Tech Stocks: IT सेक्‍टर में फिर बन रहे हैं कमाई के मौके; TCS, Infosys, HCL समेत ये शेयर पोर्टफोलियो में करें शामिल

Peak Margin rule| what is Sebi Peak margin for options trader| how to increase margin

स्टॉक मार्केट में trade करने के लिए, खासतौर से निफ़्टी -ऑप्शन और बैंक निफ़्टी-ऑप्शन में सेबी के नए नियम के हिसाब से अब आपको ज्यादा मार्जिन देना होगा ट्रेड करने के लिए आप उतना ही मार्जिन देना होगा जितना कि आप पहले डिलीवरी में मार्जिन देते थे.

मतलब अब आपको कोई भी मार्जिन ब्रोकर की तरफ से नहीं दिया जाएगा

चलो सबसे पहले जानते हैं

Peak margin kya hota hai

पीक मार्जिन वह मार्जिन होता है मार्जिन का मतलब पैसा एडवांस में दिया जाने वाला आपकी तरफ से अपने रिक्स को बचाने के लिए

शायद आपको समझ में आ गया होगा कहने का मतलब क्या है

कहने का मतलब यह है कि जैसे आप कोई निफ़्टी ऑप्शन या बैंक निफ़्टी ऑप्शन या किसी स्टॉक ऑप्शन में अपनी पोजीशन बनाते हैं खासतौर से ऑप्शन को आप सेल करते हैं

तब ऑप्शन को sell करने पर बहुत ज्यादा रिस्क होता है आपके loss करने का जोखिम बहुत जायदा बढ़ जाता है

तब इस risk को पहले से ही कैलकुलेट करके इसका पैसा ब्रोकर के जरिए एक्सचेंज

Nse Exchange or Stock Exchange अपने पास advanced में जमा करवा लेता सेबी के नए मार्जिन नियम है

पहले कौन देता था मार्जिन का पैसा

आज से ठीक 1 साल पहले मतलब सितंबर 2020 तक आपको ब्रोकर अपनी तरफ से trade करने के लिए यह पैसा एक्सचेंज के पास रख देता था . लेकिन इसमें कंडीशन यह होती थी कि आपको अपनी पोजीशन मतलब ट्रेड 3:00 बजे तक काट देनी होती है. अगर आप अपनी पोजीशन को 3:00 बजे तक नहीं काटते हैं, तब ब्रोकर अपने आप आपकी पोजीशन को काट देता है

पोजीशन क्या loss में भी कट जाती है

जी हां ब्रोकर यह नहीं देखता है कि आप loss कर रहे हैं या profit उसको अपना पैसा वापस चाहिए मार्केट बंद होने से पहले

SEBI ने यह नियम क्यों बनाया

सितंबर 2020 के बाद से सेबी ने यह नियम बनाया, हालांकि इस पर विचार बहुत सालों से चल रहा था.

नियम बनाने की जरूरत क्यों पड़ी।

ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि इसमें बहुत सारे छोटे ट्रेडर जो बहुत ही मुश्किल का 1000 या 10,000 तक रुपए लेकर आते हैं और ब्रोकर ट्रेडर को 10 गुना मार्जिन देकर ट्रेड करवाता है.

इससे होता क्या था ट्रेडर्स प्रॉफिट लगभग नहीं बना पा रहे थे. और लगातार लॉस कर रहे थे छोटे ट्रेडर

सेबी का यह नियम बनाने का सिर्फ एक मकसद है कि लोगों को इन्वेस्टिंग की तरफ आकर्षित करना और लॉस करने से बचाना फ्यूचर एंड ऑप्शन से

SEBI New Rule: आज से T+1 सेटलमेंट सिस्टम, रिटेल निवेशकों को ट्रेडिंग में कैसे होगा फायदा, एक्सपर्ट व्यू

SEBI New Rule: आज से T+1 सेटलमेंट सिस्टम, रिटेल निवेशकों को ट्रेडिंग में कैसे होगा फायदा, एक्सपर्ट व्यू

स्टॉक एक्सचेंज आज 25 फरवरी यानी शुक्रवार से T+1 सेटलमेंट रूल सेबी के नए मार्जिन नियम लागू कर रहे हैं. (reuters)

