नए साल 2023 में म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने वालों के लिए एक्सपर्ट की 6 बेस्ट टिप्स
साल 2023 शुरू होने जा रहा है तो निवेशकों को अपनी क्या स्ट्रैटेजी रखनी चाहिए. आने वाले कुछ सालों में निवेया की कौन सी थीम बेहतर साबित हो सकती है. आइडियल एसेट अलोकेशन किस तरह का हो. इस बारे में हमने PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के CIO, श्रीनिवास राव रावुरी से बातचीत की है.
साल 2022 अब खत्म होने वाला है और नए साल की शुरुआत ऐसे समय में हो रही है, जब शेयर बाजार अपने रिकॉर्ड हाई के करीब ट्रेड कर रहे हैं. हालांकि बीते साल बाजार में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला है. जियो पॉलिटिकल टेंशन, महंगाई, रेट हाइक, संभावित मंदी जैसे फैक्टर बाजार में हावी रहे. बाजार ने 2022 में मिक्स्ड रिटर्न दिया है. अब जब साल 2023 शुरू होने जा रहा है तो निवेशकों को अपनी क्या स्ट्रैटेजी रखनी चाहिए. आने वाले कुछ सालों में निवेया की कौन सी थीम बेहतर साबित हो सकती है. आइडियल एसेट अलोकेशन किस तरह का हो. इस बारे में हमने PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के CIO, श्रीनिवास राव रावुरी से बातचीत की है.
भारत खुद ही वैश्विक परिप्रेक्ष्य से एक उभरती हुई निवेश थीम है. भारत अभी विश्व स्तर पर 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और परचेजिंग पावर पैरिटी (PPP) के मामले में तीसरे नंबर पर है. वैश्विक क्षेत्र में और विशेष रूप से उभरते बाजारों में भारत का महत्व और प्रासंगिकता बढ़ी है. यह ट्रेंड अभी जारी रहने का अनुमान है.
भारत में राजनीतिक स्तर पर स्थिरता दिख रही है, कंजम्पशन मजबूत है और सरकार द्वारा रिफॉर्म जारी है, जिससे बाजार को सपोट्र मिलता दिख रहा है. ऐसे में अगले दशक में भारत में निवेश में तेजी आएगी. दूसरी थीम भारत में मैन्युफैक्चरिंग क्षमता बढ़ना है. अस्थिर जियो पॉलिटिकल स्थिति, कच्चे नए निवेशक को किस फंड में निवेश करना चाहिए? माल की अनिश्चितता और डाइवर्सिफाइंग सोर्सिंग की आवश्यकता को देखते हुए, चाइना प्लस वन स्ट्रैटेजी में बढ़ोतरी देखी जानी चाहिए.
हमारी GDP का योगदान सर्विसेज की ओर बहुत ज्यादा झुका हुआ है और ग्रोथ का अगला फेज प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) और डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा जैसी योजनाओं द्वारा सहायता प्राप्त मैन्युफैक्चरिंग से आना चाहिए. तीसरी थीम प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी के आधार पर कंजम्पशन पर होगा. जैसे-जैसे भारत की अधिक से अधिक आबादी आर्थिक रूप से आगे बढ़ती है, कंजम्पशन की मात्रा और क्वालिटी दोनों में ग्रोथ देखी जाती है. यह ट्रेंड संबद्ध क्षेत्रों जैसे कि फाइनेंशियल, डिजिटलाइजेशन में भी फ्लो होती है.
किसी भी निवेशक और विशेष रूप से रिटेल निवेशकों के लिए बाजार में समय बिताने की तुलना में टाइमिंग अधिक महत्वपूर्ण है. छोटी अवधि की अस्थिरता से निपटने के लिए SIP सही तरीका है और निवेशकों को SIP के जरिए निवेश जारी रखना चाहिए. छोटी अवधि में बाजार अस्थिर हो सकता है, हालांकि लंबी अवधि में अस्थिरता बहुत कम होती है. अगर आपका लक्ष्य लंबी अवधि का है तो अस्थिरता के दौरान बेहतर यह है कि डेली बेसिस पर पोर्टफोलियो को न देखें. निवेश को पेशेवर फंड मैनेजरों पर छोड़ दें.
