Share Market Fall : आठ सेशंस के बाद बाजार में आई गिरावट

बाजार में गिरावट जारी

बॉन्ड प्रतिफल बढ़ने और भू-राजनीतिक संकट गहराने से देसी शेयर बाजार में आज दो सप्ताह की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। बंबई स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क सेंसेक्स 844 अंक यानी 1.5 फीसदी गिरावट के साथ 57,147 पर बंद हुआ। इसी तरह निफ्टी भी 257 अंक यानी 1.5 फीसदी नुकसान के साथ 16,983 पर बंद हुआ।

विश्लेषकों का कहना है कि शुक्रवार को अमेरिका में रोजगार के दमदार आंकड़े जारी होने के बाद अधिकतर वैश्विक बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई, लेकिन भारतीय बाजार उस अंधड़ को झेलने में काफी हद तक कामयाब रहे थे। अलबत्ता आज की गिरावट बताती है कि देसी बाजार भी वैश्विक उथल-पुथल से बहुत समय तक नहीं बच सकता।

गुरुवार को अमेरिका में महंगाई के आंकड़े आने हैं। उससे पहले ऊंची मुद्रास्फीति की चिंताओं के बीच वहां के बाजार में बॉन्ड प्रतिफल उछल पड़ा। दो साल के अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल 4.3 फीसदी है, जो अगस्त 2007 के बाद सबसे अधिक है। 30 साल के अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल जनवरी 2014 के बाद अपने सर्वोच्च स्तर 3.9 फीसदी पर है। इसी महीने के आरंभ में लुढ़ककर 3.6 फीसदी रह जाने वाला 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल एक बार फिर 4 फीसदी की ओर बढ़ रहा है।

अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘प्रतिफल बढ़ने से डॉलर को मजबूती मिलेगी। ऐसे में मुद्रा अवमूल्यन और गिरावट के कारण रकम निकल जाएगी। बढ़त क्या बाजार में गिरावट आने पर बांड सुरक्षित हैं? अथवा अनिश्चितता के दौरान जोखिम वाली पूंजी हमेशा उभरते बाजारों से निकल जाती है।’ विश्लेषकों ने कहा कि अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में इतने अधिक उतार-चढ़ाव से पता चलता है कि मुद्रास्फीति के बारे में निवेशक कितने अधिक भ्रमित हैं। वे समझ ही नहीं पा रहे हैं कि महंगाई चरम पर पहुंच गई है या और बढ़ने से पहले कुछ समय के लिए रुकी है।

उच्च मुद्रास्फीति एवं अमेरिकी केंद्रीय बैंक की आक्रामक नीति से जुड़ी चिंता के बीच यूरोप और एशिया के प्रमुख शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई। अमेरिका में मुद्रास्फीति के आंकड़े गुरुवार को जारी होंगे, जिससे पहले शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव रहने के आसार हैं। मुद्रास्फीति अनुमान से अधिक रही तो दरों में फिर 75 आधार अंकों की वृद्धि के आसार बढ़ जाएंगे।

फेडरल रिजर्व के अधिकारियों ने अभी तक दरों में वृद्धि रुकने का संकेत नहीं दिया है। भट्ट ने कहा, ‘आक्रामक वृद्धि होने वाली है और अमेरिका तथा यूरोप में आगे भी दर बढ़ती रहेंगी। जोखिम वाली पूंजी कम होने जा रही है और इसका एक हिस्सा अमेरिका चला जाएगा।

बाजार में काफी उतार-चढ़ाव है और ऐसे समय में निवेश के लिए अमेरिका को सुरक्षित जगह माना जाता है। एफपीआई बड़े पैमाने पर बिकवाली कर सकते हैं।’ एफपीआई ने मंगलवार को 4,612.67 करोड़ रुपये की बिकवाली की। जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के अनुसंधान प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘अमेरिका में मुद्रास्फीति के आंकड़ों की घोषणा होने से पहले निवेशक सतर्क हैं।

उनके इस रुख के कारण उम्मीद से बेहतर आईटी आय भी बाजार का मन नहीं सुधार पाई।’ रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने यूक्रेन में कीव और दूसरे शहरों पर आगे भी मिसाइल हमले जारी रहने की धमकी दी है। इससे निवेशकों पर असर पड़ा है।

Why Share Market Fall : बाजार ने लिया यू-टर्न, 8 दिन से जारी तेजी थमी, क्या अब शुरू होगा गिरावट का सिलसिला?

