सवाल: वैश्विक मंच पर भी चीन का आक्रामक व्यवहार एक 'बहुत बड़ा खतरा' है। चीन का मुकाबला करने के लिए भारत की रणनीति क्या होनी चाहिए?
जवाब: भारत, चीन को रोकने में काफी हद तक विफल हो रहा है क्योंकि भारत सरकार यह समझने से क्यों व्यापारी अबी का उपयोग करना पसंद करते हैं इनकार करती है कि प्रतिरोध केवल सैन्य ताकत के बारे में नहीं है। प्रभावी होने के लिए, प्रतिरोध की प्रकृति व्यापक होनी चाहिए और रणनीतिक व कूटनीतिक स्तर पर इसका नेतृत्व किया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि भारत को व्यापार और कूटनीतिक मंच का उपयोग करना चाहिए। भारत के अब तक के मुख्य कदम चीनी मोबाइल एप पर प्रतिबंध लगाना और भारत सरकार के अनुबंधों तक चीनी कंपनियों की पहुंच को प्रतिबंधित करना रहा है। यह सब बुरी तरह से अपर्याप्त साबित हुए हैं। इस प्रकार के कदमों के साथ ही भारत को अनौपचारिक व्यापार प्रतिबंधों के रास्ते को भी अपनाने की आवश्यकता है। वास्तव में, भारत के पास गैर-आवश्यक आयातों को प्रतिबंधित करके चीन के साथ अपने बड़े पैमाने पर व्यापार घाटे को ठीक करने के लिए अपनी खरीद शक्ति का लाभ उठाने का एक शानदार अवसर है।
'ड्रैगन' को चुपके से आक्रामकता दिखाना पसंद, सीधे टकराव से है बचता- China पर बोले चेलानी, समझाया- क्यों हम हो रहे 'फेल'
India-China Tension: उनका मानना है कि ऐसे समय में जब अंतरराष्ट्रीय माहौल चीन की महत्वाकांक्षाओं के प्रति शत्रुतापूर्ण हो रहा है, भारत को चीनी आक्रामकता को उजागर करने के लिए एक कूटनीतिक आक्रमण शुरू करना चाहिए। चीन का नाम लेकर और उसे शर्मिंदा करने के भारत के पास कई अवसर होते हैं लेकिन वह इससे परहेज करता है जबकि चीन अपनी आक्रामकता के बीच भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाने में कोई हिचक नहीं दिखाता है।
Updated Dec 18, 2022 | 03:41 PM IST
'ड्रैगन' को चुपके से आक्रामकता दिखाना पसंद, सीधे टकराव से है बचता- China पर बोले चेलानी, समझाया- क्यों हम हो रहे 'फेल'
रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर 25 युवाओं से 2.6 करोड़ रुपए की ठगी, ट्रेनिंग के नाम पर गिनवाता था ट्रेनें
तो AAP ने अवैध फंड एकत्र करने के लिए रखी थी आबकारी नीति में कमियां? ED के आरोप पत्र में हैरान करने वाले खुलासे
चीन और अमेरिका सहित 5 देशों में कोरोना ने पकड़ी रफ्तार! केंद्र सरकार बोली- सभी राज्य बढ़ाएं जीनोम सीक्वेंसिंग
India-China Tension: हिंदुस्तान के जाने-माने जियोस्ट्रैटेजिस्ट और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के पूर्व सलाहकार ब्रह्म चेलानी ने कहा है कि चीन के खिलाफ लगातार डिफेंसिव मोड में (रक्षात्मक) रहने से भारतीय सुरक्षा बलों पर बोझ बढ़ता है। ड्रैगन चुपके से आक्रामकता दिखाना पसंद करता है और आमने-सामने की लड़ाई से बचने के लिए वह किसी भी हद तक जाता है। यही कारण है कि वह भारतीय सेना के साथ सीधे टकराव से बचता है। भारत उसे रोकने में काफी हद तक विफल हो रहा है क्योंकि भारत सरकार यह समझने से इनकार करती है कि प्रतिरोध केवल सैन्य ताकत के बारे में नहीं है।
चेलानी ने ये बातें समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा को दिए खास इंटरव्यू के दौरान कहीं। रोचक बात है कि उनकी ये टिप्पणियां ऐसे वक्त पर आई हैं, जब नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के फौजियों के बीच झड़प हो गई थी और उस दौरान दोनों पक्षों के जवान मामूली रूप से जख्मी हो गए थे। चीन की ऐसी ही चालबाजियों और विस्तारवाद के एजेंडे की पॉलिसी के मद्देनजर उन्होंने समाचार एजेंसी से विभिन्न मसलों पर बात की और बेबाकी से अपनी राय जाहिर की।
LAC झड़पः चीन का नाम तक न लेता है कमजोर नेतृत्व, होगी सर्जिकल स्ट्राइक?- ओवैसी ने पूछा, कांग्रेस बोली- PM मोदी छवि बचाने को.
