शेयरों के बायबैक के लिए आवेदन कैसे करें?
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क्या है शेयर बायबैक और निवेशकों को इससे कैसे होता है फायदा, जानिए यहां सबकुछ
जब किसी भी कंपनी के पास बहुत अधिक मात्रा में नकद राशि होती है तब कंपनी अपने निवेशकों को उनके निवेश का अधिक मूल्य प्रदान करने के लिए शेयर बायबैक का विकल्प चुनती हैं।
Written by: Sarabjeet Kaur
Published on: July 02, 2021 13:09 IST
Photo:FREEPIK
What is share buyback and how investors benefit from it, know everything here
अभी हाल ही में देश की तीन सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक इंफोसिस ने 9200 करोड़ रुपये के शेयर बायबैक की प्रक्रिया शुरू की है। पिछले साल टीसीएस ने 16,000 करोड़ और विप्रो ने 9500 करोड़ रुपये के शेयर बायबैक किए थे। ऐसे में कई लोगों को यह पता ही नहीं है कि आखिर शेयर बायबैक होता क्या है और निवेशकों को इससे क्या फायदा मिलता है? अगर आप भी शेयर बाजार में रुचि रखते हैं तो शेयर बायबैक की पूरी जानकारी आपको होना चाहिए।
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क्या है शेयर बायबैक
जब किसी भी कंपनी के पास बहुत अधिक मात्रा में नकद राशि होती है तब कंपनी अपने निवेशकों को उनके निवेश का अधिक मूल्य प्रदान करने के लिए शेयर बायबैक का विकल्प चुनती हैं। इसके तहत कंपनी एक निश्चित कीमत पर बाजार से अपने शेयरों को निवेशकों से वापस खरीदती है। इसे ही शेयर बायबैक कहा जाता है। अक्सर कंपनियां अपने शेयरों की बाजार भाव से अधिक कीमत पर पुर्नखरीद करती हैं, जिससे निवेशकों को अधिक फायदा पहुंचा सकें। बायबैक के ऑफर लेने वाले शेयरधारकों को आवेदन फॉर्म भरकर ये बताना होता है कि वो अपने कितने शेयरों को टेंडर करना चाहते हैं।
कैसे खरीदती है कंपनियां अपने शेयर
कंपनी दो तरीके से अपने शेयर वापस खरीदती है।पहला तरीका होता है टेंडर ऑफर और दूसरा है ओपन मार्केट। विशेषज्ञों की माने तो जब भी कोई कंपनी अपने शेयर का बायबैक करती है तो उसे हमेशा सकारात्मक माना जाता है। कंपनी बायबैक के जरिए बाजार में मौजूद अपने शेयरों को वापस खरीदती है। कंपनी हमेशा मौजूद शेयर भाव से ज्यादा के भाव पर ही शेयर बायबैक करती है जिससे शेयरधारकों को फायदा होता है।
किन कारणों से होता है बायबैक
कंपनियां प्रीमियम पर शेयर बायबैक करती हैं, जिससे उसके शेयरों पर अर्निंग पर शेयर (EPS) और PE में बढ़ोतरी होती है। बायबैक करने से कंपनी के शेयरों में एक स्थिरता लाने का प्रयास भी किया जाता है। इसके साथ ही, कंपनी की संपत्ति पर मिलने वाला रिटर्न भी बढ़ता है। बायबैक की प्रक्रिया से कंपनी का कॉन्फिडेंस बढ़ता है, जिससे प्रमोटर्स की हिस्सेदारी भी बढ़ती है। ऐसा करने शेयरों के बायबैक के लिए आवेदन कैसे करें? से कंपनी को टेकओवर के खतरे से सुरक्षित माना जाता है और कंपनी की पकड़ मजबूत होती है। साथ ही, किसी भी कंपनी के बैलेंस शीट में अतिरिक्त कैश का होना सही नहीं माना जाता है। यही एक मुख्य कारण है कि कंपनी बायबैक करके नकदी को कम करने की कोशिश करती है। कई बार कंपनियों को लगता है कि शेयरों की कीमत कम है जिसे बढ़ाने के लिए भी बायबैक किया जाता है।
कंपनियों को बायबैक का फायदा
जब कोई कंपनी बायबैक करती है तो कंपनी के आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या कम होती है और वित्तीय अनुपात में सुधार होता है। साथ ही कंपनी के बैलेंस शीट से कैश घटने से रिटर्न ऑन ऐसेट्स में बढ़ोतरी होती है।
निवेशकों को बायबैक का फायदा
बायबैक के जरिए कंपनी अपने शेयरों को खरीद कर शेयरधारकों को सरप्लस कैश देती है। जिससे न केवल शेयरों की कीमतों में बढ़ोतरी होती है बल्कि शेयर होल्डर्स की वैल्यू भी बढ़ती है। निवेशकों को ज्यादा कीमत पर अपने शेयरों को बेचने का मौका मिलता है। बायबैक की तारीख तय की जाती है जिसके दौरान शेयरधारक अपने शेयरों को कंपनी को ही बेचते हैं। शेयर बाजार विशेषज्ञों की माने तो लंबी अवधि के निवेशकों को बायबैक से दूर ही रहना चाहिए। अगर आपको लगता है कि कंपनी की ग्रोथ आने वाले समय में कम होने की संभावना है तो आप बायबैक का फायदा उठा सकते हैं और कंपनी के शेयर को बेच कर फायदा ले सकते हैं। या फिर शेयर की कीमत ओवरवैल्यूड है तो निवेशकों को फायदा लेना चाहिए।
TCS Share Buyback: टीसीएस कर रही है शेयर बायबैक, जानिए निवेशकों को शेयर बेच देने चाहिए या रखे रहने में है फायदा!
