तीसरा बिंदु प्राइस मूव इन ट्रेंड्स का मतलब है कि स्टॉक प्राइस एक दिशा में तब तक चलता है जब तक कि वह विपरीत दिशा में अपनी दिशा को उलट या बदल नहीं देता है और वे एक ही दिशा में आगे बढ़ता रहता हैं जब तक कोई मेजर रेजिस्टेंस ना आ जाये बीच बीच में थोड़ी करेक्शन हो सकती हैं पर ट्रेंड अपनी दिशा टेक्निकल एनालिसिस क्या है और यह कैसे काम करता है में चलता हैं।
Technical Analysis (Hindi)
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो आपने Technical Analysis के बारे में सुना होगा।Technical Analysis ( तकनीकी विश्लेषण ) बाजार की चाल और बाजार की प्रवृत्ति को समझने के उद्देश्य से तकनीकी चार्ट या तकनीकी संकेतकों के माध्यम से बाजार व्यवहार का अध्ययन है। इस ब्लॉग आर्टिकल में हम Technical Analysis के बारे में जानेगे !!
Table of Contents
Technical Analysis क्या होता हैं|What is Technical Analysis
Technical Analysis ( तकनीकी विश्लेषण ) एक अध्ययन हैं जो चार्ट और तकनीक इंडिकेटर का उपयोग करके हिस्टोरिकल ट्रेंड के आधार पर भविष्य में होने वाले शेयर प्राइस के बढ़ने और गिरने के बारे में बताता हैं जिसके माध्यम से बाजार की चाल और व्यवहार को समझने में आसानी होती हैं शेयर्स के खरीदने का मूल्य, खरीदने का समय, कितना खरीदना और बेचना, स्टॉप लॉस और एग्जिट आदि के बारे में बताता है।टेक्निकल एनालिसिस के माध्यम से किसी भी स्टॉक में कब एंट्री और एग्जिट करना हैं ये भी प्राइस पैटर्न और इंडीकेटर्स की मदद से पता लगाया जा सकता हैं।Technical एनालिसिस की सबसे ख़ास बात ये हैं की ये किसी भी एसेट क्लास पे अप्लाई किया जा सकते हैं क्यूंकि चार्ट एनालिसिस हर एक एसेट क्लास पे काम करता हैं क्यंकि ये उसके प्राइस बेहवियर को पास्ट डाटा के आधार पे जानने का तरीका हैं।
Technical Analysis कैसे करें|How to do Technical Analysis
टेक्निकल एनालिसिस शेयर का हिस्टोरिकल ट्रेडिंग डाटा को चार्ट के माध्यम से समझता हैं और यह डाटा आगे आने वाले समय के बारे में क्या संकेत देता है।यहां Technical Analysis Study में उपयोग किए जाने वाले बुनियादी उपकरण हैं जैसे कैंडलस्टिक चार्ट, वॉल्यूम, ट्रेंडलाइन, मूविंग एवरेज आदि। मुख्य पैरामीटर स्टॉक की प्रवृत्ति और मूल्य व्यवहार की पहचान करना है।
Technical Analysis study (तकनीकी अध्ययन) में Price और Volume दो महत्वपूर्ण कारक हैं क्योंकि तकनीकी अध्ययन में Price सर्वोच्च है और वॉल्यूम मूल्य पैटर्न का समर्थन करती है या मूल्य व्यवहार को प्रभावित करती है।टेक्निकल एनालिसिस में आप चार्ट को analyse कर सकते हैं क्यूंकि एक चार्ट ट्रेंड के बारे में काफी कुछ बताता हैं उसमे प्राइस और वॉल्यूम के पैटर्न्स को ध्यान में रखना चाहिए क्यूंकि प्राइस ही सबसे ऊपर क्यूंकि जितने इंडिकेटर और टेक्निकल उपयोग केवल ट्रेंड और प्राइस का मूवमेंट देखने के लिए होते हैं
टेक्निकल एनालिसिस क्या है (What is Technical analysis in Hindi)
हम उदहारण को लेकर समझते है –
मान लीजिये की आप किसी देश में छुट्टी मना रह है, और उस देश में मौसम, रहन-सहन और खान-पान आपके लिए बिलकुल नया है. जब आप पहले दिन काफी अधिक घूम लेते है तो आपको काफी भूक भी लगने लगती है. इसके बाद आपको पास में एक जगह दिखी, जहाँ पर काफी खाने पीने की महशूर दुकाने मिली.
