Sovereign Gold Bond: क्या आपको इस गोल्ड स्कीम में निवेश करना चाहिए?
इनवेस्टर्स को बॉन्ड 30 अगस्त को जारी कर दिए जाएंगे। ये बॉन्ड 8 साल में मैच्योर होंगे। पांच साल के बाद इनवेस्टर के पास इंटरेस्ट पेमेंट की तारीख पर इसे सरेंडर करने का ऑप्शन होगा
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) स्कीम निवेश के लिए 22 अगस्त (सोमवार) को खुल गई है। यह इस फाइनेंशियल ईयर (2022-23) का एसजीबी का दूसरा इश्यू है। इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड की कीमतों में गिरावट आई है। इसके बावजूद गोल्ड में निवेश की अहमियत कम नहीं हुई है। विकसित देशों में मंदी का आशंका, हाई इनफ्लेशन और इंटरेस्ट रेट में वृद्धि को देखते हुए सोने में निवेश का महत्व बढ़ गया है।
26 अगस्त तक किया जा सकता है निवेश
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में 26 अगस्त (शुक्रवार) तक निवेश किया जा सकता है। इनवेस्टर्स को बॉन्ड 30 अगस्त को जारी कर दिए जाएंगे। ये बॉन्ड 8 साल में मैच्योर होंगे। पांच साल के बाद इनवेस्टर के पास इंटरेस्ट पेमेंट की तारीख पर इसे सरेंडर करने का ऑप्शन होगा।
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हर बॉन्ड का मूल्य एक ग्राम सोने के बराबर
हर बॉन्ड एक ग्राम गोल्ड के प्राइस को ट्रैक करेगा। इनवेस्टर को ये बॉन्ड 5,197 रुपये की दर से जारी किए जाएंगे। डिजिटल तरीके से पेमेंट करने पर प्रति ग्राम 50 रुपये का डिस्काउंट मिलेगा। इस बॉन्ड पर सालाना 2.5 फीसदी इंटरेस्ट मिलेगा। इंटरेस्ट का पेमेंट हर छह महीने पर होगा।
इंटरेस्ट अमाउंट पर टैक्स चुकाना होगा
इनवेस्टर को बॉन्ड से मिलने वाले इंटरेस्ट पर टैक्स चुकाना होगा। रिडेम्प्शन के समय सोने की बाजार में जो कीमत होगी, उसके हिसाब से इनवेस्टर को बतौर मैच्योरिटी वैल्यू पेमेंट कर दी जाएगी। मैच्योरिटी तक बॉन्ड को रखने पर इनवेस्टर को किसी तरह का कैपिटल गेंस टैक्स नहीं चुकाना होगा। चूंकि इस बॉन्ड की ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंजों पर होगी, जिससे इनवेस्टर के पास इसे बेचने का विकल्प होगा।
सोने की कीमतों में आई है गिरावट
सॉवरेन गारंटी और साल में दो बार इंटरेस्ट का पेमेंट SGB को इनवेस्टमेंट का अट्रैक्टिव ऑप्शन बनाते हैं। लेकिन, इनवेस्टर्स को याद रखना होगा कि इसका अंडरलाइंग एसेट गोल्ड है। गोल्ड की कीमतों में गिरावट आई है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद 8 मार्च को गोल्ड का प्राइस 54,150 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया था। तब इनवेस्टर्स इस युद्ध के अंजाम को लेकर चिंतित थे। उसके बाद से सोने की कीमतों में गिरावट का रुख है।
ब्रोकरेज फर्म प्रभुदास लीलाधर के कमोडिटी एवं करेंसी रिसर्च एनालिस्ट मेघ मोदी ने कहा कि एमसीएक्स पर सोने का प्राइस 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के नीचे जा सकता है। यह 48,500 रुपये तक भी जा सकता है। अगले एक साल में सोने का प्राइस 48,500 से 52,500 रुपये के दायरे में रहने की उम्मीद है।
क्या आपको इस स्कीम में इनवेस्ट करना चाहिए?