TCS Share शेयरों के बायबैक के लिए आवेदन कैसे करें? Buyback: आईटी कंपनी टीसीएस 18000 करोड़ रुपये तक के शेयर बायबैक कर रही है यानी अपने ही शेयर वापस खरीद (why a company buyback its shares) रही है। टीसीएस की 4,500 रुपये प्रति शेयर के मूल्य पर पुनर्खरीद पेशकश बुधवार को बीएसई में कंपनी के शेयर के बंद भाव 3,857.25 रुपये से करीब 16.6 प्रतिशत अधिक है। पहले भी दो बार कंपनी ऐसा कर चुकी है। सवाल ये है कि कंपनी ऐसा क्यों कर रही है और इस स्थिति में निवेशकों (what share buyback means for investor) को क्या करना चाहिए। आइए समझते हैं पूरी बात।
TCS Share Buyback: टीसीएस कर रही है शेयर बायबैक, जानिए निवेशकों को शेयर बेच देने चाहिए या रखे रहने में है फायदा!
पहले समझिए क्या होता है शेयर बायबैक
शेयर बायबैक वह प्रक्रिया है, जिसमें कोई कंपनी अपने ही शेयर्स को बाजार से वापस खरीद लेती है। इस तरह कंपनी खुद में ही री-इन्वेस्ट करती है। कंपनी के शेयरों को वापस खरीद लेने के बाद बाजार में आउस्टैंडिंग शेयर्स की संख्या कम हो जाती है। अब क्योंकि शेयर्स की संख्या कम हो जाती है तो हर शेयरहोल्डर का मालिकाना हक तुलनात्मक आधार पर कुछ बढ़ जाता है। शेयर बायबैक को आसान शब्दों में आईपीओ की उलट प्रक्रिया की तरह भी समझा जा सकता है।
कोई भी कंपनी क्यों खरीदती है अपने ही शेयर?
शेयर बायबैक की बात जब भी होती है तो एक सवाल ये सबसे मन में उठता है कि आखिर कंपनी अपने ही शेयर क्यों खरीद रही है। जब कभी कंपनी को लगता है कि उसके पास अधिक पूंजी है और उसे निवेश करने के लिए कोई प्रोजेक्ट नहीं है तो कंपनी शेयर्स बायबैक कर के खुद में ही निवेश करती है। वैसे भी किसी भी कंपनी के पास अधिक नकदी होना अच्छा नहीं माना जाता है, इससे बैलेंस शीट पर भी असर पड़ता है। ऐसे में शेयर बायबैक से उस नकदी का अच्छा इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर कंपनी को लगता है कि उसके शेयर की वैल्यू कम आकी जा रही है तो भी कंपनी शेयर बायबैक करती है, जिससे शेयर की वैल्यू बढ़ जाती है। इससे निवेशकों में भी भरोसा पैदा होता है कि कंपनी की वित्तीय हालत बहुत अच्छी है, जिससे कंपनी के शेयर्स के दाम भी बढ़ते हैं।
अहम सवाल ये कि निवेशक क्या करें?