यह पूछे जाने पर कि तवांग में चीनी अतिक्रमण और इस पर भारत की प्रतिक्रिया को कैसे देखते हैं आप? उन्होंने दो टूक कहा- चीन चोरी से आक्रामकता दिखाना पसंद करता है। आमने-सामने की लड़ाई से बचने के लिए वह किसी भी हद तक जाता है। यही कारण है कि वह भारतीय सेना के साथ सीधे टकराव से बचता है। चीनी सेना एक ऐसी सेना है जिसमें काफी हद तक बलपूर्वक कर्मियों की भर्ती की जाती है। भारत में स्थिति इसके विपरीत है। स्वयं लोग सेना में भर्ती होते हैं। भारत की कमजोरी उसकी रणनीति है। वह प्रतिक्रियाशील होने और जोखिम से बचने वाली रणनीतिक संस्कृति पर भरोसा करता है।
क्या औली में इंडो यूएस एक्सरसाइज का नतीजा है तवांग सेक्टर में झड़प
उनके मुताबिक, "वास्तव में, लद्दाख में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) में बदलाव करने की कोशिशों में असफल होने के कारण, चीन अब पूर्वी क्षेत्र में अपने विस्तारवाद को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, वह भी सर्दियों के मौसम में जब स्थितियां बेहद ठंडी होती हैं।" क्या चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है और भारत को इससे सचेत रहना चाहिए?
इस प्रश्न पर वह बोले- ऐसे आक्रामक दुश्मन के खिलाफ लगातार रक्षात्मक बने रहना भारतीय सुरक्षा बलों पर बड़ा बोझ डालता है, क्योंकि चीनी सैन्य आक्रामकता का अनुमान लगाने या प्रतिक्रिया देने में एक भी चूक महंगी साबित हो सकती है। हमें अप्रैल 2020 की घटना से सबक लेना चाहिए, जब चीन ने पूर्वी लद्दाख के कुछ प्रमुख सीमावर्ती क्षेत्रों में चुपके से अतिक्रमण कर लिया था। चीनी हमेशा भारतीयों को आश्चर्यचकित करने के लिए समय और स्थान चुनते हैं।
ड्रैगन के मुकाबले के लिए देश की क्या रणनीति होनी चाहिए? वह बोले- हम चीन को रोकने में काफी हद तक विफल हो रहा है क्योंकि भारत सरकार यह समझने से इनकार करती है कि प्रतिरोध केवल सैन्य ताकत के बारे में नहीं है। प्रभावी होने के लिए, प्रतिरोध की प्रकृति व्यापक होनी चाहिए और रणनीतिक व कूटनीतिक स्तर पर इसका नेतृत्व किया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि भारत को व्यापार और कूटनीतिक मंच का उपयोग करना चाहिए। भारत के अब तक के मुख्य कदम चीनी मोबाइल एप पर प्रतिबंध लगाना और भारत सरकार के अनुबंधों तक चीनी कंपनियों की पहुंच को प्रतिबंधित करना रहा है। यह सब बुरी तरह से अपर्याप्त साबित हुए हैं।
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रेड ऑक्साइड फ्लोरिंग: आपको इसे अपने आधुनिक घर के लिए क्यों चुनना चाहिए?