निवेशकों को उम्र के हिसाब से एसेट एलोकेशन पर ध्यान देना चाहिए जिससे लक्ष्य आधारित कॉर्पस जमा करने में मदद मिलती है. साथ ही रिटायरमेंट जैसी लंबी अवधि की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है. अगर आपके पास विश्वसनीय और सक्षम एडवाइजर है तो वित्तीय चिंता कम हो जाती है. वहीं इससे फाइनेंशियल फ्रीडम भी हासिल करने में मदद मिलती है.
3. इक्विटी बाजार की मौजूदा परिस्थितियों से आप क्या समझते हैं? H2FY23 में घरेलू इक्विटी बाजारों के लिए कौन से रिस्क फैक्टर दिख रहे हैं?
भारतीय बाजारों ने पिछले दिनों अन्य ग्लोबल मार्केट की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है. हालांकि वैल्युएशन सस्ते नहीं हैं, लेकिन बहुत हाई भी नहीं हैं. क्योंकि भारत में आय में भी अच्छी ग्रोथ देखी गई है. जियो पॉलिटिकल टेंशन, कमोडिटी की कीमतों में अस्थिरता, सप्लाई चेन को लेकर अनिश्चितता, महंगाई और आगामी रेट हाइक जैसे जोखिम बाजार में बने रह सकते हैं. हालांकि इनमें से अधिकांश वैश्विक या अस्थायी प्रकृति के हैं. फिलहाल, जोखिम इक्विटी निवेश का एक हिस्सा है. हमें इसे स्वीकार करना चाहिए हैं और डाइवर्सिफिकेशन के जरिए उन्हें कम करने का प्रयास करना चाहिए.
4. पिछले कुछ महीनों में बढ़ रही ब्याज दरों और बाजार में उतार-चढ़ाव को देखते हुए आपने अपने इक्विटी फंड्स में क्या बदलाव किए हैं?
PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड में, हर फंड मैनेजर को फंड के मैनडेट और उनके विचारों के अनुसार स्वतंत्र निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. यह विशेष रूप से पोर्टफोलियो के दोहराव और हमारे द्वारा किसी भी सेक्टर/स्टॉक में अधिक निवेश से बचने के लिए किया जाता है. इसलिए इस सवाल का कोई जवाब नहीं है. हालांकि, सामान्य तौर पर हम फाइनेंशियल (एसेट क्वालिटी में सुधार क्रेडिट ग्रोथ में सुधार) और इंडस्ट्रियल्स (घरेलू मैन्युफैक्चरिंग पुश) पर पॉजिटिव है, जबकि एफएमसीजी, एनर्जी और यूटिलिटीज पर अंडरवेट लेकिन अंडरवेट रहे हैं.
5. पहली बार निवेश करने वालों के लिए निवेश के आदर्श विकल्प क्या है? एसेट एलोकेशन और ELSS पर आपके क्या विचार हैं?
पहली बार निवेश करने वालों के लिए, लंबी अवधि के लक्ष्य के साथ अपेक्षाकृत कम अस्थिरता, डाइवर्सिफाइड प्रोजेक्ट में निवेश करना सही स्ट्रैटेजी होगा. डायवर्सिफाइड/फ्लेक्सी कैप, ELSS और लार्ज कैप फंड सही विकल्प हो सकते हैं. ELSS कटेगिरि को 3 साल के लॉक इन से लाभ मिलता है. उम्र और अन्य प्रतिबद्धताओं के आधार पर, निवेशकों को अपनी जोखिम लेने की क्षमता/उम्र और व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार मिड और स्मॉल कैप फंड या बैलेंस्ड/हाइब्रिड फंड में पैसा लगाना चाहिए.
