आखिर इन कानूनों में ऐसा क्या है, जिन को रद्द करवाने के लिए आज किसान सिर धड़ की बाजी लगा बैठा है और कह रहा व्यापार की सप्लाई और डिमांड क्षेत्र का क्या मतलब है है कि बिल रद्द होने के बिना और कोई चारा नहीं जमीन बचाने का, रोजगार बचाने का, जमाखेरी रोकने और भूखमरी से बचने-बचाने का।
व्यापार की सप्लाई और डिमांड क्षेत्र का क्या मतलब है
आखिर क्यों है खेती कानूनों को लेकर किसानों का विरोध? Modern Kheti - Hindi | 15th January 2021 इन दिनों में किसान खेती कानूनों के विरूद्ध लड़ाई लड़ रहा है, जो उसके अस्तित्व के लिए खतरा बन रहे हैं और जिन्होंने उसको शारीरिक, आर्थिक और भावनात्मिक तौर पर प्रभावित किया है। गुरमीत सिंह पलाही
इन किसानों के हक में भारत के हर वर्ग के लोग ही नहीं, बल्कि विश्व के अलग-अलग देशों के लोग समर्थन में खड़े दिखाई दे रहे हैं। यह सच्ची लड़ाई धर्म को, जाति-पात को पीछे छोड़कर आर्थिक मामलों, मसलों को आगे लेकर आई है। दुनिया के सबसे बड़े माने जाते लोकतंत्र में आजादी के 73 साल बाद जिस ढंग के साथ देश में एक के बाद एक, लोग विरोधी काले कानून बनाए जा रहे हैं, वह अंग्रेजी साम्राज्य के राजा-रानी की तरफ से जारी किये गए फुरमानों की याद दिला रहे हैं।
लड़ाई लड़ रहे किसानों की मांगें बहुत ही स्पष्ट हैं । वह तीनों खेती कानून रद्द करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कम से कम समर्थन मूल्य (एम एस पी) संबंधित कानून बनाने की मांग की हुई है। व्यापार की सप्लाई और डिमांड क्षेत्र का क्या मतलब है वह बिजली बिल2020 रद्द करवाना चाहते हैं। वह मौजूदा व्यापार की सप्लाई और डिमांड क्षेत्र का क्या मतलब है स्थापित मंडियां वैसे की वैसे रखने के लिए मांग उठा रहे हैं और इसी लिए आंदोलन कर रहे हैं।
व्यापार की सप्लाई और डिमांड क्षेत्र का क्या मतलब है
Emory University and IZA Institute of Labor Economics
क्या राजनीति में महिलाओं के लिए कोटा लंबे समय में संस्थागत परिवर्तन को प्रेरित कर सकता है? यह लेख इस बात की जाँच करता है कि क्या भारतीय स्थानीय सरकार में महिलाओं के लिए सकारात्मक विभेद का व्यापार की सप्लाई और डिमांड क्षेत्र का क्या मतलब है प्रभाव राज्य और राष्ट्रीय कार्यालयों पर भी हुआ है। यह पता चलता है कि 1991 के बाद से व्यापार की सप्लाई और डिमांड क्षेत्र का क्या मतलब है संसदीय चुनावों में महिला उम्मीदवारी में लगभग आधी वृद्धि के लिए स्थानीय सरकार में आरक्षण जिम्मेदार है। हालांकि, उच्च कार्यालयों में महिला प्रतिनिधित्व अब भी कम है।
शिक्षा, व्यवसाय, और राजनीति में ऐतिहासिक तौर पर कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों की आर्थिक और सामाजिक भागीदारी में सुधार करने के लिए कोटा अधिकाधिक सामान्य उपकरण बन गए हैं। भारत में दुनिया की एक सबसे विस्तृत और दीर्घस्थायी कोटा व्यवस्था मौजूद है जिसने महिलाओं और नृजातीय अल्पसंख्यकों के राजनीतिक सशक्तीकरण के अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में जानने-सीखने के लिए उर्वर जमीन उपलब्ध कराई है। ये नीतियां अभी तक अनेक अध्ययनों का फोकस रही हैं जिनसे इन मामलों में हमारी समझ में सुधार हुआ है — सार्वजनिक वस्तुओं के प्रावधान पर अधिक विविधतापूर्ण राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लाभ (चट्टोपाध्याय और डूफ्लो 2004), अपराध और सरकार में विश्वास (अय्यर एवं अन्य 2012), तथा महिला नेताओं के प्रति दृष्टिकोण (बीमन एवं अन्य 2009), या सामान्यतः लड़कियों के प्रति दृष्टिकोण (व्यापार की सप्लाई और डिमांड क्षेत्र का क्या मतलब है कलसी 2017)।
