विक्षनरी : नेपाली हिन्दी शब्दकोश

नेपाली नेपाल की राष्ट्रभाषा है और भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित भाषाओं में से एक है। इसे “खस कुरा,” “खस भाषा” या “गोरखा भाषा” भी कहते हैं तथा कुछ संदर्भों में “गोरखाली” एवं “पर्वते कुरा” भी। खस भाषा और नेपाल भाषा नेपाल की राष्ट्रीय भाषाएँ हैं। यह भाषा नेपाल की लगभग ४५% जनसंख्या की मातृभाषा भी है। यह भाषा नेपाल के अतिरिक्त भारत के सिक्किम, पश्चिम बंगाल, असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय तथा उत्तराखंड के अनेक भारतीय लोगों की मातृभाषा है। भूटान, तिब्बत और म्यानमार में भी नेपाली भाषा बोलने वाले लोगों की छोटी समुदाय हैं।

Share Market Crash: भारतीय निवेशकों को 1 दिन में किसने लगाया 6 लाख करोड़ का चूना

Share Market Crash: अमेरिका में बढ़ती महंगाई और US FED द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना ने डर पैदा किया है.

भारतीय शेयर मार्केट (Share Market Crash) के आज खुलते ही हाहाकार मच गया. सेंसेक्स और निफ्टी लाल निशान में खुले. सोमवार, 13 जून को BSE के सेंसेक्स (Sensex) में 1456 अंकों की गिरावट दर्ज हुई और यह 52,846 पर आकर बंद हुआ यानि 2.5% से ज्यादा की गिरावट. उधर निफ्टी (Nifty) का हाल भी बुरा रहा. 400 से ज्यादा अंको की गिरावट के साथ खुला और 15700 के आसपास कारोबार करते हुए ये बंद हुआ. इधर भी 2.5% से ज्यादा की गिरावट. यहां तक कि निफ्टी मिड और स्मॉल कैप में भी 3% की गिरावट हुई.

आज निवेशकों के 6 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं.

लेकिन शेयर मार्केट में अचानक हो क्या गया. बाजार को ऐसी कौन सी चिंताएं सता रही हैं जिसकी वजह से इसमें लगातार गिरावट देखने को मिल रही है? आइए आपको बताते हैं, इसके पीछे की पांच वजहें.

1. अमेरिका में बढ़ती महंगाई

मई में अमेरिका में महंगाई (Inflation) 40 साल के नए उच्च स्तर पर पहुंच गई है. पिछले साल कि तुलना में अमेरिका में महंगाई 8.6% तक पहुंच गई है. इसका सीधा असर 10 जून को वॉल स्ट्रीट कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है पर देखने को मिला. अमेरिकी इक्विटी मार्केट में तेज गिरावट आई. निवेशकों को चिंता है कि इस महंगाई से लड़ने के लिए यूएस फेड ब्याज दरों में जरूर बढ़ोतरी करेगा.

2. US फेड द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी

अमेरिका में महंगाई के आंकड़े बढ़ने के बाद यूएस फेड बुधवार, 15 जून को अपनी 2-दिवसीय फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक में बढ़ती महंगाई को शांत करने के लिए ब्याज दरों में फिर वृद्धि जारी रखेगा. माना जा रहा है साल के अंत तक यह वृद्धि जारी रख सकता है क्योंकि अमेरिका चाहता है कि महंगाई दर 2-3 फीसदी के आसपास रहे.

रॉयटर्स के मुताबिक यूएस फेड जून, जुलाई और सितंबर में 0.5 फीसदी से ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है.

क्रैश हुए शेयर मार्केट ने लगभग हर सेक्टर को लाल निशान में धकेला. बैंक, मेटल या प्रॉपर्टी सभी सेक्टर्स को इसका भुगतान करना पड़ा. एक्सपर्ट्स का मानना ​​​​है कि विदेशी निवेशक लगातार भारतीय शेयर बाजार से अपना पैसा निकाल रहे हैं, उधर अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US FED) द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी का खतरा बना है जिसकी वजह से वैश्विक बाजार भी दबाव में है. साथ ही साथ डॉलर के मुकाबले कमजोर रुपया निवेशकों के निराशा की वजह बन रहा है.