आप उनका सुआद लेने का फैसला लेते है और वह उन दुकानों पर अलग-अलग तरह की खाने पीने की मजेदार चीजें दिखीं. इसके बाद में आपको यह समझ नहीं आ रहा की क्या खाया जाये? और वहां पर लोगों से भी नहीं पूछ सकते है क्योकि आप उनकी भाषा नहीं जानते है इस स्थति में आप क्या करेंगे? क्या वो चीजे खाएंगे?
What is Technical analysis in Hindi (विकल्प 1, विकल्प 2)
विकल्प 1: आप सबसे पहली दुकान पर जाएंगे और देखेंगे कि आखीर वह क्या पका रहा है और पकाने के लिए किन – किन पदार्थो को डाल रहा है, वह किस तरह पका रहा है, और क्या पाता उसे आप थोड़ा सा चखकर भी देखेंगे. इसके बाद आप तय कर पाएंगे कि यह चीज आपके खाने लायक है या नहीं !
इसी तरह आप सभी दुकान चलाने वालों के साथ करेंगे तब आप अपनी मन पसंद जगह को ढूंढ पाएंगे और अपने मन पसंदीदा चीज खा सकेंगे. यह करने से आपको ये फायदा है की आप पूरी तरह से संतुष्ट रहंगे कि आप क्या खा रह है इसका मतलब ये हुआ की इस चीज को खाना के लिए आपने खुद ही research की हुई है.
लेकिन समस्या यह होती है जब 100 दुकाने या फिर उससे भी ज्यादा दुकाने है, ऐसे में आप सभी दुकानों को अकेले chack नहीं कर पाएंगे. अधिक दुकाने होने पर काफी दिक्कत होगी. समय की कमी, इससे भी आपको समस्या हो सकती है क्योकि टेक्निकल एनालिसिस क्या है और यह कैसे काम करता है आपके पास इतना समय नहीं है जो सभी दुकानों पर जा सके. ऐसे में तो यही संभव है की आपकी मनपसंद चीज ही छुट जाए.
टेक्निकल एनालिसिस-
यह फंडामेंटल एनालिसिस से काफी अलग है टेक्निकल एनालिसिस में इन्वेस्टर/ट्रेडर को मौका तलाश करना होता है की मार्किट इस समय किधर जा रही है. मार्किट क्या चाहती है? टेक्निकल एनालिसिस की तकनीक को मार्किट में सभी इन्वेस्टर/ट्रेडर पसंद करते हुए ट्रेड करते है. शेयर मार्किट में (chart/graph) को देख के ही सभी ट्रेडर/इन्वेस्टर की पसंद को पता कर सकते है.
जब चार्ट में कोई pattern बनता है तब उस pattern को देखकर मार्किट का संकेत को समझ सकते है. टेक्निकल एनालिस्ट (Technical Analyst) का काम ये होता है कि वो इस पैटर्न को समझे और अपना नजरिया बनाए. (Technical analysis kya hai? What is Technical analysis in Hindi)
टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है?
जितने भी नय ट्रेडर होते है उनको लगता है की टेक्निकल एनालिसिस से आधिक रूपए कमाएंगे. लेकिन सच्चाई ये है ना तो इसे करना इतना आसान है और ना ही कम समय में अधिक पैसा कमाने का रास्ता है. यह बात ठीक है यदि टेक्निकल एनालिसिस को ठीक से समझ कर किया जाए तो टेक्निकल एनालिसिस क्या है और यह कैसे काम करता है इससे कम समय में भी बढ़ा मुनाफा कमा सकते है लेकिन इसे सिखने के लिए अधिक महनत करनी होगी.
यदि technical analysis की मदद से कम समय में अधिक पैसा कमाया जा सकता है तो इसी से अधिक नुक्सान भी हो जाता है क्योकि मार्किट में अधिक पैसा डुबाने के बाद आमतौर पर नुकसान का सारा इल्जाम टेक्निकल एनालिसिस पर डाल देते है. वो लोग ट्रेडर की गलती को नहीं देखते है.
