मूल्यह्रास: यह क्या है, यह अचल संपत्तियों को कैसे प्रभावित करता है, और मूल्यह्रास आधार क्या है?
मूल्यह्रास का एक बुरा अर्थ हो सकता है, लेकिन यह आपकी कंपनी के लिए एक वरदान हो सकता है यदि आप जानते हैं कि इसका प्रभावी ढंग से उपयोग कैसे किया जाए। मूल्यह्रास मूल्य आपकी कंपनी की बैलेंस शीट को प्रभावित करता है और आपकी शुद्ध आय और लाभ को भी प्रभावित कर सकता स्थिर संतुलन के उदाहरण है। जितना अधिक आप मूल्यह्रास के बारे में जानते हैं और इसे प्रभावी ढंग से कैसे उपयोग करते हैं, उतना ही अधिक पैसा आप लंबे समय में बचाएंगे। मूल्यह्रास के मूल सिद्धांत, मूल्यह्रास अर्थ, और मूल्यह्रास के विभिन्न रूपों की गणना कैसे की जाती है।
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गुरुत्व केंद्र व संतुलन क्या होता है ? | Physics Notes in Hindi
गुरुत्व केंद्र व संतुलन क्या होता है ? |Physics Notes in Hindi
क्या है गुरुत्व केंद्र
किसी वस्तु का गुरुत्व केंद्र वह बिंदु है चाहे वस्तु किसी भी स्थिति में रखी जाये उस पर वस्तु का समस्त भार कार्य करता है
क्या है संतुलन
वस्तु का भार गुरुत्व केंद्र से ठीक नीचे की ओर कार्य करता है अत: गुरुत्व केंद्र पर वस्तु के भार के बराबर ऊपरी बल लगाकर हम वस्तु को संतुलित कर सकते है, जब किसी वस्तु पर कई बल इस प्रकार लगा रहे हो कि वस्तु ना तो रेखीय गति ना ही घूर्णन गति करे तो वस्तु संतुलन की अवस्था मे कहलाती है
कोई वस्तु कब तक संतुलन में रह सकती है
कोई भी वस्तु उस समय तक संतुलन की अवस्था में रह सकती है जब तक उसके गुरुत्व केंद्र से होकर जाने वाली उर्ध्वाधर रेखा उस वस्तु के आधार के क्षेत्रफल के अंदर से होकर गुजरती है, यदि यह रेखा आधार के क्षेत्रफल के बाहर हो जाती है तो वस्तु का संतुलन बिगड जाता है और गिर पडती है इसलिए वस्तु के आधार का क्षेत्रफल जितना बडा होगा उस वस्तु का संतुलन उतना ही अधिक स्थाई होगा
संतुलन का उदाहरण
1. पीसा की मीनार झुकी होने पर भी आज तक खडी हुई है इसका कारण यह है कि इसके केंद्र से जाने वाली उर्ध्वाधर रेखा इसके आधार से होकर गुजरती है जब इस मीनार का झुकाब इतना अधिक हो जायेगा कि गुरुत्व केंद्र से होकर गुजरने वाली उर्ध्वाधर रेखा आधारके बाहरहोकर गुजरने लगेगी तो ये मीनार गिर जायेगी
2. जब हम पानी से भरी बाल्टी अपने दाएं हाथ में लेकर चलते है तो बाएं हाथ की तरफ झुक जाते है वास्तव में ऐसा हम इसलिए करते है क्योकि हमारे गुरुत्व केंद्र से होकर जाने वाली उर्ध्वाधर रेखा हमारे पैरो के बीच में होती है
संतुलन कितने प्रकार का होता है
संतुलन तीन प्रकार के होते है, स्थाई संतुलन, अस्थाई संतुलन, उदासीन संतुलन
1. स्थाई संतुलन– यदि किसी वस्तु को संतुलन स्थिति से थोडा विस्थापित किया जाये और छोडते ही वह पूर्व स्थिति में आ जाये तो वह स्थाई संतुलन कहलाता है जैसे-अपने आधार पर रखा शंकु
2. अस्थाई संतुलन– यदि किसी वस्तु कि संतुलन स्थिति से थोडा विस्थापित किया जाये और छोड देने पर वह पूर्व स्थिति में ना आये स्थिर संतुलन के उदाहरण तो वह अस्थाई संतुलन कहलाता है जैसे- अपने शीर्ष पर रखा हुआ शंकु यदि उसको थोडा सा हिलाया जायेगा तो उसका संतुलन बिगड जायेगा और वह गिर पडेगा
3. उदासीन संतुलन– यदि किसी वस्तु को संतुलन की स्थिति से थोडा सा विस्थापित किया जाये और छोड देने पर वस्तु अपनी नई स्थिति मे संतुलित हो जाये तो उदासीन संतुलन कहलाता है जैसे-तिरछे फलक के सहारे शंकु, गेंद, बेलन इत्यादि
