12 दिसंबर, 2022 को नई दिल्ली में IGI हवाई अड्डे पर भीड़ (Express photo by Tashi Tobgyal)

Railway Refund Rules : अगर आपकी छूट गई है ट्रेन तो भी मिलेगा रिफंड, बस करना होगा ये काम

Railway Refund Rules : भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने यात्रियों को आर्थिक नुकसान (Financial Loss) से बचाने के लिए 1 अप्रैल 2022 से अपने दो मौजूदा नियमों में बदलाव किया है। यात्रियों के लिए नियम में यह बदलाव ट्रेनों के छूटने से संबंधित हैं। बदले हुए कानून में, जिन यात्रियों के पास कनेक्टिंग टिकट (Connecting Ticket) हैं।

Railway Refund Rules : भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने यात्रियों को आर्थिक नुकसान (Financial Loss) से बचाने के लिए 1 अप्रैल 2022 से अपने दो मौजूदा नियमों में बदलाव किया है। यात्रियों के प्राइस एक्शन स्कूल की अंतिम तकनीक लिए नियम में यह बदलाव ट्रेनों के छूटने से संबंधित हैं। बदले हुए कानून में, जिन यात्रियों के पास कनेक्टिंग टिकट (Connecting Ticket) हैं। वे पहली ट्रेन के देर से आने के कारण दूसरी ट्रेन के छूटने की स्थिति में अपनी कनेक्टिंग ट्रेन पकड़ने में विफल रहने पर अपने किराए का पूरा रिफंड प्राप्त कर सकते हैं। एक अन्य नियम में बदलाव के तहत यात्री को अपना बोर्डिंग स्टेशन (Boarding Station) बदलने की सुविधा मिल प्राइस एक्शन स्कूल की अंतिम तकनीक सकती है।

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यह निर्णय इसलिए लिया गया, क्योंकि पहली ट्रेन के देर से आने के कारण बहुत से यात्रियों की ट्रेनें छूट जाती हैं। इस मामले में नया कानून यात्री को दूसरे टिकट का पूरा रिफंड पाने की अनुमति देता है, बशर्ते उसने दोनों टिकटों में उनके बारे में सटीक जानकारी भरी हो। इसके अलावा, पहले टिकट का आगमन बिंदु और दूसरे टिकट का प्रारंभिक बिंदु समान होना चाहिए।

इन बातों को रखें ध्यान

बोर्डिंग स्टेशन (Boarding Station) बदलने से जुड़े नए कानून में यात्री को ट्रेन छूटने के चार घंटे पहले अपना बोर्डिंग स्टेशन (Boarding Station) बदलने की सुविधा मिल सकती है, यानी यात्री चार्ट बनने से पहले अपना बोर्डिंग स्टेशन (Boarding Station) बदल सकता है। चार्ट बनने के बाद यात्री इस राहत का लाभ नहीं उठा पाएंगे। यह नियम उन सभी यात्रियों पर लागू होगा, जिनका सामान्य कोटा श्रेणी के तहत आरक्षण है, भले ही उनके पास ‘तत्काल’ टिकट हो।

जिन यात्रियों के पास काउंटर टिकट है, उन्हें अपनी यात्रा के शुरुआती बिंदु पर रेलवे अधिकारियों को सूचित करना होगा, जबकि जिनके पास ई-टिकट (E-Ticket) है, वे चार्ट तैयार होने से पहले आईआरसीटीसी (IRCTC) की वेबसाइट पर लॉग इन करके बोर्डिंग स्टेशन (Boarding Station) बदल सकते हैं। वे यात्री जो इन दोनों में से कोई भी काम नहीं कर पाएंगे, वे 139 पर कॉल कर सकते हैं और फोन पर बोर्डिंग स्टेशन (Boarding Station) बदलने के लिए अपना अनुरोध कर सकते हैं। हालांकि, इस फोन कॉल को भी चार घंटे या चार्ट तैयार होने से पहले आगे बढ़ाना होता है। बोर्डिंग स्टेशन (Boarding Station) बदलने की यह सुविधा सभी यात्रियों के लिए मुफ्त होगी।

बिहार के सरकारी स्कूलों के बच्चे अब 'स्मार्ट क्लास' में पढ़ेंगे

बिहार के सरकारी स्कूलों के बच्चे भी अब स्मार्ट क्लास में पढ़ेंगे। इसके लिए बिहार सरकार ने राज्य के माध्यमिक विद्यालयों में उन्नयन बिहार कार्यक्रम तकनीक के तहत पहले चरण प्राइस एक्शन स्कूल की अंतिम तकनीक में राज्य के 31०6 माध्यमिक.