T+1 Settlement System: स्टॉक एक्सचेंज आज 25 फरवरी यानी शुक्रवार से T+1 सेटलमेंट रूल लागू कर देंगे. यह शेयरों के सेटलमेंट का सिस्टम (T+1 Settlement System) है. अभी यह नियम चुनिंदा शेयरों के लिए लागू हो रहा है, धीरे-धीरे बाकी शेयरों को भी इसमें जोड़ा जाएगा. अभी देश में T+2 सेटलमेंट सिस्टम लागू था. फिलहाल यह सिस्टम NSE और BSE दोनों ही स्टॉक एक्सचेंज पर लागू होगा. आखिर क्या है T+1 सेटलमेंट सिस्टम और इससे अलग अलग निवेशकों और उनके निवेश पर क्या असर होगा. आपको इसका कैसे फायदा मिलेगा.

24 घंटे में होगा सेटलमेंट

जब निवेशक या ट्रेडर शेयर बेचते या खरीदते हैं तो डीमैट अकाउंट में शेयर आने या बचत खाते में पैसे आने में कुछ समय लगता है. अभी भारत में T+2 सेटलमेंट सिस्टम लागू है, यानी बाय या सेल के ऑर्डर के 2 दिन में शेयरों का सेटलमेंट पूरा होता है. T+1 सेटलमेंट सिस्टम लागू होने के बाद 24 घंटे के अंदर शेयर आपके डीमैट अकाउंट में आ जाएंगे. हालांकि स्टॉक एक्सचेंज को यह ऑप्शन दिया गया कि वे चाहे तो नए सिस्टम को अपना सकते हैं या मौजूदा सिस्टम के साथ बने रह सकते हैं.

Swastika Investmart Ltd. के चीफ इन्वेस्टमेंट आफिसर एंड DGM अमित पमनानी का कहना है कि सेबी का यह कदम कॉरपोरेट्स, FIIs, DIIs जैसे बाजार में ज्यादा निवेश करने वालों के लिए बहुत फायदेमंद होगा. एक दिन पहले सेटलमेंट से उन्हें अधिक लिक्विडिटी दे सकता है और मार्जिन आवश्यकताओं को कम कर सकता है. जबकि छोटे या रिटेल निवेशकों के लिए यह T+1 सेबी के नए मार्जिन नियम डे सेटलमेंट सिसटम अधिक प्रभाव नहीं डालेगा. हालांकि, बता दें कि रिटेन निवेशक एक्सचेंज पर डेली ट्रेडिंग वॉल्यूम का 45 फीसदी योगदान करते हैं. बाकर 55 फीसदी सेबी के नए मार्जिन नियम में कॉरपोरेट, FIIs, DIIs और अन्य शामिल हैं.

कॉमन निवेशकों के लिए नफा और नुकसान

पमनानी का कहना है कि यह निवेशकों को उनके फंड के पोस्ट-ट्रेड एग्जीक्यूशन और सेटलमेंट के पहले की अर्लियर रीसीप्ट प्रदान करेगा. इसके अलावा, कई आपरेशन और सेबी के नए मार्जिन नियम मार्केट रिस्क को कम किया जा सकता है. हालांकि यह उसी दिन सेटलमेंट प्रॉसेस का अनुपालन करने के अलावा किसी भी वर्ग के निवेशकों के लिए नुकसानदेह सेबी के नए मार्जिन नियम नहीं हो सकता है. T+1 सेटलमेंट सिस्टम के आने से पे-इन/पे-आउट डिफॉल्ट का रिस्क कम होगा. ट्रेडिंग वॉल्यूम में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी क्योंकि आपके ट्रेडिंग अकाउंट का मार्जिन सिर्फ एक दिन के लिए ब्लॉक होगा.

शुरुआत में T+1 सेटलमेंट सिस्टम के तहत सिर्फ 100 कंपनियों के शेयर आएंगे. इन कंपनियों का सेलेक्शन मार्केट वैल्यूएशन के आधार पर होगा. सबसे कम वैल्यूएशन वाली 100 कंपनियों को शुरू में इसका हिस्सा बनाया जाएगा. फिर, अगले हर महीने के शुक्रवार को 500 कंपनियों के शेयरों को इस लिस्ट में लाया जाएगा. यह तब तक जारी रहेगा, जब तक सभी शेयर नई व्यवस्था के तहत नहीं आ जाते हैं.