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tags: science notes for ssc, gravitation center and balance, physics notes
स्थिर संतुलन के उदाहरण
रोज़ाना उठते-बैठते-चलते वक्त हम अपने संतुलन के बारे में ज़्यादा सोचते नहीं हैं, लेकिन संतुलन बनाने में हमारे मस्तिष्क को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। शरीर के कई जटिल तंत्रों से सूचनाएं मस्तिष्क तक पहुंचती हैं, जो मिलकर शरीर का संतुलन बनाती हैं। इन तंत्रों में ज़रा-सी भी गड़बड़ी असंतुलन की स्थिति पैदा करती है। संतुलन बनाने में मददगार ऐसे कुछ तथ्यों की यहां चर्चा स्थिर संतुलन के उदाहरण की जा रही है।
संतुलन में कान की भूमिका
कान सिर्फ सुनने में ही नहीं, शरीर का संतुलन बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। आंतरिक कान में मौजूद कई संरचनाएं स्थान और संतुलन सम्बंधी संकेत मस्तिष्क तक पहुंचाती हैं। सिर की सीधी गति (ऊपर-नीचे, दाएं-बाएं) और गुरुत्वाकर्षण सम्बंधी संदेश के लिए दो संरचनाएं युट्रिकल और सैक्युल ज़िम्मेदार होती हैं। अन्य कुंडलीनुमा संरचनाएं, जिनमें तरल भरा होता है, सिर की घुमावदार गति से सम्बंधित संदेश मस्तिष्क तक पहुंचाती हैं।
यदि आंतरिक कान में कोई क्षति होती है तो शरीर का संतुलन बिगड़ने लगता है। उदाहरण के लिए आंतरिक कान में कैल्शियम क्रिस्टल्स स्थिर संतुलन के उदाहरण गलत स्थान पर पहुंचने पर मस्तिष्क को संकेत मिलता है कि सिर हिल रहा है जबकि वास्तव में सिर स्थिर होता है, जिसके कारण चक्कर आते हैं।
मांसपेशी, जोड़ और त्वचा
वेस्टिब्युलर डिस्ऑर्डर एसोसिएशन के मुताबिक मांसपेशियों, जोड़ों, अस्थिबंध (कंडराओं) और त्वचा में मौजूद संवेदना ग्राही भी स्थान सम्बंधी सूचनाएं मस्तिष्क तक पहुंचाती हैं। पैर के तलवों या पीठ के संवेदना ग्राही दबाव या खिंचाव के प्रति संवेदनशील होते हैं।
गर्दन में मौजूद ग्राही मस्तिष्क को सिर की स्थिति व दिशा के बारे में संदेश पहुंचाते हैं जबकि ऐड़ी में मौजूद ग्राही जमीन के सापेक्ष शरीर की गति के बारे में बताते हैं। चूंकि नशे में मस्तिष्क को अंगों की स्थिति पता करने में दिक्कत महसूस होती है इसलिए अक्सर यह जांचने के लिए कि गाड़ी-चालक नशे में हैं या नहीं पुलिसवाले परीक्षण में चालक को अपनी नाक छूने को कहते हैं।
बढ़ती उम्र में संतुलन
संतुलन बनाने में नज़र, वेस्टीबुलर तंत्र और स्थान सम्बंधी संवेदी तंत्र भी अहम होते हैं। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है शरीर के अंगों के साथ ये तंत्र भी कमज़ोर होने लगते हैं और गिरने के संभावना बढ़ती है।
चलने का अहसास होना
यदि आप ट्रेन में बैठे हैं और खिड़की से बाहर देख रहे हैं, तभी अचानक आपको महसूस होने लगता है कि आपकी ट्रेन चलने लगी है जबकि वह स्थिर होती है। इस स्थिति को वेक्शन कहते हैं। वेक्शन की स्थिति तब बनती है जब मस्तिष्क को प्राप्त होने वाली सूचनाएं आपस में मेल नहीं खातीं। उदाहरण के लिए ट्रेन के मामले में आंखें खिड़की से दृश्य पीछे जाते देखती हैं, और मस्तिष्क को गति होने का संदेश भेजती हैं, लेकिन मस्तिष्क को शरीर में मौजूद अन्य संवेदना ग्राहियों से गति से सम्बंधित कोई संकेत नहीं मिलते और भ्रम की स्थिति बनती है। हालांकि दूसरी ओर देखने पर यह भ्रम खत्म हो जाता है।
माइग्रेन और संतुलन