भारतीय घरों में पीढ़ियों से रेड ऑक्साइड फ्लोरिंग का इस्तेमाल होता आ रहा है। यह पारंपरिक फर्श तकनीक आज पुनरुत्थान कर रही है। लोगों ने व्यावसायिक रूप से निर्मित संगमरमर और ग्रेनाइट की तुलना में टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल होने के अपने प्राथमिक लाभ को महसूस किया है। ग्रेनाइट और संगमरमर की तुलना में रेड ऑक्साइड फर्श बहुत कम खर्चीला है। यदि आप अपने नए घर में देहाती और मिट्टी की सुंदरता पसंद करते हैं तो यह एक अद्भुत विकल्प है। स्रोत: Pinterest
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'ड्रैगन' को चुपके से आक्रामकता दिखाना पसंद, सीधे टकराव से है बचता- China पर बोले चेलानी, समझाया- क्यों हम हो रहे 'फेल'
India-China Tension: उनका मानना है कि ऐसे समय में जब अंतरराष्ट्रीय माहौल चीन की महत्वाकांक्षाओं के प्रति शत्रुतापूर्ण हो रहा है, भारत को चीनी आक्रामकता को उजागर करने के लिए एक कूटनीतिक आक्रमण शुरू करना चाहिए। चीन का नाम लेकर क्यों व्यापारी अबी का उपयोग करना पसंद करते हैं और उसे शर्मिंदा करने के भारत के पास कई अवसर होते हैं लेकिन वह इससे परहेज करता है जबकि चीन अपनी आक्रामकता के बीच भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाने में कोई हिचक नहीं दिखाता है।
Updated Dec 18, 2022 | 03:41 PM IST
'ड्रैगन' को चुपके से आक्रामकता दिखाना पसंद, सीधे टकराव से है बचता- China पर बोले चेलानी, समझाया- क्यों हम हो रहे 'फेल'
रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर 25 युवाओं से 2.6 करोड़ रुपए की ठगी, ट्रेनिंग के नाम पर गिनवाता था ट्रेनें
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चीन और अमेरिका सहित 5 देशों में कोरोना ने पकड़ी रफ्तार! केंद्र सरकार बोली- सभी राज्य बढ़ाएं जीनोम सीक्वेंसिंग
India-China Tension: हिंदुस्तान के जाने-माने जियोस्ट्रैटेजिस्ट और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के पूर्व सलाहकार ब्रह्म चेलानी ने कहा है कि चीन के खिलाफ लगातार डिफेंसिव मोड में (रक्षात्मक) रहने से भारतीय सुरक्षा बलों पर बोझ बढ़ता है। ड्रैगन चुपके से आक्रामकता दिखाना पसंद करता है और आमने-सामने की लड़ाई से बचने के लिए वह किसी भी हद तक जाता है। यही कारण है कि वह भारतीय सेना के साथ सीधे टकराव से बचता है। भारत उसे रोकने में काफी हद तक विफल हो रहा है क्योंकि भारत सरकार यह समझने से इनकार करती है कि प्रतिरोध केवल सैन्य ताकत के बारे में नहीं है।
चेलानी ने ये बातें समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा को दिए खास इंटरव्यू के दौरान कहीं। रोचक बात है कि उनकी ये टिप्पणियां ऐसे वक्त पर आई हैं, जब नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के फौजियों के बीच झड़प हो गई थी और उस दौरान दोनों पक्षों के जवान मामूली रूप से जख्मी हो गए थे। चीन की ऐसी ही चालबाजियों और विस्तारवाद के एजेंडे की पॉलिसी के मद्देनजर उन्होंने समाचार एजेंसी से विभिन्न मसलों पर बात की और बेबाकी से अपनी राय जाहिर की।
LAC झड़पः चीन का नाम तक न लेता है कमजोर नेतृत्व, होगी सर्जिकल स्ट्राइक?- ओवैसी ने पूछा, कांग्रेस बोली- PM मोदी छवि बचाने को.
यह पूछे जाने पर कि तवांग में चीनी अतिक्रमण और इस पर भारत की प्रतिक्रिया को कैसे देखते हैं आप? उन्होंने दो टूक कहा- चीन चोरी से आक्रामकता दिखाना पसंद करता है। आमने-सामने की लड़ाई से बचने के लिए वह किसी भी हद तक जाता है। यही कारण है कि वह भारतीय सेना के साथ सीधे टकराव से बचता है। चीनी सेना एक ऐसी सेना है जिसमें काफी हद तक बलपूर्वक कर्मियों की भर्ती की जाती है। भारत में स्थिति इसके विपरीत है। स्वयं लोग सेना में भर्ती होते हैं। भारत की कमजोरी उसकी रणनीति है। वह प्रतिक्रियाशील होने और जोखिम से बचने वाली रणनीतिक संस्कृति पर भरोसा करता है।
क्या औली में इंडो यूएस एक्सरसाइज का नतीजा है तवांग सेक्टर में झड़प
उनके मुताबिक, "वास्तव में, लद्दाख में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) में बदलाव करने की कोशिशों में असफल होने के कारण, चीन अब पूर्वी क्षेत्र में अपने विस्तारवाद को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, वह भी सर्दियों के मौसम में जब स्थितियां बेहद ठंडी होती हैं।" क्या चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है और भारत को इससे सचेत रहना चाहिए?