क्विंट हिंदी से बातचीत में सेबी रजिस्टर्ड फाइनेंशियल एडवाइजर जितेंद्र सोलंकी ने बताया-

अमेरिका में बढ़ती महंगाई ने एक डर पैदा कर दिया है कि आने वाले समय में यूएस फेड और कठोर कदम उठाएगा. इससे अर्थव्यवस्था को भी चोट पहुंचेगी और वैश्विक विकास सुस्त पड़ेगी. इसके परिणामस्वरूप विदेशी निवेशक बाजार से पैसा निकाल रहे हैं. ऐसे ही हालत बने रहे तो आगे भी अभी और गिरावट देखने को मिलेगी.

3. कच्चे तेल की कीमत

अमेरिका में बढ़ती महंगाई की वजह से अमेरिकी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना और चीन में आने वाले समय में लॉकडाउन लगने की चिंता की वजह से ब्रेंड क्रूड और WTI क्रूड में 1.4 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. ब्रेंट क्रूड की कीमत अब 120 डॉलर कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है प्रति बैरल है और WTI क्रूड की कीमत 118 डॉलर प्रति बैरल. कच्चे तेल में हुई गिरावट की सबसे बड़ी वजह चीन में फैलता कोरोना वायरस है जिसकी वजह से चीन में कई प्रकार की बाधाएं बढ़ रही है.

4. भारत में बढ़ती महंगाई (Inflation)

भारत जल्द ही खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी करने वाला है. ये आंकड़े मई के होंगे. रॉयटर्स के मुताबिक इसमें बढ़ोतरी होने की संभावना है. खुदरा महंगाई दर 6.7 - 8.3 फीसदी के बीच हो सकती है. आरबीआई ने हाल ही में 0.5 फीसद से ब्याज दरों में बढ़ोतरी की और महंगाई दर इस साल दिसंबर तक 6 फीसदी से ऊपर रहने वाली है जो कि अच्छी खबर नहीं है.

5. कमजोर होता रुपया और बाहर निकलते विदेशी निवेशक

डॉलर के मुकाबले लगातार रुपया कमजोर होता जा रहा है. सोमवार को रुपया 78 को पार गया. यह अबतक का सबसे निचला स्तर है. मार्केट में डॉलर की डिमांड ज्यादा है. विदेशी मुद्रा भंडार में कमी होते जा रही है. भारतीय बाजार से विदेशी निवेश निकलने की वजह से निवेशक काफी निराश हैं.

मंदी के दौरान आपको उठाने चाहिए कौन-कौन से एहतियाती कदम?

कैसे हैं आर्थिक हालात?

भारतीय अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी की तरफ बढ़ रही है. हमारी अर्थव्यवस्था के सामने कई चुनौतियां आ गई हैं. आर्थिक विकास को गति देने वाले चार मुख्य वजहों में निजी निवेश, सरकारी खर्च, घरेलू उपभोग और निर्यात शामिल हैं. इनमें सुस्ती दिख रही हैं. ग्राहकों की घटती मांग, सुस्त कारोबार, बाजार में तरलता की कमी और निवेश में नरमी अगर आगे भी जारी रहती है तो देश की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी मुसीबत पैदा हो सकती है. आर्थिक संकट के इस दौर में एहतियात कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है बरतना जरूरी है. हम आपको बता रहे हैं ऐसी आठ बातें, जिनका ध्यान रखकर आप इस आर्थिक संकट का मुकाबला कर सकते हैं.

​नकदी रखने से बचें

​नकदी रखने से बचें

आर्थिक मंदी के दौर में नकदी रखने से बचना चाहिए. सबसे पहली बात तो यह कि मुद्रा के अवमूल्यन की वजह से आपके नकदी की वैल्यू घटती रहती है. अर्थव्यवस्था में महंगाई बढ़ने पर आपके नकदी की कीमत कम हो जाती है. मसलन दस साल पहले यदि आप 100 रुपये में चार किलो दूध खरीदते थे तो अब आप मुश्किल से दो किलो दूध खरीद पाते हैं.

बचत बढ़ाने के करें उपाय

बचत बढ़ाने के करें उपाय

क्या आपने यह कहावत सुनी है-पैसा बचाना उसे कमाने के बराबर है. आपको आर्थिक मंदी के दौर में अपने बजट पर दोबारा विचार करना चाहिए. गैर जरूरी खर्च घटाने के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए. आप फूड एप की प्राइम मेम्बरशिप खत्म कर सकते हैं, बाहर खाने की फ्रीक्वेंसी घटा सकते हैं और छुट्टियों पर अपने खर्च को घटा सकते हैं. इस वक्त कार या घर आदि की खरीदारी से बचें. अगर जरूरी हो तो आप सस्ते विकल्प पर विचार करें. फिल्म देखने, शॉपिंग जैसे बहुत से काम जो आप रोजमर्रा की जिन्दगी में करते थे, उसे कुछ समय के लिए टाल दें.