बिहार के सरकारी स्कूलों के बच्चे अब 'स्मार्ट क्लास' में पढ़ेंगे

बिहार के सरकारी स्कूलों के बच्चे भी अब स्मार्ट क्लास में पढ़ेंगे। इसके लिए बिहार सरकार ने राज्य के माध्यमिक विद्यालयों में उन्नयन बिहार कार्यक्रम तकनीक के तहत पहले चरण में राज्य के 31०6 माध्यमिक विद्यालयों में इसे लागू करने का फैसला किया है।

बिहार के 38 जिलों के शिक्षा पदाधिकारियों सहित तेज तरार्र शिक्षकों के चयन के बाद 228 लोगों को उन्नयन बांका के 'एक्सपर्ट मास्टर ट्रेनर' द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। बांका में पहले से ही प्रारंभ उन्नयन कार्यक्रम के तहत स्मार्ट क्लास चलाए जा रहे हैं। बांका के जिलाधिकारी कुंदन कुमार की पहल पर शुरू की गई उन्नयन बांका तकनीक को पूरे बिहार में लागू किया जा रहा है।

बांका के जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने बताया कि डेढ़ साल पहले उन्नयन बांका की शुरुआत की गई थी। पहले चरण में बांका के पांच स्कूलों में उन्नयन के तहत स्मार्ट क्लास शुरू की गई। वर्तमान में बांका में 100 से अधिक स्कूलों में स्मार्ट क्लास संचालित हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि उन्नयन के तहत स्मार्ट पढ़ाई को देखकर ही राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे पूरे बिहार में लागू करने का निदेर्श दिया था।

बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य परियोजना पदाधिकारी संजय कुमार सिंह ने सोमवार को बताया कि सरकारी माध्यमिक (उच्च) विद्यालयों के बच्चों को 'डिजिटल विधि' से पढ़ाने की विशेष मुहिम के तहत पहले चरण में 3106 माध्यमिक विद्यालयों में उन्नयन बिहार लागू करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए चयनित स्कूलों में 90 हजार रुपये भेजे जा रहे हैं, जिससे टीवी, इंवर्टर, पेन ड्राइव सहित अन्य सामान खरीदे जा सकेंगे।”

कोरोना से चीन के बिगड़े हालात, दवाओं की भारी किल्लत, भारत करेगा मदद

Covid-19 Outbreak in China: चीन में कोरोना की चौथी और सबसे खतरनाक लहर आने से दवाओं की भारी किल्लत हो गई है. डिमांड पूरी करने के लिए दवा कंपनियों में ओवर टाइम कराया जा रहा है.

Covid-19 Outbreak in China: चीन में कोरोना की चौथी और सबसे खतरनाक लहर आने से दवाओं की भारी किल्लत हो गई है. हर दिन लाखों की संख्या में नए मरीज सामने आने से अस्पतालों में लोगों को बेड नहीं मिल रहे हैं तो वहीं दवाओं की भी किल्लत हो गई है. बिना दवाओं के लोग तड़प रहे हैं. अपने पड़ोसी को मुसीबत में देखकर भारत एक बार फिर से सामने आया है.

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इस महीने की शुरुआत में चीन द्वारा सख्त COVID-19 नियमों में अचानक ढील देने से मुख्य भूमि पर बुखार की दवाओं और वायरस परीक्षण किटों की मांग में उछाल आया, जिसके कारण ग्राहक भारी मात्रा में दवाएं खरीद रहे हैं जिससे दवाओं की कमी आ गयी है। भारत के दवा निर्यात निकाय के अध्यक्ष ने गुरुवार (22 दिसंबर) को कहा कि दुनिया के सबसे बड़े दवा निर्माताओं में से एक भारत ने कोरोना से जूझ रहे चीन की मदद करने का फैसला लिया है. भारत, चीन को बुखार की दवाएं देने के लिए तैयार है.

भारतीय दवा कंपनियों को मिल रहे ऑर्डर

चीन में कोरोना की लहर आने से वहां दवाओं की भारी किल्लत हो गई है. डिमांड पूरी करने के लिए दवा कंपनियों में ओवर टाइम कराया जा रहा है. चीनी सरकार ने बुखार, बदन दर्द और सिर दर्द की दवाएं फ्री में देने का एलान किया है. इस बीच भारत ने भी चीन को बुखार की दवाएं भेजने की इजाजत दे दी है. फार्मास्युटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (फार्मेक्सिल) के चेयरपर्सन साहिल मुंजाल ने रॉयटर्स को बताया, “इबुप्रोफेन और पेरासिटामोल दवा बनाने वाली कंपनियों के पास चीन से ऑर्डर आ रहे हैं.”

