सेबी का प्रबंधन छह सदस्यों द्वारा किया जाता है– एक अध्यक्ष ( केंद्र सरकार द्वारा नामित), दो सदस्य( केंद्रीय मंत्रालयों के अधिकारी), एक सदस्य( आरबीआई से) और बाकी के दो सदस्यों को केंद्र सरकार नामित करती है। सेबी का कार्यालय मुंबई में है। इसके क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता, दिल्ली और चेन्नई में स्थित हैं। वर्ष 1988 में सेबी की निवेशक संरक्षण में सेबी की भूमिका आरंभिक पूंजी लगभग 7•5 करोड़ रुपये थी निवेशक संरक्षण में सेबी की भूमिका जिसे इसके प्रवर्तकों (आईडीबीआई, आईसीआईसीआई, आईएफसीआई) ने दिया था। इस धनराशि का निवेश किया गया था और इससे मिलने वाले ब्याज से निवेशक संरक्षण में सेबी की भूमिका सेबी के दैनिक खर्च की पूर्ति की जाती है। भारतीय पूंजी बाजार के लिए सभी वैधानिक शक्तियां सेबी को दी गई हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) भारतीय पूंजी बाजार को कैसे नियंत्रित करता है?
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), का गठन आरंभ में प्रतिभूति बाजार के विकास एवं विनिमय और निवेशकों के संरक्षण से संबंधित सभी मामलों पर गौर करने और इन मामलों पर सरकार को परामर्श देने के लिए सरकार के प्रस्ताव के माध्यम से 12 अप्रैल 1988 को गैर अंशदायी निकाय के निवेशक संरक्षण में सेबी की भूमिका तौर पर किया गया था।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), का गठन आरंभ में प्रतिभूति बाजार के विकास एवं विनिमय और निवेशकों के संरक्षण से संबंधित सभी मामलों पर गौर करने और इन मामलों पर निवेशक संरक्षण में सेबी की भूमिका निवेशक संरक्षण में सेबी की भूमिका सरकार को परामर्श देने के लिए सरकार के प्रस्ताव के माध्यम से 12 अप्रैल 1988 को गैर अंशदायी निकाय के तौर पर किया गया था। सेबी को 30 जनवरी 1992 को एक अद्यादेश के माध्यम से वैधानिक दर्जा और अधिकार दिए गए थे।
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सेबी की सख्ती: कंपनियां अप्रैल 2022 से एक ही व्यक्ति को नहीं बना सकेंगी चेयरमैन-एमडी
बाजार नियामक सेबी ने कहा कि शीर्ष-500 सूचीबद्ध कंपनियां अप्रैल, 2022 से एक ही व्यक्ति को चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (एमडी)/सीईओ नहीं बना सकेंगी। इसका मकसद प्रवर्तकों की स्थिति कमजोर करना नहीं है बल्कि इन कंपनियों के संचालन ढांचे में सुधार लाना है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जनवरी, 2020 में चेयरमैन-एमडी की भूमिका अलग करने की व्यवस्था को कंपनियों के आग्रह पर दो साल के लिए टाल दिया था। सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने मंगलवार को भारतीय निवेशक संरक्षण में सेबी की भूमिका उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के कार्यक्रम में कहा, 2020 तक करीब 53 फीसदी सूचीबद्ध कंपनियां ही इस व्यवस्था का पालन कर रही थीं, जबकि कई कंपनियों ने चेयरमैन एवं एमडी का पद मिला दिया है। इससे हितों के टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है।
विस्तार
बाजार नियामक सेबी ने कहा कि शीर्ष-500 सूचीबद्ध कंपनियां अप्रैल, 2022 से एक ही व्यक्ति निवेशक संरक्षण में सेबी की भूमिका को चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (एमडी)/सीईओ निवेशक संरक्षण में सेबी की भूमिका नहीं बना सकेंगी। इसका मकसद प्रवर्तकों की स्थिति कमजोर करना नहीं है बल्कि इन कंपनियों के संचालन ढांचे में सुधार लाना है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जनवरी, 2020 में चेयरमैन-एमडी की भूमिका अलग करने की व्यवस्था को कंपनियों के आग्रह पर दो साल के लिए टाल दिया था। सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने मंगलवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के कार्यक्रम में कहा, 2020 तक करीब 53 फीसदी सूचीबद्ध कंपनियां ही इस व्यवस्था का पालन कर रही थीं, जबकि कई कंपनियों ने चेयरमैन एवं एमडी का पद मिला दिया है। इससे हितों के टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है।
इसे देखते हुए बदलाव किया जा रहा है, जिसके लिए सूचीबद्ध कंपनियां समय-सीमा से पहले तैयार हो जाएं। इससे एक व्यक्ति के पास अधिक अधिकारों को कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, वैश्विक स्तर पर भी अब चेयरपर्सन और एमडी/सीईओ के पदों को विभाजित करने पर काम हो रहा है। ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में भी बहस अब दोनों पदों को अलग करने की ओर झुक गई है।
सेबी ने ब्रिकवर्क रेटिंग्स का पंजीकरण रद्द किया, छह माह में कारोबार समेटने का निर्देश
इसके अलावा एजेंसी पर कोई नया ग्राहक लेने की रोक भी लगाई गई है।
सेबी निवेशक संरक्षण में सेबी की भूमिका ने बृहस्पतिवार को जारी अपने आदेश में कहा कि ब्रिकवर्क ने कई तरह के उल्लंघन किए हैं। नियामक ने कहा कि ब्रिकवर्क ने उचित रेटिंग प्रक्रिया का अनुपालन नहीं किया और साथ ही रेटिंग प्रदान करते समय सही तरीके से जांच-परख भी नहीं की।
सेबी ने कहा कि रेटिंग एजेंसी अपने द्वारा दी गई रेटिंग के समर्थन में रिकॉर्ड का रखरखाव करने में भी विफल रही। साथ ही ब्रिकवर्क ने अपने आंतरिक नियमों के तहत समयसीमा का अनुपालन भी सुनिश्चित नहीं किया।
सेबी ने कहा कि ब्रिकवर्क ने रेटिंग की निगरानी से संबंधित सूचना देने में भी विलंब किया। साथ ही यह उचित रेटिंग निवेशक संरक्षण में सेबी की भूमिका प्रक्रिया का अनुपालन सुनिश्चित करने में भी विफल रही।
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