SGB गोल्ड क्या आपको निवेश करना चाहिए? से जुड़ा एकमात्र इस्ट्रूमेंट है, जो अच्छी तरह से रेगुलेटेड है। साथ ही इसमें इनवेस्टर को रेगुलर इंटरेस्ट मिलता है। दूसरा, इसे सरकार का सपोर्ट हासिल है। फाइनेंशियल प्लानिंग फर्म गोल्डब्रिज की फाउंडर रोशनी नायक ने कहा, "अगर इनवेस्टर लंबी अवधि में सोने में निवेश करना चाहता है तो एसजीबी निवेश का अच्छा ऑप्शन है। टैक्स-फ्री गेंस के लिए इनवेस्टर को इससे मैच्योरिटी तक अपने पास रखना चाहिए।"
अगर इनवेस्टर गोल्ड में निवेश करना चाहता है लेकिन वह पांच साल से कम अवधि के लिए पैसे लगाना चाहता है तो उसे गोल्ड ईटीएफ या गोल्ड सेविंग्स फंड में इनवेस्ट करना चाहिए। गोल्ड में पोर्टफोलियो का क्या आपको निवेश करना चाहिए? 5 से 10 फीसदी हिस्से का निवेश किया जा सकता है। यह पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन में भी हेल्पफुल है।
MoneyControl News
First Published: Aug 23, 2022 11:31 AM
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Mutual Fund investment: आज खुला एलआईसी मल्टी-कैप फंड, क्या आपको करना चाहिए निवेश?
LIC Multi-cap Fund: इंडियन इन्वेस्टर्स फंडरेशन के रजत धर का कहना है कि ब्याज दरें अब अपने शिखर पर नजर आ रही है। अगर अगले साल इनमें गिरावट होती है तो मिड और स्मॉलकैप स्टॉक्स को इसका सबसे ज्यादा फायदा होगा। ऐसे में मल्टीकैप स्कीमों में निवेश एक बेहतर रणनीति होगी
31 अगस्त 2022 तक मल्टीकैप फंडों ने अपने फंड का 42 फीसदी हिस्सा लॉर्जकैप में, 27 फीसदी हिस्सा मिडकैप में और 26 फीसदी हिस्सा स्मॉलकैप फंड में इन्वेस्ट किया है
एलआईसी म्यूचुअल फंड ने एक नया फंड ऑफर (NFO) एलआईसी मल्टी-कैप फंड (LMCF) लॉन्च किया है। यह एलआईसी म्यूचुअल फंड द्वारा कैलेंडर ईयर 2022 में लॉन्च की गई दूसरी स्कीम है। इसके पहले इसी साल एलआईसी म्यूचुअल फंड ने एक मनीमार्केट फंड लॉन्च किया था। इन दोनों स्कीमों की लॉन्चिग का लक्ष्य प्रोडक्ट बकेट को पूरा करना है।
LMCF एक ओपन-एंडेड स्कीम है जो इक्विटी और इक्विटी से जुड़ी सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट करेगी। इस स्कीम के तहत 25 फीसदी पैसे का निवेश, लॉर्ज, मिड और स्मॉलकैप स्टॉक्स में किया जाएगा। जबकि 25 फीसदी पैसे का निवेश फंड मैनेजर के विवेक पर निर्भर करेगा। यह इस स्कीम का बेंचमार्क निफ्टी 500 मल्टीकैप 50:25:25 टोटल रिटर्न इंडेक्स होगा। यह एनएफओ 20 अक्टूबर को क्लोज होगा। एलआईसी म्यूचुअल फंड के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर योगेश पाटिल इस फंड का मैनेजमेंट करेंगे।
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रेगुलेटरी नियमों के तहत इस स्कीम में लॉर्ज, मिड और स्मॉलकैप स्टॉक्स में निवेश किया जाएगा और यह सुनिश्चित करने की कोशिश होगी कि यह स्कीम फ्लेक्सी कैप स्कीमों की तुलना में बेहतर रिटर्न दे। बतातें चलें कि इस साल 3 अक्टूबर 2022 तक मल्टीकैप फंडों ने 0.4 फीसदी का रिटर्न दिया है। जबकि इसी अवधि में फ्लेक्सी-कैप फंडों में 2.4 फीसदी का निगेटिव रिटर्न देखने को मिला है। यह आंकड़े ACE MF पर आधारित हैं।
31 अगस्त 2022 तक मल्टीकैप फंडों ने अपने फंड का 42 फीसदी हिस्सा लॉर्जकैप में, 27 फीसदी हिस्सा मिडकैप में और 26 फीसदी हिस्सा स्मॉलकैप फंड में इन्वेस्ट किया है। जबकि इसी अवधि में फ्लेक्सी-कैप फंडों ने लॉर्ज कैप में 65 फीसदी, मिडकैप में 18 फीसदी और स्मॉलकैप 11 फीसदी का निवेश किया है। ऐसे में साफ है कि जो निवेशक मिड और स्मॉलकैप स्टॉक्स क्या आपको निवेश करना चाहिए? में ज्यादा निवेश करना चाहते हैं उनके लिए मल्टीकैप फंड ज्यादा बेहतर हैं।
