मुख्यमंत्री योगी ने Gorakhpur को दी 144 करोड़ की विकास परियोजनाओं की सौगात

गोरखपुर | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ( CM Yogi Adityanath ) ने कहा कि गोरखपुर ( Gorakhpur ) जिन कारणों से बदनाम था, आज उनसे मुक्त हो चुका है। गोरखपुर की पहचान सबसे तेज विकास की प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ते हुए महानगर के रूप में स्थापित हो रही है। विकास ही एक उज्जवल और मंगलमय भविष्य की गारंटी हो सकती है और उस विकास के साथ हम सब को जुड़कर गोरखपुर को और आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि हर एक को न्याय मिले, हर इजे व्यक्ति अपने आप को सुरक्षित महसूस करे, यही सरकार की मंशा और प्राथमिकता है। विकास की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के साथ व्यक्ति को न्याय मिलना व दिखना भी चाहिए।

सीएम योगी रविवार सुबह महंत दिग्विजयनाथ स्मृति पार्क ( Mahant Digvijaynath Memorial Park ) में आयोजित समारोह के दौरान जिले में सड़क, बाढ़ सुरक्षा, शिक्षा आदि से संबंधित 144 करोड़ रुपये से अधिक की 61 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास करने के बाद जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने 33.16 करोड़ रुपये की 40 परियोजनाओं का लोकार्पण व 111.33 करोड़ रुपये की 21 परियोजनाओं का शिलान्यास किया।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि विकास एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है। इसमें आम जनमानस की सहभागिता आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक योग्य जनप्रतिनिधि निरंतर कारखाना विदेशी मुद्रा उत्तर प्रदेश प्रयास करके अपने क्षेत्र के लिये परियोजनाएं लेकर आता है और आज उसका परिणाम है कि जनपद की एवं गोरखपुर कमिश्नरी की प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में विकास देखने को मिल रहा है। कहीं सड़क बन रही है, कहीं स्कूल-कालेज बन रहे हैं। कहीं उद्योग-धंधे लग रहे हैं। कहीं कस्तूरबा गांधी विद्यालय का निमार्ण हो रहा है। कहीं पर अटल आवासीय विद्यालय का निमार्ण हो रहा है। कहीं पर आपरेशन कायाकल्प के अंतर्गत बेसिक परिषद से जुड़े हुए विद्यालयों के नव निमार्ण की कायर्वाही आगे बढ़ रही है। बाढ़ बचाव से जुड़े काम हो रहे हैं। कहीं मेडिकल कॉलेज तो कहीं अस्पताल का निमार्ण हो रहा है। कुछ न कुछ कार्य हर क्षेत्र में निरंतर हो रहे हैं।

विकास योजनाओं में अपना योगदान दे जनता

सीएम ने कहा कि सरकार धनराशि देती है और हमारे सांसदगण, विधायकगण उससे विकास योजनाओं के लिए प्रयास करते हैं। सरकार उसको स्वीकृत कर धनराशि अवमुक्त करती है। जनता का भी दायित्व है कि सकारात्मक रूप से विकास की इन परियोजनाओं में अपना सहयोग करते हुए उसे समयबद्ध ढंग से आगे बढ़ाने में योगदान दे।

कार्य मे बाधा आने से राजस्व पर विपरीत असर

मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास कार्य मे किसी भी प्रकार की कोई बाधा नही आना चाहिए। क्योंकि यदि कोई बाधा आती है और कार्य में देरी हुई तो उसका रिवाइज स्टीमेट प्रस्तुत किया जाता है जिससे प्रदेश कारखाना विदेशी मुद्रा उत्तर प्रदेश के राजस्व पर उसका विपरीत असर पड़ता है। साथ ही विकास की परियोजना में देरी होने के कारण आम जनमानस को भी काफी परेशानी होती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा बड़ी-बड़ी परियोजनाए संचालित की जा रही हैं। ऐसे में जब जनता भी सकारात्मक भाव के साथ परियोजनाओं के साथ जुड़ती है तो कार्य मानक की गुणवत्ता को बनाये रखते हुए समयबद्ध ढंग से इन परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है।