Why Share Market Fall Today : पिछले आठ सत्रों से शेयर बाजार में जारी तेजी हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन थम गई। इस हफ्ते सेंसेक्स और निफ्टी ने ऑल टाइम हाई लेवल बनाए। लेकिन शुक्रवार को बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ। कमजोर वैश्विक रुख के चलते बाजार में गिरावट दर्ज हुई।

Share Market Fall

Share Market Fall : आठ सेशंस के बाद बाजार में आई गिरावट

हाइलाइट्स

  • लगातार 8 सेशंस से जारी बाजार में तेजी शुक्रवार को थमी
  • इस हफ्ते सेंसेक्स और निफ्टी ने छुआ है ऑल टाइम हाई लेवल
  • यूएस पेरोल डेटा जारी होने से पहले बाजार में दिखी मुनाफावसूली

सेंसेक्स के शेयरों का हाल

sensex

nifty

अच्छी है यह गिरावट
आईडीबीआई कैपिटल हेड ऑफ रिसर्च एके प्रभाकर ने कहा, 'भारतीय शेयर बाजार में गिरावट की प्रमुख वजह यूएस मार्केट में गिरावट है। बिकवाली दबाव का दूसरा कारण ऑटो स्टॉक्स और प्राइवेट बैंक्स का अंडरपरफॉर्म करना है। कुल मिलाकर लगातार चल रही रैली के बीच बाजार ने एक सांस ली है। यह अच्छा है और अब मिड और स्मॉलकैप परफॉर्म कर रहे हैं। इससे पहले ऐसा नहीं था। ऑल टाइम हाई के बाद इस तरह की मुनाफावसूली नॉर्मल है। 8-9 दिन की तेजी के बाद कुछ गिरावट आना ठीक है।'

विदेशी निवेशकों की लिवाली से रेकॉर्ड हाई पर गया बाजार
बेंचमार्क सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी इस हफ्ते रेकॉर्ड हाई लेवल पर पहुंचे हैं। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की भारतीय बाजार में बंपर लिवाली के चलते शेयर बाजार में यह तेजी आई।

Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म. पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप

गिरावट के साथ बंद हुआ शेयर बाजार, आने वाले सप्ताह में रिकवरी की उम्मीद

Stock Market Outlook निवेशक फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स के निवेश व डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमतों पर नजर रखेंगे। बता दें कि अगले सप्ताह Nifty के 17350 और 17100 पर सपोर्ट व 17800 पर रजिस्टेंस दिखाने की संभावना है।

नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। इस सप्ताह शेयर मार्केट गिरावट के साथ बंद हुआ। एक तरफ जहां Nifty 0.11% की गिरावट के साथ 17539.45 के आंकड़े पर बंद हुआ, तो वहीं Sensex 0.05% की गिरावट के साथ 58,803.33 के आंकड़े पर बंद हुआ। आने वाले सप्ताह में निवेशकों की नजर 5 सितम्बर को जारी किये जाने वाले S&P Global Services PMI के आंकड़ों पर रहेगी। बता दें कि S&P Global India Services PMI जून के 59.2 के आंकड़े के मुकाबले गिर कर जुलाई महीने में 55.5 पर आ गया था।

Share Market Tips: its important to check your Dividend History

आज ही शुरू करें अपना शेयर मार्केट का सफर, विजिट करें- https://bit.ly/3n7jRhX

इसके अतिरिक्त 9 सितम्बर को जारी होने वाले Deposit Growth व Bank Loan Growth के आंकड़े भी आने वाले सप्ताह में काफी महत्वपूर्ण रहेंगे। देश में अगस्त महीने में वैल्यू ऑफ लोन में आई 8.4% की बढ़त के साथ यह आंकड़े काफी महत्वपूर्ण रहेंगे। साथ ही इसी दिन फॉरेन एक्सचेंज रिसर्व के आंकड़े भी जारी किए जाएंगे।

