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मानव विकास सूचकांक

मानव 'विकास सूचकांक (HDI)' एक सूचकांक है, प्रमुख संकेतक और सूचकांक जिसका उपयोग देशों को "मानव विकास" के आधार पर आंकने के लिए किया जाता है। इस सूचकांक से इस बात का पता चलता है कि कोई देश विकसित है, विकासशील है, अथवा अविकसित है। मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) [जीवन प्रत्याशा], [शिक्षा], और [प्रति व्यक्ति आय] संकेतकों का एक समग्र आंकड़ा है, जो मानव विकास के चार स्तरों पर देशों को श्रेणीगत करने में उपयोग किया जाता है। जिस देश की जीवन प्रत्याशा, शिक्षा स्तर एवं जीडीपी प्रति व्यक्ति अधिक होती है, उसे उच्च श्रेणी प्राप्त होती हैं। एचडीआई का विकास पाकिस्तानी अर्थशास्त्री[महबूब उल हक] द्वारा किया गया था। इसे [संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम] द्वारा प्रकाशित किया जाता हैं।

मानव विकास सूचकांक दर्शाता विश्व मानचित्र (२००८ अद्यतन)
██ 0.950 और ऊपर ██ 0.900–0.949 ██ 0.850–0.899 ██ 0.800–0.849 ██ 0.750–0.799 ██ 0.700–0.749 ██ 0.650–0.699 ██ 0.600–0.649 ██ 0.550–0.599 ██ 0.500–0.549 ██ 0.450–0.499 ██ 0.400–0.449 ██ 0.350–0.399 ██ 0.350 से नीचे ██ उपलब्ध नहीं

उत्पत्ति

एचडीआई की के अंश संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के मानव विकास रिपोर्ट कार्यालय द्वारा उत्पादित वार्षिक मानव विकास रिपोर्ट में सम्मलित हैं। जिसे 1990 में पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक द्वारा तैयार किए गया और सम्मलित किया गया था। उनका उद्देश्य "विकास अर्थशास्त्र का केंद्र-बिंदु, राष्ट्रीय आय लेखा से मानव-केन्द्रित नीतियों पर स्थानांतरित करना था। मानव विकास रिपोर्ट तैयार करने के लिए, महबूब उल हक ने पॉल स्ट्रीटन, फ्रैन्सस स्टीवर्ट, गुस्ताव रानीस, कीथ ग्रिफिन, सुधीर आनंद और मेघनाद देसाई सहित विकास प्रमुख संकेतक और सूचकांक अर्थशास्त्रियों के एक समूह का गठन किया। नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने मानव क्षमताओं पर अपने काम में हक के काम का इस्तेमाल किया। हक का मानना ​​था कि सार्वजनिक विकास को, शिक्षाविदों और राजनेताओं को समझाने के लिए मानव विकास के लिए एक सरल समग्र उपाय की आवश्यकता थी, जिसे न प्रमुख संकेतक और सूचकांक केवल आर्थिक विकास बल्कि उसके साथ-साथ मानव कल्याण में भी सुधार के विकास का मूल्यांकन करना चाहिए।

डेली अपडेट्स

यह एडिटोरियल 14/09/2022 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “The solution to India’s stunted improvement on the Human Development प्रमुख संकेतक और सूचकांक प्रमुख संकेतक और सूचकांक Index: Improving access to quality education” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में विकास के विभिन्न आयामों में व्याप्त असमानताओं और मानव विकास रिपोर्ट 2021-22 के संबंध में चर्चा की गई है।

मानव विकास (human development) के मूल में मानवता का विचार निहित है। मानव विकास का दृष्टिकोण महज अर्थव्यवस्था की समृद्धि को अधिकतम करने के रूप में प्रचलित आर्थिक विकास की धारणा से परे जाता है। मानव विकास की अवधारणा स्वतंत्रता के विस्तार, क्षमताओं में वृद्धि, सभी के लिये समान अवसर प्रदान करने और एक सुदीर्घ, प्रमुख संकेतक और सूचकांक स्वस्थ एवं समृद्ध जीवन सुनिश्चित करने पर अधिक केंद्रित है।

वर्ष 2030 की ओर आगे बढ़ते हुए, आकलन है कि भारत की कुल आबादी 1.5 बिलियन तक पहुँच जाएगी और वह विश्व में सर्वाधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। उल्लेखनीय है कि जबकि भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था का कई गुना विस्तार कर लिया है, मानव विकास के मामले में उसने अधिक प्रगति नहीं की है। मानव विकास रिपोर्ट (Human Development Report- HDI) 2021-2022 ने भारत के लिये चिंताजनक स्थिति का संकेत दिया है। HDI की वैश्विक रैंकिंग में भारत की स्थिति में गिरावट आ रही है और वर्ष 2022 में 191 देशों के बीच वह 132वें स्थान पर रहा (वर्ष 2019 में 129 और वर्ष 2020 में 131 से और नीचे फिसलते हुए)।