स्थापित हो रहा नया गोरखपुर, दिख रही नई तस्वीर

सीएम ने कहा कि आज गोरखपुर एक नए गोरखपुर के रूप में स्थापित हो रहा है। वाराणसी से गोरखपुर और गोरखपुर से सोनौली मार्ग फोरलेन बनने के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है। नया फोरलेन पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के रूप में उपलब्ध हो रहा है। पहले महानगर से बीआरडी मेंडिकल कॉलेज का रोड बहुत संकरा और व्यस्त था लेकिन आज महानगर से मेडिकल कॉलेज की तरफ जायेंगे तो फोरलेन का उच्च स्तरीय मार्ग बनकर तैयार है। ऐसे ही मोहद्दीपुर से गोरखनाथ मंदिर से होते हुए सौनौली मार्ग पर जंगल कौड़िया की तरफ जाते हैं तो जंगल कौड़िया तक यह मार्ग फोरलेन बनने के साथ ही लाइट की जगमगाहट से विकास की एक नई कहानी कहता है। गोरखपुर से नेपाल जाने वालेे वाहनों को शहर के अंदर न आना पड़े, इसके लिए जंगल कौड़िया से कालेसर तक एक नया बाईपास भी बनकर तैयार है। ऐसे तमाम अन्य कार्य चल रहे हैं। सीएम ने कहा कि गोरखपुर का एम्स प्रारम्भ हो गया है। प्राणी उद्यान मनोरंजन एवं ज्ञानवधर्न के रूप में विकसित हुआ है। इसके साथ ही रामगढ़ताल पयर्टन की दृष्टि से निरंतर विकसित हो रहा है। रात्रि को फटिर्लाइजर कारखाने की लाइट गोरखपुर की एक नई तस्वीर पेश कर रही है।

जल जमाव से निजात को युद्ध स्तरीय प्रयास

सीएम योगी ने कहा कि हमारा प्रयास है कि बरसात के दौरान गोरखपुर महानगर में कहीं भी जल जमाव की समस्या न हो। इसके लिये अभी से प्रयास करना है। प्रशासन युद्ध स्तर पर जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर इस कार्य को आगे बढ़ा रहा है। शहर के अंदर बरसात के दौरान जल जमाव की स्थिति न आये इसके लिये अनेक कार्य चल रहे हैं। गोड़धेाइया नाले की सफाई के साथ ही रामगढ़ताल से तरकुलानी के बीच नाला बनाने का कार्य तेजी से चल रहा है। जितना भी शहर का पानी होगा रामगढ़ताल होते हुए तरकुलानी में पहुंचेगा और वहां से पूरा पानी गुर्रा नदी व राप्ती नदी में जायेगा।

नियमित जनता की समस्याएं सुनें जनप्रतिनिधि व अधिकारी

मुख्यमंत्री ने कहा कि नियमित रूप से हम लोग जनता की समस्याओं को सुनें। अगर कोई जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी नियमित रूप से जनता की समस्याओं के निस्तारण के लिए काम करे तो तमाम विवादो का समाधान जनसुनवाई के माध्यम से ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि माह में दो बार तहसील/थाना दिवस आयोजित किये जाएं और यह भी सुनिश्चित हो कि ग्राम पंचायत की समस्याओं का समाधान उसी स्तर पर हो। सकारात्मक सहयोग से विकास को आगे बढ़ाया जाये।

लोकार्पण व शिलान्यास समारोह के दौरान सीएम योगी ने अपने हाथों से पांच क्षय रोगियो के परिजनों को किट्स, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना एवं मुख्यमंत्री आवास योजना के छह लाभाथिर्यों कारखाना विदेशी मुद्रा उत्तर प्रदेश को आवास की चाबी तथा गोंवश रक्षा के लिए भूसा दान देने वाले तीन लोगों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया।