इस प्रश्न पर वह बोले- ऐसे आक्रामक दुश्मन के खिलाफ लगातार रक्षात्मक बने रहना भारतीय सुरक्षा बलों पर बड़ा बोझ डालता है, क्योंकि चीनी सैन्य आक्रामकता का अनुमान लगाने या प्रतिक्रिया देने में एक भी चूक महंगी साबित हो सकती है। हमें अप्रैल 2020 की घटना से सबक लेना चाहिए, जब चीन ने पूर्वी लद्दाख के कुछ प्रमुख सीमावर्ती क्षेत्रों में चुपके से अतिक्रमण कर लिया था। चीनी हमेशा भारतीयों को आश्चर्यचकित करने के लिए समय और स्थान चुनते हैं।
ड्रैगन के मुकाबले के लिए देश की क्या रणनीति होनी चाहिए? वह बोले- हम चीन को रोकने में काफी हद तक विफल हो रहा है क्योंकि भारत सरकार यह समझने से इनकार करती है कि प्रतिरोध केवल सैन्य ताकत के बारे में नहीं है। प्रभावी होने के लिए, प्रतिरोध की प्रकृति व्यापक होनी चाहिए और रणनीतिक व कूटनीतिक स्तर पर इसका नेतृत्व किया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि भारत को व्यापार और कूटनीतिक मंच का उपयोग करना चाहिए। भारत के अब तक के मुख्य कदम चीनी मोबाइल एप पर प्रतिबंध लगाना और भारत सरकार के अनुबंधों तक चीनी कंपनियों की पहुंच को प्रतिबंधित करना रहा है। यह सब बुरी तरह से अपर्याप्त साबित हुए हैं।
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रेड ऑक्साइड फ्लोरिंग: आपको इसे अपने आधुनिक घर के लिए क्यों चुनना चाहिए?
भारतीय घरों में पीढ़ियों से रेड ऑक्साइड फ्लोरिंग का इस्तेमाल होता आ रहा है। यह पारंपरिक फर्श तकनीक आज पुनरुत्थान कर रही है। लोगों ने व्यावसायिक रूप से निर्मित संगमरमर और ग्रेनाइट की तुलना में टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल होने के अपने प्राथमिक लाभ को महसूस किया है। ग्रेनाइट और संगमरमर की तुलना में रेड ऑक्साइड फर्श बहुत कम खर्चीला है। यदि आप अपने नए घर में देहाती और मिट्टी की सुंदरता पसंद करते हैं तो यह एक अद्भुत विकल्प है। स्रोत: Pinterest
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Housing.com shall not be liable in any manner (whether in law, contract, tort, by negligence, products liability or otherwise) for any losses, injury or damage (whether direct or indirect, special, incidental or consequential) suffered by such person as a result of anyone applying the information (or any other contents) in these articles or making any investment decision on the basis of such information (or any such contents), or otherwise. The users should exercise due caution and/or seek independent advice before they make any decision or take any action on the basis of such information or other contents.
क्या जंग की तैयारी कर रहा चीन? एक्सपर्ट ने बताया, कहां कमजोर पड़ रहा भारत
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव बना हुआ है। पहले डोकलाम, फिर गलवान और अब अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर माहौल गर्म है। चीन एक रणनीति के तहत इस तरह की एकतरफा उकसावे की कार्रवाई करता है।
देश की सुरक्षा की बात आने पर मंत्रियों के पीछे छिप जाते हैं पीएम, चीन के साथ LAC विवाद पर आक्रामक हुई कांग्रेस
सवाल: क्या आप कांग्रेस नेता राहुल गांधी की इस टिप्पणी से सहमत हैं कि चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है और भारत को इससे सचेत रहना चाहिए?