मानव विकास रिपोर्ट:

  • अमर्त्य सेन और महबूब उल हक ने विकास के लिये मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की अवधारणा प्रस्तुत की थी जिसके आधार पर वर्ष 1990 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme-UNDP) द्वारा पहली मानव विकास रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी।
  • मानव विकास रिपोर्ट में शामिल सूचकांक:
    • मानव विकास सूचकांक (HDI)
    • असमानता-समायोजित HDI
    • ग्रहीय दबाव-समायोजित HDI
    • लिंग विकास सूचकांक
    • लिंग असमानता सूचकांक
    • बहुआयामी गरीबी सूचकांक

    HDI

    मानव विकास सूचकांक के आधार पर मूल्यांकन की खामियाँ

    • घटकों के बीच सामंजस्य: HDI परोक्ष रूप से यह मानता है कि इसके घटकों के बीच सामंजस्य की स्थिति है, जबकि ये माप या मूल्यांकन हमेशा एकसमान रूप से मूल्यवान नहीं भी हो सकते हैं। जीवन प्रत्याशा और प्रति व्यक्ति GNI के विभिन्न संयोजनों के माध्यम से विभिन्न देश एकसमान HDI स्तर दर्शा सकते हैं।
    • नवीनतम प्रमुख संकेतक और सूचकांक नीतियों को प्रतिबिंबित करने के मामले में धीमा: संयुक्त राष्ट्र ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि प्रमुख संकेतक और सूचकांक मानव विकास सूचकांक मानव विकास की एक व्यापक माप नहीं है। HDI दीर्घकालिक परिवर्तनों (जैसे जीवन प्रत्याशा) को दर्शाता है और हाल के नीति परिवर्तनों तथा देश के नागरिकों के जीवन में आए सुधारों को प्रतिबिंबित करने के मामले में धीमा है।
    • लैंगिक असमानता: लैंगिक रूढ़ियों की व्यापकता और महिलाओं की ऊर्ध्वमुखी गतिशीलता की कमी (पूर्वाग्रह बाधाओं के कारण) ने पारंपरिक रूप से महिलाओं को विकास से दूर बनाए रखा है। कोविड-19 महामारी ने भी लैंगिक असमानता की वृद्धि में योगदान किया है।
      • महिलाओं की आर्थिक भागीदारी और अवसर के संदर्भ में, आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण 2020-21 की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय महिलाओं की श्रमबल भागीदारी दर पुरुषों की 57.75% की तुलना में मात्र 23.15% है।
      • विश्व आर्थिक मंच (WEF) की वैश्विक लिंग अंतराल रिपोर्ट 2022 में भारत को 146 देशों के बीच 135वें स्थान पर रखा गया है।

      मानव विकास से संबंधित सरकार की हाल की पहलें

      • आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास के बीच गठजोड़: आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास का परस्पर गहरा संबंध है और वे भारत में बुनियादी जीवन स्थितियों को बेहतर बनाने में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
        • सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय समस्याओं को अब अलग-अलग रखकर संबोधित नहीं किया जा सकता। इसलिये, प्रकृति-आधारित समाधानों के माध्यम से गृह-केंद्रित योजना में आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय पहलुओं को शामिल करना आवश्यक है।
        • अवसर की समता (भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14) सुनिश्चित की जानी चाहिये। लैंगिक अंतराल की समाप्ति और भागीदारीपूर्ण लोकतंत्र की ओर अग्रसर होने से देश राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के मार्ग पर आगे बढ़ सकेगा।

        अभ्यास प्रश्न: ‘‘जबकि भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था का कई गुना विस्तार कर लिया है, मानव विकास के मामले में उसने अधिक प्रगति नहीं की है।’’ समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये।

        मानव विकास सूचकांक: UNDP

        संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) प्रमुख संकेतक और सूचकांक द्वारा जारी मानव विकास रिपोर्ट (Humen Develpment Report- HDR) 2020 के अनुसार, मानव विकास सूचकांक ((Humen Develpment प्रमुख संकेतक और सूचकांक Index- HDI) में भारत 131वें स्थान पर है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष भारत इस सूचकांक में 129वें स्थान पर था।

        • वर्ष 2020 की इस रिपोर्ट में 189 देशों को उनके मानव विकास सूचकांक (HDI) की स्थिति के आधार पर रैंकिंग प्रदान की गई है।
        • HDR 2020 में पृथ्वी पर दबाव-समायोजित मानव विकास प्रमुख संकेतक और सूचकांक सूचकांक को पेश किया गया है, जो देश के प्रति व्यक्ति कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन तथा सामग्री के पदचिह्न (Footprint) द्वारा मानक मानव विकास सूचकांक (HDI) को समायोजित करता है।
        • अन्य सूचकांक जो इस रिपोर्ट का ही भाग हैं, इस प्रकार हैं:
          • असमानता समायोजित मानव विकास सूचकांक (Inequality adjusted Human Development Index-IHDI)
          • लैंगिक विकास सूचकांक (GDI),
          • लैंगिक असमानता सूचकांक (GII)
          • बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI).