इस अवसर पर सांसद रवि किशन, कमलेश पासवान, राज्यसभा सदस्य जय प्रकाश निषाद, महापौर सीताराम जायसवाल, विधायक महेन्द्र पाल सिंह, विपिन सिंह, विमलेश पासवान, राजेश त्रिपाठी, श्रीराम चैहान, सरवन निषाद, BJP के क्षेत्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह, जिला अध्यक्ष युधिष्ठिर सिंह, महानगर अध्यक्ष राजेश गुप्ता, मण्डलायुक्त रवि कुमार एनजी, जिलाधिकारी विजय किरन आनंद, जीडीए उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह आदि उपस्थित रहे।

मथुरा में आलू चिप्स की फैक्ट्री लगाएगी पेप्सिको इंडिया

फैक्ट्री में 2021 तक उत्पादन शुरू होने की संभावना है. चिप्स बनाने के लिए कंपनी स्थानीय किसानों से आलू खरीदेगी

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के ढाई वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों एवं जिले के विकास कार्यों की समीक्षा करने यहां आए कैबिनेट मंत्री ने बताया, ''उत्तर प्रदेश सरकार औद्योगिक क्षेत्र में पिछले 15 वर्षों से पिछड़ते जा रहे राज्य को एक नई दिशा देने के लिए नीतियों में आमूल-चूल बदलाव ला रही है.

उद्यमियों को अपने राज्य में निवेश करने के लिए प्रेरित करने हेतु कई बड़े काम किए गए हैं. इसके चलते उद्यमियों ने एक बार फिर राज्य में निवेश करने के मामले में अपना विश्वास दिखाया है. विगत डेढ़ दशक में निवेश की गई राशि के ढाई गुने से भी ज्यादा राशि का निवेश इस दौरान हुआ है.'' एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया, ''कोसीकलां औद्योगिक क्षेत्र में 54 एकड़ के दायरे में मेगा फूड पार्क स्थापित किया जा रहा है. इसमें पेप्सी ने अपने चिप्स ब्रांड (लेज) सहित अनेक खाद्य उत्पाद बनाने की इकाई लगाने का प्रस्ताव पेश किया गया. इसके लिए उन्हें जमीन का आवंटन भी कर दिया गया है.''

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कोरोना ने रोके 'फोर्जड व्हील प्लांट' के बढ़ते कदम, जर्मन एक्सपर्ट के इंतजार में रेल पहिया कारखाना

यूपी के रायबरेली जिले में स्थित फोर्जड व्हील प्लांट पिछले 6 से बंद पड़ा है. इस वजह से कारखाने में उत्पादन नहीं हो पा रहा है. कारखाने के अधिकारियों का दावा है कि यदि सब कुछ ठीक ठाक रहता तो 1 लाख फोर्जड व्हील प्रति वर्ष की उत्पादन शुरु हो चुका होता. हॉट ट्रायल मशीनिंग व ऑनलाइन टेस्टिंग समेत कई जरूरी स्टेज अधूरे रहने के कारण फिलहाल अभी कुछ कह पाना मुश्किल है.

