और सुस्त हुई Indian Economy की रफ्तार! GDP वृद्धि जून तिमाही में घटने का अनुमान: रिपोर्ट
Indian Economy: स्थिति का जायजा लेने के लिए , वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अधिकारियों और उद्योग से जुड़े दिग्गजों के साथ कई बैठकें की हैं। बैठक में उपभोक्ता मांग और निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने पर विचार – विमर्श किया गया।
प्रतीकात्मक फोटो (pic source: financial express)
Indian Economy, PM modi, State of economy: सेवा क्षेत्र में सुस्ती, कम निवेश और खपत में गिरावट के बीच देश की आर्थिक वृद्धि इस साल जून तिमाही में 5.7 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने अपनी रपट में यह कहा है। नोमुरा के मुताबिक, दूसरी तिमाही (अप्रैल – जून) में सुस्ती के बावजूद जुलाई – सितंबर तिमाही में अर्थव्यस्था में कुछ सुधार आने की उम्मीद है। कंपनी ने अपने शोध नोट में कहा, “उच्च आवृत्ति कारकों में नरमी बरकार रहेगी। इसमें सेवा क्षेत्र का खराब प्रदर्शन, निवेश में कमी, बाहरी क्षेत्र में सुस्ती और खपत में भारी गिरावट शामिल है।
वित्त वर्ष 2018-19 में अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त होकर 6.8 प्रतिशत पर आ गयी। यह 2014-15 के बाद का निम्न स्तर है। इसमें कहा गया है कि उपभोक्ताओं का विश्वास कम हो रहा है और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट आई है। व्यापार और मुद्रा को लेकर चले रहे टकराव ने समस्या को और गंभीर बना दिया है।
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स्थिति का जायजा लेने के लिए , वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अधिकारियों और उद्योग से जुड़े दिग्गजों के साथ कई बैठकें की हैं। बैठक में उपभोक्ता मांग और निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने पर विचार – विमर्श किया गया। नोमुरा ने कहा , ” हमारा अनुमान है कि जीडीपी वृद्धि मार्च के 5.8 प्रतिशत से घटकर जून तिमाही में 5.7 प्रतिशत पर रह जाएगी। सितंबर तिमाही (तीसरी तिमाही) में यह बढ़कर 6.4 प्रतिशत हो जाएगी। उसके बाद की तिमाही में जीडीपी वृद्धि की रफ्तार 6.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।”
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SBI का अनुमान, दिसंबर तिमाही में भारत की GDP 5.8% रह सकती है, गरीबों को सरकार दे सकती है 50 हजार
SBI रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ग्रामीण गरीबों को 50 हजार रुपए तक आजीविका लोन उपलब्ध करवा सकती है. इससे डिमांड में जबरदस्त तेजी आएगी.
भारतीय स्टेट बैंक की शोध रिपोर्ट ईकोरैप (SBI research report- Ecowrap) के अनुसार देश का सकल घरेलू उत्पाद (India GDP) वित्त वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही उच्च आवृत्ति विदेशी मुद्रा व्यापार क्या है यानी अक्टूबर-दिसंबर में 5.8 फीसदी की दर से बढ़ सकता है. देश की अर्थव्यवस्था 20211-22 की दूसरी तिमाही में 8.4 फीसदी की दर से बढ़ी थी. हालांकि, जीडीपी वृद्धि दर जुलाई-सितंबर में इससे पिछली तिमाही के 20.1 फीसदी वृद्धि के मुकाबले कम थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) 28 फरवरी को चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के लिए जीडीपी अनुमान घोषित करेगा. रिपोर्ट में शुक्रवार को कहा गया, “एसबीआई नाउकास्टिंग मॉडल के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही के लिए अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 5.8 फीसदी रहेगी. पूरे वर्ष (वित्त वर्ष 2021-22) की जीडीपी वृद्धि का अनुमान 9.3 फीसदी से घटाकर 8.8 फीसदी कर दिया गया है.”
नाउकास्टिंग मॉडल औद्योगिक गतिविधियों, सेवा गतिविधियों और वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़े 41 उच्च आवृत्ति संकेतकों पर आधारित है. रिपोर्ट के मुताबिक, डोमेस्टिक इकोनॉमिक एक्टिविटी में आशातीत तेजी नहीं है. प्राइवेट कंजप्शन अभी भी कोरोना काल के पूर्व स्तर पर नहीं पहुंच पाया है. कुछ इंडिकेटर्स दिसंबर तिमाही में मांग में कमी के भी संकेत दे रहे हैं जो जनवरी महीने में भी है.
रूरल डिमांड पर अभी भी दबाव
रूरल डिमांड की बात करें तो अगस्त 2021 के बाद से दोपहिया वाहन और ट्रैक्टर की बिक्री में लगातार गिरावट देखी जा रही है. जनवरी में डोमेस्टिक ट्रैक्टर सेल में सालाना आधार पर 32.6 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई. जनवरी में दोपहिया वाहनों की बिक्री में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है.
अर्बन डिमांड में धीरे-धीरे सुधार
अर्बन डिमांड इंडिकेटर्स की बात करें तो कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और पैसेंजर व्हीकल की बिक्री में दिसंबर तिमाही में गिरावट दर्ज की गई. ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण डोमेस्टिक एयर ट्रैफिक भी घटा है. हालांकि, इन्वेस्टमेंट में धीरे-धीरे सुधार दिख रहा है.
ग्रामीण गरीबों के लिए हो मिल सकता है 50 हजार का लोन
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ग्रामीण गरीबों को 50,000 रुपए तक आजीविका ऋण ( livelihood loans) पेशकश कर सकती है. इस लोन की मदद से सरकार कंजप्शन को बढ़ा सकती है जो इकोनॉमी के लिए बहुत जरूरी है.
सबसे तेज गति से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था- वित्त मंत्रालय
वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) की मासिक आर्थिक समीक्षा के मुताबिक आम बजट 2022-23 में सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों के बल पर भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) बड़े देशों में सबसे तेज गति से बढ़ोतरी दर्ज करेगी. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत अभी एकमात्र बड़ा और प्रमुख देश है जिसके लिए IMF ने ग्रोथ का ने जिसका वृद्धि अनुमान 2022-23 के लिए बढ़ाया है. बता दें कि आईएमएफ ने वर्ष 2022 के लिए अपने वैश्विक वृद्धि अनुमान को उच्च आवृत्ति विदेशी मुद्रा व्यापार क्या है घटा दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के लोगों के लचीलेपन और उसकी नीति निर्माण की दूरदर्शिता के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था के 2022-23 में दुनिया के बड़े देशों के बीच सबसे तेजी से बढ़ने का अनुमान है, जबकि यह 2020-21 में 6.6 प्रतिशत घटी थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि आम बजट 2022-23 ने पिछले बजट में तय दिशा को मजबूत किया है.
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