टीसीएस की बायबैक प्रक्रिया में सबसे बड़ा सवाल ये है कि अब टीसीएस के निवेशकों को क्या करना चाहिए। इस सवाल का जवाब लंबी अवधि और छोटी अवधि के निवेशकों के लिए अलग-अलग है। अगर आपने लंबी अवधि के लिए टीसीएस में निवेश किया है तो बायबैक की प्रक्रिया में आप अपने शेयरों को ना बेचें, उनमें निवेश किए रहें, वो आने वाले दिनों में आपको और अधिक रिटर्न देंगे। आपको शेयर बायबैक के तहत शेयर तभी बेचने चाहिए अगर आपको लगे कि कंपनी के शेयर की वैल्यू काफी अधिक (ओवरवैल्यूड) है और कंपनी के पास ग्रोथ के कोई खास मौके नहीं हैं। वहीं दूसरी ओर, अगर आपने छोटी अवधि के लिए टीसीएस में निवेश किया है या फिर आपका मकसद सिर्फ ट्रेडिंग कर के मुनाफा कमाने तक सीमित है तो आपके लिए ये किसी गोल्डन चांस से कम नहीं।
Video: Stock Buyback क्या है, निवेशकों के लिए कैसे है फायदेमंद? कंपनियां खुद ही क्यों खरीदती हैं अपना शेयर?
Stock Buyback: कंपनी की बैलेंसशीट में कैश ज्यादा होने को अच्छा नहीं माना जाता. इसलिए कंपनी अपने इस कैश को शेयरों में बदल देती है.
Stock Buyback: शेयर बाजार में अच्छी बुरी खबरें आती रहती हैं. यहीं शेयरों के बायबैक के लिए आवेदन कैसे करें? से कंपनियों के शेयरों में उथल-पुथल मचती है. अच्छी खबरों पर बाजार अच्छे मूड में नजर आता है. वहीं, बुरी खबर पूरे बाजार का मूड खराब कर सकती है. लेकिन, खबरों से अलग कंपनियों की तरफ से होने वाले ऐलान भी निवेशकों के लिए बहुत कुछ लाती हैं. इनमें से एक होता है बायबैक (Share Buyback). देश की बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी (TCS Buyback) ने भी इसका ऐलान किया है.
TCS प्रति शेयर 4,500 रुपए के भाव पर करीब 4 करोड़ शेयरों का बायबैक होगा. TCS Share Price के मुताबिक कंपनी 18,000 करोड़ रुपए के शेयर बायबैक करेगी. इस तरह कंपनी बायबैक पर अपने बाजार पूंजीकरण का करीब 1.55 फीसदी खर्च करेगी.
क्या होता है बायबैक?
बायबैक का मतलब जब कोई कंपनी अपने शेयरों को बाजार से वापस खरीदती है. आप इसे IPO का उलट भी मान सकते हैं. बायबैक की प्रक्रिया पूरी होने पर इन शेयरों का वजूद खत्म हो जाता है. बायबैक के लिए मुख्यत: दो तरीकों-टेंडर ऑफर या ओपन मार्केट का इस्तेमाल किया जाता है.
कब किया जाता शेयरों के बायबैक के लिए आवेदन कैसे करें? है बायबैक?
कंपनी के पास कैश फ्लो ज्यादा होने पर कंपनी अपने ही शेयरों को वापस खरीदती है यानी बायबैक करती है. कंपनी कभी भी बाजार में अपना बायबैक ला सकती है. इसके लिए कोई निर्धारित समय या अवधि नहीं होती. बायबैक इसलिए किया जाता है, क्योंकि इससे कंपनी में प्रमोटर की होल्डिंग बढ़ जाती है.
यहां देखें पूरी वीडियो:
क्यों करती हैं बायबैक?
कंपनी की बैलेंसशीट में कैश ज्यादा होने को अच्छा नहीं माना जाता. इसलिए कंपनी अपने इस कैश को शेयरों में बदल देती है. अतिरिक्त कैश को शेयर बायबैक में इस्तेमाल कर लिया जाता है. सबसे अहम प्वाइंट यह है कि कंपनी को कई बार लगता है कि उसके शेयर की कीमत (अंडरवैल्यूड) कम है. इसलिए बायबैक के जरिए उसे बढ़ाने की कोशिश की जाती है.
कंपनी या निवेशक किसे होता है फायदा?
बायबैक का फायदा कंपनी और निवेशक दोनों को मिलता है. कंपनी को ज्यादातर मामलों में कोई नुकसान नहीं होता. बल्कि के कंपनी के नियंत्रण और प्रोमोटर्स होल्डिंग बढ़ाने में फायदेमंद होता है. निवेशकों के लिए ज्यादातर मामलों में यह फायदा वाला होता है. लेकिन, कई बार कंपनियां जान बूझकर कम भाव पर बायबैक करती हैं, जिसमें निवेशकों को घाटा होता है.
कंपनी के शेयर पर कितना असर?
बायबैक से कंपनी के शेयर पर कोई खास असर नहीं होता है. हालांकि, बाजार में उसके शेयरों की संख्या घट जाती है. प्रति शेयर आय (Earning Per Share) बढ़ती है. शेयर का PE भी बढ़ता है. लेकिन, बायबैक के कारण कंपनी के कारोबार में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं आता.