मुंबई स्थित प्लान रूपी इन्वेस्टमेंट सर्विसेज (Plan Rupee Investment Services) के अमोल जोशी का कहना है कि “ चूंकि मल्टीकैप स्कीम लॉर्ज, मिड और स्मॉलकैप स्टॉक्स में अपने फंड का निम्नतम 25 फीसदी हिस्सा लगाती हैं ऐसे में इस तरह के फंड निवेशकों के इक्विटी पोर्टफोलियो में अच्छी हिस्सेदारी के हकदार हो सकते हैं।
इसी तरह इंडियन इन्वेस्टर्स फंडरेशन के रजत धर का कहना है कि ब्याज दरें अब अपने शिखर पर नजर आ रही है। अगर अगले साल इनमें गिरावट होती है तो मिड और स्मॉलकैप स्टॉक्स को इसका सबसे ज्यादा फायदा होगा। ऐसे में मल्टीकैप स्कीमों में निवेश एक बेहतर रणनीति होगी। उन्होंने आगे कहा कि जो कम से कम 5 साल के नजरिए से निवेश करना चाहते हैं उनके लिए मल्टीकैप फंड काफी अच्छे साबित हो सकते हैं।
जानकारों का कहना है कि एलआईसी म्यूचुअल फंड के इस मल्टीकैप फंड में निवेश करने के पहले इसके ट्रैक रिकॉर्ड के बनने का इंतजार करें। अमोल जोशी का कहना है कि ऐसे में फिलहाल आप ऐसे म्यूचुअल फंड स्कीमों के साथ बने रहें जिनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है।
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Sudhanshu Dubey
Tags: # share markets
First Published: Oct 06, 2022 11:16 AM
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इन म्यूचुअल फंडों ने दिया सबसे ज्यादा रिटर्न, क्या आपको निवेश करना चाहिए?
इन्होंने पिछले एक महीने में शानदार रिटर्न दिए हैं. इन तीनों कैटेगरी के फंडों में तेजी के अलग-अलग कारण हैं. लेकिन, निकट भविष्य में इन तीनों का आउटलुक पॉजिटिव है.
आइए, इन तीनों कैटेगरी की टॉप स्कीमों के बारे में जानते हैं. लेकिन, इसके पहले यह समझते हैं कि इनमें तेजी की क्या वजह है. शुरुआत करते हैं बैंकिंग सेक्टर फंडों से. पिछले काफी समय से इनका प्रदर्शन कमजोर था. बीते हफ्ते भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के शेयरों में एक दिन में 36 फीसदी तेजी ने बैंकिंग फंड सहित इक्विटी म्यूचुअल फंडों को हवा दी. इन्होंने एसबीआई में निवेश किया हुआ था. इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिसंबर तिमाही में कंपनियों के मजबूत नतीजे और कम एनपीए बैंकिंग सेक्टर के लिए अच्छे साबित हुए हैं.
बैंकिंग सेक्टर फंडों में टॉपर
स्कीम | एक महीने का रिटर्न (%) |
निप्पॉन इंडिया बैंकिंग फंड | 10.87 |
यूटीआई बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज फंड | 9.69 |
मिराए एसेट बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज फंड | 9.16 |
अब चलते हैं जनवरी में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली दूसरी कैटेगरी पर. इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर म्यूचुअल फंड शामिल हैं. तीन साल से अधिक समय से इस कैटेगरी का प्रदर्शन फीका था. लेकिन, दोबारा यह सेक्टर फोकस में आया है. इसका श्रेय सरकार की नीतियों को जाता है. मार्केट एक्सपर्ट्स कहते हैं कि निकट भविष्य में इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर का आउटलुक पॉजिटिव है. हालांकि, इस सेक्टर में ढेर सारे वैरिएबल हैं. यह इससे अत्यधिक जोखिम वाला बनाते हैं.
इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर फंड | एक महीने का रिटर्न (%) |
यूटीआई इंफ्रास्ट्रक्चर फंड | 12.38 |
आईडीएफसी इंफ्रास्ट्रक्चर फंड | 11.35 |
केनरा रोबेको इंफ्रास्ट्रक्चर फंड | 11.17 |
लैडर7 फाइनेंशियल एडवाइजरीज के संस्थापक सुरेश सदगोपन कहते हैं कि छोटे निवेशकों को बैंकिंग और इंफ्रा फंडों के बजाय डायवर्सिफाइड फंडों के बारे में विचार करना चाहिए. डायवर्सिफाइड फंडों का एलोकेशन विभिन्न सेक्टरों में होता है. अगर आप जानते हों तो बता दें कि ज्यादातर डायवर्सिफाइड फंडों का बीएफएसआई (बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज, इंश्योरेंस) सेगमेंट में करीब 35 फीसदी निवेश है. ऐसे में बैंकिंग फंड या इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में निवेश करने की इच्छा है तो बेहतर होगा कि अच्छे डायवर्सिफाइड फंड में निवेश करें.
अब बात करते हैं कि तीसरी बेस्ट कैटेगरी यानी वैल्यू फंडों की. लंबे समय के कमजोर प्रदर्शन के बाद इन्होंने आखिरकार वापसी की है. बीते एक महीने में इन्होंने अपने प्रदर्शन से चौंकाया है.
वैल्यू फंड | एक महीने का रिटर्न (%) |
टेम्पलटन इंडिया वैल्यू फंड | 12.66 |
जेएम वैल्यू क्या आपको निवेश करना चाहिए? फंड | 7.02 |
यूनियन वैल्यू डिस्कवरी फंड | 6.69 |
सुरेश सदगोपन कहते हैं, ''अगर आप वैल्यू फंड में निवेश करना चाहते हैं तो सुनिश्चित कर लें कि आपके पास निवेश की लंबी अवधि हो. वैल्यू फंडों को उलटफेर करने में लंबा समय लगता है. ऐसे में इसे पोर्टफोलियो का कोर हिस्सा होना चाहिए.''
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NFO क्या है? क्या आपको इसमें निवेश करना चाहिए, जानें क्या है सही स्ट्रैटजी
NFO को बहुत सारे निवेशक IPO जैसा ही समझते हैं. उन्हें लगता है कि जिस तरह शेयरों की डिमांड बढ़ने पर फायदा होता है, वैसा ही फंड में भी होगा. लेकिन हकीकत इससे काफी अलग है.
न्यू फंड ऑफर यानी NFO में निवेश से पहले इन्हेें ठीक से परख लें.
एनएफओ (NFO) यानी न्यू फंड ऑफर. जब भी कोई म्यूचुअल फंड कंपनी एनएफओ लॉन्च करती है तो इसका जबरदस्त प्रचार किया जाता है. चैनलों और अखबारों में फंड मैनेजरों के इंटरव्यू आते हैं, जिनमें न्यू फंड की निवेश स्ट्रैटजी बताई जाती है. इसकी खूबियां गिनाई जाती हैं. ऐसा माहौल बनाया जाता है कि म्यूचुअल फंड ग्राहकों ने इसमें पैसा लगाया तो जबरदस्त मुनाफा कमा सकते हैं. लेकिन क्या यह सच है? क्या एनएफओ में फंड निवेशकों को निवेश करना चाहिए?
इस सवाल से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर न्यू फंड ऑफर यानी NFO है क्या? दरअसल, जब भी कोई एसेट मैनेजमेंट कंपनी ( AMC) कोई नया फंड लॉन्च करती है तो यह सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही खुला होता है. फंड पोर्टफोलियो के लिए शेयर खरीदना इसका मकसद होता है और इसलिए इसके जरिये पैसा जुटाया जाता है. एक तरह से एक नए फंड की शुरुआत करने के लिए पैसा जुटाया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को न्यू फंड ऑफर कहा जाता है.