निवेशकों के लिए फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स के निवेश व डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमतों पर भी नजर रखेंगे। बता दें कि अगले सप्ताह Nifty के 17350 और 17100 पर सपोर्ट व 17800 पर रजिस्टेंस दिखाने की संभावना है।

5 में प्वाइंट में जानें शेयर बाजार की गिरावट से आप पर क्या होगा असर

यह साल शेयर बाजार के लिए काला साबित हो रहा है। इस साल एक जनवरी को सेंसेक्स 41,349 प्वाइंट्स पर खुला था। इस दिन 43 प्वाइंट गिरकर 41,306 प्वाइंट्स पर बंद हुआ था। 13 मार्च को खबर लिखे जाने तक सेंसेक्स.

5 में प्वाइंट में जानें शेयर बाजार की गिरावट से आप पर क्या होगा असर

यह साल शेयर बाजार के लिए काला साबित हो रहा है। इस साल एक जनवरी को सेंसेक्स 41,349 प्वाइंट्स पर खुला था। इस दिन 43 प्वाइंट गिरकर 41,306 प्वाइंट्स पर बंद हुआ था। 13 मार्च को खबर लिखे जाने तक सेंसेक्स 3000 अंक टूट चुका है। इस साल 11662 अंक तक सेंसेक्स गिर चुका है। आमतौर पर शेयर बाजार में गिरावट आने से यह माना जाता है कि शेयरों में निवेश करने वाले निवेशकों को ही नुकसान होता है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है।

बाजार में गिरावट आने से म्यूचुअल फंड के जरिये निवेश करने वाले निवेशकों को भी नुकसान उठाना पड़ता है। इसकी वजह यह है कि शेयरों में गिरावट आने से उन म्यूचुअल फंड हाउस को नुकसान उठाना होता है जो उनमें निवेश किए होते हैं। उनकी फंड की वैल्यू घटती है। इसका असर निवेशकों के पोर्टफोलियो पर भी होता है। निवेशक का पोर्टफोलियो में गिरावट आती है। वहीं, दूसरी ओर कंपनियों को शेयरों में गिरावट से बाजार का माहौल खराब होता है। इससे अप्रत्यक्ष रूप से जॉब के मौके और वेतन वृद्धि पर भी असर होता है।

  • 1. मौजूदा समय में अधिकांश निवेशक म्यूचुअल फंड के जरिये निवेश करते हैं। बाजार में गिरावट आने से उनके पोर्टफोलियो में भी गिरावट आएगी। इससे उनको नुकसान उठाना होगा।
  • 2. शेयर बाजार में तेजी से किसी देश की अर्थव्यवस्था को आंका जाता है। वहीं, गिरावट आने पर उस देश की अर्थव्यवस्था में सुस्ती की आशंका बढ़ जाती है। तेजी जारी रहने पर रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं और गिरावट में कम होते हैं।
  • 3. शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आने पर न सिर्फ नौकरियों के अवसर में कमी आती है बल्कि वेतन वृद्धि भी प्रभावित होती है क्योंकि बाजार की चाल से अर्थव्यवस्था के माहौल को पता चलता है। गिरावट आने पर माहौल खराब होता है।
  • 4. शेयर बाजार में गिरावट आने से निवेशक सुरक्षित निवेश की ओर रुख करते हैं। इससे सोने की मांग तेजी से बढ़ती है जिससे कीमतों में तेजी से इजाफा होता है।
  • 5. वर्तमान में जीवन बीमा कंपनी से लेकर पेंशन फंड मैनेज करने वाली कंपनियां शेयर बाजार में निवेश करती हैं। बाजार में गिरावट आने से आपको मिलने वाले रिटर्न में कमी आ सकती है। रिटायरमेंट प्लानिंग पर इसका बड़ा असर देखने को मिल सकता है।

आर्थिक मंदी में गिरता क्यों है शेयर बाजार? मंदी में कैसी होनी चाहिए निवेश की रणनीति

लम्बी अवधि के निवेशक जानते हैं कि आर्थिक मंदी हमेशा के लिए नहीं रह सकती.