रायबरेलीः रेल पहिया कारखाने के कामकाज पर कोरोना का जबरदस्त असर देखने को मिला है. पहिया निर्माण की ओर तेजी से बढ़ रहे कारखाने को लॉकडाउन के कारण मार्च में ही ठहरना पड़ा था. जर्मन मशीनरी के इंस्टॉलेशन और कमिश्निंग का कार्य अंतिम चरण में पहुंचने के बावजूद सब कुछ थम गया. नतीजा यह है कि बीते 6 माह से जर्मन इंजीनियर के अभाव में कामकाज ठप है. कारखाने के अधिकारियों का दावा है कि यदि सब कुछ ठीक ठाक रहता तो 1 लाख फोर्जड व्हील प्रति वर्ष की उत्पादन क्षमता के साथ स्थापित हुए इस कारखाने में उत्पादन शुरु हो चुका होता. हॉट ट्रायल मशीनिंग व ऑनलाइन टेस्टिंग समेत कई जरूरी स्टेज अधूरे रहने के कारण फिलहाल अभी कुछ कह पाना मुश्किल है. यही कारण है कि रायबरेली के लालगंज स्थित आधुनिक रेल डिब्बा कारखाने के परिसर में स्थापित राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड के इस पहिया कारखाने पर अब राजनीति घमासान भी छिड़ता नजर आ रहा है. जिले के कांग्रेसी नेता इस मसले पर जहां सत्तारुढ़ दल भाजपा पर निशाना साधते नजर आ रहे हैं वहीं बीजेपी की तरफ से भी जबरदस्त पलटवार देखा जा रहा है.

भाजपा सरकार की गलत नीतियों की भेंट चढ़ा रेल पहिया कारखाना
बीते 06 माह से रेल पहिया कारखाने में पहिया निर्माण का कार्य ठप होने से कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर जमकर निशाना साधा है. सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली के जिलाध्यक्ष पंकज तिवारी कहते हैं कि रेल पहिया कारखाने की सौगात स्थानीय सांसद सोनिया गांधी द्वारा दी गई थी. उद्देश्य यही था कि एमसीएफ में हो रहे रेल डिब्बे निर्माण में पहिए की जरूरत को स्थानीय स्तर पर ही पूरा किया जा सके. वर्ष 2013 में इसका शिलान्यास हुआ था पर केंद्र सरकार के ढुलमुल रवैया के कारण सालों बीत जाने के बावजूद अब तक उत्पादन शुरू नहीं हो सका. अब कोरोना के नाम पर लोगों को गुमराह किया कारखाना विदेशी मुद्रा उत्तर प्रदेश कारखाना विदेशी मुद्रा उत्तर प्रदेश जा रहा है. आखिर इतने वर्षों में सरकार किसी भी भारतीय इंजीनियर को जर्मन इंजीनियर से प्रशिक्षित क्यों नहीं करा पाई. यह दर्शाता है कि यह कारखाना पूरी तरह से विदेशियों के ही बलबूते सरकार की चलाने की मंशा थी और किसी भी भारतीय एक्सपर्ट को इस पूरे प्रोजेक्ट पर नहीं लगाया गया था. नहीं तो अब तक पहिया उत्पादन का कार्य शुरु हो गया होता.

जल्द शुरु होगा कारखाने में पहियों का उत्पादन
कांग्रेस के आरोपों को एकसिरे से नकारते हुए भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष और प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य आरबी सिंह कहते हैं कि कोरोना वैश्विक महामारी है. जिसका असर देश दुनिया के तमाम देशों में भी देखा जा रहा है. रेल पहिया कारखाना जर्मन कंपनी की निगरानी में बनाया जा रहा था. लगभग कार्य पूरा हो चुका है और पहिया उत्पादन भी शुरु हो गया था. बस टेस्टिंग सहित कुछ अन्य कार्य बाकी थे पर कोरोना के कारण सभी जर्मन एक्सपर्ट को अपने देश वापस लौटना पड़ा. अब जैसे ही कोरोना की रफ्तार पर नियंत्रण पाया जाता है, सभी जर्मन एक्सपर्ट लालगंज वापसी करेंगे और कुछ ही समय में उत्पादन कार्य संपन्न कराया जा सकेगा.