जवाब: इस तरह के आक्रामक दुश्मन के खिलाफ लगातार रक्षात्मक बने रहना भारतीय सुरक्षा बलों पर बड़ा बोझ डालता है। क्योंकि चीनी सैन्य आक्रामकता का अनुमान लगाने या प्रतिक्रिया देने में एक भी चूक महंगी साबित हो सकती है। हमें अप्रैल 2020 की घटना से सबक लेना चाहिए, जब चीन ने पूर्वी लद्दाख के कुछ प्रमुख सीमावर्ती क्षेत्रों में चुपके से अतिक्रमण कर लिया था। चीनी हमेशा भारतीयों को आश्चर्यचकित करने के लिए समय और स्थान चुनते हैं। ‘सलामी स्लाइसिंग’ क्यों व्यापारी अबी का उपयोग करना पसंद करते हैं क्यों व्यापारी अबी का उपयोग करना पसंद करते हैं क्यों व्यापारी अबी का उपयोग करना पसंद करते हैं या चुपके से आक्रामकता केवल चीनी पक्ष का विशेषाधिकार क्यों होना चाहिए? भारत क्यों नहीं चीन को इसी अंदाज में जवाब देता है? किसी मुल्क द्वारा अपने पड़ोसी देशों के खिलाफ छोटे-छोटे सैन्य अभियान के जरिये धीरे-धीरे किसी बड़े इलाके पर कब्जा कर लेने की नीति को ‘सलामी स्लाइसिंग’ कहा जाता है।
Tawang Clash: तवांग में चीनी सेना की हरकत पर भारत के साथ खड़ा हुआ दोस्त अमेरिका, चीन को जमकर फटकारा
सवाल: वैश्विक मंच पर भी चीन का आक्रामक व्यवहार एक 'बहुत बड़ा खतरा' है। चीन का मुकाबला करने के लिए भारत की रणनीति क्या होनी चाहिए?
जवाब: भारत, चीन को रोकने में काफी हद तक विफल हो रहा है क्योंकि भारत सरकार यह समझने से इनकार करती है कि प्रतिरोध केवल सैन्य ताकत के बारे में नहीं है। प्रभावी होने के लिए, प्रतिरोध की प्रकृति व्यापक होनी चाहिए और रणनीतिक व कूटनीतिक स्तर पर इसका नेतृत्व किया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि भारत को व्यापार और कूटनीतिक मंच का उपयोग करना चाहिए। भारत के अब तक के मुख्य कदम चीनी मोबाइल एप पर प्रतिबंध लगाना और भारत सरकार के अनुबंधों तक चीनी कंपनियों की पहुंच को प्रतिबंधित करना रहा है। यह सब बुरी तरह से अपर्याप्त साबित हुए हैं। इस प्रकार के कदमों के साथ ही भारत को अनौपचारिक व्यापार प्रतिबंधों के रास्ते को भी अपनाने की आवश्यकता है। वास्तव में, भारत के पास गैर-आवश्यक आयातों को प्रतिबंधित करके चीन के साथ अपने बड़े पैमाने पर व्यापार घाटे को ठीक करने के लिए अपनी खरीद शक्ति का लाभ उठाने का एक शानदार अवसर है।
क्या बॉर्डर पर आगे हिमाकत नहीं करेगा चीन? तवांग की हरकत से मिले 5 सबक भारत को याद रखने होंगे
सवाल: चीन पिछले कुछ वर्षों से अपनी भू-राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन कर रहा है, और कई देशों के साथ उसके संबंध भी खराब हुए है। मौजूदा परिस्थितियों में आप इसे कैसे देखते हैं?
जवाब: ऐसे समय में जब अंतरराष्ट्रीय माहौल चीन की महत्वाकांक्षाओं के प्रति शत्रुतापूर्ण हो रहा है, भारत को चीनी आक्रामकता को उजागर करने के लिए एक कूटनीतिक आक्रमण शुरू करना क्यों व्यापारी अबी का उपयोग करना पसंद करते हैं चाहिए। चीन का नाम लेकर और उसे शर्मिंदा करने के भारत के पास कई अवसर होते हैं लेकिन वह इससे परहेज करता है जबकि चीन अपनी आक्रामकता के बीच भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाने में कोई हिचक नहीं दिखाता है।
India China Face off : पहाड़ पर जंग छिड़ी तो क्या होगा, भारत के मुकाबले कहां ठहरता है चीन?
सवाल: चीन की आक्रामकता सिर्फ सीमा पर ही नहीं है। वह भारत के खिलाफ ‘साइबर वार’ भी चला रहा है। इस संबंध में आपका क्या कहना है?
जवाब: भारत जब तक चीन को उसकी आक्रामकता का ठोस जवाब नहीं देगा (ताकि बीजिंग को उसकी कारस्तानी महंगी पड़े), वह भारत के खिलाफ नए मोर्चे खोलता रहेगा। नहीं तो वह अपनी साइबर आक्रामकता को बढ़ाएगा और भारत को उसके समुद्री इलाकों में भी चुनौती देगा।
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