लम्बी अवधि के निवेशक जानते हैं कि आर्थिक मंदी हमेशा के लिए नहीं क्या बाजार में गिरावट आने पर बांड सुरक्षित हैं? रह सकती.

एक निवेशक तो मंदी से गुजर रही स्टॉक मार्केट में पैसा लगाना चाहिए या नहीं? गिरावट में पैसा लगाना सुरक्षित रहेगा क्या? लम . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : July 29, 2022, 16:51 IST

हाइलाइट्स

एक निवेशक तो मंदी से गुजर रही स्टॉक मार्केट में पैसा लगाना चाहिए या नहीं?
प्रॉफिट मार्जिन नहीं बढ़ता है तो शेयरों के भाव भी गिरने लगते हैं.
शेयर बाजार में किसी भी कारण गिरावट आती है तो शेयर खरीदने का अच्छा मौका होता है.

नई दिल्ली. अगर शेयर बाजार ऊपर भाग रहा हो तो भी निवेशक डरे रहते हैं कि खरीदें या नहीं, क्योंकि मार्केट में किसी भी समय गिरावट आ सकती है. और अगर बाजार लगातार गिर रहा हो तो भी निवेशक डरते हैं, पता नहीं कहां तक गिरेगा? जब आर्थिक मंदी के हालात हों तो बाजार की गिरावट का कोई स्तर नहीं होता. मंदी की भी कोई निश्चित अवधि नहीं होती.

ये सिचुएशन आपके सामने भी अक्सर आती होगी. आज हम इस जटिल विषय को समझने में आपकी मदद करेंगे. बड़ा सवाल यही है कि एक निवेशक तो मंदी से गुजर रही स्टॉक मार्केट में पैसा लगाना चाहिए या नहीं? गिरावट में पैसा लगाना सुरक्षित रहेगा क्या?

गिर रहे शेयर बाजार की स्थिति को समझने के लिए आपको बाजार में त्योहारों पर लगने वाली सेल को समझना होगा. गिरते बाजार में लगभग सभी शेयर सेल पर होते हैं, मतलब अपनी असली कीमत से कम पर मिल रहे होते हैं. लेकिन जिस प्रकार त्योहारों की सेल में हर चीज सस्ती मिलने की वजह से भी आप सबकुछ नहीं खरीदते हैं, वैसे ही शेयर बाजार में सेल के समय हर स्टॉक खरीदना उचित नहीं है.

मंदी में क्यों गिरते हैं शेयर?
इसे समझना काफी आसान है. मंदी के दौरान लोग अपने खर्च को कंट्रोल कर लेते हैं. वे ज्यादा खर्च करने की अपेक्षा ज्यादा बचत करने लगते हैं. इससे कंपनियों को अच्छा प्रॉफिट नहीं मिल पाता और उनके रेवेन्यू में ग्रोथ नहीं होती. जब उनका रेवेन्यू या प्रॉफिट गिरने लगता है तो कंपनी अपने कई सारे काम रोक देती है, जैसे कि अपनी क्षमताओं का विस्तार या सरप्लस कैपेसटी को रोकना. जब कंपनियों के काम-धंधे रुक जाते हैं और प्रॉफिट मार्जिन नहीं बढ़ता है तो शेयरों के भाव भी गिरने लगते हैं.

इसके अलावा, विदेशी निवेशक, जिन्होंने शेयर बाजार में अच्छा-खासा पैसा लगाया होता है, वे भी गिरते बाजार में ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते और बाजार से पैसा निकाल लेते हैं. चूंकि विदेशी निवेशकों को अपने यहां ब्जाय दरें अच्छी मिलने लगती हैं तो वे पैसा ब्याज के लिए पार्क कर देते हैं या फिर निवेश के लिहाज से सेफ हेवन माने वाले वाले सोने और चांदी में लगाते हैं.