जर्मन एक्सपर्ट के वापस आने के 1 से डेढ़ महीने के अंदर ही गतिमान होगा कारखाना
रेल पहिया कारखाना के महाप्रबंधक संजय कुमार झा ने बताया कि हीट ट्रीटमेंट फर्नेस, मशीनिंग एरिया की मशीनों और ऑनलाइन टेस्टिंग मशीनों का हॉट ट्रायल अभी बाकी है. जो जर्मन एक्सपर्ट्स इंजीनियर के आने के बाद ही पूरा हो सकेगा. इससे पूर्व के महीनों की लगातार मेहनत के बाद फैक्ट्री परिसर में मौजूद रहे करीब 30 से 35 जर्मन एक्सपर्ट इंजीनियर की निगरानी में 8 फरवरी 2020 को फोर्जिंग यूनिट व रोटेटिंग फर्नेस का हॉट ट्रायल सफलतापूर्वक किया गया था. प्रतिदिन करीब 60 पहियों का निर्माण किया गया और 15 मार्च तक लगभग 450 पहिए तैयार हो गए थे. उन्हें टेस्टिंग प्रक्रिया में लेकर आना था पर तभी कोरोना की दस्तक ने जर्मन एक्सपर्ट को वापस लौटने पर मजबूर किया और काम काज कुछ दिनों तक बंद रहा.

17 मई से स्थानीय प्रशासन ने पुनः काम शुरु करने की इजाजत दी है. तय नियमों के तहत काम शुरु हो चुका है. मशीनिंग वर्क जर्मन एक्सपर्ट के आने के बाद ही शुरु हो पाएगा. उसके लिए पहले जर्मनी की सरकार अपने देश के लोगों को भारत आने की इजाजत दें. इंटरनेशनल फ्लाइट्स की भारत में शुरुआत हो और भारत सरकार उन्हें वीजा दे. इसके बाद ही जर्मन सुपरवाइजर वापस रायबरेली आ सकेंगे और तभी मशीन के बाकी बचे काम को पूरा किया जा सकेगा. इतना भरोसा जरुर है कि जर्मन एक्सपर्ट के आने के 1 से डेढ़ महीने के अंदर इस प्लांट से फोर्जड व्हील का उतपादन गति पकड़ता दिखाई देगा.

लालगंज का फोर्जड व्हील प्लांट पर एक नजर
भारतीय रेल और इस्पात मंत्रालय के बीच 2012 में हुए एमओयू के तहत राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड द्वारा लालगंज के रेल कोच फैक्ट्री परिसर से लगी भूमि पर रेल पहिया कारखाने की नींव रखी गई थी. 8 अक्टूबर 2013 को यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने तत्कालीन इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा, रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में इसका शिलान्यास किया था. दुनिया की बेहद आधुनिकतम व शीर्ष तकनीक में शुमार जर्मन टेक्नोलॉजी पर आधारित इस प्लांट के संचालित होने से बड़ी मात्रा में खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा कोष की बचत हो सकेगी. सौ फीसदी ऑटोमेशन व रोबोटिक्स पर आधारित इस प्लांट के बलबूते लालगंज विश्व के मानचित्र पर स्थापित हो सकेगा.

नए सामाजिक अनुबंध की जरूरत

पचहत्तर साल पहले भारत को भूख और भुखमरी से निपटने के लिए संघर्ष करना पड़ा था। उस काल-खंड में विदेशी मुद्रा पाने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ी थी। हमारे सामने तब एक आजाद मुल्क बने रहने और अति-गरीबी से.