जॉब को हल्के में नहीं लें

जॉब को हल्के में नहीं लें

आप अपने जॉब को कितनी गंभीरता से लेते हैं? क्या आप सौंपे गए हर काम को करियर की ग्रोथ से जोड़कर देखते हैं, खुद को सक्षम इम्पलॉई साबित करना चाहते हैं, या नियमित ऑफिस जाने को पूरी तवज्जो देते हैं. आर्थिक संकट के दौर में आपकी जरा सी लापरवाही आपके करियर पर भारी पड़ सकती है. कई लोग अपने काम को इतना एंजॉय करते हैं कि कुछ समय के लिए भी छुट्टी ले लें, तो काम को मिस करने लगते हैं, यह गंभीरता का परिचायक है. आप खुद में भी ऐसी आदत विकसित करें.

​मेडिकल इंश्योरेंस लिया है ना!

​मेडिकल इंश्योरेंस लिया है ना!

समय पर पर्याप्त रकम का मेडिकल या हेल्थ इंश्योरेंस लेना आपके लिए बहुत जरूरी है. आर्थिक संकट के दौर में अगर आप कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है या आपके परिजनों के सामने कोई मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति आती है तो आप हेल्थ पॉलिसी के दम पर इसे आसानी से पार कर पाएंगे. अगर आपके पास हेल्थ पॉलिसी नहीं होगी तो ऐसे वक्त में आपकी स्थिति कोढ़ में खाज जैसी हो सकती है.

​कर्ज चुकाने की करें चिंता

​कर्ज चुकाने की करें चिंता

अगर आपने होम लोन, कार लोन या कोई अन्य बड़ी रकम का लोन लिया है तो आप भावी स्थितियों के हिसाब से उसकी मासिक किस्त चुकाने की चिंता करें. उन स्थितियों के बारे में भी सोचें जब आपके हाथ में नौकरी ना रहे या आप किसी वजह से मासिक किस्त का भुगतान नहीं कर पायें. बड़ी कंपनियों के पास कर्ज की री स्ट्रक्चरिंग जैसी सुविधा होती है, जो आपके पास नहीं होगी. आप अपनी री पेमेंट हिस्ट्री के आधार पर अपने बैंक से बातचीत कर कुछ राहत पाने के उपाय कर सकते हैं. अक्सर बैंक आपकी दिक्कत को समझने के बाद लोन के री पेमेंट के लिए कुछ ढील देते हैं.

प्रॉपर्टी में निवेश करने से बचें

प्रॉपर्टी में निवेश करने से बचें

आर्थिक मंदी के दौर में आपको निवेश के विकल्प चुनते वक्त बहुत अधिक ध्यान रखने की जरूरत है. अगर आप ऐसे वक्त में निवेश कर रहे हैं तो सबसे बेहतर माध्यम चुनने के लिए आप किसी निवेश सलाहकार की मदद लें. इस वक्त आपको प्रॉपर्टी में निवेश करने से बचना चाहिए. प्रॉपर्टी में निवेश से अब मुनाफा कमाने की संभावना काफी घट गयी है. इसके साथ ही इस निवेश में बड़ी रकम के शामिल होने की वजह से खरीदार भी कम मिलते हैं.

​इमरजेंसी फंड बनाएं

​इमरजेंसी फंड बनाएं

अगर किसी वजह से आप आर्थिक संकट के शिकार बन जाते हैं तो आपको अपने घर खर्च के लिए कम से कम छह महीने के लिए जरूरी रकम एक इमरजेंसी फंड में रखना चाहिए. यह फंड आप बैंक के सेविंग अकाउंट या म्यूचुअल फंड के लिक्विड फंड में बना सकते हैं. इमरजेंसी फंड वास्तव में आपको संकट की स्थिति में दोस्तों, रिश्तेदारों या किसी अन्य व्यक्ति से उधार लेने की स्थिति से बचाने में मददगार साबित होगा.

​तनाव में नहीं आएं

​तनाव में नहीं आएं

आर्थिक संकट के दौर में आमतौर पर लोग जीवन के हर पहलू के बारे में नकारात्मक रूप से सोचने लगते हैं. यह समस्या शारीरिक रूप से आपको कमजोर करने के साथ-साथ भावनात्मक रूप से भी आहत करती है. अगर आप भी इस वजह से तनाव ले रहे हैं तो इससे आपकी समस्या नहीं सुलझेगी बल्कि आपका पारिवारिक जीवन और प्रभावित होगा. इस स्थिति से बचने के लिए आप दोस्तों-परिजनों के साथ क्वालिटी समय बिताएं और अपने शौक पर अधिक फोकस करें.