प्रमुख सीख में से एक है, उत्साह से दूर न होना. यह सामान्य तौर पर किसी भी स्टॉक, सेक्टर या बाजार में हो सकता है. बाजार अत्यधिक आशावाद और निराशावाद की अवधि के बीच स्विंग करता है. उम्मीदों को सामान्य और व्यावहारिक बनाए रखने से इन सीमाओं से लाभ उठाने में मदद मिलती है. दूसरा रीजनेबल प्राइस यानी उचित कीमतों पर ग्रोथ रिस्क रिवार्ड को काफी हद तक बैलेंस करता है और लंबी अवधि के अल्फा बनाने में मदद करता है. ओवर लिवरेज, निवेश की कैश फ्लो पैदा करने की क्षमता की कमी और संदिग्ध कॉर्पोरेट प्रशासन जैसे जोखिमों से बचें. इन जोखिमों को ध्यान में रखते हुए, पोर्टफोलियो में नए निवेशक को किस फंड में निवेश करना चाहिए? बड़ी गलतियां करने से बचने में मदद मिलती है.
Mutual Fund Investment : म्यूचुअल फंड में पहली बार निवेश कर रहे हैं तो भूलकर भी नहीं करें ये गलतियां
How to invest in Mutual Fund : म्यूचुअल फंड निवेशकों से बांड, स्टॉक और अन्य संपत्तियों में निवेश के लिए इकट्ठा की गई रकम से बनाता है. इसे पेशेवर फंड मैनेजर संचालित करते हैं, जो निवेशकों के लिए लाभ पैदा करने के लिए फंड संपत्ति आवंटित करते हैं.
How to get big return from mutual funds : म्यूचुअल फंड में निवेश धैर्य, जोखिम उठाने की क्षमता और बाजार की बेहतर समझ की मांग करता है.
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बड़ी रकम एक साथ निवेश नहीं करें
एक निवेशक को इक्विटी में बड़ी रकम को एक साथ निवेश करने से बचना चाहिए. ऐसा नए निवेशक को किस फंड में निवेश करना चाहिए? इसलिए है क्योंकि बाजार में गिरावट आपके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. पहली बार के निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव की समझ नहीं होती होती है. ऐसे में वे थोड़ा नुकसान होने पर घबरा जाते हैं. इस घबराहट में नए निवेशक अक्सर अपना पैसा निकालने का फैसला करते हैं, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिए, यह हमेशा सलाह दी जाती है कि इक्विटी-ओरिएंटेड फंडों में निवेश सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिए किया जाना चाहिए.
गुल्लक थ्योरी के को फॉउंडर के प्रह्लाद
कम जोखिम वाले फंड में लगाएं पैसा
बाजार के उतार-चढ़ाव के आदी होने के लिए, ज्यादा जोखिम वाले प्योर इक्विटी फंड के बजाय पहली नए निवेशक को किस फंड में निवेश करना चाहिए? बार निवेशकों के लिए बेहतर यह है कि वे संतुलित फंडों में निवेश करें. नए निवेशकों को ऐसे फंडों में निवेश करना चाहिए जहां जोखिम कम हो या हो भी तो ज्यादा नहीं. इस तरह के फंडों में बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान, प्योर इक्विटी फंड से कम उतार-चढ़ाव होता है. इससे नए निवेशकों के लिए घबराहट की स्थिति नहीं बनती है. इससे नए निवेशक बाजार में ज्यादा समय तक बने रह सकते हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव को समझ सकते हैं. इसलिए, ज्यादा जोखिम वाले प्योर इक्विटी फंड से शुरू करने के बजाय, उन फंडों में निवेश करना बेहतर है, जो तुलनात्मक रूप से कम जोखिम वाले हैं.
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इन्वेस्ट करने से पहले फाइनेंशियल प्लानिंग जरूरी
अगर कोई निवेशक सही फाइनेंशियल प्लानिंग द्वारा लॉन्ग टर्म गोल्स को हासिल करने के लिए इक्विटी-ओरिएंटेड फंडों में निवेश करना शुरू करता है, तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि निवेशक बाजार में ज्यादा समय तक बने रहे. लंबी अवधि के गोल्स के लिए निवेश करने वाले निवेशक बाजार के छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज कर देते हैं. वहीं, तुरंत रिटर्न हासिल करने के लिए निवेश करने वाले नए निवेशक बाजार के उतार-चढ़ाव से घबराकर तुरंत अपना पैसा निकाल लेते हैं. इसलिए, निवेश करने से पहले किस कैटेगरी के फंड में कितना निवेश करना है, यह तय करने के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करना बेहतर है.
