बैंक्स, वित्तीय निगम, इत्यादी संस्था विनियोग करना पसंद करते हैं। इन संस्थओं को आकर्षित करने हेतु स्थिर लाभाश नीति अपनाई जाती है।

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रिटायर्ड कमाई वह मुनाफा है जो किसी कंपनी ने आज तक अर्जित किया है, निवेशकों को दिए गए किसी भी लाभांश या अन्य वितरण से कम। जब भी राजस्व या व्यय खाते को प्रभावित करने वाले लेखांकन रिकॉर्ड में कोई प्रविष्टि होती है, तो इस राशि को समायोजित किया जाता है। एक बड़ी प्रतिधारित आय शेष का तात्पर्य एक आर्थिक रूप से स्वस्थ संगठन से है। प्रतिधारित आय को समाप्त करने का सूत्र है:

प्रतिधारित आय की शुरुआत + लाभ/हानि - लाभांश = प्रतिधारित आय को समाप्त करना

एक कंपनी जिसने आज तक लाभ की तुलना में अधिक नुकसान का अनुभव किया है, या जिसने बनाए रखा आय शेष राशि की तुलना में अधिक लाभांश वितरित किया है, उसे बनाए रखा आय खाते में एक नकारात्मक शेष राशि होगी। यदि ऐसा है, तो इस ऋणात्मक संतुलन को संचित लाभांश की स्थिरता के लाभ और नुकसान घाटा कहा जाता है।

कंपनी की बैलेंस शीट के स्टॉकहोल्डर्स के इक्विटी सेक्शन में रिटेन्ड लाभांश की स्थिरता के लाभ और नुकसान अर्निंग बैलेंस या संचित डेफिसिट बैलेंस की सूचना दी जाती है।

स्थिर लाभांश नीति के लाभ - Advantages of Fixed Dividend Policy

स्थिर लाभांश नीति अंशधारको के न्यूनतम हितो को संरक्षित करने वाली नीति है। स्थिर लाभाश नीति अंशधारको एवं कम्पनी दोनों के दृष्टिकोण से लाभदायी है। इस नीति के निम्नांकित लाभ है

1. न्यूनतम आय की लाभांश की स्थिरता के लाभ और नुकसान निच्छितता (Certainty in the minimum Income) - अंशधारकों को इस नीति के तहत नियमित आय प्राप्त होती रहती है और वे कम्पनी के नीति से संतृष्ट रहते है। कम्पनी में आय की मात्रा कम होने पर भी सुनिच्छित लाभांश अवश्य प्राप्त होने के कारण यह नीति विनियोजकों द्वारा अत्यंत पसंद की जाती है।

2. कम्पनी पर विश्वास में वृद्धी (Increases Company's Credibility) - इस नीति के तहत नियमित एवं स्थिर आय प्राप्त होने के कारण कम्पनी के अशधारकों में कम्पनी के प्रति विश्वास / साख में यह नीति वृद्धी करती है।

कम्पनी में आय की मात्रा कम होने पर भी अपूती संचित कोषों में से सुनिच्छित लाभाश अवश्य प्राप्त होने के कारण अंशधारकों को यह विश्वास होता है की कम्पनी का संचालन प्रबंधकों के द्वारा उनके हितो को ध्यान में रखकर कुशलता एवं सफलता से हो रहा है। इस नीति के कारण अंशो के मूल्य में वृद्धी होती रहती है जिससे अंशधारकों को अधिक लाभ प्राप्त होता है।

Advantages and Disadvantages of Stable Dividend Policy

(a) It is sign of continued normal operations of the company.

(b) It stabilises the market value of shares.

(c) It creates confidence among the investors.

(d) It provides a source of livelihood to those investors who view dividends as a source of funds to meet day-to-day expenses.

(e) It meets the requirements of institutional investors who prefer companies with stable dividends.

(f) It improves the credit standing and makes financing easier.

(g) It results in a continuous flow to the national income stream and thus helps in the stabilisation of national economy.

Disadvantages of Stable Dividend Policy:

Inspite of many advantages, the stable dividend policy suffers from certain limitations. Once a stable dividend policy is followed by a company, it is not easier to change it.

If the stable dividends are not paid to the shareholders on any account including insufficient profits, the financial standing of the company in the minds of the investors is damaged and they may like to dispose off their holdings. It adversely affects the market price of shares of the company. And if the company pays stable dividends in spite of its incapacity, it will be suicidal in the long-run.

a. Irregular Dividend Policy:

Some companies follow irregular dividend payments on account of the following:

5. सम्पत्ति लाभांश

लाभांश का यह प्रारूप असाधारण है। इस प्रकार का लाभांश स्कन्ध के रूप में या प्रतिभूतियों के रूप में हो सकता है। कभी-कभी एक कम्पनी दूसरी कम्पनी के अंशों व ऋणपत्रों को खरीदकर विनियोग के रूप में रखती है। यदि कम्पनी इन्हें बेचती है तो पूंजीगत लाभ का कर देना पड़ता है किन्तु जब इस प्रकार के विनियोग को लाभांश के रूप में अंशधारियों में बांटा जाता हो, तो कम्पनी पर कोई कर दायित्व नहीं बनता है।

जब लाभांश का कुछ भाग नकद रूप में तथा शेष अन्य सम्पत्ति के रूप में दिया जाता लाभांश की स्थिरता के लाभ और नुकसान है, तो उसे संयुक्त लाभांश कहते है। संयुक्त लाभांश से अंशधारियों एवं कम्पनी दोनों को अपनी स्थितियों के अनुसार अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने का सरल या आसान विकल्प रहता है।