Web Title : which precautionary measures should you take during slowdown
Hindi News from Economic Times, TIL Network

अगर आदमी की याददाश्त कमजोर हो जाए तो निम्नलिखित में से कौन सा हिस्सा घायल हो गया है?

F1 Hemant Agarwal Anil 27.02.21 D1

Additional Information

  • मज्जा में केंद्र होते हैं जो श्वसन, हृदय संबंधी सजगता और गैस्ट्रिक स्राव को नियंत्रित करते हैं।
  • कई और न्यूरॉन्स के लिए अतिरिक्त स्थान प्रदान करने के लिए सेरिबैलम की सतह बहुत जटिल होती है
  • हाइपोथेलेमस थैलेमस के आधार पर स्थित है। हाइपोथैलेमस में कई केंद्र होते हैं जो शरीर के तापमान को नियंत्रित करते हैं, खाने और पीने के लिए आग्रह करते हैं।
  • इसमें न्यूरोसैकेरेट्री कोशिकाओं के कई समूह भी शामिल हैं, जो हाइपोथैलेमिक हार्मोन नामक हार्मोन का स्राव करते हैं।

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Last updated on Sep 22, 2022

UP TGT (Trained Graduate Teacher) application window closed on 16th July 2022. In this year's recruitment cycle a total of 3539 vacancies were released. Willing candidates having the required UP TGT Eligibility Criteria can apply for the exam. This is a golden opportunity for candidates who want to get into the teaching profession in the state of Uttar Pradesh.

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मंदी के दौरान आपको उठाने चाहिए कौन-कौन से एहतियाती कदम?

कैसे हैं आर्थिक हालात?

भारतीय अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी की तरफ बढ़ रही है. हमारी अर्थव्यवस्था के सामने कई चुनौतियां आ गई हैं. आर्थिक विकास को गति देने वाले चार मुख्य वजहों में निजी निवेश, सरकारी खर्च, घरेलू उपभोग और निर्यात शामिल हैं. इनमें सुस्ती दिख रही हैं. ग्राहकों की घटती मांग, सुस्त कारोबार, बाजार में तरलता की कमी और निवेश में नरमी अगर आगे भी जारी रहती है तो देश की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी मुसीबत पैदा हो सकती है. आर्थिक संकट के इस दौर में एहतियात बरतना जरूरी है. हम आपको बता रहे हैं ऐसी आठ बातें, जिनका ध्यान रखकर आप इस आर्थिक संकट का मुकाबला कर सकते हैं.

​नकदी रखने से बचें

​नकदी रखने से बचें

आर्थिक मंदी के दौर में नकदी रखने से बचना चाहिए. सबसे पहली बात तो यह कि मुद्रा के अवमूल्यन की वजह से आपके नकदी की वैल्यू घटती रहती है. अर्थव्यवस्था में महंगाई बढ़ने पर आपके नकदी की कीमत कम हो जाती है. मसलन दस साल पहले यदि आप 100 रुपये में चार किलो दूध खरीदते थे तो अब आप मुश्किल से दो किलो दूध खरीद पाते हैं.

बचत बढ़ाने के करें उपाय

बचत बढ़ाने के करें उपाय

क्या आपने यह कहावत सुनी है-पैसा बचाना उसे कमाने के बराबर है. आपको आर्थिक मंदी के दौर में अपने बजट पर दोबारा विचार करना चाहिए. गैर जरूरी खर्च घटाने के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए. आप फूड एप की प्राइम मेम्बरशिप खत्म कर सकते हैं, बाहर खाने की फ्रीक्वेंसी घटा सकते हैं और छुट्टियों पर अपने खर्च को घटा सकते हैं. इस वक्त कार या घर आदि की खरीदारी से बचें. अगर जरूरी हो तो आप सस्ते विकल्प पर विचार करें. फिल्म देखने, शॉपिंग जैसे बहुत से काम जो आप रोजमर्रा की जिन्दगी में करते थे, उसे कुछ समय के लिए टाल दें.