आपके पास नहीं है Demat Account? फिर भी कर सकते हैं LIC IPO में अप्लाई, जानें- प्रोसेस
शेयर बाजार में कोई भी कारोबार करने के लिए डीमैट अकाउंट होना अनिवार्य है. आप किसी आईपीओ में पैसे लगाना चाहते हों या किसी स्टॉक को खरीदना चाहते हों, बिना डीमैट अकाउंट के आप ये काम नहीं कर सकते हैं.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 02 मई 2022,
- (अपडेटेड 02 मई 2022, 8:30 PM IST)
- LIC IPO के लिए पेटीएम ने शुरू की खास पहल
- 04 मई से रिटेल इन्वेस्टर्स लगा सकेंगे बोलियां
सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी का बहुप्रतीक्षित आईपीओ (LIC IPO) इस सप्ताह रिटेल इन्वेस्टर्स (Retail Investors) के लिए खुलने वाला है. एलआईसी का ऐतिहासिक IPO सोमवार से ही एंकर इन्वेस्टर्स (Anchor Investors) के लिए खुल चुका है. अब यह 4 मई से रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए खुलने वाला है. रिटेल इन्वेस्टर्स एलआईसी आईपीओ में 09 मई तक बोली लगा सकेंगे.
इस बीच ग्रे मार्केट में प्रीमियम (LIC IPO GMP) बढ़ने से इस बात की उम्मीद अधिक हो गई है कि एलआईसी के इन्वेस्टर्स को लिस्टिंग के दिन ही ठीक-ठाक फायदा हो जाए. इस बीच वैसे लोगों के लिए एक राहत भरी खबर है, जो इस आईपीओ में पैसे तो लगाना चाहते हैं, लेकिन उनके पास अभी तक डीमैट अकाउंट (Demat Account) नहीं है.
QR Code स्कैन करते ही खुलेगा Demat Account
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फिनटेक कंपनी पेटीएम (Paytm) ने लोगों के लिए एलआईसी आईपीओ का एक्सेस आसान बनाने की मुहिम शुरू की है. इसके तहत पेटीएम की पैरेंट कंपनी One97 Communications ने किराना दुकानों व मोहल्ले की अन्य दुकानों पर एक खास क्यूआर कोड (QR Code) लगाने की शुरुआत की है. ये क्यूआर कोड पेटीएम मनी (Paytm Money) की ओर से लगाए जा रहे हैं. इनकी खासियत है कि जैसे ही आप इन्हें स्कैन करेंगे, आप चुटकियों में बिना किसी शुल्क के डीमैट अकाउंट (Demat Account) खोल सकेंगे. इस तरह आप भी एलआईसी आईपीओ से कमाई कर सकेंगे.
IPO खुलने से पहले ही कर सकेंगे अप्लाई
दरअसल शेयर मार्केट में किसी भी प्रकार का ट्रेड करने के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है. इसी कारण एलआईसी आईपीओ में इन्वेस्ट करने के लिए भी डीमैट अकाउंट जरूरी हैं. पेटीएम ने इसी कारण खास पहल की शुरुआत की है, ताकि जो लोग अभी तक डीमैट अकाउंट नहीं खुलवा पाए थे, वे भी एलआईसी आईपीओ में हिस्सा ले सकें. पेटीएम ने प्री-ओपन आईपीओ अप्लिकेशन की भी शुरुआत की है. यह इन्वेस्टर्स को आईपीओ के खुलने से पहले ही अप्लाई करने में मदद करेगा. ये प्री अप्लिकेशन पेटीएम मनी के सिस्टम में रिकॉर्ड हो जाएंगे. जैसे ही आईपीओ लाइव होगा, पेटीएम मनी सारे रिकॉर्ड शेयरों के बायबैक के लिए आवेदन कैसे करें? स्टॉक मार्केट को भेज देगा.
इतना बड़ा होगा एलआईसी का आईपीओ
सरकार पहले इस आईपीओ के जरिए एलआईसी की अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने वाली थी. हालांकि अब इसका साइज घटा दिया गया है. संशोधित ड्राफ्ट के हिसाब से अब सरकार एलआईसी में 3.5 फीसदी हिस्सेदारी ही बेचने जा रही है. इस तरह एलआईसी का आईपीओ अब 21 हजार करोड़ रुपये का होने वाला है. हालांकि इसके बाद भी यह देश का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ बन जाएगा. अभी तक यह रिकॉर्ड पेटीएम के नाम था, जिसने पिछले साल 18,300 करोड़ रुपये का आईपीओ पेश किया था.
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