7. वैकल्पिक लाभांश

वैकल्पिक लाभांश में कम्पनी अपने अंशधारियों को विकल्प देती है कि वे अपनी इच्छानुसार नकद या सम्पत्ति के रूप में लाभांश ले सकते हैं। चूँकि अंशधारियों के सामने लाभांश नकद या सम्पत्ति के रूप में प्राप्त करने का विकल्प होता है, अत: इसे वैकल्पिक लाभांश कहा जाता है। वैकल्पिक लाभांश, अंशधारियों को विकल्प चयन का अवसर प्रदान करता है।

नियमित लाभांश कम्पनी के वित्तीय वर्ष के समाप्त होने पर वार्षिक साधारण सभा में संचालकों द्वारा घोषित किया जाताहै और चुकाया जाता है। नियमित लाभांश अंशधारियों को निरन्तर वर्ष के अन्त में संचालकों द्वारा नियमानुसार भुगतान किया जाता है।

9. अन्तरिम लाभांश

अन्तरिम लाभांश कम्पनी के सदस्यों को बिना अन्तिम खाते बनाए हुए दिया गया लाभांश होता है। जब कम्पनी यह महसूस करती है कि व्यवसाय में लाभ पर्याप्त मात्रा में अर्जित कर लिये गये हैं तो वर्ष की समाप्ति से पूर्व ही अन्तर्नियमों द्वारा अधिकृत होने पर संचालक अन्तरिम लाभांश घोषित कर सकते हैं। संचालकों द्वारा अन्तरिम लाभांश घोषित करने में पर्याप्त सतर्कता बरती जानी चाहिए, क्योंकि अगर लाभ-हानि खाते द्वारा प्रदर्शित लाभ चुकाये गये अन्तरिम लाभांश से कम रह जाता है तो इसके लिए संचालक व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी माने जाएंगे। इस दशा में पूंजी में से लाभांश का भुगतान हो जाएगा जो कि अवैधानिक होता है। वर्ष के मध्य में लाभांश का भुगतान होने पर वार्षिक लाभांश का आकलन सही नहीं होने पर एक तरफ जहां कम्पनी नुकसान उठाती है वहीं अच्छी स्थिति होने पर कम्पनी के अंशों का बाजार मूल्य स्वाभाविक तौर पर बढ़ जाता है।

डिविडेंड (Dividend) के क्या फायदे हैं?

डिफिडेंड के कई फायदे हैं। निवेशक के लिए यह फायदा है कि उसे एक अतिरिक्त आय मिल जाता है। एक पैसिव इनकम का स्रोत बन जाता है।

शेयर का मूल्य बढ़ता है, वह लाभ अलग और डिफिडेंड मिल जाता है वह एक अलग लाभ है। लाभांश की स्थिरता के लाभ और नुकसान यानी लाभ ही लाभ की स्थिति बन जाते हैं। इसलिए बहुत से निवेशक उस कंपनी का शेयर खरीदते हैं जो कंपनी अच्छा डिविडेंड देते हैं।

डिविडेंड देने वाले कंपनी के लिए लाभ यह होता है कि कंपनी के शेयर का भाव बढ़ जाता है। कंपनी के शेयर मार्केट में काफी मांग भी बढ़ जाती हैं। क्योंकि कई निवेशक और अमीर लोग डिविडेंड के लिए शेयर को खरीदना पसंद करते हैं।

Dividend Yield क्या है?

Dividend Yield वित्तीय अनुपात है जो शेयर के डिविडेंड कमाई की क्षमता को दिखाता है। इसके द्वारा स्टॉक डिविडेंड कमाने की क्षमता और उसके स्टॉक के मार्केट प्राइस के बीच संबंध बताता है।

जैसे मान लिया कि रिलायंस के स्टॉक का फेस वैल्यू ₹10 है और मार्केट वैल्यू ₹2000 है। कंपनी ने लाभांश की स्थिरता के लाभ और नुकसान 100% डिविडेंड देने की घोषणा की। यानी 10 का 100% = ₹10

Dividend Yield निकालने लाभांश की स्थिरता के लाभ और नुकसान के लिए Dividend में वर्तमान मूल्य से भाग देकर % निकाला जाता है जैसे

Top Dividend Stocks

इस प्रकार आपने डिविडेंड के बारे में सब कुछ समझ गए होंगे। स्टॉक मार्केट में लगभग 5000 कंपनी है जिसमें से आपको कुछ कंपनी चुनने है जो अच्छा डिविडेंड देते रहते हैं।

यह एक मुश्किल काम है फिर भी मैं आपके लिए टॉप 10 कंपनी खोज कर लाया हूं जो पिछले कई सालों से अच्छा खासा डिविडेंड दे रहे हैं। आप चाहे तो इस कंपनी में निवेश कर सकते हैं।

लेकिन मैं आपको सतर्क करना चाहता हूं कभी भी केवल डिविडेंड के लिए शेयर में निवेश ना करें। निवेश करने से पहले कंपनी की जांच पड़ताल कर ले।

एक अच्छा शेेयर के क्या-क्या गुण होने चाहिए, इस बात पर यदि कंपनी खरी उतरती है तभी कंपनी में निवेश करें। एक और बात, कभी भी कर्ज लेकर शेयर मार्केट में निवेश ना करें चाहे आपको अपने आप पर कितना भी विश्वास को ना हो।

क्योंकि अगर आपको नुकसान हुआ तो आप बहुत ज्यादा मुसीबत में पड़ सकते हैं। किसी की कहने या सुनने से किसी भी शेयर में निवेश ना कर दे। हमेशा खुद सर्च करें फिर कंपनी के शेयर में निवेश करें।

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