जॉब को हल्के में नहीं लें

जॉब को हल्के में नहीं लें

आप अपने जॉब को कितनी गंभीरता से लेते हैं? क्या आप सौंपे गए हर काम को करियर की ग्रोथ से जोड़कर देखते हैं, खुद को सक्षम इम्पलॉई साबित करना चाहते हैं, या नियमित ऑफिस जाने को पूरी तवज्जो देते हैं. आर्थिक संकट के दौर में आपकी जरा सी लापरवाही आपके करियर पर भारी पड़ सकती है. कई लोग अपने काम को इतना एंजॉय करते हैं कि कुछ समय के लिए भी छुट्टी ले लें, तो काम को मिस करने लगते हैं, यह गंभीरता का परिचायक है. आप खुद में भी ऐसी आदत विकसित करें.

​मेडिकल इंश्योरेंस लिया है ना!

​मेडिकल इंश्योरेंस लिया है ना!

समय पर पर्याप्त रकम का मेडिकल या हेल्थ इंश्योरेंस लेना आपके लिए बहुत जरूरी है. आर्थिक संकट के दौर में अगर आप या आपके परिजनों के सामने कोई मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति आती है तो आप हेल्थ पॉलिसी के दम पर इसे आसानी से पार कर पाएंगे. अगर आपके पास हेल्थ पॉलिसी नहीं होगी तो ऐसे वक्त में आपकी स्थिति कोढ़ में खाज जैसी हो सकती है.

​कर्ज चुकाने की करें चिंता

​कर्ज चुकाने की करें चिंता

अगर आपने होम लोन, कार लोन या कोई अन्य बड़ी रकम का लोन लिया है तो आप भावी स्थितियों के हिसाब से उसकी मासिक किस्त चुकाने की चिंता करें. उन स्थितियों के बारे में भी सोचें जब आपके हाथ में नौकरी ना रहे या आप किसी वजह से मासिक किस्त का भुगतान नहीं कर पायें. बड़ी कंपनियों के पास कर्ज की री स्ट्रक्चरिंग जैसी सुविधा होती है, जो आपके पास नहीं होगी. आप अपनी री पेमेंट हिस्ट्री के आधार पर अपने बैंक से बातचीत कर कुछ राहत पाने के उपाय कर सकते हैं. अक्सर बैंक आपकी दिक्कत को समझने के बाद लोन के री पेमेंट के लिए कुछ ढील देते हैं.

प्रॉपर्टी में निवेश करने से बचें

प्रॉपर्टी में निवेश करने से बचें

आर्थिक मंदी के दौर में आपको निवेश के विकल्प चुनते वक्त बहुत अधिक ध्यान रखने की जरूरत है. अगर आप ऐसे वक्त में निवेश कर रहे हैं तो सबसे बेहतर माध्यम चुनने के लिए आप किसी निवेश सलाहकार की मदद लें. इस वक्त आपको कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है प्रॉपर्टी में निवेश करने से बचना चाहिए. प्रॉपर्टी में निवेश से अब मुनाफा कमाने की संभावना काफी घट गयी है. इसके साथ ही इस निवेश में बड़ी रकम के शामिल होने की वजह से खरीदार भी कम मिलते हैं.

​इमरजेंसी फंड बनाएं

​इमरजेंसी फंड बनाएं

अगर किसी वजह से आप आर्थिक संकट के शिकार बन जाते हैं तो आपको अपने घर खर्च के लिए कम से कम छह महीने के लिए जरूरी रकम एक इमरजेंसी फंड में रखना चाहिए. यह फंड आप बैंक के सेविंग अकाउंट या म्यूचुअल फंड के लिक्विड फंड में बना सकते हैं. इमरजेंसी फंड वास्तव में आपको संकट की स्थिति में दोस्तों, रिश्तेदारों या किसी अन्य व्यक्ति से उधार लेने की स्थिति से बचाने में मददगार साबित होगा.

​तनाव में नहीं आएं

​तनाव में नहीं आएं

आर्थिक संकट के दौर में आमतौर पर लोग जीवन के हर पहलू के बारे में नकारात्मक रूप से सोचने लगते हैं. यह समस्या शारीरिक रूप से आपको कमजोर करने के साथ-साथ भावनात्मक रूप से भी आहत करती है. अगर आप भी इस वजह से तनाव ले रहे हैं तो इससे आपकी समस्या नहीं सुलझेगी बल्कि आपका पारिवारिक जीवन और प्रभावित होगा. इस स्थिति से बचने के लिए आप दोस्तों-परिजनों के साथ क्वालिटी समय बिताएं और अपने शौक पर अधिक फोकस करें.

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