टेक्निकल एनालिसिस के दोवारा ट्रेड लेने से पहले अपनी उम्मीद को रखे और अच्छे से समझ कर ट्रेडिंग करे.( Technical analysis kya hai? Technical analysis book in hindi pdf download)
Basic assumptions of technical analysis
किसी कंपनी के मौजूदा शेयर प्राइस में उस कंपनी की फंडामेंटल फैक्टर्स ग्रोथ इनकम सभी इंक्लूड होता है उसको अलग से चेक करने की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि जो अभी शेयर का मौजूदा प्राइज है उसमें यह सारी बातें इंक्लूड है।
यहां पर हर शेयर की प्राइस एक ट्रेंड में बढ़ती या घटती रहती है यह माना जाता है कि शेयर प्राइस जिस ट्रेन में अभी चल रहा है फ्यूचर में भी वैसे ही चलने की संभावना ज्यादा होती है ट्रेंड तीन टाइप के होते हैं शॉर्ट टर्म मीडियम टर्म और लांग टर्म।
प्राइस ट्रेंड 3 तरीके से ट्रेंड करती है
up trand में शेयर की price 1 पैटर्न में बढ़ती रहती है और down trand में शेयर की price एक पैटर्न में गिरती रहती है और sideways trand में share की प्राइस 1 फिक्स इंटरवल में ट्रेंड करती है।
History repeats itself
शेयर मार्केट में हमेशा हिस्ट्री रिपीट होती है पास्ट में किसी वजह से यदि कोई प्राइज में चेंज आया था तो भविष्य में भी उसी वजह से उस शेयर की प्राइस में चेंज आएगा। शेयर मार्किट में प्राइस हमेशा इन्वेस्टर के इमोशंस पर चलती है।
टेक्निकल एनालिसिस की शुरुआत 1755 में जापान के एक चावल व्यापारी Homma munehisa ने की थी।
1755 में Homma munehisa की book The fountain of gold पब्लिक हुई थी जिससे कि टेक्निकल एनालिसिस की शुरुआत हुई उन्होंने बताया कि राइस की प्राइस कैसे राइस के वॉल्यूम और मौसम पर निर्भर करती है इसको समझ कर आप फ्यूचर मैं राइस की प्राइस को समझ सकते हैं
Dow theory
Technical analysis
आज हम किस मॉडर्न technical analysis की theory को जानते हैं और यूज़ करते हैं वो बेस्ड है dow theory पर।
इस थ्योरी को वॉल स्ट्रीट Dow Jones Industrial Average (DJIA) के फाउंडर Charles Henry Dow द्वारा लिखी 255 Wall Street Journal Editorial Article पर आधारित है। और इस article को William Peter Hamilton, Robert Rhea and E. George Schaefer ने रीऑर्गेनाइज करके पब्लिश टेक्निकल एनालिसिस क्या है और यह कैसे काम करता है किया और आज इस थ्योरी को टेक्निकल एनालिसिस मैं बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
क्यों टेक्निकल एनालिसिस कभी काम करता है और कभी नहीं करता ?
टेक्निकल एनालिसिस में कीमतों का अभ्यास किया जाता है , जो की बाज़ार में लोंगो के मनोदशा और भावनावो का प्रतिनिधित्व स्वरुप है | इसी वजह से टेक्निकल एनालिसिस ज्यादातर बार काम करता है , क्योकि सामान्य रूप से लोग समान परिस्थितियों में एक जैसे निर्णय या फिर गलतिया करते है | जो चार्ट पर समान प्राइस पैटर्न्स या फिर टेक्निकल पैटर्न बनाते रहते है और यह टेक्निकल एनालिसिस क्या है और यह कैसे काम करता है प्रक्रिया बार बार होती रहती है | कीमतों की दिशा या ट्रेंड्स चार्ट पर मूविंग अवेरेजेस और इंडीकेटर्स की मदत से खोजी जा सकती है | और उनकी हद या फिर सीमा चार्ट पर सपोर्ट और रेजिस्टेंस खीचकर निर्देशित किये जा सकते है | ये एक सीधी और साधा तरीका है मगर इसमें अनुभव जरुरी होता है | जब कीमते रेजिस्टेंस को लांघकर ट्रेड करने लगाती है तो उसे “बुलिश ब्रेकआउट” कहा जाता है , उसी तरह जब कीमते सपोर्ट क निचे टूट जाती है तो उसे “बिअरिश ब्रेकडाउन” कहा जाता है | ब्रेकआउट की घटना एक ट्रेडर के लिए बहुत महत्व पूर्ण होती है और वो ट्रेडर्स के लिए एक शक्तिशाली हत्यार की तरह काम करता है | ब्रेकआउट कीमतों और इंडीकेटर्स में भी देखा जा सकता है और उपयोगी होता है | ब्रेकआउट लगभग ८०-९०% समय काम करता है और सही दिशा में ट्रेड करने वालो को मोटा मुनाफा कमाकर देता है | ज्यादातर ब्रेकआउट और ब्रेकडाउन मुख्य दिशा परिवर्तन के समय होता है और ट्रेडर्स को एक मुनाफे वाली रैली मिल जाती है |
कभी कभी टेक्निकल एनालिसिस क्यों काम नहीं करता ?