यह आलेख, के. प्रह्लाद ने लिखा है, जो गुल्लक थ्योरी (Gullak TheoryTM) के को-फॉउंडर हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. इन सुझावों से होने वाली किसी भी प्रकार की लाभ हानि के लिए इकनॉमिक टाइम्स उत्तरदायी नहीं होगा. नए निवेशक को किस फंड में निवेश करना चाहिए?
म्यूचुअल फंड में पहली बार निवेश करने जा रहे हैं तो भूल कर भी न करें ये गलतियां वरना डूब जाएगा पैसा
म्यूचुअल फंड के नए निवेशक सबसे बड़ी गलती फंड के पिछले रिटर्न को देख कर निवेश करने में करते हैं.पिछले रिटर्न को देख कर यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि आगे फंड कैसा प्रदर्शन करेगा.
The redeemed proceeds would be subject to capital gains tax (short-term or long-term) depending on the holding period.
How to Invest in mutual funds : म्यूचुअल फंड में निवेश धैर्य और जोखिम की बेहतर समझ की मांग करता है. अगर आप म्यूचुअल फंड में पहली बार निवेश करने जा रहे हैं तो कुछ बातों को समझ लेना बेहद जरूरी है. हालांकि म्यूचुअल फंड में निवेश ऑप्शन की भरमार और बाजार के मौजूदा हालात को देखते हुए सही फंड का चुनाव आसान नहीं है. फिर भी म्यूचुअल फंड में निवेश से जुड़ी कुछ बुनियादी सावधानियों को ध्यान में रखेंगे तो आपको घाटा नहीं होगा.
पिछला रिटर्न बेहतर रिजल्ट की गारंटी नहीं
म्यूचुअल फंड (Mutual funds) के नए निवेशक सबसे बड़ी गलती फंड के पिछले रिटर्न को देख कर निवेश करने में करते हैं. पिछले रिटर्न को देख कर यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि आगे फंड कैसा प्रदर्शन करेगा. इसके अलावा मार्केट में सही वक्त पर एंट्री भी एक अहम पहलू है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर निवेशक को बाजार का पहले से अनुभव है तो म्यूचुअल फंड्स में वह लंबे समय तक बना रहता है.
स्थापित कंपनियों के पोर्टफोलियो के साथ निवेश करें
नए निवेशकों के लिए जरूरी है कि शुरू में स्थापित कंपनियों के फंड में निवेश करें. उनके पोर्टफोलियो पर गौर करें और फिर निवेश का फैसला लें. म्यूचुअल फंड में धीरे-धीरे निवेश बढ़ाएं. इसका सबसे अच्छा उपाय एसआईपी ( SIP) के जरिये निवेश करना है. बाजार कैसी भी हालत में हो Systematic Investment Plan यानी एसआईपी के जरिये निवेश सबसे अच्छा तरीका है.
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शेयर बाजार के मौजूदा हालात में नए निवेशकों की रणनीति
शेयर बाजार अब तक के सर्वोच्च स्तर पर है. ऐसे में म्यूचुअल फंड के नए निवेशकों को इंडेक्स या लार्ज कैप फंड (Large Cap Mutual funds) में निवेश करना चाहिए. उन्हें मिड-कैप (Mid Cap) और स्मॉल कैप (Small Cap) में निवेश से बचना चाहिए क्योंकि बाजार के उतार-चढ़ाव में ये बुरी तरह प्रभावित होते हैं. अगर कोई निवेशक आज की तारीख में एसआईपी के जरिये म्यूचुअल फंड में 10 हजार रुपये निवेश करना चाहता है तो उसे एक इंडेक्स फंड (Index fund), एक फ्लैक्सी कैप (Flexi Cap fund ) फंड और एक वैल्यू फंड ( Value fund) का चुनाव करना चाहिए ताकि उन्हें डाइवर्सिफिकेशन का फायदा मिल सके.