कई मायनों में यह आईपीओ जैसा लगता है लेकिन यह वैसा नहीं होता. मौजूदा नियमों के मुताबिक भारत में एनएफओ की अवधि 3 से 15 दिनों तक होती है. अगर फंड ओपन एंडेड है तो इसके कुछ दिनों बाद इसमें निवेश शुरू हो जाता है. अगर क्लोज एंडेड है तो निवेशक एनएफओ पीरियड के दौरान इसे सब्सक्राइव कर सकता है लेकिन उसे इस दौरान होल्ड किए रखना होगा. अब सवाल यह है कि आपको एनएफओ में निवेश करना चाहिए या नहीं. ज्यादातर एक्सपर्ट्स आम म्यूचुअल फंड निवेशकों को इसमें निवेश करने की सलाह नहीं देते हैं. आखिर क्यों? इसकी कुछ वजहें इस तरह हैं-
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कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं
चूंकि यह फंड नया होता है इसलिए इसका कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं होता है, जिसे देख कर हम निवेश का फैसला कर सकें. इसलिए ज्यादातर निवेशक फंड हाउस के पिछले प्रदर्शन को देख कर इसके एनएफओ में निवेश करते हैं. लेकिन यह सही रणनीति नहीं है. क्योंकि नई निवेश रणनीति के सामने नई चुनौतियां होती हैं और आपको पता नहीं होता कि यह फंड कामयाब होगा क्या आपको निवेश करना चाहिए? या नहीं. इसलिए हमेशा ऐसे फंड में निवेश करना बेहतर होता है, जिसका मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड हो.
एनएफओ,आईपीओ नहीं है
एनएफओ, आईपीओ की तरह लगता है क्या आपको निवेश करना चाहिए? लेकिन लेकिन यह इसकी तरह नहीं होता. बहुत सारे निवेशक इसे आईपीओ जैसा समझते हैं और उन्हें लगता है कि जिस तरह शेयरों में डिमांड बढ़ने पर उन्हें फायदा होता है, वैसा ही इसमें भी ऐसा होगा. लेकिन ऐसा नहीं है. म्यूचअल फंड के एनएवी पर डिमांड और सप्लाई के नियम का कोई असर नहीं होता. किसी म्यूचुअल फंड में कितने यूनिट्स होंगे यह तय नहीं होता. यूनिट्स जरूरत पड़ने पर बना ली जाती हैं.
ऊंची लागत
हर फंड का एक एक्सपेंस रेश्यो होता है. ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो का मतलब यह है कि आप अपने फंड को मैनेज करने के लिए ज्यादा पैसा दे रहे हैं. जाहिर है इससे आपका रिटर्न घटेगा. भारत में रेगुलेशन नियमों के मुताबिक छोटे एयूएम (एसेट अंडर मैनेजमेंट) वाले फंड ज्यादा एक्सपेंस चार्ज वसूल कर सकते हैं. एनएफओ जब लॉन्च होता है तो आमतौर पर इसका एयूएम छोटा होता है . इसलिए इसका एक्सपेंस चार्ज ज्यादा होने की संभावना रहती है. इसलिए यह महंगा होता है.
लॉन्चिंग टाइम
अगर कोई एनएफओ किसी खास वक्त लॉन्च हुआ है तो जरूरी नहीं है कि इसमें निवेश का यही सही वक्त है. एएमसी अपने प्रोडक्ट बास्केट को बड़ा करने या पूरा करने के लिए भी एनएफओ लाते हैं. इसलिए एनएफओ लॉन्च हुआ है इसलिए इसमें निवेश करना है, यह ठीक रणनीति नहीं है.
कुल मिला कर , एनएफओ में निवेश अंधेरे में तीर चलाने जैसा है. इसलिए अनिश्चितता की बजाय ऐसे फंड्स में निवेश करें जिसका एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड हो. अगर एनएफओ कुछ खास हो और आपके पोर्टफोलियो के हिसाब से यह फिट बैठ रहा है तो थोड़ा इंतजार करके देखें कि क्या इसकी थीम और निवेश रणनीति बताए गए मकसद के लिए मुफीद है.
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