माइग्रेन से पीड़ित लोगों में से लगभग 40 प्रतिशत लोग संतुलन बिगड़ने या चक्कर आने की समस्या का भी सामना करते हैं। इस समस्या को माइग्रेन-सम्बंधी वर्टिगो कहते हैं। समस्या का असल कारण तो फिलहाल नहीं पता, लेकिन एक संभावित यह कारण है कि माइग्रेन मस्तिष्क की संकेत प्रणाली को प्रभावित करता है। जिसके कारण मस्तिष्क की आंख, कान और पेशियों से आने वाले संवेदी संकेतों को समझने की गति धीमी हो जाती है, और फलस्वरूप चक्कर आते हैं। इसका एक अन्य संभावित कारण यह दिया जाता है कि मस्तिष्क में किसी रसायन का स्राव वेस्टीबुलर तंत्र को प्रभावित करता है जिसके फलस्वरूप चक्कर आते हैं।
सफर का अहसास होना
कई लोगों को जहाज़ या ट्रेन से उतरने के बाद भी यह महसूस होता रहता है कि वे अब भी ज़हाज या ट्रेन स्थिर संतुलन के उदाहरण में बैठे हैं। सामान्य तौर पर यह अहसास कुछ ही घंटे या एक दिन में चला जाता है लेकिन कुछ लोगों में यह एहसास कई दिनों, महीनों या सालों तक बना रहता है। इसका एक कारण यह माना जाता है कि इससे पीड़ित लोगों के मस्तिष्क के मेटाबोलिज़्म और मस्तिष्क गतिविधि में ऐसे बदलाव होते हैं जो शरीर को हिलती-डुलती परिस्थिति से तालमेल बनाने में मददगार होते हैं। लेकिन सामान्य स्थिती में लौटने पर बहाल नहीं होते। (स्रोत फीचर्स)
सिद्धांत
सतह तनाव एक तरल का गुण धर्म है ,उस के आधार पर जो बाकी मुक्त सतह पर एक लोचदार त्वचा या एक फैली हुई रबर की झिल्लीकी प्रवृत्ति के रूप में तरह कम से कम सतह क्षेत्र पर कब्जे के लिए अनुबंध के साथ बर्ताव करता है। यह गुण अणुओं के सामंजस्य के कारण होता है और ज्यादा तरल पदार्थ के व्यवहार के लिए जिम्मेदार है।
सतह तनाव के गुणों का खुलासा होता है , उदाहरण के लिए, कुछ वस्तुओं की पानी पर तैरने की क्षमता के द्वारा पता चलता है, भले ही वे पानी से भारी हों । कुछ कीड़ों में सतह तनाव की क्षमता को देखा जाता है, जैसे पानी के स्रीदर्स और यहाँ तक की पानी की सतह पर चलाने के लिए बैसिलिस्क जैसे सरीसृप ।
सतह तनाव मामले को अच्छी तरह से आणविक सिद्धांत द्वारा समझाया गया है। इस सिद्धांत के अनुसार, तरल अणुओं के बीच एकजुट बल सतह तनाव घटना के लिए जिम्मेदार हैं। अच्छी तरह से अंदर तरल अणु समान रूप से सभी दिशाओं में अन्य अणुओं को आकर्षित करते हैं। सतह पर अणुओं का अनुभव एक आवक पुल की तरह है ।
तो, आवक खिंचाव के विपरीत एक नेटवर्क , एक अणु स्थिर संतुलन के उदाहरण को तरल सतह पर स्थानांतरित करने के लिए बनाई है। इसके परिणाम में सतह के अणुओं पर अधिक से अधिक संभावित ऊर्जा होती है। इस स्थिर संतुलन के उदाहरण क्रम में न्यूनतम स्थितिज ऊर्जा प्राप्त होती है और इसलिए स्थिर संतुलन पाने के लिए, तरल की सतह का रुख न्यूनतम सतह क्षेत्र की ओर हो जाता है और जिससे यह एक फैली हु पतली झिल्ली की तरह बर्ताव करती है।
सतह तनाव कार्यकारी बल के रूप में माप जाता है जो सामान्यतः एक काल्पनिक रेखा पर प्रति इकाई लंबाई मुक्त तरल सतह के बाकी रूप में मापा जाता है। यह प्रतीक T (या S द्वारा) के द्वारा प्रतिनिधित्व कियाजाता है। यह S.I. है . Nm-1इकाई है और M1L0T-2इसका आयामी फार्मूला है।
केशिका ट्यूब
जब एक केशिका ट्यूब को एक तरल में डूबाया जाता है, तो तरल का स्तर या तो ऊपर उठता है या केशिका ट्यूब में नीचे गिर जाता है। एक केशिका ट्यूब में एक तरल स्तर के उठाव या पतन की घटनाएं capillarity या केशिका क्रिया कहलाती है।
