया है कि भारत ने इसके दूसरे विकल्प भी देखे, लेकिन खूबियों के लिहाज से MQ-9 रीपर ड्रोन्स के आसपास कोई नहीं टिका।

कहा जा रहा है कि इन ड्रोन्स को लेकर चर्चाएं भारत में जारी थी, लेकिन स्थानीय निर्माण की गुंजाइश नहीं होने के चलते इसे DAC के सामने नहीं लाया गया था। इसे अलावा ज्यादा कीमत होना भी इसका बड़ा कारण था।

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