नए सामाजिक अनुबंध की जरूरत

पचहत्तर साल पहले भारत को भूख और भुखमरी से निपटने के लिए संघर्ष करना पड़ा था। उस काल-खंड में विदेशी मुद्रा पाने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ी थी। हमारे सामने तब एक आजाद मुल्क बने रहने और अति-गरीबी से मुक्ति के लिए अपने आर्थिक विकास को गति देने की भी चुनौती थी। बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, घरेलू व निर्यात संबंधी प्रतिस्पद्र्धी बुनियादी ढांचे और कृषि व विनिर्माण क्षमताओं के आधुनिकीकरण को लेकर भी हम प्रयासरत थे। इसी तरह, सामंती व्यवस्था से ऊपर उठते हुए हमें एक ऐसे युग में प्रवेश करना था, जहां समानता और सामाजिक गतिशीलता को अधिक प्रोत्साहन मिले। इस लिहाज से देखें, तो इन सभी अहम कसौटियों पर हमने अच्छी-खासी तरक्की की है।
मगर क्या हमने अवसर भी गंवाए, गलतियां भी कीं? वास्तव में, हर सफलता कमियों और गंवाए गए अवसरों के साथ ही रेखांकित की जाती है। जैसे, यह समझ से परे है कि कैसे हमने अत्यधिक नियंत्रण वाले केंद्रीकृत योजनाबद्ध मॉडल को लगातार बनाए रखा। यह भी बहुत साफ नहीं कि साल 1991 के आर्थिक सुधार उस समय की मजबूरी थे या हमारी चयन संबंधी आजादी का प्रतिफल? विकल्प तभी सार्थक होते हैं, यदि चुनने के रास्ते कई हों। साल 1991 में हमारे पास चयन के विकल्प सीमित थे।

इस परिस्थिति में यदि हम यहां से अगले 25 वर्षों के लिए अपनी यात्रा शुरू करते हैं, तो 100वें साल पर भारत के लिए हमारी खोज क्या होगी? उन लक्ष्यों की झलक स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री के संबोधन में हमें मिलती है, जिनमें सामाजिक सुधार और पुनर्रचना भी शामिल हैं। उनके ‘पांच प्रण’ के हर प्रण में दूरगामी बदलाव नजर आते हैं और इनमें सबसे अहम है भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प। लिहाजा, हमें खुद से यह पूछना चाहिए कि एक विकसित देश हम कैसे बनेंगे, और इस लक्ष्य को पाने के लिए हमें किस तरह के बदलावों की जरूरत है?
व्यापक अर्थों में इसका मतलब है, सामाजिक अनुबंध की पुनर्रचना। सन् 1762 में जीन-जैक्स रूसो द्वारा गढे़ गए मूल सामाजिक अनुबंध में शासन संरचना और उसके प्रति दायित्व को लेकर नागरिकों में सहमति थी। बेशक समय की कसौटी पर यह अनुबंध काफी हद तक खरा उतरा है, लेकिन अगले 25 वर्षों के बदलाव की प्रकृति और उसकी रफ्तार पुराने अनुभवों के मुकाबले अलग हो सकती है। जाहिर है, नए सामाजिक अनुबंध से तात्पर्य यह है कि न केवल नागरिक अधिकारों को लेकर, बल्कि उसके कर्तव्यों को लेकर भी नए प्रावधान तय करने की जरूरत है। सवाल है कि एक उच्च आय वाले विकसित देश में हम कैसे शुमार होंगे?
एक, हमें कारखाना विदेशी मुद्रा उत्तर प्रदेश आर्थिक विकास की उन दरों को पाना होगा, जो हमारी प्रति व्यक्ति आय को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की परिभाषा के मुताबिक तय 20 हजार डॉलर नॉमिनल जीडीपी या विश्व बैंक के मापदंड के अनुरूप 12,696 डॉलर के करीब ले आए। अभी हम एक मध्य-आय वाले देश हैं। सिंगापुर सरकार के वरिष्ठ मंत्री टी शणमुगरत्नम ने प्रथम अरुण जेटली व्याख्यानमाला को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों की औसत आय बढ़ाने और अधिक रोजगार पैदा करने के लिए भारत को अगले 25 वर्षों तक आठ से दस फीसदी की दर से विकास करना होगा। यह अनुमान लगाया गया है कि इसके लिए आईएमएफ स्तर के हिसाब से 9.36 प्रतिशत और विश्व बैंक के स्तर के लिहाज से 7.39 फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर को हासिल करना अनिवार्य होगा।