          प्रतिव्यक्ति वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (PPP)

          $100 अमेरिकी डॉलर और $40, 000 अमेरिकी डॉलर. इनमें से प्रत्येक आयाम को 1/3 भारिता (weights) दी जाती है. मानव विकास सूचकांक (Human Development Index) इन सभी आयामों को दिए गए weights का कुल योग होता है. स्कोर, 1 के जितना निकट होता है, मानव विकास का स्तर उतना ही अधिक होता है. इस प्रकार 0.983 का स्कोर अति उच्च स्तर का, जबकि 0.268 मानव विकास का अत्यंत निम्न स्तर माना जायेगा.

          Source: The Hindu

          मानव विकास सूचकांक 2022 से जुड़े मुख्य तथ्य

          वैश्विक प्रदर्शन

          • स्विट्ज़रलैंड ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. नोर्वे ने दूसरा स्थान लाया और आइसलैंड ने तीसरा.
          • COVID-19 महामारी, रूस के यूक्रेन पर आक्रमण और जलवायु संकट के कारण 90 प्रतिशत देशों में मानव विकास का स्कोर नीचे चला गया है.
          • इस कमी ने सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में बाधा पहुँचाई है.
          • मानव विकास सूचकांक की हालिया गिरावट में एक बड़ा योगदान जीवन प्रत्याशा में वैश्विक गिरावट है, जो 2019 में 72.8 वर्ष से घटकर 2021 में 71.4 वर्ष हो गया है।

          hdi 2022

          भारत का प्रदर्शन

          1. मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) 2021 में भारत 191 देशों में से 132वें स्थान पर है (पिछले वर्ष से दो स्थान की गिरावट दर्ज की गई)।
          2. यह तीन दशकों में पहली बार लगातार दो वर्षों में अपने स्कोर में गिरावट को दर्शाता है। ज्ञातव्य है कि प्रमुख संकेतक और सूचकांक वर्ष 2020 में, भारत 0.642 के एचडीआई मूल्य के साथ 130वें स्थान पर था।
          3. COVID-19 के प्रकोप से पहले, 2018 में भारत का HDI मान 0.645 था।
          4. एचडीआई स्कोर में यह गिरावट वैश्विक प्रवृत्ति के अनुरूप है जो दर्शाता है कि देश COVID-19 महामारी के प्रकोप के बाद से मानव विकास में पिछड़ गए हैं।
          5. 2021 में भारत में एचडीआई में गिरावट को जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में गिरावट के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जो 70.7 वर्ष से घटकर 67.2 वर्ष हो गया है।
          6. भारत में स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष 11.9 वर्ष है, और स्कूली शिक्षा का औसत वर्ष 6.7 वर्ष है।
          7. GNI प्रति व्यक्ति स्तर $6,590 है।
          8. COVID-19 महामारी ने लैंगिक असमानता को भी बढ़ा दिया है, जिसमें वैश्विक स्तर पर 6.7% की वृद्धि हुई है।

          सूचकांकों के प्रकार

          पूरी दुनिया के लोगों के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक विकास को मापने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा विभिन्न प्रकार के सूचकांकों का निर्माण किया गया है। इन सूचकांकों में लैंगिक असमानता सूचकांक, मानव विकास सूचकांक, बहुआयामी गरीबी सूचकांक और प्रौद्योगिकी उपलब्धि सूचकांक शामिल हैं।

          पूरी दुनिया के लोगों के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक विकास को मापने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा विभिन्न प्रकार के सूचकांकों का निर्माण किया गया है। इन सूचकांकों में लैंगिक असमानता सूचकांक, मानव विकास सूचकांक, बहुआयामी गरीबी सूचकांक और प्रौद्योगिकी उपलब्धि सूचकांक शामिल हैं।

          लैंगिक असमानता सूचकांक (GII) एक नया सूचकांक है जिसकी शुरूआत लिंग असमानता की माप के लिए 2010 में मानव विकास रिपोर्ट की 20वीं वर्षगांठ संस्करण के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा की गयी थी। UNDP के अनुसार, यह सूचकांक उन सभी की तत्वों की गणना करता है जिनकी वजह से देश की छवि को नुकसान पहुंचता हैंI इसकी गणना करने के लिए तीन आयामों का उपयोग किया जाता है: (I) प्रजनन स्वास्थ्य, (ii) अधिकारिता, और (iii) श्रम बाजार भागीदारी। पिछली कमियों को दूर करने के लिए नए सूचकांक को एक प्रयोगात्मक रूप में पेश किया गया हैI ये सूचकांक हैं,लिंग विकास सूचकांक (जीडीआई) और लिंग सशक्तिकरण उपाय (जीईएम), दोनों की शुरूआत 1995 की मानव विकास रिपोर्ट में की गई।

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