टेक्निकल एनालिसिस कभी कभी किसी ट्रेडर के लिए कम नहीं करता और उसका मुख्य कारण होता है , अनुभव की कमी | जो लोग या ट्रेडर्स मार्केट में नए है वो ज्यादातर पकीमतों को या फिर इंडीकेटर्स को अच्छे से नहीं समज पाते और गलती कर बैठते है | इसी कहते है की लिए एक यशस्वी ट्रेडर्स के पीछे उसके अनुभव का हाथ होता है | ज्यादातर व्यावसायिक और नए ट्रेडर्स एक ही तकनीक अपनाते है मगर व्यवसायिक ट्रेडर मुनाफा कमाता है और उसी तकनीक से नए ट्रेडर्स को नुकसान होता है | यह कही बार देखा गया है | दूसरा यह की बहुत बार ट्रेडर्स चार्ट्स, प्राइस पैटर्न और इंडीकेटर्स के ऊपर इतना निर्भर हो जाते है की वो मार्केट की परिस्थितियों को जानना और समज़ना भूल जाते , और अपने इस छोटे कोष से बाहर न आने की वजह से गलत साबित होते रहते है | यही व्यवसायिक ट्रेडर्स मार्केट और उतार-चढाव के हिसाब से अपनी तकनीक और इंडीकेटर्स को ट्यून करते रहते है | जैसे की ज्यादा चढ़ उतार वाले मार्केट में चार्ट पर फाल्स ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन होने पर ट्रेडर्स को मुख्य ट्रेंड के साथ रहना चाहिए | दूसरा उदहारण में बुल मार्केट में कीमते ओवर बाउट स्थिति में हप्ते या फिर महीनो तक ट्रेंड करती है और बीच बिच में टेक्निकल एनालिसिस क्या है और यह कैसे काम करता है गलत सेल सिग्नल निर्माण होते है | कभी कभी कुछ तकनीक कुछ वक्त तक ही काम करते जाते है क्योकि मुख्य मार्केट मेकर्स वही टेक्निक्स उपयोग में लाते है और उनपर ही उस वक्त भरोसा बैठ होता है , इसे “सेल्फ फुल फिलिंग प्रोफेसी” भी कहा जाता है | कुछ ट्रेडर्स बहुत सामान्य तकनीक उपयोग करते है और फिर भी मुनाफा कमाते है और कुछ जटिल और महंगी ट्रेडिंग सिस्टम का उपयोग करके भी सदा नुकसान में ही बैठे होते है | ये इस लिए होता है क्योकि व्यावसायिक ट्रेडर्स जो गैर प्रचलित ट्रेडिंग की रणनीति बनाते है वो अनुभव पर आधारित होती है और उसकी मार्केट पर पूरी पकड़ होती है | ट्रेडिंग का मुख्य उद्देश मुनाफा कमाना है न की वैज्ञानिक तरीकेसे सही रहना |
Technical Analysis से होने वाले फायदे और सीमाए
1. SHORT TERM TRADES
Technical Analysis का उपयोग SHORT TERM TRADES की पहचान करने के लिए किया जाता है, LONG TERM TRADE के बारे में जानने के लिए Technical Analysis का उपयोग नहीं करना चाहिए,LONG TERM TRADER के लिए Fundamental Analysis ज्यादा बेहतर है,
हालाँकि एक अच्छा निवेशक एक लॉन्ग टर्म ट्रेड के लिए Fundamental Analysis के साथ साथ मार्केट में Entry और Exit के लिए Technical Analysis का भी इस्तेमाल करेगा.
2. RETURN ON PER TRADE
Technical Analysis आधारित ट्रेडों में आमतौर पर ज्यादा लाभ कि अपेक्षा नहीं करनी चाहिए, बल्कि Technical Analysis का इस्तेमाल करके छोटे छोटे फायदे उठाते रहना चाहिए.
Technical Analysis के आधार पर किये जाने वाले Trades कि समय सीमा 1 मिनट से लेकर कुछ हफ्तों तक कि हो सकती है, और कम टाइम फ्रेम में Technical Analysis अच्छा काम करता है
4. RISK जोखिम –
Technical Analysis के आधार पर किये जाने वाले trades अगर loss कि स्थिति आये तो Loss बुक करना जरुरी हो जाता है, क्योकि ऐसा नहीं करने पर यह तकनीक के खिलाफ होगा और स्थिती ऐसे और ज्यादा ख़राब हो सकती है अगर स्टॉप loss न लगाया जाये..
इस तरह आप समझ सकते है कि Technical Analysis का हम किस तरह से लाभ उठा सकते है, और Technical Analysis की मदद से हम कैसे बेहतर सौदे कर सकते है
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