म्यूचुअल फंड में निवेश लंबी अवधि के लिए सही है
म्यूचुअल फंड में निवेश छोटी नहीं लंबी अवधि में ही फायदेमंद साबित होता है. सही रिटर्न के लिए सात से दस साल तक समय देना पड़ता है. ज्यादातर निवेश एक साल में ही बेहतर रिटर्न की उम्मीद रखते हैं. लेकिन इतनी कम अवधि का रिटर्न देख कर म्यूचुअल फंड में निवेश की रणनीति बनाना ठीक नहीं है.
बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में निवेश से हो सकता है फायदा
विशेषज्ञों के मुताबिक बैलेंस्ड एडवाइंटेज फंड नए निवेशकों के लिए सही रणनीति हो सकता है. बैलेंस्ड एडवांटेज फंड को डायनैमिक एसेट एलोकेशन फंड भी कहा जाता है. इसमें मार्केट कंडीशन के आधार पर 30 से 80 फीसदी इक्विटी एलोकेशन किया जाता है. अगर कोई नया निवेशक लंबी अवधि निवेश की योजना बनाता है तो भी उसे बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में ही निवेश की सलाह दी जाती है.
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पर्सनल फाइनेंस: म्युचुअल फंड में निवेश करने का बना रहे हैं प्लान तो इन 7 बातों को रखें ध्यान, नहीं तो हो सकता है नुकसान
निवेशकों में म्यूचुअल फंड की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में अगर आप भी इसमें निवेश करने का प्लान बना रहे हैं तो निवेश करने से पहले इसकी कुछ बातों को समझना आपके लिए बहुत जरूरी है। अगर किसी एजेंट के द्वारा आप म्युचुअल फंड में निवेश करने जा रहे हैं तो हो सकता है वो आपको पूरा जानकारी न दे। कई बार देखने में आता है कि नए निवेशक को इसके बारे में अधूरी जानकारी होती है। म्यूचुअल फंड में निवेश करने और बेहतर रिटर्न पाने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए।
तय करें कि पैसा कहां लगाना है?
निवेशक को सबसे पहले निवेश सूची तैयार कर लेनी चाहिए कि उसे कहां और कितने पैसे नए निवेशक को किस फंड में निवेश करना चाहिए? निवेश करने हैं। इस प्रक्रिया को ऐसेट एलोकेशन कहते हैं। ऐसेट एलोकेशन वो तरीका है जो ये निर्धारित करता है कि आप अपने पैसे को विभिन्न निवेशों में कैसे लगाएं जिसमें सम्पत्ति के सभी वर्गों का सही मिश्रण हो। ऐसेट एलोकेशन के कुछ नियम हैं जो आपको यह बताते हैं कि किस उम्र में कितना धन जुटाना है। उदाहरण के लिए- यदि किसी निवेशक की उम्र 25 साल है तो उसे अपने निवेश का 25% डेट इंस्ट्रूमेंट और शेष इक्विटी में लगाना चाहिए।
जितना जोखिम उतना लाभ
वास्तविकता यह है कि हर व्यक्ति की परिस्थितियों और वित्तीय हालत अलग-अलग होते हैं। ऐसेट एलोकेशन को समझने के लिए आपको जैसे-आयु, व्यवसाय, आप पर निर्भर परिवार के सदस्यों की संख्या आदि की जानकारी होनी चाहिए। आप जितने युवा हैं उतने ही जोखिम भरे निवेश रख सकते हैं जिनसे आपको बेहतर रिटर्न मिल सकता है।
सही फंड चुनें
आप नए निवेशक को किस फंड में निवेश करना चाहिए? वही फंड चुनें जो आपकी जरूरतों के लिए उपयुक्त हो। इसके लिए सबसे पहले आपका आर्थिक लक्ष्य तय करें। उसी के हिसाब से निवेश करें। निवेश करने के पहले आपको तय कर लेना चाहिए कि किस फंड में निवेश करना है। सभी तरह के फंड निवेश के लिए अच्छे होते हैं। इनके बारे में जानकारी रखना जरूरी होता है।