संदर्भ और प्रविधि
भारत में सर्वप्रथम सरकार में महिलाओं के लिए देशव्यापी कोटा भारतीय संविधान में 73वें और 74वें संशोधनों के जरिए 1993 में शुरू व्यापार की सप्लाई और डिमांड क्षेत्र का क्या मतलब है किया गया था। महत्वपूर्ण बात यह है कि इन व्यापार की सप्लाई और डिमांड क्षेत्र का क्या मतलब है संशोधनों में शासन के हर स्तर पर एक-तिहाई सीटों को महिलाओं द्वारा भरने का प्रावधान किया गया था। अकेली सीट वाले नेतृत्वकारी पदों पर आरक्षण हर चुनाव चक्र में पूरे क्षेत्रों में रैंडम आधार पर नियत करना तय किया गया था जिससे कुल मिलाकर एक-तिहाई कोटा पूरा किया जा सके। नेतृत्व को रोटेट करने के इस तरीके का उपयोग अय्यर एवं अन्य (2012) और बीमन एवं अन्य (2012) तथा अन्य लोगों द्वारा पूर्व के अध्ययनों में महिला नेताओं के प्रभावों का मूल्यांकन करने में किया गया है। कई चुनावी चक्रों के बाद नेतृत्व की स्थिति में एक महिला व्यापार की सप्लाई और डिमांड क्षेत्र का क्या मतलब है के संपर्क में आने वाले वर्षों की संख्या में क्षेत्रों के बीच काफी भिन्नता है। मैंने 2004 से 2007 तक के राज्य विधान सभा चुनावों और 2009 के संसदीय चुनावों के लिए उम्मीदवारी पर स्थानीय महिला नेताओं के संचित एक्सपोजर के प्रभावों की पहचान के लिए जिला समिति अध्यक्ष पद के लिए रोटेटिंग असाइनमेंट व्यापार की सप्लाई और डिमांड क्षेत्र का क्या मतलब है क्रियाविधि का उपयोग किया है। वर्ष 2000 के दशक के अंत तक कुछ जिलों ने अध्यक्ष पद चुनाव के लिए तीन चक्रों में आरक्षण देखा जबकि अन्य जिलों ने पहला आरक्षण चक्र ही देखा या बिलकुल भी आरक्षण नहीं देखा। इस अंतर का उपयोग ऊंचे पदों पर उम्मीदवारी पर और प्रतिनिधित्व में स्थानीय महिला व्यापार की सप्लाई और डिमांड क्षेत्र का क्या मतलब है राजनीतिक नेतृत्व के प्रभावों को चिन्हित करने के लिए किया गया।
निष्कर्ष
स्थानीय सरकार में महिलाओं के लिए कोटा की नीति से राज्य और राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक व्यापार की सप्लाई और डिमांड क्षेत्र का क्या मतलब है पदों के लिए उम्मीदवारी तो बढ़ती है लेकिन प्रतिनिधित्व नहीं। यह बताता है कि कोटा का राजनीतिक गत्यात्मकता पर दीर्घकालिक प्रभाव होता है और जिस स्तर की सरकार में कोटा प्रणाली लागू थी उसके बाहर भी प्रभाव होता है। अनुमानित परिमाण सूचित करते हैं कि कोटा नीति के प्रभावी होने के बाद राज्य विधान सभा और संसदीय चुनावों के लिए महिलाओं की उम्मीदवारी में वृद्धि के लिए अधिकांशतः यह नीति ही जिम्मेवार है, हालांकि उच्च पदों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व नीचे ही रहता है और नीति से उसमें बदलाव आता नहीं दिखता है। कुल मिलाकर यह देखना अभी बाकी है कि स्थानीय सरकार में कोटा से सरकार के उच्च पदों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ सकता है या नहीं।
लेखक परिचय: स्टीफन डी. ऑ’कॉनेल मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (ऍमआईटी) के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट में पोस्टडॉक्टोरल फैलो हैं।
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