सेबी के नए मार्जिन नियम

30th June 2021 05:25 PM

नया मार्जिन नियम: अब अपनी कमोडिटी पोजीशन को 75% छूट पर हेज करें

सिस्टम से अनावश्यक जोखिमों को खत्म करने के लिए इक्विटी में मार्जिन संरचना में सुधार के बाद, लिक्विडिटी बढ़ाने के मकसद से सेबी कमोडिटी सेगमेंट में मार्जिन नियमों में बदलाव कर रहा है।

बाजार नियामक मार्जिन नियमों में बदलाव कर रहा है। जो व्यक्तिगत कमोडिटी डेरिवेटिव्स और संबंधित कमोडिटी सेबी के नए मार्जिन नियम इंडेक्स फ्यूचर्स मंं अपनी स्थिति को हेज करने वालों को लाभान्वित करेगा।

सेबी ने अपने सर्कुलर में कहा, "इससे ट्रेडिंग की लागत कम होगी और कमोडिटी इंडेक्स फ्यूचर्स और इसके अंतर्निहित घटक फ्यूचर्स या इसके वेरिएंट दोनों में तरलता बढ़ सकती है।"

यह समझने के लिए कि वास्तव में परिवर्तन क्या है और इसका कमोडिटी बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा, ETMarkets ने IIFL सिक्योरिटीज NSE -0.13% के वीपी अनुज गुप्ता और एक शीर्ष ब्रोकरेज के एक अन्य अधिकारी से बात की, जो नाम नहीं लेना चाहते थे।

अडानी की इस कंपनी के IPO पर फिलहाल सेबी की रोक; ‘Fortune' ब्रांड की मालिक

गौतम अडानी (Photo : Getty)

  • नई दिल्ली,
  • 21 अगस्त 2021,
  • (अपडेटेड 21 अगस्त 2021, 11:16 AM IST)
  • ‘4,500 करोड़ रुपये का है इस कंपनी का IPO'
  • 'सिंगापुर के Wilmar Group की 50% हिस्सेदारी’
  • ‘बीते वित्त वर्ष में 655 करोड़ का प्रॉफिट कमाया इसने’

अडानी समूह की प्रमुख कंपनी Adani Wilmar Ltd. के IPO को फिलहाल मंजूरी नहीं मिली है. कंपनी ने इसी महीने इस IPO के लिए बाजार नियामक सेबी को आवेदन किया था, लेकिन इसकी मंजूरी को होल्ड पर रख दिया गया है.

कितने का है ये IPO

कल से बदल रहे हैं शेयर ट्रेडिंग की

मुंबई: शेयर मार्केट में एक सितंबर से आम निवेशकों के लिए नियम बदल जाएंगे। अब वे ब्रोकर की तरफ से मिलने वाली मार्जिन का फायदा नहीं ले सकेंगे। जितना पैसा वे अपफ्रंट मार्जिन के रूप में ब्रोकर को देंगे, उतने के ही शेयर खरीद सकेंगे। इसे लेकर कई शेयर ब्रोकर्स को चिंता है कि वॉल्युम नीचे आ जाएगा। आइए समझते हैं क्या है SEBI का ये यह नया नियम ?

अब तक क्या है मार्जिन लेने की प्रक्रिया?

बता दें कि मार्जिन दो प्रकार की होती है। एक होती है कैश मार्जिन। जिसमे आपने जितना पैसा आपके ब्रोकर को दिया है, उसमें कितना सरप्लस है, उतने की ही आप बाजार में खरीदी-बिक्री कर सकते हैं। दूसरी होती है स्टॉक मार्जिन। इस प्रोसेस में ब्रोकरेज हाउस आपके डीमैट अकाउंट से स्टॉक्स अपने अकाउंट में ट्रांसफर करते हैं और क्लियरिंग हाउस के लिए प्लेज मार्क हो जाती है। इस सिस्टम में अगर कैश मार्जिन के ऊपर ट्रेडिंग में कोई घाटा होता है, तो क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क किए स्टॉक को बेचकर राशि वसूल कर सकता है।

रेटिंग: 4.38
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 565