निवेश को बंद करना सही नहीं
कई बार देखा जाता है कि लोग कोरोना काल जैसे विपरीत समय या अन्य उतार-चढ़ाव वाले समय में स्कीम से पैसे को निकाल लेते हैं। लेकिन डर और लालच के आधार पर निवेश का फैसला नहीं लेना चाहिए। इसके लिए निवेशकों को म्यूचुअल फंड के असेट एलोकेशन या बैलेंस्ड एडवांटेज कैटेगरी का रास्ता अपनाना चाहिए। बैलेंस्ड एडवांटेज फंड म्यूचुअल फंड की ऐसी स्कीम है जो इक्विटी, डेट और आर्बिट्राज में मिलाजुला कर निवेश करती है।
पोर्टफोलियो में विविधता जरूरी
एक पोर्टफोलियो में कई एसेट क्लास शामिल करना चाहिए। विविधता आपको किसी निवेश के खराब प्रदर्शन के दुष्प्रभाव से बचाती है। कभी-कभी किसी कंपनी या सेक्टर का प्रदर्शन बाकी बाजार की तुलना में ज्यादा खराब होता है। ऐसी स्थिति में अगर आपका पूरा पैसा उसी में नहीं लगा हो, तो निश्चित रूप से यह आपके लिए मददगार होता है। हालांकि ज्यादा तरह के फंडों में निवेश करना भी सही नहीं है।
पता करते रहें आपके निवेश का प्रदर्शन कैसा है?
निवेश करने के बाद घर बैठने और उसे भूलने जैसी लापरवाही न करें। इसके लिए जरूरी है कि पता करते रहें कि आपका निवेश कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं ? इस तरह की जानकारी के लिए म्यूचुअल फंड मासिक और त्रैमासिक फैक्ट शीट और न्यूजलैटर प्रकाशित होते हैं जिनमें पोर्टफोलियो की जानकारी,फंड मैनेजर द्वारा प्रबंधित योजनाओं और उनके प्रदर्शन आंकड़ों की रिपोर्ट प्रकाशित होती है। इसके अलावा म्यूचुअल फंड की वेबसाइट पर प्रदर्शन आंकड़े, दैनिक NAV (नेट ऐसेट वैल्यू) , फंड फैक्ट शीट , त्रैमासिक न्यूजलेटर और प्रेस क्लिपिंग इत्यादि उपलब्ध कराती है। इसके अलावा भारत में म्यूचुअल फंड एसोसिएशन( AMFI ) की वेबसाइट भी है जिसमें दैनिक और ऐतिहासिक NAV और अन्य योजनाओं के बारे में सूचना होती हैं।
सेफ इन्वेस्टमेंट भी जरूरी
म्युचुअल फंड में पैसा निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आप इसमें निवेश करने के अलावा कहीं ऐसी जगह भी निवेश करते रहें जहां जोखिम न हो। इस तरह के निवेश के लिए आप पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) या रिकरिंग अकाउंट (RD) में पैसा लगा सकते हैं। इससे अगर आपको शेयर बाजार में नुकसान होता है तो इस योजनाओं से आपको रिटर्न मिलता रहेगा।
Mutual Fund में निवेश की प्लानिंग? ऐसे उठाएं अधिक ब्याज का लाभ, जानें कैसे करें तैयारी
शॉर्ट टर्म इनवेस्टर्स, जिनके पास 6 महीने से लेकर दो साल तक का टाइम है, उन्हें डेट म्यूचुअल फंड्स- लिक्विड, मनी मार्केट और बॉन्ड फंड्स में निवेश करना चाहिए।
Mutual Funds में निवेश की कैसे करें प्लानिंग (फोटो-Freepik)
म्यूचुअल फंड में अधिक समय के लिए निवेश की सलाह दी जाती है, ताकि आपको एक अच्छा फंड मिल सके। अगर आप भी निवेश की प्लानिंग कर रहे हैं और म्यूच्युअल फंड से अच्छा पैसा बनाना चाहते हैं तो यह खबर आपकी मदद कर सकती है। आइए विशेषज्ञों से जाने कैसे करें निवेश की प्लानिंग और किस तरह आपको अधिक रिटर्न मिल सकता है?