भारत सरकार ने दवा भेजने की दी इजाजत

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उन्होंने कहा, “चीन में इस समय इबुप्रोफेन और पेरासिटामोल की भारी डिमांड है, वहां लोग इन दवाओं की कमी का सामना कर रहे हैं.” वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन की मदद करने के लिए भारत तैयार है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “हम चीन में COVID की स्थिति पर नजर रख रहे हैं. चीन को दवा भेजने के सवाल पर उन्होंने कहा, “हमने दुनिया के फार्मेसी के रूप में अन्य देशों की हमेशा मदद की है.”

भारत से ऑनलाइन मंगा रहे हैं दवाएं

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के बाजारों में एंटी वायरल दवाओं की भारी किल्लत मच गई है. इबुप्रोफेन और पेरासिटामोल जैसी एंटीवायरल दवाओं की कमी की वजह से अफरातफरी मची हुई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वायरल दवाओं की कम आपूर्ति और जमाखोरी से चीन के बाजारों में दवाओं की कमी हो गई. चीनी सोशल मीडिया पोस्ट और अखबारों की रिपोर्ट से पता चलता है कि चीन के लोग अब उन दवाओं को खरीद रहे हैं, जिन्हें चीन में बेचने की इजाजत नहीं है. इसके लिए चीनी ऑनलाइन स्टोर्स का सहारा ले रहे हैं.

दवाओं की कमी आते हि कालाबाजारी भी शुरू हो गई

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, चीन में काफी एजेंट्स एक्टिव हो चुके हैं, जो दोगुने या तीन गुना दाम पर वायरल फीवर की दवाएं बेच रहे हैं. द पेपर ने लिखा कि एक एजेंट ने विदेशी जेनेरिक एंटीवायरल के 50 हजार से अधिक बॉक्स बेचे हैं. ग्वांग्झू डेली अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्वांग्झू यूनाइटेड फैमिली हॉस्पिटल में वायरल की दवा पैक्सलोविड की कीमत लगभग 2,300 युआन है. यह दवा भी लोगों को ऐसे नहीं दी जा रही है. कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद ही यह दवा दी जा रही है. अस्पताल में मरीजों के सीटी स्क्रीनिंग कीमत 5 हजार युआन है. 1,000 युआन डॉक्टर की फीस है.

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व्यवस्था अव्यवस्था

दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भीड़भाड़ और मुसाफिरों को बेवजह होने वाली परेशानियों की शिकायतों के मद्देनजर नागर विमानन मंत्रालय ने स्थिति का जायजा लिया और भरोसा जताया है कि प्राइस एक्शन स्कूल की अंतिम तकनीक इस महीने के अंत तक हालात सामान्य हो जाएंगे। लोगों को होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त स्कैनिंग मशीनें लगाई जाएंगी और करीब चौदह सौ अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे।

व्यवस्था अव्यवस्था

12 दिसंबर, 2022 को नई दिल्ली में IGI हवाई अड्डे पर भीड़ (Express photo by Tashi Tobgyal)

गौरतलब है कि पिछले कुछ हफ्तों से लोग शिकायत कर रहे थे कि उन्हें प्रवेश द्वार से लेकर सामान की जांच आदि के लिए लंबी कतार लगानी पड़ती है। इस तरह उन्हें नाहक परेशानी उठानी पड़ रही है। ऐसी शिकायतें मुंबई हवाई अड्डे से भी मिलती रही हैं। इन दोनों हवाई अड्डों से देश और दुनिया के हर शहर के लिए उड़ानें संचालित होती हैं। स्वाभाविक ही यहां भीड़भाड़ रहती है।

मगर मुसाफिरों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ही इन हवाई अड्डों का विस्तार किया गया था। इनके रखरखाव और सुरक्षा व्यवस्था आदि की जिम्मेदारी सक्षम निजी कंपनियों को सौंपी गई थी। अच्छी सुविधाएं और व्यवस्था मुहैया कराने के तर्क पर यात्रियों से अधिक शुल्क भी वसूला जाता है। फिर भी अगर वहां अव्यवस्था का आलम देखा जाता है और उसके समाधान के लिए नागर विमानन मंत्रालय और संसदीय समिति को दखल देना पड़ता है, तो यह विडंबना ही कही जाएगी।

दिल्ली और मुंबई जैसे हवाई अड्डों पर यात्रियों के पहुंचने का समय एक घंटे से बढ़ा कर उड़ान से दो घंटा पहले कर दिया गया। साथ ले जाए जाने वाले सामान का वजन भी घटा कर कम कर दिया गया। ऐसा इसी मकसद से किया गया कि यात्रियों और सामान आदि की जांच में असुविधा न हो। इसके बावजूद अगर लोगों को लंबी कतार लगानी पड़ती है, तो इसे व्यवस्थागत खामी ही कहेंगे।

