इसी तरह का आदेश पूर्वांचल के संतकबीर नगर जिले में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अपने खंड शिक्षा अधिकारी को दिया है। जिसके अंतर्गत खलीलाबाद मंडी संकट में क्या व्यापार करें में बने भंडारण केंद्र में प्रति अधिकारी कर्मचारी न्यूनतम 1 क्विंटल भूसा दान करने को कहा गया है।
संकट में क्या व्यापार करें
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले की एक गौशाला। फोटो : अमन गुप्ता
पशुओं का मुख्य चारा भूसा पिछले साल लगभग तिगुने दाम पर बिक रहा है। यूपी समेत पूरे उत्तर भारत में गेहूं की कम पैदावार के चलते भूसा भी कम पैदा हुआ है, ऐसे में दाम बढ गए हैं। भूसे की किल्लत को देखते प्रदेश में निराश्रित गोवंश के लिए भूसा दान अभियान के जरिए भूसा एकत्र किया जा रहा है। इसके अलावा सरकार ने साल मौजूदा संकट में क्या व्यापार करें बजट में निराश्रित गोवंश के भरण पोषण के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।
फिरोजाबाद के उरांव ब्लॉक के खंड शिक्षा अधिकारी ने अपने सुंकल शिक्षकों के लिए जारी आदेश में कहा कि जनपद में संचालित गौआश्रम स्थलों में संरक्षित गोवंश के पूरे साल के भरण पोषण के लिए 70000 क्विंटल भूसे की जरुरत है। ऐसे में उनसे (एक संकुल शिक्षक के अंतर्गत कई ग्राम पंचायतों के लिए प्राथमिक स्कूल हो सकते हैं) अपेक्षा की जाती है कि वो अपने क्षेत्र में भ्रमण के दौरन क्षेत्रीय जनता को प्रेरित कर विभाग के लिए निर्धारित गोवंश आश्रय स्थल उखरेंड के लिए 200 क्विंटल भूसा दान कराएं।
ब्रिटेन का संकट
सांकेतिक फोटो।
विकसित देशों का आयकर नीति पर तो याद नहीं पड़ता कभी किसी के नीतियों पर हस्तक्षेप किया हो। मगर अपनी तरह के एक अभूतपूर्व फैसले में आइएमएफ ने ब्रिटेन में नवनियुक्त पीएम लीज ट्रस के आयकर में कटौती नीति की जमकर आलोचना की है। आइएमएफ ने चेतावनी दी कि आयकर की शीर्ष 45 फीसद दर को खत्म करने से असमानता और भी बदतर होगी। वित्त मंत्री क्वार्टेंग ने निगमित कर की मूल दर को 20 फीसद से घटाकर 19 फीसद करने, स्टांप शुल्क में कमी और राष्ट्रीय बीमा और निगम कर में वृद्धि को उलटने की भी घोषणा की है।
अर्थशास्त्री चिंतित हैं कि ट्रेजरी खर्च में कटौती करने के बजाय उधार के माध्यम से स्थायी कर कटौती कर रहा है। इससे ब्रिटेन का वित्तीय घाटा और बढ़ेगा। सरकार कर्ज तले दबती चली जाएगी। जिन उद्देश्यों को सामने रख कर यह सब किया आ रहा है, वह दरअसल देश के अमीर तबके को और अमीर बनाने की रणनीति प्रतीत हो रही है। कारपोरेट टैक्स का कटौती से होने वाले फायदे को वहां का व्यापारी वर्ग अपने व्यापार बढ़ाने में खर्च नहीं करेगा। उसे मालूम है विश्व संभावित आर्थिक मंदी के मुहाने पर खड़ा है। इसलिए लीज ट्रस के समर्थक भले ही इसे आर्थिक सुधार की संज्ञा दें रहे हों, पर ऐसा लगता है यह ‘ग्रेट ब्रिटेन’ को ‘कमजोर ब्रिटेन’ बना देगा।
जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर
विश्व इतिहास में सबसे बड़ी महामंदी कब, कहाँ और क्यों आई थी?
वर्ष 1929 में शुरू हुई महामंदी के आने से पहले विश्व के उद्योगपतियों की धारणा यह थी कि “पूर्ती अपनी मांग स्वयं पैदा कर लेती है”. इसी विचारधारा के कारण उद्योगपतियों ने उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दिया उसकी बिक्री पर नहीं. एक समय ऐसा आ गया कि बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की पूर्ती ज्यादा हो गयी और मांग कम. इसी कारण पूरा विश्व महामंदी की चपेट में आ गया था.
वर्ष 1930 की आर्थिक महामंदी इस दुनिया की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक मानी जाती है. इसे तीसा की मंदी भी कहा जाता है. इस घटना ने पूरी दुनिया में क्लासिकल अर्थशास्त्रियों की आर्थिक मान्यताओं को ख़त्म कर दिया था. इस मंदी के आने से पहले विश्व के उद्योगपतियों की धारणा यह थी कि “पूर्ती अपनी मांग स्वयं पैदा कर लेती है”. इसलिए सभी लोग केवल उत्पादन पर ध्यान देते थे इस उत्पादन की मांग की फ़िक्र इन लोगों को नहीं थी. इसी विचारधारा के कारण उद्योगपतियों ने उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दिया उसकी बिक्री पर नहीं. इसी कारण पूरा विश्व महामंदी की चपेट में आ गया था.
बिजनेस::अगले साल प्रभावित हो सकता है देश का निर्यात
हिन्दुस्तान 16 घंटे पहले हिन्दुस्तान टीम
भारत का निर्यात भले ही वित्त वर्ष 2021-22 में 422 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर को छू गया हो, लेकिन प्रमुख पश्चिमी बाजारों में 'मंदी' और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण संकट में क्या व्यापार करें भू-राजनीतिक संकट की छाया अगले साल यानी 2023 में देश के निर्यात को प्रभावित कर सकती है।
राजनीतिक स्थिरता, माल की आवाजाही, कंटेनरों और शिपिंग लाइनों की पर्याप्त उपलब्धता, मांग, स्थिर मुद्रा और सुचारू बैंकिंग प्रणाली जैसे सभी वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने वाले कारक अब बिखर रहे हैं। संकट को बढ़ाते हुए, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका जैसे देशों में कोविड महामारी के मामले फिर से बढ़ने लगे हैं।
Sakat Chauth 2023: सकट चौथ के दिन करें ये उपाय, सारी मनोकामनाएं होंगी पूर्ण
Sakat Chauth 2023 : धार्मिक मान्यता के अनुसार सकट चौथ का विशेष महत्व है. सकट चौथ एक ऐसा व्रत है, जिसे सभी महिलाओं बड़े ही इच्छा से रखती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल संकट में क्या व्यापार करें माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ मनाने की परंपरा है. कहते हैं, जो व्यक्ति सकट चौथ का व्रत रखता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और उनके जीवन में कभी कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा विशेष रुप से की जाती है. तो आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि सकट चौथ व्रत का महत्व क्या है,शुभ मुहूर्त क्या है, पूजा विधि क्या है, किन उपायों को करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.
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