किस तरह के फंड में अधिक रिटर्न
कर और निवेश विशेषज्ञों के अनुसार, दरों में बढ़ोतरी का असर इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के रिटर्न पर शॉर्ट टर्म यानी 6 महीने से लेकर दो साल तक हो सकता है। मिंट की एक रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स के हवाले से बताया गया है कि शॉर्ट टर्म इनवेस्टर्स, जिनके पास 6 महीने से लेकर दो साल तक का टाइम है, उन्हें डेट म्यूचुअल फंड्स- लिक्विड, मनी मार्केट और बॉन्ड फंड्स में निवेश करना चाहिए। इस तरह के फंड से उनके मौजूदा वार्षिक औसत रिटर्न से 0.50 से 1 फीसदी अधिक ब्याज मिल सकता है।
एक से तीन महीने के लिए इन फंडों में कर सकते हैं निवेश
माईफंडबाजार के सीईओ और संस्थापक विनीत खंडारे ने मिंट से कहा कि प्रत्येक निवेशक पोर्टफोलियो को उन फंडों में निवेश कर सकते हैं, जिनके ब्याज दर बढ़ रहे हैं। हालाकि इसमें 2 से कम के लिए निवेशित रहना चाहिए। वहीं अगर एक महीने या उससे कम के निवेश करना चाहते हैं तो अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड ले सकते हैं, जबकि तिमाही महीने के निवेश के लिए मनी मार्केट फंड खरीद सकते हैं।
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लंबे समय तक निवेशित रहने वाले टारगेट फंड का कर सकते हैं चयन
इसके अलावा अगर आप एक साल के लिए निवेश की प्लानिंग कर रहे हैं, तो निवेशकों को हाई रिटर्न और बाजार में उसके स्थिति को देखना चाहिए। लंबे समय तक निवेशित रहने वाले निवेशक टर्म निवेश के साथ टारगेट मैच्योरिटी फंड में निवेश कर सकते हैं।
बदल सकते हैं म्यूच्युल फंड
आरबीआई ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर म्यूचुअल फंड निवेश में बदलाव पर, मास्टरट्रस्ट की वरिष्ठ उपाध्यक्ष, पालका अरोड़ा चोपड़ा ने कहा कि बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण ब्याज दरों में वृद्धि के साथ, निवेशकों को अपने मौजूदा डेट फंड पोर्टफोलियो को बदलना होगा। साथ ही नए निवेश की योजना भी बनाई चाहिए। बढ़ती ब्याज दरों से लाभ प्राप्त करने के लिए तरल और मुद्रा बाजार फंड में निवेश करना चाहिए। निवेशक लंबे समय तक डायनेमिक बॉन्ड फंड देख सकते हैं।
शॉर्ट टर्म के लिए किस फंड में अधिक ब्याज
शॉर्ट टर्म में डेट फंड से उम्मीद जैसे रिटर्न पर ट्रस्ट म्यूचुअल फंड के सीईओ संदीप बागला ने कहा कि दो साल तक की मैच्योरिटी वाला कोई भी डेट म्यूचुअल फंड लिक्विड या ओवरनाइट फंड की तुलना में काफी अधिक ब्याज दे सकता है। लिक्विड फंड में कम अस्थिरता के साथ लगभग 4.75 प्रतिशत से 5 प्रतिशत ब्याज आय की पेशकश करने की संभावना है। एक बैंकिंग और पीएसयू डेट फंड जिसमें 6.80 प्रतिशत से 7 प्रतिशत दो साल के लिए बैलेंस फंड हो सकते हैं। इन फंडों के 3-6 महीनों में काफी अच्छा होने की उम्मीद है।
ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के पंकज मथपाल के अनुसार, डेट म्यूचुअल फंड के लिए नीचे दिए गए कुछ फंडों में निवेश कर सकते हैं, जिसमें निवेशकों को वार्षिक रिटर्न से 0.50 प्रतिशत से 1.0 प्रतिशत अधिक ब्याज मिल सकता है।
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