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ऐसा नहीं माना जा सकता कि विमानन कंपनियों को इस बात का अंदाजा नहीं होता कि किस दिन कितने मुसाफिर उनके विमानों में उड़ान भरेंगे। इस हिसाब से उन्हें यह भी अंदाजा होता है कि एक आदमी की जांच और अंतिम रूप से हवाई जहाज में प्रवेश कराने में कितना वक्त लग जाता है। फिर अगर वे मुसाफिरों के बढ़ते दबाव के अनुसार अपनी व्यवस्था में विस्तार नहीं करती हैं, तो इससे उनकी जानबूझ कर की जाने वाली लापरवाही और यात्रियों को परेशान करने की मंशा ही जाहिर होती है।

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कामकाजी व्यस्तता और लंबी दूरी के लिए अच्छी रेलगाड़ियां न होने की वजह से बहुत सारे लोग रेल के बजाय प्राइस एक्शन स्कूल की अंतिम तकनीक हवाई जहाज से सफर करना बेहतर समझते हैं। फिर रेलों के समय से न पहुंचने और अनेक रेलें बंद हो जाने की वजह से भी विमानन कंपनियों पर बोझ बढ़ा है। यह अच्छी बात है कि कोरोना काल में लंबी बंदी के बाद हवाई यात्रा सुगम हो गई है और इस तरह उन्हें अपना घाटा पाटने में मदद मिल रही है, मगर इसका यह अर्थ कतई नहीं लगाया जा सकता कि मुसाफिरों की सुविधा का ध्यान रखे बगैर वे मुनाफा कमाएं।

फिर हवाई अड्डों की व्यवस्था संभालने वाली कंपनियों की जवाबदेही भी सुनिश्चित होनी चाहिए कि ऐसी अव्यवस्था का दंड उन्हें भुगतना होगा। बहुत सारे लोग शारीरिक रूप से इतने सक्षम नहीं भी हो सकते कि वे लंबे समय तक कतार में खड़े होकर जांच प्रक्रिया से गुजर सकें। मुसाफिरों से शुल्क लिया जाता है, तो उन्हें सुविधाएं पाने का पूरा अधिकार है। इसकी जवाबदेही तो तय होनी ही चाहिए।

‘आतंकी इकोसिस्टम’ का समर्थन करने वालों को कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा : जम्मू-कश्मीर एलजी


जम्मू । जम्मू-कश्मीर एलजी (J&K LG) मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) ने बुधवार को कहा कि ‘आतंकी इकोसिस्टम’ (‘Terror Ecosystem’) का समर्थन करने वालों को (Those Supporting) कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा (Will Face Action) । मीडिया कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए सिन्हा ने कहा, जम्मू-कश्मीर में जो भी आतंकी इकोसिस्टम का समर्थन करता है, उसे कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

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उन्होंने कहा कि पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां पता लगा लेंगी कि कौन आतंक का समर्थन कर रहा है और ऐसे समर्थकों की राजनीतिक संबद्धता कोई मायने नहीं रखेगी। उन्होंने कहा कि यह जम्मू-कश्मीर प्रशासन और केंद्र को तय करना है कि जम्मू-कश्मीर में किसे रहना और काम करना है। उन्होंने कहा, 70,000 करोड़ रुपये का निवेश जल्द ही यहां आने वाला है।

घाटी में सेवारत कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि लगभग सभी कर्मचारियों को जिला मुख्यालयों पर तैनात किया गया है। उन्होंने कहा, हम किसी ऐसे व्यक्ति को वेतन नहीं दे सकते जो काम नहीं करता है। जम्मू-कश्मीर में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बारे में सिन्हा ने कहा कि यात्रा की अनुमति तब दी जाएगी जब तक यह देश की संप्रभुता प्राइस एक्शन स्कूल की अंतिम तकनीक और लोकतांत्रिक सिद्धांत को चुनौती नहीं देती है।

यूटी सरकार द्वारा अधिसूचित भूमि अनुदान नियम 2022 पर हाल ही में किए जा रहे हंगामे के बारे में उन्होंने कहा कि इन नियमों ने जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों के बराबर ला दिया है। उन्होंने कहा, मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि कोई भी गरीब आदमी आवंटित जमीन नहीं खोएगा। यह केवल कुछ बड़े व्यापारिक घराने हैं, जिन्होंने सरकारी जमीनों पर एकाधिकार कर लिया है, जो खतरा महसूस कर रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर में होने वाली जी20 बैठक के बारे में उन्होंने कहा, ‘श्रीनगर में केवल एक जी20 बैठक आयोजित की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘हमने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि जी20 की एक बैठक जम्मू में भी होनी चाहिए।’ हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हम उस बैठक के दौरान अपनी ताकत दिखाने में सक्षम हों। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जम्मू-कश्मीर में जी20 बैठक बिना किसी बाधा के आयोजित की जाएगी।

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