साफ है, व्यापार विकास की मुख्य धुरी होगा। हमें एक ऐसी व्यापार नीति तंत्र की जरूरत है, जो वास्तविक विनिमय दरों से आगे जाता हो, बल्कि अर्थव्यवस्था को अधिक प्रतिस्पद्र्धी बनाने के लिए व्यापार, रसद, परिवहन और नियामक ढांचे में उल्लेखनीय सुधार कर सके। आयात शुल्कों की संकीर्ण व्याख्या आत्मनिर्भर भारत के दर्शन से उलट है। जब तक प्रतिस्पद्र्धी कीमतों पर आयात उपलब्ध न होंगे, निर्यात क्षमता प्रतिस्पद्र्धी नहीं बन सकेगी। इसके अलावा, चीन के उदय सहित बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं व बदलावों को देखते हुए हमारी व्यापार रणनीति को एक अलग पटकथा की जरूरत है।
दो, मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) पर ध्यान देने की जरूरत है। हमें जीवन प्रत्याशा के साथ-साथ ग्रामीण आबादी तक बिजली की पहुंच, इंटरनेट की उपलब्धता, जीवन व संपत्ति की सुरक्षा और आय की असमानता को पाटने जैसे अहम मापदंडों पर सुधार करने की आवश्यकता है। हमें अपने एचडीआई स्कोर को 0.645 के मौजूदा मध्यम स्तर से 0.8 के करीब ले जाने की जरूरत है, ताकि हम उच्च स्तर पर पहुंच सकें। इसके लिए हमें मान्यता प्राप्त निर्यात निकायों की सिफारिशों के अलावा, शिक्षा व स्वास्थ्य देखभाल पर नए सिरे से जोर देने के लिए 2020 की नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन और 2017 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में की गई प्रतिबद्धताओं के पालन की आवश्यकता है।

तीन, जलवायु संकट के खिलाफ लड़ाई व जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ने का अर्थ है मौलिक तरीकों से जीवन का संचालन। इसका मतलब है, कृषि पद्धतियों, उर्वरकों व कीटनाशकों के इस्तेमाल और यातायात के तरीके में बडे़ पैमाने पर बदलाव। जाहिर है, ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, सौर पैनल, बैटरी भंडारण और परिवहन से जुड़े नियमों-नियामकों में व्यापक परिवर्तन करना होगा। इनमें निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने से जोखिम कम होगा, बहुपक्षीय संस्थानों से संसाधन जुटाए जा सकेंगे और लघु व मध्यम उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। हमें अब भी सामाजिक क्षेत्र और बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण निवेश करना होगा। मगर अनुकूलन और शमन के इस संयुक्त प्रयास के लिए तमाम हितधारकों की सहभागिता व सक्रिय योगदान की जरूरत होगी। इसमें केंद्र, राज्य सरकारों के अलावा सामाजिक क्षेत्र भी शामिल हैं।
एक विकसित देश बनना हमारा नया सामाजिक अनुबंध है, ताकि गुलामी की औपनिवेशिक विरासत के संकेतकों को मिटाकर उनकी जगह हम गौरव और अपेक्षाओं से युक्त कर्तव्यबोध को स्थापित कर सकें।अल्बर्ट आइंस्टीन ने बिल्कुल दुरुस्त कहा है, ‘अतीत से सीखो, वर्तमान में जियो और भविष्य से उम्मीदें पालो।’ भविष्य के आकलन का सबसे बेहतर तरीका है इसे गढ़ना!
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान 153

1 | 2 | 3 | 4 कारखाना विदेशी मुद्रा उत्तर प्रदेश | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180 | 181 | 182 | 183 | 184 | 185 | 186 | 187 | 188 | 189 | 190 | 191 | 192 | 193 | 194 | 195 | 196 | 197 | 198 | 199 | 200 | 201 | 202 | 203 | 204 | 205 | 206 | 207 | 208 | 209 | 210 | 211 | 212 | 213 | 214 | 215 | 216 | 217 | 218 | 219 | 220 | 221 | 222 | 223 | 224 | 225

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