जब एक तरल एक केशिका ट्यूब में उठता है, तो तरल के स्तंभ का वजन घनत्व ρ ट्यूब के अंदर सतह तनाव के संपर्क में आ कर परिधि के चारों ओर कार्यान्वित होकर उर्ध्व बल को समर्थन देता है।
Equilibrium का मतलब क्या होता है, परिभाषा, उदाहरण(Equilibrium in hindi)
Equilibrium का मतलब क्या होता है, परिभाषा, उदाहरण(Equilibrium in hindi)
Equilibrium का अर्थ- इसका सामान्य अर्थ होता है संतुलन की अवस्था, संतुलन का मतलब होता है तालमेल। किन्ही दो या दो से अधिक चीजों के बीच में।(Equilibrium in hindi)
Equilibrium किसे कहते है-What is Equilibrium in hindi
जब किसी वस्तु पर कई बल एक साथ कार्य कर रहे हो। जिसके कारण वस्तु ना तो रेखीय गति करें और ना ही घूर्णन गति करें। तो हम कह सकते हैं कि वस्तु equilibrium की state मे है।
संतुलन तीन प्रकार का होता है- Types of equilibrium in hindi
1) स्थायी संतुलन(stable equilibrium)
2) अस्थायी संतुलन(unstable equilibrium)
3) उदासीन संतुलन(neutral equilibrium)
1) स्थायी संतुलन(stable equilibrium)
यदि किसी वस्तु को उसके equilibrium अवस्था से थोड़ा सा भी विस्थापित करके छोड़ने पर यदि वस्तु पुनः अपनी equilibrium की अवस्था प्राप्त कर लेती है तो कहा जाता है कि वस्तू stable equilibrium में है।
2) अस्थायी संतुलन(unstable equilibrium)
यदि किसी वस्तु को उसकी equilibrium अवस्था से थोड़ा सा विस्थापित करके छोड़ने पर वह पुनः संतुलन की अवस्था में ना आए तो इसे unstable equilibrium कहते हैं।
3)उदासीन संतुलन(neutral equilibrium)
यदि किसी वस्तु को उसकी equilibrium स्थिति से थोड़ा सा विस्थापित करके छोड़ने पर वह वस्तु अपनी पूर्व अवस्था में आने का प्रयास ना करें बल्कि अपनी नई स्थिति में ही रहे तो हम कह सकते हैं कि वस्तु neutral equilibrium में है जैसे- गोलाकार वस्तुएं इत्यादि।
संतुलन में ग्रेविटी का योगदान-
कोई वस्तु तभी तक equilibrium की अवस्था में रह सकती है जब तक उसके गुरुत्व केन्द्र से गुजरने वाली उर्ध्वाधर रेखा उस वस्तु के आधार के क्षेत्रफल के अन्दर से होकर गुजरती है। यदि यह रेखा आधार के क्षेत्रफल से बाहर हो जाती है तो वस्तु का संतुलन बिगड़ जाता है और वह गिर पड़ती है।
इससे हम समझ सकते है कि किसी वस्तु के आधार का क्षेत्रफल जितना बड़ा होगा, उसका equilibrium उतना ही स्थायी होगा। इटली में पीसा की मीनार झुके रहने के बावजूद नहीं गिर रही है, क्योंकि इसके गुरुत्व केन्द्र से गुजरने वाली ऊर्ध्वाधर रेखा उसके आधार से होकर जाती है।
पहाड़ पर चढते समय या पीठ पर बोझ लेकर चलते समय मनुष्य आगे की ओर झुक जाता है, ताकि उसके गुरुत्व केन्द्र से गुजरने वाली ऊर्ध्वाधर रेखा उसके पैरों के नीचे से होकर जाये और वह अपने equilibrium को बनाये रख सके।
दो मंजली बसों में नीचे वाली मंजिल अधिक भारी बनाते हैं, ताकि स्थिर संतुलन के उदाहरण बस का गुरुत्व केन्द्र नीचा हो जाये व उसके गुरुत्व केन्द्र से होकर जाने वाली उर्ध्वाधर रेखा आधार से होकर गुजरे । और बस का balance ठीक रहे।
यह article “Equilibrium का मतलब क्या होता है, परिभाषा, उदाहरण(Equilibrium in hindi) ” पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया उम्मीद करता हुँ। कि इस article से आपको बहुत कुछ नया जानने को मिला होगा।
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