निवेश का मौका है आर्थिक मंदी!
लम्बी अवधि के निवेशकों के दिमाग में एक बात हमेशा रहती है कि आर्थिक मंदी हमेशा के लिए नहीं रह सकती. जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था मंदी से बाहर निकलेगी, वैसे-वैसे ही शेयर बाजार में भी पॉजिटिविटी आएगी. इसलिए जब भी शेयर बाजार में किसी भी कारण गिरावट आती है तो शेयर खरीदने का अच्छा मौका होता है.

अब आप भी सोच रहे होंगे कि गिरावट में खरीदना तो ठीक, लेकिन गिरावट में भी कब खरीदा जाए. इस बात का क्या गारंटी है कि गिरावट वहीं तक होगी या बाजार और नहीं गिरेगा? तो आपकी जानकारी के लिए क्या बाजार में गिरावट आने पर बांड सुरक्षित हैं? बता दें कि ये तो कोई भी नहीं जान सकता कि बाजार कहां तक गिरेगा और कहां से उठेगा. लेकिन यदि आपका नजरिये लम्बी अवधि के लिए निवेश करने का है तो आप गिरावट में थोड़ा-थोड़ा माल उठाना शुरू कर सकते हैं. माल से अभिप्राय शेयर्स से है.

यहां एक बात और ध्यान में रखने लायक है कि निवेशकों के लिए मंदी के दौरान निवेश करने की सबसे अच्छी रणनीति यह होती है कि कम कर्ज वाली कंपनियों में निवेश करें, जिनका कैश फ्लो भी अच्छा हो और बैलेंस शीट मजबूत हो. इसके विपरीत, अत्यधिक लीवरेज, चक्रीय (साइकिलिक), या स्पेक्युलेटिव कंपनियों के शेयरों से बचा जाना चाहिए.

निवेश के लिए 2 तरह की रणनीतियां
इक्विटी म्यूचुअल फंड्स (Equity mutual funds): इस रणनीति में, सीधे शेयरों में निवेश करने की कोशिश करने के बजाय निवेशक म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश करने का विकल्प चुन सकते हैं. जब शेयर बाजार एक मंदी के दौर से उबरता है, तो रिकवरी आमतौर पर व्यापक होती है. मतलब कई स्टॉक एक साथ ऊपर जाते हैं. डायवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड में निवेश करना इसलिए बेहतर होता है, क्योंकि निवेशक कुछ चुनिंदा शेयरों पर दांव लगाने के बजाय, इस तरह की व्यापक रिकवरी से लाभ उठा सकते हैं. इस रणनीति से मिलने वाला रिटर्न सबसे अच्छा होता है. यहां एक फैक्टर आपके फेवर में यह भी होता है कि म्यूचुअल फंड हाउस किसी खराब शेयर में पैसा नहीं लगाते.

सीधे स्टॉक्स में निवेश: यह रणनीति केवल उन निवेशकों के लिए अच्छी है, जिनके पास शेयर बाजार का पर्याप्त ज्ञान है. जिन्हें पता है कि शेयर बाजार कैसे संचालित होता है और कीमतों में उतार-चढ़ाव का कारण क्या होता है. यह उन निवेशकों के लिए भी उपयुक्त है, जो अधिक जोखिम उठाने की क्षमता रखते हैं या वित्तीय संकट के बिना नुकसान को अवशोषित करने की क्षमता रखते हैं. ऐसे निवेशक इस बात से भी वाकिफ हैं कि एक बेयर बाजार में कुछ क्षेत्र दूसरों की तुलना में जल्दी रिकवर करने वाले होते हैं. उदाहरण के लिए, उपभोक्ता, फार्मा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों की कंपनियों की मांग हमेशा बनी रहती है और ये जल्दी रिकवर करती हैं. इसी तरह, जानकार निवेशक रियल एस्टेट जैसे चक्रीय क्षेत्रों से बचते हैं, जहां टर्नअराउंड अवधि लंबी हो सकती है.

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|

रेटिंग: 4.44
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 727